वर्ल्ड वेजिटेरियन डे यानी विश्व शाकाहार दिवस की स्थापना 1977 में नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसायटी (NAVS) द्वारा की गई थी. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों में शाकाहारी आहार के प्रति जागरूकता बढ़ाना है. दुनिया भर में शाकाहार के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है. शाकाहारी खाने को सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. सबसे अच्छी बात कई रिसर्च ये मानते हैं कि शाकाहारी खाने वाले लोगों में दिल का खतरा कम पाया जाता है।
प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व शाकाहार दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य शाकाहारी भोजन के प्रति आकर्षित करके उसके लाभों के बारे में लोगों को जागरूक करना और जानवरों को बचाना है। इस दिन को वैगन डे (World Vegan Day) के नाम से भी जाना जाता है। क्यूंकि वेजिटेरियन (Vegetarian) शब्द को वेगन (Vegan) भी कहा जाता है।
बता दें भोजन की दो केटेगरी होती है पहली शाकाहारी (vegetarian food) और दूसरी मांसाहारी (Non vegetarian food) । लोगो का मानना है कि शाकाहारी भोजन की तुलना में मांसाहारी भोजन में अधिक ताकत होती है। लेकिन ऐसा सोचना गलत है। क्यूंकि मांसाहारी भोजन में शाकाहारी से कही अधिक पोषण तत्व होते है। जो प्रोटीन विटामिन हमे मांस खाने से मिलता है उतना ही हमे फल-हरी सब्जियां आदि खाने से मिलता है। इसके अलावा मांसाहारी भोजन के अपेक्षा शाकाहारी भोजन जल्द पच जाता है। इसी शाकाहारी (vegetarian food) भोजन के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए हर साल 1 अक्टूबर को ‘विश्व शाकाहार दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। तो आइये जान लेते है विश्व शाकाहारी दिवस का इतिहास, थीम और इसका महत्व.
विश्व शाकाहार दिवस इतिहास
विश्व शाकाहारी दिवस यानि वर्ल्ड वेगन डे 1 अक्टूबर, 1977 में पहली बार यूके वेगन सोसाइटी ने मनाया था। साल 1944 में वेगन सोसायटी की स्थापना हुई थी। जिसकी 50 वीं वर्षगांठ पर वेगन सोसायटी के अध्यक्ष ने अक्टूबर की पहली तारीख को यादगार बनाने और लोगों में शाकाहारी आहार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वेगन दिवस को हर साल मनाने की घोषणा की गई। यह दिन नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसाइटी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ के साथ साझेदारी में मनाया गया। यानि यह उत्तरी अमेरिकी शाकाहारी समाज का स्थापना दिवस है।
इसके पीछे एक और कारण भी बताया जाता है भेदभाव क्यूंकि उस समय वेगंस को डेयरी उत्पादों का उपभोग करने की अनुमति नहीं थी, इस बात का उन्होंने विरोध किया और विरोध में अंडे का सेवन बंद कर दिया और फिर 1951 में ये एक शाकाहारी आंदोलन बन गया. तब से हर साल 1 नवंबर को पूरी दुनिया में शाकाहार दिवस को एक अभियान और जागरूकता के तौर पर मनाया जाता है
शाकाहारी भोजन का महत्व
एक शाकाहारी आहार सब्जियों, बीज, फलियां, फल, नट और अनाज पर केंद्रित होता है और इसमें अंडे, डेयरी और शहद जैसे पशु उत्पाद भी शामिल होते हैं, जो किसी जानवर की मृत्यु या उसके मांस की खपत के बिना प्राप्त किए जाते हैं। विश्व शाकाहारी दिवस लोगों को पशु उत्पादों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और इस दिन पर्यावरण संबंधी विचारों, पशु कल्याण और अधिकारों के मुद्दों और व्यक्तिगत स्वास्थ्य लाभों पर जोर दिया जाता है। यह प्रमाणिक है कि शाकाहारी भोजन ने स्वास्थ्य लाभ सिद्ध किया है। यह दिन जानवरों के जीवन को बचाने और पृथ्वी को संरक्षित करने में मदद करने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी मनाया जाता है।
शाकाहारी भोजन के फायदे
शाकाहारी भोजन हृदय रोग और कैंसर के ख़तरे को कम करता है।
शाकाहारी लोगो में हृदय संबंधी रोग होने की संभावना 30% कम होती है।
शाकाहारी भोजन हल्का होने की वजह से जल्दी पच जाता है।
शाकाहारी भोजन मस्तिष्क को सचेत रखने के साथ उसे बुद्धिमान बनाता है।
शाकाहारी भोजन ग्रहण करने वाला व्यक्ति तरोताजा यानि फ्रेश फील करता है।
शाकाहारी खाना खाने वाले लोगों को हाई ब्लड प्रेशर का खतरा काफी कम होता है।
शाकाहारी भोजन से वजन कम करने में मदद मिलती है।
शाकाहारी खाना खाने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम रहता है।
शाकाहारियों के प्रकार:
शाकाहारी: इसका मतलब है कि आप मांस, मुर्गी या मछली नहीं खाते हैं.
लैक्टो-ओवो शाकाहारियों (Lacto-ovo vegetarians): वे पोल्ट्री या मछली नहीं खाते हैं लेकिन अंडे और डेयरी उत्पाद खाते हैं.
लैक्टो शाकाहारी (Lacto vegetarians): वे डेयरी उत्पाद खाते हैं लेकिन अंडे नहीं.
पेस्कारेटेरियन (Pescatarians): वे मछली खाते हैं लेकिन अन्य सभी मांसाहार से बचते हैं
veganism और vegetarianism के बीच एक बड़ा अंतर है जिससे लोग अक्सर भ्रमित होते हैं. वहीं वेगन (Vegan) आहार का पालन करने का मतलब है कि आप मांस, मुर्गी या मछली नहीं खाते हैं, साथ ही डेयरी उत्पाद, अंडे, जिलेटिन या यहां तक कि शहद जैसे जानवरों से आने वाले मांसाहारी उत्पादों का भी सेवन नहीं करते हैं।
शाकाहार अपनाने के लिए टिप्स:
तय करें: सबसे पहले, यह सुनिश्चित करें और निर्धारित करें कि आप शाकाहार बनना चाहते हैं या नहीं और किस सीमा तक और कौन से प्रकार के।
एक टाइमलाइन बनाएं: धीमी शुरुआत करें और एक बार में एक नॉन-वेज आइटम को कम करें. तले हुए, या प्रोसेस्ड मीट के साथ शुरू करें जिनका पोषण बहुत कम है या नहीं है।
दृढ़ निश्चय रखें: अपने लक्ष्यों के बारे में खुद को याद दिलाएं।
चिकन और मटन की जगह टोफू (tofu), टेम्पेह (tempeh), सीटन (seitan), टेक्सचर्ड वेजिटेबल प्रोटीन (extured vegetable protein), कटहल जैसी चीजों का सेवन करें।
वेजिटेरियन खाना क्यों बेहतर है
1. वायरल डिसीज का खतरा कम हो जाता है
2013 में आई यूनाइटेड नेशंस की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट कहती है, दुनियाभर में 90% से ज्यादा मांस फैक्ट्री फार्म से आता है। इन फार्म्स में जानवरों को ठूंस-ठूंसकर रखा जाता है और यहां साफ-सफाई का भी ध्यान नहीं रखा जाता। इस वजह से वायरल डिसीज फैलने का खतरा बढ़ जाता है। हाल ही में गुजरात में फैली वायरल डिसीज कांगो फीवर में भी संक्रमित जानवरों से इंसान को खतरा बताया गया है।
2. दिल ज्यादा खुश रहता है और बीमार कम होता है
नॉनवेज के मुकाबले वेजिटेरियन डाइट आपको ज्यादा स्वस्थ रखती है, इस पर रिसर्च की मुहर भी लग चुकी है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित रिसर्च कहती है, हृदय रोगों का खतरा घटाना है तो शाकाहारी खाना खाइए।
इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में 44,561 लोगों पर हुई रिसर्च हुई। इसमें सामने आया कि नॉन-वेजिटेरियन के मुकाबले जो लोग वेजिटेरियन डाइट ले रहे थे उनमें हृदय रोगों के कारण हॉस्पिटल में भर्ती करने की आशंका 32 फीसदी तक कम है। इनमें कोलेस्ट्रॉल का लेवल और ब्लड प्रेशर दोनों ही कम था।
3. फल-सब्जियों की मात्रा बढ़ाते हैं तो कैंसर का खतरा घटता है
अब तक सैकड़ों ऐसी रिसर्च सामने आ चुकी हैं जो कहती हैं, खाने में अगर फल और सब्जियों की मात्रा बढ़ाते हैं तो कैंसर का खतरा कम हो जाता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च के मुताबिक, अगर डाइट से रेड मीट को हटा देते हैं तो कोलोन कैंसर होने का खतरा काफी हद तक घट जाता है।
4. डायबिटीज कंट्रोल करना है तो 50% तक फल-सब्जियां खाएं
वियतनाम के मेडिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. बिस्वरूप चौधरी कहते हैं, अगर ब्लड शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं तो दिनभर की डाइट में 50 फीसदी से ज्यादा फल और सब्जियां लें। इसके बाद ही अनाज शामिल करें। नॉनवेज, अंडा, मछली, मक्खन और रिफाइंड फूड लेने से बचें। ऐसा करते हैं तो ब्लड शुगर काफी हद तक कम किया जा सकता है।
क्या होगा अगर सभी वेजिटेरियन बन जाएं?
2016 में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस की एक स्टडी आई थी। इसमें कहा गया था कि अगर दुनिया की सारी आबादी मांस छोड़कर सिर्फ शाकाहार खाना खाने लगे तो 2050 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 70% तक की कमी आ सकती है।
अंदाजन दुनिया में 12 अरब एकड़ जमीन खेती और उससे जुड़े काम में इस्तेमाल होती है। इसमें से भी 68% जमीन जानवरों के लिए इस्तेमाल होती है। अगर सब लोग वेजिटेरियन बन जाएं तो 80% जमीन जानवरों और जंगलों के लिए इस्तेमाल में लाई जाएगी।
इससे कार्बन डाय ऑक्साइड की मात्रा कम होगी और क्लाइमेट चेंज से निपटने में मदद मिलेगी। बाकी बची हुई 20% जमीन का इस्तेमाल खेती के लिए हो सकेगा। जबकि, अभी जितनी जमीन पर खेती होती है, उसके एक-तिहाई हिस्से पर जानवरों के लिए चारा उगाया जाता है।
शाकाहारी आहार से जुड़े कुछ निराधार मिथः
मिथ 1 : शाकाहार उतना स्वस्थ नहीं है जितना मांसाहार
वास्तविकता
आजकल एनिमल बेस्ड डाइट प्रोटीन (Protein) का पर्याय बन गयी है। बहुत से लोगों को गैर – मांस स्रोतों में प्रोटीन को ढ़ूंढ़ने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। आमतौर पर प्लांट बेस्ड आहार (Plant Based Food) में पशु – आधारित आहार (Animal Based Food) की तुलना में अधिक फाइबर (Fiber) और कम संतृप्त वसा (Saturated Fat) होती है। आपको बता दें कि ये दोनों कारक हार्ट हेल्दी डाइट की आधारशिला हैं।
कई पौधे-आधारित भोजन हैं,जो प्रोटीन के मुख्य स्रोत हैं और एक स्वस्थ आहार की श्रेणी में फिट होते हैं। उदाहरण के लिए- फलियां (बीन्स, दाल, मटर और मूंगफली), सोया उत्पाद, साबुत अनाज, नट और बीज। लैक्टो-ओवो शाकाहारियों के लिए, कम वसा या वसा रहित डेयरी और अंडे भी एक महत्वपूर्ण प्रोटीन स्रोत हो सकते हैं।
मिथ 2 : आपके वर्कआउट के लिए फायदेमंद नहीं
वास्तविकता
जब मांस- मुक्त आहार की बात होती है, तो कमजोरी का टैग अपने आप इससे जुड़ जाता है। यह आम धारणा है कि मांसाहारी आहार मानव को ज्यादा ताकत प्रदान करते हैं। डेविड कार्टर और अल्ट्रा मैराथनर मैट फ्रेज़ियर, ये दो ऐसे एथलीट हैं जो शाकाहार खाकर भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं। भारत में भी कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो मांस-मछली की बजाए घी-दूध पर ज्यदा भरोसा करते हैं।
मिथ 3 : सोया खाने से स्तन कैेंसर का खतरा बढ़ जाता है
वास्तविकता
शाकाहारियों के लिए, आहार में सोया उत्पादों को शामिल करना प्रोटीन और कैल्शियम (Calcium) दोनों की आवश्यकता को पूरा करने जैसा है। दरअसल, इस बात के प्रमाण हैं कि बचपन और किशोरावस्था में सोया का सेवन करने से स्तन कैंसर (Breast Cancer) का जीवनकाल कम होता है। जबकि वयस्क उम्र से सोया के सेवन की शुरुआत करने से समान स्तर की सुरक्षा नहीं हो पाती है।
मिथ 4 : शाकाहारी आहार गर्भावस्था, बचपन या एथलेटिक्स के लिए उपयुक्त नहीं
वास्तविकता
एक सुनियोजित शाकाहारी या वीगन आहार लाइफ के किसी भी स्टेज में आपके पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा कर सकता है। जिसमें गर्भावस्था और स्तनपान, बचपन और प्रतिस्पर्धी खेलों मे
यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।