गर्मी के दिन शुरु होते ही मिट्टी के घड़े यानि मटके की मांग शुरु होती है। गर्मी में मटके का पानी जितना ठंडा और सुकूनदायक लगता है, स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही फायदेमंद भी होता है। वैसे तो आजकल लोग गर्मियों में ठंडा-ठंडा कूल-कूल फील करने के लिए फ्रिज का पानी पीते हैं। वहीं कुछ लोग फ्रिज के पानी को छोड़कर बर्तन यानी घड़े के पानी का इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करते हैं। पीढ़ियों से घरों में मिट्टी के बर्तन यानी घड़े का इस्तेमाल किया जाता है। आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो मिट्टी के बर्तन में पानी पीते हैं। मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू के कारण घड़े का पानी पीना अच्छा लगता है। कई विशेषज्ञ भी इस बात को बताते है कि मिट्टी के बर्तन में पानी रखना स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा माना जाता है। इसमें रोगों से लड़ने की क्षमता तो होती ही है, साथ ही कुछ बीमारियां भी दूर होती हैं। जानिए मिट्टी के बर्तन में पानी पीने के फायदे…..
मटके का पानी पीने के फायदे –
ग़रीबो का फ्रिज, घड़े का पानी स्वास्थ्य के लिए अमृत होता है, लेकिन इसे ऐसे ही अमृत नही बोलते, बल्कि वास्तव में घड़े का पानी सेहत के लिहाज से बहुत फायदेमंद है, आप भी इसके फायदों को जानकर घड़े का पानी पीना शुरू कर देंगे।
मटके का पानी बढ़ाएं चयापचय क्रिया को –
नियमित रूप से घड़े का पानी पीने से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा मिलता है। प्लास्टिक की बोतलों में पानी स्टोर करने से, उसमें प्लास्टिक की अशुद्धियां इकट्ठी हो जाती है और वो पानी को अशुद्ध कर देती है। साथ ही यह भी पाया गया है कि घड़े में पानी स्टोर करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है।
घड़े का पानी रखें पीएच स्तर को संतुलित –
घड़े में पानी पीने का एक और लाभ यह भी है कि इसकी मिट्टी में क्षारीय गुण विद्यमान होते हैं। क्षारीय पानी की अम्लता के साथ प्रभावित होकर, उचित पीएच (PH) संतुलन प्रदान करता है। इस पानी को पीने से एसिडिटी पर अंकुश लगाने और पेट के दर्द से राहत में मदद मिलती है।
मटके के पानी के फायदे गले के रोगों के लिए –
आमतौर पर हमें गर्मियो में ठंडा पानी पीने की तलब होती है और हम फ्रीज़ से ठंडा पानी ले कर पीते हैं। ठंडा पानी हम पी तो लेते हैं लेकिन बहुत ज़्यादा ठंडा होने के कारण यह गले और शरीर के अंगो को एक दम से ठंडा कर शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है। इससे गले की कोशिकाओं का ताप अचानक गिर जाता है, जिस कारण व्याधियां उत्पन्न होती है। जिससे गला पकने लगता है और ग्रंथियो में सूजन आने लगती है और शुरू होता है शरीर की क्रियाओं का बिगड़ना। जबकि घड़े का पानी गले पर शांत प्रभाव देता है।
घड़े का पानी गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद –
गर्भवती को फ्रीज़ में रखें, बेहद ठंडे पानी को पीने की सलाह नही दी जाती है। उन्हें कहा जाता है कि वो घड़े या सुराही का पानी ही पिएं। इनमें रखा पानी ना सिर्फ़ उनकी सेहत के लिए अच्छा होता है, बल्कि पानी में मिट्टी का सोंधापन बस जाने के कारण गर्भवती को बहुत अच्छा लगता है।
मटके का पानी रखें वात दोष को संतुलित –
गर्मियो में लोग फ्रीज़ या बर्फ का पानी पीते हैं, जिसकी तासीर गर्म होती है। यह वात भी बढ़ाता है। बर्फीला पानी पीने से कब्ज हो जाती है तथा अक्सर गला खराब रहता है। मटके का पानी बहुत अधिक ठंडा ना होने से वात नही बढ़ता है और इसका पानी संतुष्टि देता है। मटके को रंगने के लिए गेरू का इस्तेमाल होता है जो गर्मी में शीतलता प्रदान करता है। मटके के पानी से कब्ज, गला खराब होना आदि रोग नही होते हैं।
मिट्टी के घड़े का पानी सोखे विषैले पदार्थ –
मिट्टी में शुद्धि करने के गुण होते हैं। पानी में सभी ज़रूरी सूक्ष्म पोषक तत्व मिलते हैं। यह सभी विषैले पदार्थ सोख लेती है। इसमें पानी सही तापमान पर रहता है, ना अधिक ठंडा और ना अधिक गर्म। मिट्टी के बने मटके में सूक्ष्म छिद्र होते हैं। यह छिद्र इतने सूक्ष्म होते हैं कि इन्हे नंगी आँखों से नही देखा जा सकता है। पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण की क्रिया पर निर्भर करता है। जितना ज़्यादा वाष्पीकरण होगा, उतना ही ज़्यादा पानी भी ठंडा होगा। इन सूक्ष्म छिद्र द्वारा मटके का पानी बाहर निकलता रहता है। गर्मी के कारण पानी वाष्प बन कर उड़ जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में मटके का तापमान कम हो जाता है और पानी ठंडा रहता है।
जानिए अन्य बर्तन में रखें पानी का अधिकतम लाभ
तांबे का बर्तन
तांबे के बर्तन में यूं तो हमेशा ही पानी पिया जा सकता है, लेकिन बारिश के मौसम में तांबे के बर्तन से पानी पीना अधिक लाभकारी माना गया है। दरअसल, इस मौसम में कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लग जाते हैं। लेकिन तांबे के बर्तन में पानी रखने से सभी अशुद्धियां व बैक्टीरिया खत्म होते हैं। साथ ही इस पानी के कारण आपके शरीर की कॉपर की कमी भी दूर होती है। इसके अतिरिक्त इस पानी के सेवन से पेट संबंधी परेशानियां दूर होती है। अगर आप शरीर की आंतरिक रूप से सफाई करना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना आपके लिए फायदेमंद रहेगा।
सोने का बर्तन
आमतौर पर घरों में ऐसा सोने का बर्तन नहीं पाया जाता, जिसमें पानी को रखा जा सके। लेकिन अगर आप सर्दी के मौसम में सोने के बर्तन का पानी पीते हैं तो इससे आपका शरीर गर्म रहता है और आप तनाव व अनिद्रा आदि समस्याओं से निजात पा जाते हैं। अगर आपके घर में सोने का बर्तन नहीं है तो आप किसी मिट्टी के बर्तन में सोने की कोई चीज डाल दें। इससे भी पानी में सोने के गुण आ जाएंगे।
कांच के बर्तन
प्लास्टिक की तुलना में कांच को अच्छा माना जाता है। कांच की ग्लास या बोतल बनाने में केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है, यही वजह है कि कांच के बर्तन में रखे पदार्थ सुरक्षित रहते हैं। इसमें किसी भी तरह के बीपीए या केमिकल बदलाव नहीं होता है, जो आपके शरीर के लिए अच्छा होता हैं। ये आपके शरीर को कैंसर जैसे बीमारी से लड़ने में भी हेल्प करते हैं। लेकिन कुछ कांच के बर्तन रंगे हुए मिलते हैं जो हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकते हैं। रंगे हुए कांच के बर्तनों में केमिकल का प्रयोग होता है जो धीरे-धीरे पानी के साथ रिएक्शन करता है जो शरीर के लिए हानिकारक होता है।
प्लास्टिक के बर्तन
प्लास्टिक की बोतल भी इसी क्रम में आते हैं। पानी पीने की हमें इतनी जल्दी रहती है कि हम अक्सर भूल जाते हैं कि जिस प्लास्टिक के बोतल से पानी पी रहे हैं उससे कितना नुकसान हो रहा है। प्लास्टिक की बोतलों में पीईटी पदार्थ पाए जाते हैं, जो शरीर के हार्मोंन को असंतुलित करते हैं। प्लास्टिक की बोतलों में एक दिन से ज्यादा रखा हुआ पानी शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाता है। समान्य प्लास्टिक के बोतलों में (बीपीए) जो एक प्रकार के इंडस्ट्रियल केमिकल होता हैं जो शरीर के लिए सही नहीं होते हैं। लंबे समय तक बोलतों में रखे पानी पीने से आंतों और लिवर को भी खतरा रहता है।
तो अगली बार आप जब भी पानी पीएं तो इन बातों का जरुर ख्याल करें। हो सकता है जिस बर्तन से आप पानी पी रहे हैं वो आपके शरीर को नुकसान कर रहा हो और आपको मालूम भी नहीं चल रहा हो। आपकी एक छोटी सी सावधानी आपकी बॉडी को हेल्दी बनाए रख सकती है या हेल्थ खराब भी कर सकती है।