आपको जानकर हैरानी होगी कि चाय वैकल्पिक रूप से कई शारीरिक समस्याओं के प्रभाव व उनके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम इस लेख में चाय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने के साथ ही इसको पीने के लाभ बता रहे हैं। इसके साथ ही यहां हम चाय के उपयोग और चाय पीने के नुकसान भी समझाने का प्रयास करेंगे।
आज अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जा रहा है. यह दिन चाय और चाय प्रेमियों को समर्पित है। अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस हर साल 15 दिसंबर को मनाया जाता है। हालांकि भारत की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस घोषित किया है। मिलान में हुई अंतरराष्ट्रीय खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अंतर सरकारी समूह की बैठक में भारत ने यह प्रस्ताव पेश किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने चाय के औषधीय गुणों के साथ सांस्कृतिक महत्व को भी मान्यता दी है। अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस की शुरुआत 15 दिसंबर 2005 को नई दिल्ली से हुई लेकिन एक वर्ष बाद यह श्रीलंका में मनाया गया और वहां से विश्व भर में फैला। इस दिन को सेलिब्रेट करने का उद्देश्य दुनिया भर में चाय के व्यापार पर और चाय बागानों में श्रमिकों और उत्पादकों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित कराना है।
15 दिसंबर 2005 से हुई शुरूआत
बता दें कि दुनिया के पांच प्रमुख चाय उत्पादक देश चीन, भारत, केन्या, वियतनाम और श्रीलंका के अलावा इंटरनेशनल टी डे मलावी, तंजानिया, बांग्लादेश, यूगांडा, इंडोनेशिया और मलेशिया में भी मनाया जाता है। साल 2004 में भारत के मुंबई शहर में व्यापार संघों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक में 15 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का फैसला लिया गया। पहली बार 15 दिसंबर 2005 को इंटरनेशन टी डे सेलिब्रेट किया गया था।
चीन में की गई थी पहली बार चाय की खेती
चाय दुनिया भर में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाले पेय पदार्थों में से एक है. यही वजह है कि हर किसी का चाय बनाने का अपने एक अलग तरीका भी होता है. किसी को अदरक और इलायची की चाय भाती है तो किसी को कम दूध और किसी को ज्यादा दूध वाली चाय पसंद होती है। कई लोग ब्लैक टी पसंद करते हैं। चाय एक ऐसा पेय है जो कैमेलिया सिनेंसिस के पत्तों से बनता है, जो एशियाई महाद्वीप के लिए एक झाड़ी है। इसकी खेती पहली बार चीन में की गई थी, इसे लेकर एक कहानी प्रचलित है जानकारी के मुताबिक आज से 2737 वर्ष ईसा पूर्व एक बार सम्राट शेनॉन्ग अपने बगीचे में बैठे हुए गर्म पानी पी रहे थे. इसी दौरान एक पेड़ की पत्ती उनके उबलते हुए पानी के कप में गिर गई जिसकी वजह से पानी का रंग बदल गया और महक भी आने लगी. सम्राट ने जब इस पानी को चखा तो उन्हें उसका स्वाद बेहद पसंद आया और इस प्रकार चाय का अविष्कार हुआ।
भारत में चाय का आगमन कब हुआ?
भारत में चाय के आगमन को लेकर कहा जाता है कि 1824 में बर्मा या म्यांमार और असम की सीमांत पहाड़ियों पर चाय के पौधे पाए गए थे. अंग्रेजों ने 1836 मे भारत में चाय का उत्पादन शुरू किया. पहले खेती के लिए चीन से बीज मंगवाए जाते थे लेकिन बाद में असम चाय के बीजों का इस्तेमाल किया जाने लगा. भारत में चाय का उत्पादन मूल रूप से ब्रिटेन के बाजारों में चाय की डिमांड को पूरा करने के लिए किया गया था। आज भारत में चाय सबसे लोकप्रिय और सस्ता पेय पदार्थ है।
चाय से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ
चाय में कई स्वास्थ्य लाभ भी पाए गए हैं, दुनिया भर में किए गए कई अध्ययनों में इस बात की पुष्टि भी हुई है. पोषक रूप से चाय में प्रोटीन, पॉलीसेकेराइड, पॉलीफेनोल, खनिज और ट्रेस तत्व, अमीनो और कार्बनिक एसिड, लिग्निन, और मिथाइलक्सैन्थिन (कैफीन, थियोफिलाइन, और थियोब्रोमाइन) पाए जाते हैं. चाय के स्वास्थ्य लाभ फाइटोकेमिकल्स से आते हैं जो हमारे शरीर में शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं.
चाय में पाए जाने वाले कुछ एंटीऑक्सीडेंट हैं
फ्लेवन-3-ऑलस-कैटेचिन और एपिक्टिंस ग्रीन टी में सबसे प्रचुर मात्रा में होते हैं।
फेनोलिक एसिड- ब्लैक टी में गैलिक एसिड और थेओग्लिन अधिकतम मात्रा में मौजूद होते हैं।
फ्लेवोनोल्स और फ्लेवोनस- क्वेरसेटिन, मायरिकेटिन, केम्पफेरोल सफेद, हरे, ऊलोंग और काली चाय में पाया जाता है।
थायफ्लैविंस और थायरुबिगिन्स।
प्यू-एरेह चाय में थायरब्रोनिंस सबसे सक्रिय यौगिक है।
चाय के प्रकार और उनसे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ
1-व्हाइट टी– व्हाइट टी शुद्ध और सभी चायों में सबसे कम प्रोसेस्ड होती है. व्हाइट टी में अन्य चाय की तुलना में कैटेचिन और पॉलीफेनोल ज्यादा मात्रा में होता है, जिसका अर्थ है कि इसमें शक्तिशाली एंटी इंफ्लॉमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भरपूर मात्रा में होते हैं। एंटीऑक्सिडेंट, ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं और हाइपरलिपिडिमिया पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
2-गीन टी- ग्रीन टी सबसे फेमस और एशिया में खासी पसंद की जाती है. इसे वजन कंट्रोल करने में भी काफी कारगर माना जाता है। सभी चायों में से ग्रीन टी कैटेचिन और एपिक्टिंस का सबसे अच्छा स्रोत है। ग्रीन टी शायद सभी चायों में से सबसे अधिक रिसर्च भी की जाती है और इसकी वजह यह है कि इसमे सबसे ज्यादा स्वास्थ्य गुण होते हैं। यह स्तन, बृहदान्त्र, अंडाशय, गले, फेफड़े, पेट और प्रोस्टेट के कैंसर से बचाता है। 11 साल तक 40,000 जापानी पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि जिन लोगों ने कम से कम 5 कप ग्री टी पी थी उनमें हृदय संबंधी बीमारियों से मरने का जोखिम काफी कम था।
3- पीली चाय- पीली चाय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स स्किन की हेल्थ में सुझार करते हैं और उसे यंगर लुक देते हैं. इसके अलावा भी पीली चाय स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है।
4- काली चाय-काली चाय की पत्तिया,प्राकृतिक एंजाइमों द्वारा ऑक्सीकरण के कारण पूर्ण किण्वन द्वारा निर्मित होती है। इस बात के प्रमाण बढ़ते जा रहे हैं कि काली चाय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट विशेष रूप से महिलाओं में धमनियों में रुकावट को कम कर सकते हैं और दिल के दौरे के जोखिम को कम करने में भी फायदेमंद हो सकते हैं।
सर्वाधिक चाय उत्पादक देशों की सूची
दुनिया भर में प्रति वर्ष 5,966,467 टन चाय का उत्पादन होता है।
चीन प्रति वर्ष 2,414,802 टन उत्पादन मात्रा के साथ दुनिया का सबसे बड़ा चाय उत्पादक है।
भारत 1,252,174 टन वार्षिक उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर आता है।
चीन और भारत विश्व के कुल के 60% से अधिक का उत्पादन करते हैं।
इंडोनेशिया 144,015 के साथ 7 वें स्थान पर है।
तो चलिये चाय के बारे में पूरे विस्तार से जानते हैं।
चाय का परिचय
सदियों से चाय सबका प्रिय पेय रहा है। सामान्य तौर पर दिन की शुरूआत बिना चाय के शुरू नहीं होती है। चाय के फायदों के कारण आयुर्वेद में इसका प्रयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। लेकिन इसका हद से ज्यादा सेवन करना सेहत के लिये नुकसान का कारण बन सकता है।
चाय क्या है?
चाय के दो पत्ते व एक कलिका का उपयोग चाय की पत्ती के लिए किया जाता है। इसके पत्ते सरल, एकांतर नोंकदार, ऊपर से चिकने, सूक्ष्म छिद्रों से युक्त होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के, सुगन्धित, एकल अथवा 2-4 साथ में गोलाकार होते हैं। इसके फल त्रिकोणीय होते हैं, जिसमें 1.8 सेमी व्यास के कठोर बीज कवच जैसे, चमकीले दो बीज रहते हैं। चाय दिसम्बर से मार्च महीने के दौरान सबसे ज्यादा फलता फूलता है। चाय वस्तुत: पेय पदार्थ होता है जिसमें टैनिन और कैफीन होता है जो शरीर को स्फुर्ति प्रदान करने में सहायता करता है। इसलिए अक्सर थक जाने पर चाय पीने से फिर से स्फुर्ति का एहसास होता है। लेकिन हद से ज्यादा चाय पीने से अगर वह व्यसन या लत बन जाय तो शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकती है। चाय की पत्ती, भूख बढ़ाने वाली, पाचक और शक्तिवर्द्धक होती है। चाय हृदय के दर्द, आंखों का दर्द, रक्तार्श या पाइल्स का दर्द और सूजन कम करने में मददगार होता है।
अन्य भाषाओं में चाय के नाम
चाय का वानास्पतिक नाम कैमीलिया साईनेन्सिस है। चाय को अंग्रेजी में टी कहते हैं। लेकिन चाय को भारत के अन्य प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-
Sanskrit-श्यामपर्णी, चाहम्, चविका;
Hindi-चाय;
Urdu-चाय;
Oriya-चाइ, चा;
Kannada-चा, चाय, चाहा;
Gujrati-चहा, चाय;
Tamil-करूप्पुट्टेयिलेई, तायीलि;
Telugu––थेयाकू;
Bengal-चाइ, चाय;
Nepali-चा, चिया;
Panjabi-चाई, चाय;
Marathi-घेयाले, चहा;
Malayalam-चाया।
English-आसाम टी, चाइना टी, इंडियन टी, टी प्लांट;
Arbi-चाह;
Persian-चाइका थाई;
चाय के फायदे
चाय सिर्फ ऊर्जा प्रदान करने का ही काम नहीं करती है। इसके औषधिकारक गुण अनगिनत है जिसके कारण आयुर्वेद में चाय को कई बीमारियों के इलाज के रुप में प्रयोग किया जाता है। चलिये विस्तार से जानते हैं कि चाय को किन-किन बीमारियों में और कैसे इस्तेमाल किया जाता है?
सिरदर्द के लिए फायदेमंद चाय
अक्सर काम के तनाव के कारण सिर में दर्द होने लगता है। चाय सिरदर्द से आराम दिलाने में बहुत फायदेमंद होता है। चाय के पत्तों का काढ़ा बनाकर 5-15 मिली मात्रा में पीने से सिरदर्द से आराम मिलता है।
आँख आने पर दर्द करे कम चाय
ठंड के मौसम के जाने और गर्मी के मौसम के आने के समय लोगों को आँख आने की बीमारी होती है। आँख लाल होकर दर्द होने लगता है। आँख आने पर चाय का इस्तेमाल इस तरह से करने पर बहुत फायदा मिलता है। चाय का काढ़ा बनाकर उसके 1-2 बूंदों को नेत्रों में डालने से 2-3 दिन में आँख आने पर जो परेशानी होती है उससे राहत मिलती है।
गले में दर्द या सूजन से दिलाये राहत चाय
आमाशय के कारण या गर्म खाद्द पदार्थों के ज्यादा सेवन से भी गले में घाव जैसा हो जाता है जिसके कारण दर्द होने लगता है। चाय के काढ़े से दिन में 2-3 बार गरारा करने से गले में जो घाव या सूजन होता है उससे राहत मिलती है।
नजला-जुकाम को करे कम चाय
मौसम के बदलने के समय बच्चों को नजला-जुकाम तो होता ही है। चाय का सेवन इस तरह से कराने से नजला-जुकाम से बहुत राहत मिलती है। बनफ्सा, मुलेठी तथा चाय का काढ़ा (15-20 मिली) बनाकर पीने से प्रतिश्याय (नजला-जुकाम) में लाभ मिलता है।
पेट दर्द में लाभकारी चाय
चाय के काढ़े में पुदीना तथा अकरकरा मिलाकर पका लें, फिर 15-20 मिली मात्रा में पीने से पेट में गैस होने के कारण जो दर्द की परेशानी होती है उससे राहत मिलती है।
मूत्र संबंधी बीमारियों में फायदेमंद चाय
मूत्र संबंधी बीमारियों में मूत्र में जलन होना, दर्द होना, रुक-रुक कर पेशाब होना या कम मात्रा में पेशाब होने जैसे बहुत समस्याएं होती है। चाय के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से बुखार तथा मांसपेशियों का ढीलापन तथा मूत्र संबंधी रोगों में लाभकारी होता है।
काम शक्ति बढ़ाती है चाय
अगर किसी बीमारी के कारण सेक्स करने की इच्छा कम हो गई है तो चाय का इस तरह से सेवन करने से लाभ मिलता है। चाय को सालम मिश्री, दालचीनी तथा दूध के साथ मिलाकर, पकाकर 15-20 मिली मात्रा में पीने से कामशक्ति बढ़ती है।
जलने के दर्द को करे कम चाय
आग से, गर्म जल से, गरम तेल आदि से यदि शरीर का कोई भी भाग झुलस गया हो तो, चाय मिश्रित उबलते हुए पानी या काढ़ा को ठंडा करके उसमें कपड़े की पट्टी भिगोकर उस स्थान पर रखने तथा बार-बार उस पर उसी काढ़ा को थोड़ा-थोड़ा डालते रहने से त्वचा में फफोले नहीं पड़ते तथा त्वचा में दाग नहीं हो पाता।
सूजन में फायदेमंद चाय
अगर चोट लगने के कारण सूजन आ गई है तो चाय को पीसकर गुनगुना करके सूजन प्रभावित स्थान पर लगाने से सूजन कम हो जाती है।
ग्रंथियों या ग्लैंड के सूजन को करे कम चाय
चाय के पत्तों को पकाकर पीसकर लेप करने से ग्रन्थि या ग्लैंड का सूजन कम होने में मदद मिलती है।
अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए चाय का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
ज्यादा चाय पीने के नुकसान
चाय पीने के फायदे तो आपने जान लिए आइए आप जानते हैं इसके सीने से होने वाले नुकसान के बारे में भी वैसे तो चाय का सेवन एक सीमा तक सही रहता है, लेकिन चाय का अधिक सेवन समस्याओं का कारण बन सकता है।
आयरन के अवशोषण को कम करती है चाय: चाय में टेनिन नाम का यौगिक पाया जाता है। यह शरीर में आयरन को अवशोषित करने की क्षमता को कम कर सकता है।
चिंता और तनाव का कारण बन सकती है चाय: चाय में कैफीन होता है और कैफीन के अधिक सेवन से मस्तिष्क संबंधी रोगों का भी सामना करना पड़ सकता है। अत्यधिक मात्रा में चाय का सेवन चिंता, तनाव और बेचैनी को बढ़ा सकती है।
अनिद्रा और हृदय रोग का कारण बन सकती है चाय : हालांकि लेख में बताया जा चुका है कि चाय कुछ हद तक हृदय रोग में सहायक हो सकती है। इसके बावजूद चाय में मौजूद कैफीन के कारण इसका अधिक सेवन कार्डियोवैस्कुलर (ह्रदय) रोग और अनिद्रा का कारण बन सकता है।
जी मचलने या मतली का कारण बन सकती हैं चाय : ग्रीन और ब्लैक टी में कैफीन होता है, जिस वजह से चाय का अधिक सेवन जी मिचलाने की शिकायत पैदा कर सकता है।
सीने में जलन पैदा कर सकती हैं चाय : चाय में कैफीन है इसका जिक्र हम इस लेख में पहले भी कर चुके हैं। साथ ही वैज्ञानिक अध्ययन में भी यह साबित हुआ है कि कैफीन पेट में गैस्ट्रिक एसिड की मात्रा को बढ़ा सकता है, जिससे सीने में जलन महसूस हो सकती है।
गर्भावस्था में चाय का सेवन : गर्भावस्था के दौरान चाय के रूप में अधिक कैफीन का सेवन गर्भपात और जन्म के समय शिशु के कम वजन का कारण बन सकता है।
अब तो आप चाय के जान गए होंगे। इसके लाभ को पाने के लिए बताए गए तरीकों को अपना सकते हैं। चाय का उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसमें कैफीन मौजूद होता है, जो दुष्प्रभावों का कारण बन सकता है। साथ ही आपके लिए चाय का कौन-सा प्रकार ज्यादा फायदेमंद रहेगा, इस संबंध में आप डॉक्टरी परामर्श ले सकते हैं।