हर एक व्यक्ति अपने जीवन में रिजेक्शन का सामना जरूर करता है। फिर चाहे रिजेक्शन प्यार में हो, नौकरी में हो, या फिर किसी और चीज़ों में हो। हम कभी-कभी रिजेक्ट होने के बाद चौंक जाते हैं कि ऐसा कैसे हुआ। हालांकि, आपको रिजेक्शन को दिल से स्वीकार करने की जरूरत है, पर इसे दिल पर लेने की जरूरत नहीं हैंl इससे आपकी प्रतिभा में निखार आता है। वैसे, इसे स्वीकार करना आसान नहीं होता है।
किसी भी काम में या किसी के भी द्वारा reject किया जाना किसे अच्छा लगता है? शायद किसी को भी नहीं। दुनिया का हर इंसान यही सोचता है कि उसे कभी भी, किसी भी काम में या किसी भी बात की वजह से या किसी के भी द्वारा रिजेक्ट ना होना पड़े। लेकिन वास्तविकता ये है कि हर इंसान को अपनी ज़िन्दगी में कभी ना कभी रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है और कई बार तो रिजेक्शन बार बार मिलता है, हर काम में मिलता है।रिजेक्ट होने की वजह चाहे कुछ भी हो, जैसे- किसी को नौकरी में रिजेक्शन मिला हो, प्यार में रिजेक्शन मिला हो, रिश्तो में रिजेक्शन मिला हो, या किसी और काम में रिजेक्शन मिला हो, रिजेक्ट होना हमेशा दर्द भरा होता है। कभी–कभी तो रिजेक्ट होना शर्मिन्दगी भरा भी हो जाता है।
जब इंसान कई बार रिजेक्ट हो जाता है तो उसका मनोबल टूटने लगता है, आत्मविश्वास कम होने लगता है, नकारात्मक विचार आने लगते हैं। जिससे वह परेशान और दुखी हो जाता है और कभी कभी डिप्रेशन का शिकार भी हो जाता है। रिजेक्ट होने पर लोग ये सोचने लगते हैं कि उनमे कुछ कमी है या उनमे काबिलियत नहीं हैं और हीन भावना का शिकार हो जाते हैं। और अपने मन में ये बात बैठा लेते हैं कि अब उनसे कोई काम नहीं होगा, या अब वे कुछ नहीं कर सकते या अब वे कभी सफल नहीं हो सकते और फिर वे मेहनत करना बन्द कर देते हैं या जिंदगी में आगे बढ़ने के लिये प्रयास करना बन्द कर देते हैं। वहीँ कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो ज़िन्दगी के हर एक रिजेक्शन का सामना दृढ़ता से करते हैं और कभी हार नहीं मानते और अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिये प्रयास करते रहते हैं और तब तक प्रयास करते हैं जब तक वे जीत नहीं जाते, सफल नहीं हो जाते। और अंत में वे जीत भी जाते हैं।
दोस्तों, रिजेक्शन ज़िन्दगी का हिस्सा हैं। रिजेक्शन से थोड़ी तकलीफ जरुर मिलती है लेकिन अनुभव भी मिलता है, एक सबक मिलता है जो हमें पहले से बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है और हमारी आने वाली ज़िन्दगी के लिए भी बहुत फायदेमन्द होता है। आज हम आपको कुछ ऐसे Tips बात रहे हैं जो रिजेक्शन को handle करने में आपकी मदद करेंगें और आपको motivate करेंगे।
1. रिजेक्शन ज़िन्दगी का एक हिस्सा है।
रिजेक्शन मिलने पर कभी भी घबराना नहीं चाहिये और ना ही ज्यादा निराश और दुखी होना चाहिये। रिजेक्शन ज़िन्दगी का हिस्सा है। ये हमें बहुत कुछ सिखा जाता है। अगर आप रिजेक्ट नहीं होगें, तो आपको बहुत सी चीजों का, बहुत सी बातों का पता ही नहीं चलेगा। बहुत सी बातों का एहसास हमें रिजेक्ट होने के बाद ही होता है। रिजेक्ट होने से इंसान की सोच में बदलाव आता है, नये अनुभव मिलते हैं, नये सबक मिलते हैं। हमें हमारी कमियों का पता चलता है। जिससे हमारी जिंदगी पहले से बेहतर हो जाती है।
2. सकारात्मक सोच रखें।
रिजेक्शन मिलने पर हमें जो सबसे पहला और जरुरी काम करना है, वो है, अपनी सोच को सकारात्मक (Positive) रखना। क्योंकि हमारी सोच से ही हमारी ज़िन्दगी की दशा और दिशा तय होती है। अगर हमारी सोच नकारात्मक होगी, तो हम दुःख और परेशानियों में डूबते चले जायेंगे, मुश्किलों में घिरते चले जायेंगे और अन्त में टूट कर बिखर जायेंगे और अपनी ज़िन्दगी में कुछ नहीं कर पायेंगें। अगर हमारी सोच सकारात्मक होगी तो हमें ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के नये नये रास्ते मिलने लगेंगे, हर मुश्किल आसान हो जायेगी, और रिजेक्शन को handle करने में मदद मिलेगी। इसलिये रिजेक्ट होने पर निराश और दुखी होने के बजाय अपने आप से कहें “ये नहीं तो कोई और सही” “इस बार नहीं तो अगली बार सही” । फिर अपने मेहनत से अगले प्रयास के लिये जुट जायें। फिर देखिये सकारात्मकता का असर।
3. आत्म विश्लेषण करें।
अगर आप किसी काम में रिजेक्ट हो जायें या कोई आपको रिजेक्ट कर दे तो निराश या परेशान होने के बजाय स्वयं का विश्लेशण करें। अपने बारे में सोचे कि आपसे कहाँ गलती हुई? या आपके अन्दर ऐसी कौन सी कमियाँ थी जिनकी वजह से आपको रिजेक्ट होना पड़ा? अगर आप सच्चाई और ईमानदारी से खुद के बारे में विश्लेषण करेंगे तो आप पायेंगे कि सच में आपके अन्दर कमियाँ थी, या सच में कहीं पर आपसे गलती हुई है जिसकी वजह से आपको रिजेक्शन मिला। बस जब आपको वो गलती या वे कमियाँ मिल जायें तो उन्हें दूर करके फिर से अपने प्रयासों में जुट जायें और तब तक जुटे रहे जब तक कि आप सफल ना हो जायें, आप जीत ना जायें।
4. रिजेक्शन को दिल से ना लगायें।
रिजेक्शन को दिल से ना लगायें। बार-बार इसके बारे में ना सोचें। बार बार इसके बारे में सोचने से आप पहले से ज्यादा परेशान होंगे। अपने रिजेक्शन और खुद से थोडा अलग भी सोचें। आप से अलग भी एक दुनिया है। बाहरी दुनिया से सम्पर्क जोड़े। नये लोगों से मिलें। नई जगहों पर जायें। अपने दिमाग को अच्छे और नये कार्यो में लगायें।
5. खुद को दूसरों की नजर से ना देंखे।
कई बार लोग रिजेक्ट होने के बाद खुद को दूसरों की नज़र से ही देखने लगते हैं और ये मानने लगते हैं कि वाकई उनमें कमियाँ हैं। अगर कोई आपको रिजेक्ट करता है तो इसका ये मतलब नहीं कि आप खुद को उसकी नजर से ही देखने लगें। अपने बारे में अपनी राय बदलिये और अपनी सोच को positive रखिये। Rejection को एक अनुभव और एक अवसर की तरह लें। और ध्यान रखिये कि अवसर आपको आगे भी मिलेंगे। इसलिये निराश होने की बजाय आने वाले अवसरों के लिये अपनी कमर कस लें।
6. ना के लिये भी तैयार रहें।
ध्यान रखें कि हर बात या हर प्रस्ताव के दो जवाब होते हैं- “हाँ या ना”। और ये कभी जरूरी नहीं होता कि आपको हमेशा “हाँ” ही सुनने को मिले। आपको हमेशा नौकरी में, इन्टरव्यू में, प्यार का इजहार करने पर, या विवाह का प्रस्ताव देने पर या किसी भी काम में “हाँ” ही सुनने को नहीं मिलेगा। कभी-कभी आपको “ना” भी सुनने को मिल सकता है। फिर चाहे आप उस काम के लिये कितने भी काबिल क्यों ना हों? इसलिये हर काम से पहले उसकी हाँ और ना दोनों के लिये पूरी तरह से तैयार रहें।
7. नई चीजें सीखें।
रिजेक्ट होने पर अफ़सोस करने या निराश होने की बजाय अपनी कमियों का पता लगायें और उन्हें सुधारें। नई चीज सीखें, नई भाषा सीखें, नये कोर्स करें। अपने ज्ञान को बढायें। अपनी skills को बढ़ायें। जिससे आप भविष्य में दोवारा रिजेक्ट ना हों। नयी चीजें सीखने से आपका दिमाग रिजेक्शन से हटकर नयी दिशा में लगेगा जिससे ना केवल आपका दुःख और परेशानी कम होगी बल्कि आपके ज्ञान में भी बढ़ोत्तरी होगी।
8. आगे बढ़ने का नाम है ज़िन्दगी।
रिजेक्शन जीवन का अन्त नहीं है। जब आप एक जगह से रिजेक्ट होते हैं तभी दूसरी कई जगहों पर अवसर तलाशते हैं। रिजेक्शन कोई अन्त नहीं हैं बल्कि ये तो एक शुरुआत है नये नये अवसरों को तलाशने की और अपनी जिन्दगी में आगे बढ़ने की। हर रिजेक्शन कुछ ना कुछ सिखाता है, एक सबक देता है। जिससे हमारी सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। हम हर बार पहले से मेच्योर होते हैं। इसलिये रिजेक्शन से निराश और परेशान ना हों। अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिये प्रयास करते रहें। मेहनत करते रहें और तब तक करते रहें जब तक जब तक आप सफल ना हो जायें, आप जीत ना जायें।
9. अपने दोस्तों और परिवारजनों से मिलें
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब हम किसी मोड़ पर असफल अथवा रिजेक्ट होते हैं, तो हम खुद को औरों से दूर कर लेते हैं। ऐसा कहे कि हम अंदर से टूट जाते हैं। ऐसे में आपको इन सब बातों से बाहर निकलने की जरूरत है। जब कभी आप ऐसी परिस्थिति से गुजरे तो अपने दोस्त अथवा परिवार वालों के साथ अधिक समय बिताएं। इससे आपका मन भी बहल जाएगा और आप पुनः कोशिश करने में जुट जाते हैं।
10.याद करें कि परिवर्तन ही संसार का नियम है
कोई भी चीज़ बिना कारण के नहीं होती है। हर एक सफलता और असफलता के पीछे एक कहानी होती है, जिससे जीवन बनता है। ऐसे में खुद को अहसास दिलाएं कि यह केवल कुछ समय के लिए है और फिर समय के साथ इसमें बदलाव भी होंगे। हार और जीत जीवन का हिस्सा है जो आपको केवल और केवल आपको आगे लेकर जाती है। सकारात्मक सोच के साथ एक नई ज़िंदगी की शुरुआत करें।
तो दोस्तों ये कुछ तरीके हैं जो रिजेक्शन को handle करने में आपकी मदद करेंगे। दोस्तों रिजेक्शन की वजह से कभी भी अपनी जिंदगी को पीछे ना धकेलें बल्कि रिजेक्शन को एक सबक की तरह लें और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ें।
ध्यान रखें :- “एक रिजेक्शन सफलता की खोज में एक आवश्यक कदम से ज्यादा कुछ नहीं है। “रिजेक्शन हमें पहले से बेहतर और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं।