कोरोना काल में लोगों के मन में नकारात्मक सोच पहले की तुलना में बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है। आगे क्या होगा ? स्थिति कब ठीक होगी? क्या हम कुछ कर पाएंगे या नहीं? ऐसी कई बातें लोगों को अंदर ही अंदर खा रही हैं लेकिन ये बात कभी ना भूलें इस दुनिया में ऐसी कोई परेशानी नहीं है जिसका हल ना हो। नकारात्मक सोच को दूर रखना भी मुश्किल नहीं बस आपको अपनी इस जीवनशैली में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने होंगे।
आज के समय में हर दूसरा व्यक्ति ना जाने कितनी बातों से परेशान है और परेशानियों के चलते नकारात्मक (नेगेटिव) सोच का शिकार बन जाता है। हालत ऐसी है कि यदि एक राह चलते हुए व्यक्ति से पूछ लिया जाए कि वो किसी बात से परेशान है तो वो अपनी बहुत सी परेशानियाँ बताने लगेगा। लोग नकारात्मक सोच से भर से गए हैं और इस कारण बहुत दुखी महसूस करते हैं और समझ नहीं पाते कि इस नकारात्मक सोच को ख़त्म कैसे करें। ये तो आप भी मानेंगे कि यदि आपके जीवन में बहुत सी चीज़ें है जो सही नहीं हो रही है तो वहीँ बहुत सी ऐसी चीज़ें भी है जो बहुत अच्छी हो रही है। इस बात का चुनाव आपको करना है कि आप किन बातों के बारे में सोचना पसंद करेंगे, उन बातों के बारे में जो आपको ख़ुशी और सकारत्मकता से भर देती हैं या उन बातों को जिन्हे सोचकर आप सिर्फ दुखी और नकारात्मक महसूस करते हैं।
सोच नकारात्मक (नेगेटिव) हो या सकारात्मक (पॉज़िटिव) दोनों ही हमारे मस्तिष्क की उपज है। नकारात्मक सोच हमे मानसिक तौर पर बहुत परेशान कर देती है और इस नकारात्मक सोच का असर शरीर पर भी दिखने लगता है। नकारात्मक शब्द सुनकर घबराने से अच्छा है कि आप सकारात्मक सोच की तरफ बढ़े। हर वो मुमकिन प्रयास करें जिससे आप इस नकारात्मक सोच को दूर कर सकें।
नकारात्मक सोच या विचार क्या होता है ?
नकारात्मक सोच या विचार का अर्थ है एक व्यक्ति के मन में कोई भी ऐसा विचार आना जो उसे दुखी करे या जिसे सोचकर वह डरने लगे। नकारात्मक विचार वो विचार है जो एक व्यक्ति के आत्मविश्वास को हिला सकता है और नकारात्मक सोच के कारण एक व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ने से डरता है , कुछ भी कार्य करने से पहले ही फल की चिंता कर वो कार्य शुरू नहीं कर पाता और यदि एक व्यक्ति के जीवन में एक बार कोई बुरी घटना घटित हो जाए तो उसे ये लगने लगता है कि जीवन में बार बार ऐसी बुरी घटनाएं उसके साथ घटित हो सकती हैं। ये सभी बातें सोचकर एक व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है, उसे मानसिक तनाव होने लगता है और इसका बुरा असर उसके शरीर पर भी पड़ने लगता है। नकारात्मक सोच एक व्यक्ति की सफलता की राह में एक रूकावट बन सकती है।
एक व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार क्यों आते हैं ?
मन में नकारात्मक विचार आना बहुत बड़ी बात नहीं हैं। एक मनुष्य कई तरह के विचारों से घिरा होता है, अलग अलग तरह के भावनाओं से गुज़रता है लेकिन हर व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए कि ऐसा कोई भी विचार जो उसे मानसिक और शारीरिक तौर पर नुक़सान पहुचाएं , उसे जड़ से खत्म करे। एक व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे :
1. अपने आप को दूसरों से कम आंकना। हमेशा यह सोचना कि दुसरे आपसे हर तरह से बेहतर हैं।
2. दूसरों की उन्नति देखकर ईर्ष्या का भाव मन में रखना।
3. किसी का आपके काम या शरीर पर नकारात्मक टिप्पणी करना। हमेशा ध्यान रखें कि आप अपने शरीर और चेहरे से कई गुनाह बढ़कर हैं। आपका अपना एक व्यक्तित्व है और अपनी एक सोच है जो आपको दूसरों से अलग बनाती हैं। इसीलिए जो व्यक्ति आपके शरीर और चेहरे पर नकारात्मक टिपण्णी करते हैं उनमे खुद बहुत सी कमियां होती हैं जिन्हे छुपाने कि लिए वे दूसरों पर नकारात्मक टिपणियां करते है। ऐसे लोगो की बातों पर कभी ध्यान ना दें।
5. कल क्या होगा इस चिंता में रहना।
6. यदि आपके साथ कोई बुरी घटना घटी है तो हमेशा इस डर में जीना कि आपके साथ कुछ बुरा होगा।
7. यदि जीवन में बुरा समय चल रहा है तो ये सोचना की ये समय कभी ठीक नहीं हो पाएगा।
8. नकारात्मक समाचार पढ़ना।
9. नकारात्मक सोच वाले लोगों से बात करना, उनके साथ समय बिताना।
10. ऐसी और भी बहुत सी बातें हैं जो एक व्यक्ति को नकारात्मक विचारों से भर देती हैं।
नकारात्मक सोच से दूर रहने के लिए सकारात्मक बातों के बारे में सोचें
जब भी आप किसी बात को सोचकर नकारात्मकता और दुःख से भर जाते हैं , तभी बिना समय गवाएं उन सब बातो के बारे में सोचिये जो अच्छी है , चाहे वो नौकरी में आपकी पदोनत्ति हो या किसीने आपके काम की तारीफ की हो या आप अपने घरवालों के साथ ज़्यादा समय बिता पा रहे हों। हर उस चीज़ के बारे में सोचिये जो आपको ख़ुशी देती है, जिसके लिए आप धन्य महसूस करते हैं। जब इन सब सकारात्मक बातो के बारे में सोचेंगे तब आराम से बैठकर अपनी परेशानियों के बारे में सोचियेगा और समाधान निकालिएगा। परेशानियां सबके जीवन में होती हैं लेकिन ज़रूरी ये है कि उन परेशानियों से हम प्रभावित ना हों। हमे हमेशा अच्छी बातों से प्रभावित होना चाहिए। परेशानियों का सिर्फ समाधान ढूंढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
नकारात्मक सोच से दूर रहना है तो हर छोटी बड़ी ख़ुशी के लिए आभार प्रकट करें
ऐसा कई बार होता है कि जब हमारे साथ कोई बुरी घटना घटती है तो हम अपनी किस्मत को दोष देने लगते हैं, भगवान् को याद करके कहते हैं “हे भगवान मेरे साथ ही क्यों होता है ऐसा ?” क्योंकि हमे लगता है कि हम दुनिया का हर सुख पाने का हक़ रखते हैं लेकिन दुःख झेलने का नहीं। सच तो यह है कि यह जीवन ऐसे नहीं चलता। इसमें सुख भी हैं तो दुःख भी हैं और चाहे वो सुख की घड़ी हो या दुःख की , आपको कुछ ना कुछ ज़रूरी सिखाती हैं। इसीलिए हर दिन आभार प्रकट कीजिये। आभार प्रकट कीजिये उस ईश्वर का जिसके कारण आपकी सांसें चल रही हैं , उस माँ का जिसने आपको जन्म दिया, अपने परिवार का, अपने दोस्तों का जो हमेशा आपका साथ देते हैं और हर उस व्यक्ति का जिसने मुश्किल समय में आपका साथ दिया हो। खुशनसीब है आप कि हर दिन सुबह का उगता हुआ सूरज देख पा रहे हैं, खेल पा रहे है , सांसें ले पा रहे हैं। आभार प्रकट करने से आप संतुष्ट और आनंदित महसूस करेंगे और जो व्यक्ति दूसरों का और इस जीवन का आभार प्रकट करता है, ये जीवन भी उस व्यक्ति का खुलकर आभार प्रकट करता है।
नकारात्मक सोच रखने वाले लोगों से दूर रहें
जिस तरह आप नकारात्मक सोच के शिकार बन गए हैं उसी तरह और भी बहुत लोग नकारात्मक सोच के शिकार हैं। ऐसे लोगों से दूर रहें। इसका मतलब ये नहीं है कि नकारात्मक सोच से परेशान व्यक्ति का साथ छोड़ देना चाहिए। नहीं, ऐसा बिलकुल ना करें, उसे सकारात्मक सोच अपनाने में मदद करें लेकिन अगर आप खुद ऐसे समय से गुज़र रहें हैं जहाँ आप के मन में कई प्रकार के नकारात्मक विचार हैं और आप हर तरह से नकारात्मकता से भर चुके हैं तो ऐसे में नकारात्मक सोच रखने वाले लोग आपकी स्थिति को और भी ज़्यादा ख़राब कर देंगे और उनकी नकारात्मक सोच का आप पर और भी ज़्यादा गलत प्रभाव पड़ेगा।
2013 में हुए एक शोध में नोट्रे-डैम के शोधकर्ताओं ने यह पाया कि कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की सोच उनके साथ में रहने वाले बच्चो से काफी प्रभावित होती है। नकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति दूसरों की सोच को भी नकारात्मक बना सकते हैं इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाये रखने का प्रयास करें और हमेशा सचेत रहें कि कहीं आपकी सोच भी उनकी तरह नकारात्मक तो नहीं हो रही। नकारात्मक सोच भी एक संक्रामक बीमारी की तरह है। इसीलिए सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताएं और बाते करें, उनकी सकारात्मक सोच और ऊर्जा आपको भी सकारात्मक ऊर्जा से भर देगी।
नकारात्मक सोच से बचना है तो नकारात्मक समाचार से दूर रहें
कुछ लोगों की सुबह उठते ही अखबार पढ़ने की आदत होती है। कई बार जब एक व्यक्ति अपने निजी जीवन में कई परेशानियों से गुज़र रहा हो तो वह बहुत सवेंदनशील हो जाता है। इस स्थिति में सुबह उठने के बाद किसी भी तरह का नकारात्मक समाचार देखने, पढ़ने या सुनने से वह प्रभावित होता है और नकारात्मकता और भी ज़्यादा बढ़ जाती है। कोशिश करें कि दिन की शुरुआत आप कोई भी नकारात्मक समाचार पढ़कर, देखकर या सुनकर ना करें और सोने से पहले भी ऐसा ना करें। क्योंकि सोने से पहले आप जो भी देखते या पढ़ते है कई बार उस कारण बुरे और भयानक सपने आते हैं। कोशिश करें कि सुबह उठकर आप अपने दिन की शुरुआत मधुर संगीत या एक अच्छी किताब से करें और रात को सोने से पहले भी एक अच्छी किताब पढ़ें या सुविचार सुने।
मन में नकारात्मक विचार आने पर अपने आप से सवाल करें
जब भी आपका दोस्त किसी परेशानी में होता है और आपको अपनी परेशानी बताता है तो आप उसकी परेशानी पहले ध्यान से सुनते हैं, समझते हैं और फिर उससे कुछ सवाल करते हैं। उसके जवाब सुनकर आप उसकी स्थिति के बारे में विचार करते हैं, उसे परेशान ना होने के लिए कहते हैं और फिर उसकी एक एक बात का उत्तर देते हुए उसे उस परेशानी का समाधान बताते हैं। लेकिन जब बात आपकी खुद की परेशानी की होती है तो आप खुद पर इतने सख्त क्यों हो जाते हैं ? जब आपके मन में कोई नकारात्मक विचार आता है तो खुद से बात करें, ध्यान से समझें और फिर खुद से सवाल करें। आप चाहे तो इन सवालों को एक किताब में भी लिख सकते हैं जैंसे :
* क्या ये परेशानी खत्म की जा सकती है ?
* यदि हाँ तो किस तरह ?
* मुझे इस परेशानी को ख़त्म करने कि लिए क्या करना है और कैसे ?
* क्या मैं इस परेशानी का समाधान खुद निकाल सकती/सकता हूँ या मुझे किसी और की मदद चाहिए ?
* क्या इस परेशानी से मैंने कुछ सीखा ?
* अगली बार मुझे इस परेशानी का सामना कैसे करना है ?
ये सवाल आपको ना केवल वो जवाब देंगे जो आप ढून्ढ रहे हैं बल्कि आपकी परेशानी का समाधान भी आपको ज़रूर मिलेगा।
मन में नकारात्मक विचार आने पर अपना ध्यान भटकाएं
शायद यह सुनने में आपको अजीब लगे या हसी भी आये लेकिन जब भी आपके मन में कोई नकारात्मक विचार आता है तो बिना उसके बारे में सोचे आप कुछ ऐसा करें जो आपको उस ओर ध्यान लगाने ही ना दें। आप चाहे तो कान में अपने इयरफोन लगाकर किसी बढ़िया से गाने पर जी भर के थिरक सकते हैं या कोई प्रेरणादायक वीडियो देख सकते हैं या वॉक के लिए जा सकते हैं या बढ़िया से गाने सुन सकते है। क्योंकि कई बार आपके मन में आने वाले नकारात्मक विचारों का कारण आपके आस पास का माहौल भी हो सकता है। इसलिए ऐसा करने से आपका ध्यान अच्छी बातों पर जाएगा।
नकारात्मक विचारों को अपने मन से बाहर निकालें
अक्सर ऐसा होता है की जब मन में कोई नकारात्मक विचार आता है तो हम उसे अपने मन में ही रखकर अंदर ही अंदर परेशान होते रहते हैं। ऐसा करने से कई बार आप बिना वजह भी दूसरों पर चिल्ला देते हैं या सही तरह से बात नहीं करते या उदास रहते है और बाद में बुरा भी महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि ना चाहते हुए भी आपके मन में जो बात रह गयी है वो कहीं ना कहीं आपको परेशान करती रहती है और तब तक करती रहेगी जब तक वो बाहर ना निकाल दी जाए। जब भी आपके मन में कोई नकारात्मक विचार आए तो उठाएं एक किताब और एक कलम और उसमे सारे विचार लिख डालें या अपने किसी दोस्त को या माता पिता को या कोई भी ऐसा व्यक्ति जो आपको अच्छी सलाह दे सके उससे सारी बाते शेयर करें आप बहुत हल्का महसूस करेंगे। आप अपने विचारों को एक पन्ने में लिखकर उसे कही फेंक दें। देखिएगा आप कितना अच्छा महसूस करेंगे जैसे आपके दिल से कोई बोझ उतर गया हो।
नकारात्मक विचारों से दूर रहना हैं तो क्षमाशील बनिए
नकारात्मक विचार आने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि हम नकारात्मक बातों या अनुभवों को भूल नहीं पाते और जिस भी व्यक्ति ने हमारे साथ कुछ बुरा किया हो उसकी बातें याद कर हमे रोना भी आता है , गुस्सा भी आता है और दुःख भी होता हैं।
उधारणतः यदि एक व्यक्ति का उसके बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड से ब्रेक-अप हो जाए तो बार बार वो यही बात याद करते हैं कि कैसे उन्होंने ऐसे व्यक्ति को प्यार किया , अपना समय दिया, हमेशा उसे खुश रखने की कोशिश की लेकिन उसके बावजूद भी उस व्यक्ति ने कभी उन्हें समय नहीं दिया, उतना प्यार नहीं दिया या उतनी इज़्ज़त नहीं दी। यही सोच सोचकर वे दुखी होते हैं कि इतना कुछ करने के बाद भी उनके साथ ऐसा क्यों हुआ।
आप क्षमाशील बनिए। आपके साथ जो भी हुआ उसे बार बार याद करके दुखी होने से कुछ फायदा नहीं हैं। जिसके लिए आप दुखी हो रहे हैं शायद उसे फर्क भी ना पड़ रहा हो और आप यहाँ खुद को परेशान कर रहें हैं। क्षमा करना सीखिए खुद को भी और दूसरों को भी , जो बीत गया सो बीत गया , आंसू पोंछिये , मुस्कुराइए और आगे बढिये, खुश रहेंगे।
नकारात्मक सोच से दूर रहना है तो जिन बातों पर आपका नियंत्रण नहीं उनके बारे में मत सोचिये
वीडियो गेम तो आप सभी ने खेला होगा। जब आप किसी के साथ वीडियो गेम खेलते हैं तो दोनों व्यक्तियों के पास अपना अपना रिमोट होता है। अब आपके हाथ में जो रिमोट है क्या आप उससे दूसरे व्यक्ति का गेम नियंत्रित कर सकते हैं ? नहीं ना ? आप सिर्फ अपना गेम नियंत्रित कर सकते हैं क्योंकि आपके पास सिर्फ एक ही रिमोट है इसलिए आप हमेशा खुद के गेम पर ध्यान देते हैं।
जीवन भी ऐसा ही है। यदि आप हर उस बात पर ध्यान देंगे जो आपके नियंत्रण में नहीं है तो हमेशा दुखी रहेंगे और नकारात्मकता से भरे रहेंगे। सिर्फ उन बातों पर ध्यान दें जो आपके नियंत्रण में हैं। जैसे आपके जीवन में यदि कोई बुरा घटना घटती है तो उसके बारे में सोचकर आपको सिर्फ दुःख ही होगा, आप उस घटना को नियंत्रित नहीं कर सकते थे लेकिन उस घटना के बाद आप जीवन में आगे कैसे बढ़ेंगे ये आपके नियंत्रण में है इसलिए आपको इस ओर ध्यान देना चाहिए।
नकारात्मक सोच को दूर करना है तो सक्रिय बने प्रतिक्रियाशील नहीं
नकारात्मकता से घिरे रहने का एक बहुत बड़ा कारण ये है कि आप सक्रीय नहीं प्रतिक्रियाशील हैं। सक्रीय व्यक्ति वह व्यक्ति होता जो बैठकर कुछ अच्छा होने का इंतज़ार करने की बजाय कुछ अच्छा करने की दिशा में कार्य करता है। किसी अच्छे अवसर का इंतज़ार ना करके एक अच्छा अवसर स्वयं बनाता है। यह सकारात्मक ओर सफल व्यक्तियों की पहचान होती है। वहीँ जो व्यक्ति प्रतिक्रियाशील होता है यानी वो व्यक्ति जो एक परेशानी सामने आने के बाद उसपर प्रतिक्रिया करता है , ऐसे व्यक्ति नकारत्मक सोच का शिकार बन सकते हैं। इसलिए बैठे ना रहें अपनी सफलता की राह खुद चुने और अपना रास्ता स्वयं बनाएं।
नकारात्मक सोच को दूर करना है तो योग या साधना करें
यदि आप लम्बे समय से नकारत्मकता से घिरे हुए है तो आप योग, साधना या मंत्र जाप करें। इन सभी का आपके मन और मस्तिष्क पर एक बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है, नकारात्मक सोच और नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है। योग, साधना या मंत्र जाप करने से मन ओर मस्तष्क दोनों ही शांत रहते हैं और आप बहुत सकारत्मक महसूस करते हैं। जब भी आपके मन में कोई नकारात्मक विचार आये तो सकारत्मक उद्धहरण पढ़ें।
नकारात्मक सोच के क्या नुक़सान हैं ?
आप जो सोचते हैं आपके जीवन पर उसका प्रभाव पड़ता है। यदि आप नकारात्मक बातों के बारे में सोचेंगे तो दुखी रहेंगे और सकारात्मक बातों के बारे में सोचेंगे तो सुखी रहेंगे। आइये जानते हैं नकारात्मक सोच आपको कैसे नुक़सान पंहुचा सकती है।
1.नकारात्मक सोच रखने से आपका आत्मविश्वास कम होगा।
2.नकारात्मक सोच रखने से आप कोई भी अच्छा कार्य करने से डरेंगे क्योंकि आपको लगेगा की उसका रिजल्ट बुरा ही होगा।
3.नकारात्मक सोच रखने से आपको मानसिक तनाव हो सकता है।
4.नकारात्मक सोच आपके मन में डर का भाव पैदा कर सकती है।
5.नकारात्मक सोच के कारण आपको हमेशा घबराहट महसूस होगी।
6.एक शोध में यह पाया गया है की जो लोग लम्बे समय तक नकारात्मक विचार रखते हैं उनके सोचने समझने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
7.आप चाहे कितना भी अच्छा काम क्यों ना कर लें आपको हमेशा उस काम में कमी दिखेगी। आप हमेशा परफेक्शन चाहेंगे जो मुमिकन नहीं है।
8.नकारात्मक सोच रखने वाले हमेशा खुद को दूसरों से कम आंकते हैं और निरंतर दूसरों से ये सुनना चाहते हैं कि कैसे वे दूसरों से बेहतर हैं। आत्मविश्वास की इस कमी के कारण उनको अपने रिश्ते निभाने में भी मुश्किल हो सकती है।
9.नकारात्मक सोच से मानसिक तनाव होता है और शरीर पर भी इसका बुरा असर दिखने लगता है।
नकारात्मक सोच हमारे काम में भी बाधा बनती है।
10.नकारात्मक सोच रखने वाले लोग घंटो एक ही जगह पर खाली बैठ नकारात्मक बातों के बारे में विचार करते रहते हैं और ऐसा करके उनकी उत्पादकता भी कम होती है और वे बीमार भी पद सकते हैं।
सकारात्मक सोच की तरफ बढ़ने के लिए इन टिप्स को अपनाएं :
1.कोई भी विचार अपने मन में आने से रोकना आपके हाथ में नहीं हैं इसलिए उनके बारे में सोचना भी सही नहीं हैं।लेकिन उन विचारों के बारे में आप क्या करते हैं या आपकी प्रतिक्रिया क्या होती है ये 100 % आपके हाथ में है। इसीलिए आप इन नकारात्मक विचारों के बारे में क्या कर सकते हैं सिर्फ उस बात पर ध्यान दें।
2.हमेशा अच्छी और सकारात्मक बातों से प्रभावित हों। परेशानियों से प्रभावित और हताश होने के बजाय उनका समाधान निकालने का प्रयास करें। जब सकारात्मक बातों के बारे में सोचेंगे तो परेशानी से लड़ने की हिम्मत अपने आप आएगी।
3.हर दिन अपने इस सुन्दर जीवन के लिए सुबह उठकर ईश्वर का धन्यवाद करें।
4.सकारात्मक सोच रखने वाले और खुश रहने वाले लोगो के साथ ज़्यादा से ज़्यादा साम्य बिताएं। उनके साथ ज्यादा समय बिताने से आपको ख़ुशी का एहसास होगा और वे हमेशा आपको नकारात्मक सोच से भी दूर रखेंगे।
5.रात को सोने से पहले एक प्रेरणादायक किताब पढ़ें और अपने दिन की शुरुआत सुविचारों को पढ़ने या सुनने से करें।
6.यदि आपके जीवन में ऐसे लोग हैं जो आपका मज़ाक उड़ाते हैं या आपको निरंतर आपकी कमियां गिनाते हैं तो आज ही ऐसे लोगों का साथ छोड़ दें।
7.अपनी गलतियों को समझ उन्हें सुधारने की कोशिश करें। जीवन भर अपनी गलतियों के लिए खुद को कोसें मत।
8.यह समझिये की इस दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं है और आप भी परफेक्ट नहीं हो सकते। परफेक्ट ना होना अपने आप में एक बहुत अच्छी बात है क्योंकि अगर सब परफेक्ट हो जाएंगे तो कोई भी कुछ नहीं सीखना चाहेगा। जो इंसान यह जानता है कि वो परफेक्ट नहीं है वो हमेशा बेहतर बनने की कोशिश करता है ओर परफेक्शन पाने के लिए कभी खुद को परेशान नहीं करता।
9.ये समझिये की जीवन में सुख हैं तो दुःख भी है। आपको हर स्थिति का सामना करना है।
10.जो बातें आपके नियंत्रण में नहीं है उनके बारे में सोचकर समय व्यर्थ करने से आप खुद को नुक़सान पंहुचा रहे है इसीलिए आपको ऐसी बातों के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
हमेशा अच्छी और सकारात्मक बातों से प्रभावित हों। परेशानियों से प्रभावित और हताश होने के बजाय उनका समाधान निकालने का प्रयास करें। जब सकारात्मक बातों के बारे में सोचेंगे तो परेशानी से लड़ने की हिम्मत अपने आप आएगी।