भिलाई। 3 अप्रैल : गुड फ्राइडे का दिन ईसाई समुदाय के लिए विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि मसीही विश्वास का आधार यही से प्रारम्भ होता है, बाइबल के अनुसार “परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करें वह् नाश न हो परंतु अनंत जीवन पाएं।।” अर्थात यीशु मसीह का इस संसार में आना मनुष्य जाति के लिए पापों के दण्ड से छूटने की कीमत चुका कर परमेश्वर और मनुष्य के बीच पुनः सम्बन्ध स्थापित करना था।जिसे यीशु मसीह ने क्रूस पर बलि हो कर पूरा किया एवम तीसरे दिन पुनः जीवित ( पुनरुथान ) हुआ, ये घटना मनुष्यो के लिए अच्छा था इसलिए इसे शुभ शुक्रवार या गुड़ फ्राइडे कहते है। यह दिन इसलिए भी महत्वपुर्ण है क्योंकि यह यीशु के पीड़ा, संघर्ष और बलिदान को स्मरण दिलाती है। आज के दिन ईसाई समुदाय के लोग उपवास और प्रार्थना करते हुए प्रभु यीशु मसीह की आराधना करते है। इसमें मुख्यतः क्रूस पर यीशु मसीह द्वारा बोले गए आखरी सात वाणी को ध्यान मनन किया जाता है।
लगभग सभी गिरजाघरो में सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक प्रार्थना सभा आयोजित की गई। ईसाई धर्म गुरु पास्टर द्वारा इस सन्दर्भ में संदेश दिया गया।
करोना महामारी के संक्रमण की वज़ह से शासन द्वारा सार्वजनिक आयोजनों पर लगाए गए पाबन्दी के कारण सभी जगह फ़ेसबुक और यू ट्यूब के माध्यम से आरधनाओ का सन्चालन् किया गया।
क्रिश्चियन कम्युनिटी चर्च सेक्टर 6 भिलाई में आज शुभ शुक्रवार कि जिसे गुड फ्राइडे के रूप में क्रिश्चियन समुदाय जानता है। पूरी पवित्रता एवं सादगी के साथ मनाया गया। लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए यहां पर भी जूम एप के माध्यम से लगभग 500 से अधिक लोग जुड़कर आराधना में शामिल हुए। आराधना का संचालन प्रमुख पासवान रेवरेंड अर्पण तरुण ने किया। उन्होंने कहा कि वास्तव में प्रभु यीशु ने बलिदान इसलिए दिया कि मानव जाति का उद्धार हो सके और परमेश्वर के प्रेम को प्रकट कर सके। क्रूस पर चढ़ाए जाने के बाद भी उन्होंने यही कहा कि हे प्रभु इन्हें क्षमा कर ये नहीं जानते ये क्या किया क्या कर रहे हैं। शमा अहिंसा और प्रेम का ऐसा उदाहरण संसार में और कहीं नहीं मिलता। सात अलग-अलग लोगों ने उन बातों पर प्रकाश डाला जो प्रभु यह सुने क्रूस पर प्राण त्याग के समय कहे थे।
बैपटिस्ट चर्च सेक्टर 6 भिलाई के पासवान रेव्ह के मुर्तिबाबू ने लोगों का आह्वान किया की यीशु मसीह के जीवन की महान बातों को अपनाकर क्रूस पर यीशु मसीह ने जिन बातों को अपने कार्यों से प्रकट किया उन कार्यों को अपने जीवन में व्यवहारिक रूप से अपनाये। उन्होंनें बताया की क्रूस की सात वाणी उनके जीवन के व्यवहारों को प्रकट करती है।
पहली वाणी क्षमा को, दूसरी वाणी अधिकार को, तीसरी वाणी माता पिता और परिवार के प्रति जिम्मेदारी को, चौथी वाणी संघर्ष को, पांचवी वाणी मानव जाति के लिए अपनी पीडा को, छठवीं वाणी पिता की इच्छा को पूरा करने को, एवं सातवीं वाणी अधिकार पूर्वक समर्पण को दिखाता है। क्षमा, त्याग और बलिदान को केवल किसी आचरण के अनुसार नही वरन व्यवहारों मे अमल में लाना आवश्यक है। हमारा जीवन यीशु मसीह के समान दूसरों की भलाई हेतु समर्पित होना चाहिए। आज का ध्यान मनन अध्यक्ष पी. जोश्वा, सचिव के जोयल, डीकन ए योबू, वी नरसैय्या, एम सुनील, एवं श्रीमती ए रेचल द्वारा किया गया।
गुड फ्राइडे के दिन मेनोनाइट चर्च सेक्टर 9 भिलाई में यू ट्यूब के माध्यम से वर्चुअल आराधना हुई। जिसमे सभी परिवार के लोग अपने अपने घरों से गुड फ्राइडे की आराधना में शामिल हो हुवे। पास्टर विकास डेनियल ने गुड फ्राइडे को गुड क्यो कहा जाता हैं इस बात पर वचन बताया गया, गुड फ्राइडे को प्रभु येशू को क्रूस पर चढ़ाया गया था, उनकी एक संसारिक मृत्यु हुयी थी, किन्तु फिर भी आज के इस दिन को गुड फ्राइडे इस लिए कहा जाता हैं, क्योकि आज का दिन सारी मानव जाति के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, आज प्रभु ने अपने पवित्र लहू से हमारे पापो को धो दिया था और हम ने अपने पापो से नजात पाया था, इसलिए इसे गुड फ्राइडे कहा जाता है क्योकि ये छुटकारे का दिन था, पाप पर विजय प्राप्त करने का दिन था, उद्धार का दिन था।
साथ ही साथ गुड फ्राइडे के दिन प्रभु के द्वारा कही गई सात वाणी में भी संदेश दिया गया।
१. पहला वचन है − क्षमा।
तब यीशु ने कहा: हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं ” (लूका २३:३३−३४)
२. दूसरा वचन है − उद्वार।
यीशु के दोनों ओर दो चोर क्रूस पर चढाये गये थे।
”जो कुकर्मी (अपराधी) लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की निन्दा करके कहा; क्या तू मसीह नहीं तो फिर अपने आप को और हमें बचा। इस पर दूसरे ने उसे डांटकर कहा, क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरताॽ तू भी तो वही दण्ड पा रहा है। और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इस ने कोई अनुचित काम नहीं किया। तब उस ने कहा; हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना। उस ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा” (लूका २३:३९−४३)
3.तीसरा वचन है − प्रेम।
”परन्तु यीशु के क्रूस के पास उस की माता और उस की माता की बहिन मरियम, क्लोपास की पत्नी और मरियम मगदलीनी खड़ी थी। यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिस से वह प्रेम रखता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा: हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है। तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया” (यूहन्ना १९:२५−२७)
4. चौथा वचन है − क्रोध।
”दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक उस सारे देश में अन्धेरा छाया रहा। तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, एली, एली, लमा शबक्तनी अर्थात हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?” (मत्ती २७:४५−४६)
5. पांचवा वचन है − दुख उठाना।
”इस के बाद यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका; इसलिये कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कहा, मैं प्यासा हूं। वहां एक सिरके से भरा हुआ बर्तन धरा था, सो उन्होंने सिरके में भिगोए हुए इस्पंज को जूफे पर रखकर उसके मुंह से लगाया” (यूहन्ना १९:२८−२९)
6. छटवां वचन है − प्रायश्चित।
”जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा पूरा हुआ और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए” (यूहन्ना १९:३०)
7. सांतवा वचन − परमेश्वर से प्रतिबद्वता।
”और यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं: और यह कहकर प्राण छोड़ दिए” (लूका २३:४६)