भिलाई। 4 जून : एआईसीसीटीयू (ऐक्टू) भिलाई, छत्तीसगढ़ द्वारा फ्रंटलाइन कर्मियों का अखिल भारतीय मांग दिवस 03 जून को मनाया गया तथा मांगों के प्लेकार्ड के साथ प्रदर्शन किया गया. इस दौरान एक ज्ञापन प्रधानमंत्री तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को ईमेल से प्रेषित किया गया।
प्रदर्शन के दौरान कहा गया कि म्युनिसिपल सफाई कर्मचारी और चिकित्सा से जुड़े सफाई कर्मी सम्पूर्ण देश में कोरोना महामारी मोर्चे पर योद्धाओं के रूप में काम कर रहे हैं, परन्तु इसके बावजूद वे पूर्णतया अनदेखी और उपेक्षा के शिकार हैं।
रोज सुबह सूर्योदय से पहले अपने घर छोड़कर हम गांव, कस्बे, शहर और महानगरों की गलियों और सड़कों पर निकल पड़ते हैं उनमें झाड़ू लगाने, कचरा उठाने, नालियांँ साफ करने और शौचालयों की सफाई करने. नगरपालिकाओं/महानगरपालिकाओं के सफाई कर्मचारी वहांँ इस काम में अपनी मर्जी से नहीं बल्कि उन समुदायों में जन्म लेने और पीढी दर पीढ़ी निरंतर इस पहचान और मजबूरी के कारण हैं. और उन घरों सहित जिनमें कोरोना संक्रमित लोग आइसोलेशन में रह रहे हैं, सहित तमाम घरों का कचरा खुद के स्वास्थ्य का खतरा उठाकर कर रहे हैं।
डाक्टरों और नर्सिंग कर्मियों के साथ साथ एवं उनके अलावा वहांँ काम करने वाले वार्ड ब्वायज, परिचारक, सफाई कर्मचारी, कचरा प्रबंधन में लगे कर्मी, लिफ्ट आपरेटर्स, गार्ड भी कोरोना योद्धाओं में शामिल हैं और कोराेना संक्रमित रोगियों के सम्पर्क में आने या वातावरण में कोरोना वायरस के संक्रमण के शिकार होते हैं, परन्तु वे पूर्णतः अनदेखी और उपेक्षा के शिकार हैं।
संक्रमित रोगियों का जीवन बचाने और उनकी देखभाल जैसे नितांत आवश्यक और महत्वपूर्ण कार्य का हिस्सा होते हुए भी सरकार और प्रबंधन के तिरस्कार पूर्ण व्यवहार के शिकार हैं. उन्हें न तो न्यूनतम वेतन का भुगतान होता है और न ही नौकरी पक्की होने का कोई पुख्ता आश्वासन ही रहता है. कभी भी नौकरी से निकाल दिए जाने के असुरक्षा बोध के साथ बेहद तनाव में काम करने को मजबूर हैं. यहांँ तक कि न्यूनतम मजदूरी के भुगतान, पीने के पानी और शौचालय सुविधा जैसी मानवीय व मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम रखे जाते हैं और गंदगी तथा अमानवीय परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं. और जैसे यह सब काफी नहीं हो, उन्हीं लोगों की जातीय और वर्गीय भेदभाव पूर्ण और अपमानजनक व्यवहार का सामना करते हैं, जिनकी सेवा में दिन-रात संलग्न रहते हैं. कोई रिस्क भत्ता नहीं दिया जाता फिर भी जीवन और स्वास्थ्य का खतरा उठाकर दिन-रात यह कार्य करते हैं. उन्हें ना ही कोई चिकित्सा भत्ता मिलता है और ना ही जीवन बीमा का लाभ मिलता है. यहांँ तक कि कोविड 19 के संक्रमण से बचने के लिए पी पी ई इक्विपमेंट और अन्य जरूरी सामान भी मुहैया नहीं कराये गये।
पिछले साल और इस वर्ष कोविड 19 महामारी के दौर में पूरी क्षमता और निष्ठा के साथ अपने स्वास्थ्य और जीवन का गंभीर खतरा उठाकर कार्य किया है. परन्तु इसके बावजूद सरकार ने उनके जीवन और सुरक्षा की रक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाये हैं।
ऐक्टू ने 3 जून को सरकार के इस उपेक्षापूर्ण रवैए का विरोध करते हुए मूलभूत मांगें स्वीकार करने और अधिकार दिया जाना सुनिश्चित करने की मांग की है. ज्ञापन में निम्न मांगें रखी गयी हैं।
▪️सभी के लिए मुफ्त टीके की व्यवस्था की जाए।
▪️सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स को दस हजार रूपए प्रतिमाह, छह माह के लिए कोरोना महामारी भत्ता दिया जाये।
▪️दस लाख रूपये स्वास्थ्य बीमा दिया जाये।
▪️बिना किसी शर्त के सभी अस्थाई और ठेका कर्मचारियों सहित म्युनिसिपल सफाई कर्मियों एवं अस्पताल फ्रंटलाइन वर्कर्स को पचास लाख रूपये का जीवन बीमा लाभ दिया जाये।
▪️संक्रमण सुरक्षा हेतु सभी को पी पी ई इक्विपमेंट और अन्य जरूरी सामान जैसे मास्क, दस्ताने आदि मुहैया करवाई जाये।
आइये, हम एकताबद्ध होकर अपने अधिकारों की मांग करें। प्रदर्शन में बृजेन्द्र तिवारी, रूपेश कोसरे, अशोक, योगेश, राम सहाय ,श्यामलाल साहू आदि लोगों ने मुख्य रूप से हिस्सा लिया।