दुर्ग । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नरवा योजना के माध्यम से प्रदेश के परंपरागत जल स्रोतों को किस तरह संजीवनी मिल रही है इसका सुंदर उदाहरण धमधा ब्लाक का लुमती नाला है। 25 बरस पहले इस नाले में छोटा सा स्टाप डैम बनाया गया था। गाद जमती रही और पिछले साल तक यह स्थिति थी कि पूरा नाला ही गाद से ढंक गया था और नाले ने अपने जिंदा रहने के लिए दिशा ही बदल थी। स्वाभाविक है कि इससे भूमिगत जल रिचार्ज नहीं हो पा रहा था। इस बार लुमती नाले का ट्रीटमेंट आरंभ होने से फर्क महसूस हुआ है। किसान बताते हैं कि फागुन महीना आ गया है अब तक हमारे बोरवेल पूरी तरह चूक जाते थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस बार बोरवेल की धार तीक्ष्ण है। ग्राम सेवती के उत्तम पटेल ने बताया कि वे गेंहूँ की फसल ले रहे हैं। अब जलस्तर बढ़ रहा है तो अगली बार चना और सब्जी भी लगाएंगे। एसडीएम श्री बृजेश क्षत्रिय ने बताया कि कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन के अनुसार ग्रामीणों से विचार-विमर्श के पश्चात इन नालों के ट्रीटमेंट के कार्य किये जा रहे हैं। ग्रामीण भी काफी उत्साहित हैं। जनपद सीईओ श्री मेश्राम ने बताया कि नालों के किनारे पौधरोपण का कार्य भी किया जा रहा है ताकि जमीन का कटाव भी रूके और वाटर रिचार्ज में भी मदद मिले।
लुमती नाला राजनांदगांव जिले से दुर्ग ब्लाक में प्रवेश करता है। यह टेमरी से बोरई, खर्रा, हिर्री, सेवती, अंजोरा ढाबा जैसे गाँवों से गुजरता हुआ शिवनाथ नदी में मिलता है। इसका ट्रीटमेंट अभी चल ही रहा है। मनरेगा के माध्यम से यह कार्य हुआ है। इसमें पोटिया में अठारह हजार मानव दिवस, ग्राम खर्रा में 16 हजार मानव दिवस, ग्राम टेमरी में 19 हजार मानव दिवस, ग्राम हिर्री में 17 हजार मानव दिवस और ग्राम सेवती में 7 हजार मानव दिवस सृजित हुए हैं। लुमती नाले की तरह ही धमधा ब्लाक में कुल 23 नालों में ट्रीटमेंट का काम हो रहा है। इसके अंतर्गत मुख्यतः डिसेल्टिंग अर्थात गाद निकालने का तथा पिचिंग का काम हो रहा है। इसके साथ ही जहाँ कहीं स्टाप डैम आदि के स्ट्रक्चर में तकनीकी सुधार हो अथवा मरम्मत हो। यह काम भी हो रहा है। इन नालों के पूरी तरह ट्रीटमेंट होने से, पिचिंग का कार्य पूरा होने के पश्चात भूमिगत जल के स्तर में खासी वृद्धि होगी। तकनीकी सहायक श्री जयंत कंवर ने बताया कि सभी नालों में ट्रीटमेंट का कार्य तेजी से चल रहा है। धमधा ब्लाक में सब्जी की खेती होती है। इस ब्लाक में पानी की दिक्कत अन्य ब्लाक की तुलना में ज्यादा होती है। भूमिगत जल के रिचार्ज के बढ़ने से इस दिशा में किसानों को काफी सुविधा होगी और सब्जी की फसल देर तक लेने में मदद मिलेगी।
साढ़े पाँच फुट तक गाद से जमे लुमती नाले ने बदल दी थी दिशा,,,,, नरवा ट्रीटमेंट से मिली संजीवनी,,,लुमती नाले को मिली संजीवनी, 25 मीटर की चैड़ाई वाले साढ़े पाँच फुट गहराई वाले नाले में पूरी तरह जम गई थी गाद, नाले का नामोंनिशान बस नजर आता था, अब वाटर रिचार्ज के लिए तैयार
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