भगवान जगन्नाथ मूलतः भगवान विष्णु के दशावतारों में से एक अवतार हैं जिनकी विश्वप्रसिद्ध रथयात्रा प्रतिवर्ष आषाढ शुक्ल द्वितीया को अनुष्ठित होती है। 2021 की रथयात्रा 12 जुलाई को है। पद्मपुराण के अनुसार आषाढ माह के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि सभी कार्यों के लिए सिद्धियात्री होती है। इस वर्ष अक्षय तृतीया के दिन अर्थात् 15 मई से रथनिर्माण का पवित्र कार्य आरंभ हो चुका है। रथनिर्माण कार्य में लगभग दो महीने का समय लगता है। अक्षय तृतीया के दिन से भगवान जगन्नाथ की विजय प्रतिमा मदनमोहन आदि की 21 दिवसीय बाहरी चंदनयात्रा भी पुरी के चंदन तालाब में अनुष्ठित हुई।
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पुरी में इस साल आज 12 जुलाई से शुरू होगी। यह यात्रा कोविड की वजह से बिना श्रद्धालुओं के होगी जो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के तहत आयोजित होगा। गौर हो कि हर साल पुरी में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से रथयात्रा का आयोजन होता है।
सदियों से चली आ रही इस रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथ में बैठकर अपनी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर जाते हैं जो यहां से तीन किलोमीटर दूर है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तीनों अपने स्थान पर आते हैं और मंदिर में अपने स्थान पर विराजमान हो जाते हैं। भारत के अन्यतम धाम श्रीजगन्नाथ पुरी धाम में प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को अनुष्ठित होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा विश्वप्रसिद्ध रथयात्रा होती है जिसे रथयात्रा, गुण्डीचा यात्रा, पतितपावन यात्रा, जनकपुरी यात्रा, घोषयात्रा, नवदिवसीय यात्रा तथा दशावतार यात्रा के नाम से जाना जाता है। रथयात्रा वास्तव में एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें न तो भाषा की दीवार होती है न ही प्रांतीयता का बंधन। न जातीयता का मोह होता है, न ही किसी धर्म-सम्प्रदाय का कोई बंधन क्योंकि भगवान जगन्नाथ स्वयं विश्व मानवता के केन्द्र बिंदू हैं, विश्व मानवता के स्वामी हैं जो अपने आपमें सौर, वैष्णव, शैव, शाक्त, गाणपत्य़, बौद्ध और जैन के जीवंत समाहार विग्रह स्वरुप हैं। वे कलियुग के एकमात्र पूर्णदारुब्रह्म हैं जो अवतार नहीं अपितु अवतारी हैं। जो 16 कलाओं से सुसज्जित हैं।
सदियों पुराना है पुरी के रथयात्रा का इतिहास
ओड़िशा के पुरी में हर साल आयोजित होने वाले जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास बेहद पुराना है। पिछले साल भी कोरोना की वजह से यह बिना श्रद्धालुओं के आयोजित हुआ था । इसमें भगवान जगन्नाथ की रथ पर सवारी निकाली जाती है इस यात्रा का बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है। गौर हो कि पुरी भारत के चार धाम में से एक है।
जगन्नाथ रथ यात्रा 2021
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का धार्मिक के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है। पुरी में आयोजित होने वाले इस रथ यात्रा पर पूरे देश की नजर रहती है। रथ यात्रा में तीन रथ की पालकी चलती है जिसमें अलग अलग तीन रथों पर भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को रथ पर बिठाया जाता है। इसलिए इस फेस्टिवल को रथ त्योहार भी कहा जाता है। इन रथों को नंदीघोष, तलाध्वजा और देवादालना भी कहा जाता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा कब है
ओडिशा के पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक वार्षिक अनुष्ठान है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पुरी पहुंचते हैं। यह यात्रा इस बार 12 जुलाई को होगी। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर राज्य सरकार ने केवल पुरी में ही रथ यात्रा निकालने की अनुमति दी है।
जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़े रोचक तथ्य
भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का धार्मिक के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है। पुरी में आयोजित होने वाले इस रथ यात्रा पर पूरे देश की नजर रहती है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं का भारी भीड़ जुटती है। आज हम आपको इस रथ यात्रा के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
* 285 वर्षों में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब जगन्नाथ की यात्रा बिना भक्तों के निकलेगी। हालांकि बीते वर्ष 2020 में भी कोरोना संकट के चलते सांकेतिक तौर पर यह यात्रा निकाली गई थी।
* पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में पूजा के दौरान इसके गेट पर हिंदू धर्म के लोगों के अलावा अन्य किसी भी धर्म के लोगों को प्रवेश की इजाजत नहीं मिलती है। हालांकि इसके रथ यात्रा के दौरान किसी के भी इस यात्रा में शामिल होने की अनुमति है। फेस्टिवल के दौरान हर कोई भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर सकता है और उनके आशीर्वाद ले सकता है।
* यात्रा में तीन रथ की पालकी चलती है जिसमें क्रमश: तीन भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को रथ पर बिठाया जाता है। इसलिए इस फेस्टिवल को रथ त्योहार भी कहा जाता है। इन रथों को नंदीघोष, तलाध्वजा और देवादालना भी कहा जाता है।
* नंदीघोष भगवान जगन्नाथ का रथ होता है जिसमें 18 पहिए होते हैं। तलाध्वजा भगवान बलराम का रथ होता है जिसमें 16 पहिए होते हैं जबकि सुभद्रा के रथ में 14 पहिए होते हैं।
* सबसे रोचक बात ये है कि हर साल ये तीनों रथों को नया बनाया जाता है। हर साल इस रथ के निर्माण में लगने वाले सभी सामान भी नए होते हैं। इसके डिजाइन, आकार, साइज शेप सभी पहले जैसे ही होते हैं इनमें कोई बदलाव नहीं होता है। हर रथ के आगे 4 घोड़े बांधे जाते हैं।
* रथ के ऊपर में मंदिर के टावर के स्ट्रक्चर की रेप्लिका होती है जो नॉर्थ इंडियन स्टाइल में होती है। सैकड़ों श्रद्धालु और भक्त रस्सियों के सहारे रथ को खींचते हैं इसमें वे भगवान का आशीर्वाद मानते हैं। इसके लिए 1200 मीटर के कपड़े का उपयोग किया जाता है। 15 कुशल दर्जी के द्वारा इसे सिलवाया जाता है।
* पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक पुरी के राजा झाड़ू से यहां की जमीन को रथ यात्रा से पहले बुहारते हैं जिसके बाद बड़े ही ठाट-बाट से भगवान की रथ यात्रा निकाली जाती है।
* जब यह फेस्टिवल शुरू होता है तब भगवान जगन्नाथ का रथ इतना भारी होता है कि यह हिलाए नहीं हिलता है काफी देर तक सैकड़ों लोग मिकर इनके रथ को हिलाते हैं तब जाकर ये यात्रा शुरू होती है।
* इस रथ यात्रा के पीछे भी एक रोचक कहानी है। कहते हैं कि हर साल भगवान जगन्नाथ को रथ यात्रा के पहले ही काफी तेज बुखार आ जाता है। इसलिए उन्हें ऐसे में 1 सप्ताह का आराम दिया जाता है। इस दौरान मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और किसी को भी भगवान को डिस्टर्ब करने की इजाजत नहीं होती है।
* धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस रथ यात्रा को देखने मात्र से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
* जगन्नाथ मंदिर भारत के पवित्र 4 धामों में से एक है। यह मंदिर 800 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
* जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार के ठीक सामने श्रीमंदिर के दशावतार रुप के मध्य में अष्टलक्ष्मी विराजमान हैं जिनके मात्र दर्शन मात्र से सबकुछ प्राप्त हो जाता है।
* श्रीजगन्नाथ पुरी धाम वास्तव में एक धर्मकानन है जहां पर आदिशंकराचार्य, चैतन्य, रामानुजाचार्य, जयदेव, नानक, कबीर और तुलसी जैसे अनेक संत पधारे और भगवान जगन्नाथ की अलौकिक महिमा को स्वीकारकर उनके अनन्य भक्त बन गये।
कोरोना के कारण इस साल नहीं निकलेगी यात्रा
आपको बता दें कि कोरोना वायरस से फैली माहमारी को देखते हुए इस साल के रथ यात्रा पर रोक लगा दी गई है। 23 जून को पुरी मेंभगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलने वाली थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर हम कोरोना महामारी के बीच इसकी इजाजत देगे तो भगवान जगन्नाथ भी हमे माफ़ नहीं करेंगे। बताया जाता है कि 10 दिनों तक चलने वाले इस यात्रा में करीब 10 से 12 लाख लोगों के जमा होने की उम्मीद थी। इतनी भारी भीड़ में कोरोना के संभावित खतरे को देखते हुए ही इस साल के लिए यात्रा पर रोक लगा दी गई है।
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 2021 शिड्यूल, कब खुलेंगे कपाट
रथ यात्रा पर पूरी तरह पाबंदी है, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने अपने 22 जून, 2020 के आदेश द्वारा पिछले साल कुछ शर्तों के साथ इसकी अनुमति दे दी थी। इस साल राज्य सरकार ने केवल जगन्नाथ पुरी मंदिर में ‘रथ यात्रा’ निकालने की अनुमति दी है। रथ यात्रा राज्य में सदियों से होती आई है।
तिथि और मुहूर्त
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा शुरू होने का समय
रथ यात्रा सोमवार, जुलाई 12, 2021 को
द्वितीया तिथि का आरंभ- 11 जुलाई को 07.49 से
द्वितीया तिथि का समापन-12 जुलाई को 08.21 तक
अभिजीत मुहूर्त – 12:05 PM – 12:59
PM अमृत काल – 01:35 AM – 03:14 AM
ब्रह्म मुहूर्त – 04:16 AM – 05:04 AM
स्नान पूर्णिमा पहंडी के साथ सुबह 01:00 बजे प्रारंभ होगी और 04:00 बजे समाप्त होगी, पहंडी का अर्थ देवताओं की पैदल यात्रा से है। स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिनों तक विश्राम करेंगे और रथ यात्रा के दौरान दोबारा प्रकट होंगे।
सेवकों के पास नेगेटिव आरटी-पीसीआर टेस्ट रिजल्ट होना अनिवार्य
कोरोना वायरस के कारण देश के कई बड़े पवित्र मंदिरों के कपाट को बंद कर दिया गया था। श्री जगन्नाथ टेंपल प्रशासन की ओर से इस साल वार्षिक रथयात्रा को निकालने के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया है। बैठक में यह फैसला लिया गया है कि रथ यात्रा में आने वाले सेवकों के पास नेगेटिव आरटी-पीसीआर टेस्ट रिजल्ट होना अनिवार्य रहेगा. इसके साथ ही कोरोना का दोनों टीका लगा होना चाहिए।
रथयात्रा पर पुरी में कर्फ्यू, छत से भी देखने की मनाही
इस साल वार्षिक रथयात्रा उत्सव श्रद्धालुओं की भीड़ के बगैर ही होगा और उन्हें रथ के मार्ग में छतों से भी रस्म देखने की अनुमति नहीं होगी।पुरी के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा के मुताबिक प्रशासन ने अपने फैसले की समीक्षा की है और रथयात्रा का दृश्य घरों एवं होटलों की छतों से देखने पर भी पाबंदी लगा दी गयी है। 12 जुलाई को होने वाले इस उत्सव से एक दिन पहले पुरी शहर में कर्फ्यू लगाया जाएगा जो अगले दिन दोपहर तक प्रभाव में रहेगा।