जब कोई बात याद न आ रही हो तो आंखें बंद करके उसे याद करने की कोशिश करें। यह तरीका भुलाई जा चुकी बात को आसानी से याद करने में मदद करता है। रिसर्च के नतीजे बताते हैं, आंखें खुली रखकर याद करने की तुलना में आंखें बंद करके सोचने से याद्दाश्त में 23% तक बढ़ोतरी की जा सकती है।
आंखें बंद करते ही मस्तिष्क में तस्वीर बनने लगती है
अगर आसपास डिस्टर्ब करने वाली चीजों से नजरें हटा ली जाएं तो दिमाग में सामंजस्य बिठाने की क्षमता बढ़ती है। इससे एकाग्रता बढ़ती है और चीजों को जल्दी याद किया जा सकता है। आंखें बंद करने से पुरानी बातें और जानकारियों की दिमाग में एक तस्वीर बनने लगती है। रिसर्च कहती है, अधिक तनाव और बेचैनी के बीच चीजों को याद करना मुश्किल होता है। कभी कुछ भी याद करें तो दिमाग पर जरूरत से ज्यादा दबाव न बढ़ाएं।
29,500 लोगों पर हुई रिसर्च
ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने 29,500 लोगों पर एक ऑनलाइन सर्वे किया। सर्वे के बाद याद्दाश्त को बेहतर करने के 6 तरीके बताए-
रोजाना अधिकतम 1 घंटे से ज्यादा टीवी न देखें।
अल्कोहल का सेवन कम से कम करें। ड्रग्स से बचें।
नॉवेल्स, किताबें पढ़ें।
क्रॉसवर्ड हल करें।
मांसाहारी हैं तो भोजन में मछली को शामिल करें।
सीमित मात्रा में चाय अथवा कॉफी का सेवन करें।
मेमोरी का मोटापे से भी है कनेक्शन
एक रिसर्च कहती है, मोटापे का मेमोरी से एक कनेक्शन है। रिसर्च के मुताबिक, सामान्य से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले बच्चों की वर्किंग मेमोरी कमजोर होती है। रिसर्च के लिए 10 सालाें तक 10 हजार टीनेजर्स का डेटा लिया गया और फिर उसका विश्लेषण हुआ। हर दो साल के दौरान सभी प्रतिभागियाें की जांच की गई और उनके ब्लड सैंपल भी चेक हुए। उनके दिमाग की स्कैनिंग भी की गई।
समझें, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म मेमोरी का फर्क
दो तरह की यादों के सहारे हम काम करते हैं। एक शॉर्ट टर्म मेमोरी और दूसरी लॉन्ग टर्म मेमोरी। शॉर्ट टर्म मेमोरी 20 से 30 सेकंड तक ही टिक पाती हैं। यह याद्दाश्त उन कामों और विचारों के बारे में होती है, जिन पर हम उस समय काम कर रहे होते हैं। जबकि लाॅन्ग टर्म मेमाेरी कई दिनों, महीनों और दशकों तक बनी रहती है। ये यादें हमारे मस्तिष्क में स्टोर हो जाती हैं और जब हमें इसकी जरूरत होती है तो ये याद आती हैं। आंखें बंद करके सोचने से ऐसी यादों को बाहर लाना आसान हो जाता है।
सिर्फ आठ सेकंड का फोकस
यह याददाश्त बढ़ाने के लिए बेहद आसान और छोटी सी एक्सरसाइज है जिसे आप कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं। किसी भी घटना या खुद से जुड़ी बात को याद करें और उस पर कम से कम आठ मिनट तक ध्यान केंद्रित करें। यह विधि याददाश्त बढ़ाने में बहुत कारगर है।
याददाश्त को करें ‘रीस्टार्ट’
कई बार कमरे में घुसने के बाद याद ही नहीं आता कि हम किस काम के लिए आए थे। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे वजह यह है कि चौखट पार करने के दौरान कई बार मस्तिष्क के प्रोग्राम कंप्यूटर की तरह ही रीस्टार्ट हो जाते हैं। ऐसे में वापस लौटते वक्त अगर आप इस बात पर जोर देंगे कि आपके पास किस चीज की कमी है और आपको क्या चाहिए तो इसे याद करना आसान हो जाएगा।
मुट्ठी भींचें
कुछ याद करते वक्त आप अपने हाथों की मुट्ठी बनाएं और जितना हो सके उतना भींचें। अगर आप दाएं हाथ का अधिक इस्तेमाल करते हैं तो दाएं हाथ की मुट्ठी कसें और अगर आप बाएं हाथ का अधिक इस्तेमाल करते हैं तो बाएं हाथ की मुठ्ठी भींचें। कम से कम 45 सेकंड तक इसे करें।
अच्छी नींद लें
आपकी नींद और याददाश्त का गहरा संबंध है क्योंकि सोते वक्त दिमाग खुद को रीसेट करता है जिससे नींद खुलने पर सभी सूचनाओं को याद रख सके। अगर नींद ढंग से न ली जाए तो याददाश्त कमजोर होने लगती है।
लिखने की शैली बदलें
आप जो कुछ भी अखबारों या किताबों में पढ़ते हैं, उसमें महत्वपूर्ण लगने वाले तथ्यों के नोट्स बनाते वक्त ध्यान रखें कि उनकी लिखावट अलग हो। अक्षर थोड़े बढ़े हों या अलग रंग की कलम से लिखे हों। इससे जरूरी बातें लंबे समय तक याद रहती हैं।
च्वीइंग गम
कई शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि 20 से 30 मिनट तक च्वीइंग गम चबाने से दिमाग तेज काम करता है। अगर च्वीइंग गम आपको पसंद नहीं है तो बिना च्वीइंग गम खाते ही मुंह चलाने का अब्यास भी उतना ही फायदेमंद है।
डूडल बनाएं
अक्सर बोरिंग लेक्चर के दौरान या फिर घंटों तक चलने वाली मीटिंग के दौरान कई लोग कलम से कागज पर तरह-तरह की आकृतियां बनाकर टाइमपास करते हैं। इसके लिए आपको भले ही कई बार डांट सुननी पड़ी हो लेकिन शोधों में यह माना गया है कि इस दौरान दिमाग अधिक सक्रिय रहता है और बीती बातों को याद रखने की उसकी क्षमता 29 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।