जिस प्रकार हमारी दुनिया का सृजन करने वाले, हमारे सौरमंडल के अधिष्ठाता सूर्य माने गए है उसी प्रकार हमारे शरीर रूपी जगत के सृजेता भी सूर्य हैं, जो हमारी नाभि में बैठे हुए हैं । आज के डॉक्टर और वैज्ञानिक नाभि को लगभग महत्व हीन समझते हैं लेकिन भारतीय योग शास्त्र में शरीर की नाभि को बहुथ्य!
नाभि चिकित्सकीय भाषा में अम्बिलीकस के रूप में ज्ञात और बेली बटन के नाम से भी जानी जाती है पेट पर एक गहरा निशान होती है, जो नवजात शिशु से गर्भनाल को अलग करने के कारण बनती है। सभी अपरा संबंधी स्तनपाइयों में नाभि होती है। यह मानवमें काफी स्पष्ट होती है।
इसके और नाभिराज के मध्य भ्रमित न हो।
नाभि द्वारा सभी प्रकार की बीमारियों का उपचार बहुत पहले से होता आया है, और यह उपचार विधि अत्यन्त सरल है। विश्व के हर काेने में, कही न कही, किसी न किसी नाम या किसी न किसी चिकित्सा पद्धति में इस उपचार का उल्लेख हमे देखने काे मिल ही जाता है। लेकिन इसका एक साथ संगृह नही है, इसका अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियाें में अलग-अलग नामाें से इसका उल्लेख किया गया हैं। यहा पर नाभि चिकित्सा से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के उपचार की चर्चा की जा रही है।
नाभी कुदरत की एक अद्भुत देन है
एक 62 वर्ष के बुजुर्ग को अचानक बांई आँख से कम दिखना शुरू हो गया। खासकर रात को नजर न के बराबर होने लगी। जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनकी आँखे ठीक है परंतु बांई आँख की रक्त नलीयाँ सूख रही है। रिपोर्ट में यह सामने आया कि अब वो जीवन भर देख नहीं पायेंगे। हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है। गर्भ की उत्पत्ति नाभी के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से पोषण मिलता है और इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है। नाभी के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है। इसलिए नाभी शरीर का एक अद्भुत भाग है। नाभी के पीछे की ओर पेचूटी या ननैवेल बटन होता है। जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती है
नाभी में गाय का शुध्द घी या तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है।
1. आँखों का शुष्क हो जाना
नजर कमजोर हो जाना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये सोने से पहले 3 से 7 बूँदें शुध्द घी और नारियल के तेल नाभी में डालें और नाभी के आसपास डेढ ईंच गोलाई में फैला देवें।
2. घुटने के दर्द में उपाय : सोने से पहले तीन से सात बूंद इरंडी का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ ईंच में फैला देवें।
3. शरीर में कमपन्न तथा जोड़ोँ में दर्द : रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद राई या सरसों कि तेल नाभी में डालें और उसके चारों ओर डेढ ईंच में फैला देवें।
4. मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिए : नीम का तेल तीन से सात बूंद नाभी में उपरोक्त तरीके से डालें।
नाभी में तेल डालने का कारण
हमारी नाभी को मालूम रहता है कि हमारी कौनसी रक्तवाहिनी सूख रही है, इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है।
जब बालक छोटा होता है और उसका पेट दुखता है तब हम हिंग और पानी या तैल का मिश्रण उसके पेट और नाभी के आसपास लगाते थे और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता था। बस यही काम है तेल का।
विविध नाभि थेरेपी
1- आपके चेहरे पर मुँहासे है तो एक रुई का छोटा सा टुकड़ा लीजिए और उसे नीम के तेल में भिगोकर उसे नाभि पर लगा लीजिए, ऐसा कुछ दिन कीजिए. आपके मुहासे ठीक हो जायेंगे।
2- अगर आपके होंठ फटे हुए है, या काले पड़ गए है तो आपके लिए बहुत ही सरल उपाय है, सुबह नहाने से पहले सरसों का तेल अपनी नाभि में लगाए फिर नहाए, अगर आप ऐसा करते है तो कभी भी आपके होंठ नहीं फटेंगे
3- अगर आप अपने चेहरे का ग्लो और चमक वापिस पाना चहाते हैं तो अपनी नाभि में बादाम का तेल लगाएं।
4- कई बार चेहरा कठोर हो जाता है, ये अक्सर मौसम में हुए बदलाव के कारण होता है, चेहरे को मुलायम रखने के लिए शुद्ध देशी घी नाभि में लगाएं।
5- अगर चेहरे पर दाग़ धब्बे हो गए है तो उनको मिटाने के लिए नीम्बू का रस नाभि में लगाएं।
6- अगर चेहरे पर सफ़ेद चकत्ते (ललौसी) हैं तो नीम का तेल नाभि पे लगाएं।
कुछ अन्य उपचार
मुहांसो से छुटकारा : जवानी आते आते मुहांसों से लगभग हर किसी को दो चार होना पड़ता हैं। इनके लिए हम बहुत से उपचार भी करते हैं. क्योंकि इनकी वजह से बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। अगर आपको अपने मुहांसें दूर करने हैं तो सबसे आसान और सरल तरीका यह हैं कि आप अपनी नाभि में नीम का तेल लगाना शुरू कर दीजिये और इसका असर आपको बहुत ही जल्दी दिखने भी लग जायेगा और आपके चेहरें के सारे मुहांसें दूर भी हो जायेगे।
पीरियड्स के दर्द को कर देगा छूमंतर : महिलाओं को पीरियड्स में बहुत ही परेशानीयों से दो चार होना पड़ता हैं। अगर किसी भी महिला को पीरियड्स के दिनों में बहुत ही ज्यादा दर्द होता हैं तो वो अपनी नाभि के जरिये अपने पीरियड्स के दर्द को मिटा सकती हैं। एक रुई में थोड़ी सी ब्रांडी भिघोकर महिला को अपनी नाभि में लगा लेना चाहिए. उससे उनका दर्द थोड़ी ही देर में बिलकुल खत्म हो जायेगा।
फटे होंठो के लिए भी हैं काफी मददगार : अगर आपके होंठों के फटने की शिकायत आपके साथ आम हैं तो इसके लिए आपको अपनी नाभि में सरसो का तेल लगाना चाहिए. इससे आपकी होंठ फटने की परेशानी काफी आसानी से ठीक हो जाती हैं.
अपने चेहरें को बनाना चाहते है चमकदार : अगर आप अपने चेहरें को एक अलग तरह का ग्लो देना चाहते हैं तो आपको अपनी नाभि में बादाम का तेल लगाना चाहिए। उससे आपको अपने चेहरें पर बहुत ही जल्दी फर्क दिखने लग जाता हैं और आपका चेहरा बहुत ही जल्दी चमकदार बन जाता हैं।
खुजली से भी मिलती है राहत : अगर आप अपनी नाभि को साफ रखते हैं तो आपको खुजली से भी राहत मिल जाती हैं।
नाभि स्पंदन से रोग की पहचान
यदि नाभि का स्पंदन ऊपर की तरफ चल रहा है याने छाती की तरफ तो अग्न्याष्य खराब होने लगता है। इससे फेफड़ों पर गलत प्रभाव होता है। मधुमेह, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।
यदि यह स्पंदन नीचे की तरफ चली जाए तो पतले दस्त होने लगते हैं। बाईं ओर खिसकने से शीतलता की कमी होने लगती है, सर्दी-जुकाम, खाँसी, कफजनित रोग जल्दी-जल्दी होते हैं। यदि यह ज्यादा दिनों तक रहेगी तो स्थायी रूप से बीमारियाँ घर कर लेती हैं। दाहिनी तरफ हटने पर लीवर खराब होकर मंदाग्नि हो सकती है। पित्ताधिक्य, एसिड, जलन आदि की शिकायतें होने लगती हैं। इससे सूर्य चक्र निष्प्रभावी हो जाता है। गर्मी-सर्दी का संतुलन शरीर में बिगड़ जाता है। मंदाग्नि, अपच, अफरा जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।
यदि नाभि पेट के ऊपर की तरफ आ जाए यानी रीढ़ के विपरीत, तो मोटापा हो जाता है। वायु विकार हो जाता है।
यदि नाभि नीचे की ओर (रीढ़ की हड्डी की तरफ) चली जाए तो व्यक्ति कुछ भी खाए, वह दुबला होता चला जाएगा।
नाभि नाड़ी को यथास्थल बैठाने के लिए इसके योग्य व जानकार चिकित्सकों का ही सहारा लिया जाना चाहिए। नाभि को यथास्थान लाने के लिए रोगी को रात्रि में कुछ खाने को न दें। सुबह खाली पेट उपचार के लिए जाना चाहिए, क्योंकि खाली पेट ही नाभि नाड़ी की स्थिति का पता लग सकता है।
ऊपर बताये गए तेलों को रुई में भिगोकर भी नाभि में रख सकते हैं और ऊपर से बैंडेज या मेडिकल टेप लगा लें. आजमाईये जरूर, देसी ज्ञान है, असर सर चढकर बोलेंगे. स्वस्थ रहें, खुश रहें।