दुर्ग। 22 जनवरी : छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने तालपुरी इंटरनेशनल कॉलोनी स्थित मकान को आधा अधूरा बनाकर ग्राहक को दिया और साथ में अनुचित रूप से सर्विस टैक्स भी लिया इस कृत्य को व्यवसायिक कदाचरण और सेवा में निम्नता का परिचायक मानते हुए जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड पर 7 लाख 3 हजार रुपये हर्जाना लगाया।
ग्राहक की शिकायत
आदर्श नगर दुर्ग निवासी अंगारक देव देशमुख आत्मज मोहित कुमार देशमुख ने छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड द्वारा निर्माण कराये जा रहे तालपुरी भिलाई स्थित इंटरनेशनल कॉलोनी के लोटस हाउस क्रमांक 244 को 25 सितंबर 2010 को बुक करवाया था, जिसका आधिपत्य 24 माह के भीतर दिया जाना था। लेकिन 27 मार्च 2014 तक मकान बनाकर पूरा नहीं किया गया और रजिस्ट्री करवा दी गई इसके बाद 31 दिसंबर 2014 को अंतिम आवंटन आदेश जारी किया और 27 फरवरी 2016 को आधे अधूरे मकान का आधिपत्य दिया गया। 93 लाख रुपए जितनी बड़ी रकम लेने के बाद भी मानक स्तर का उच्च गुणवत्ता वाला मकान देने की बजाय त्रुटियों कमी और समस्याओं से युक्त आधा अधूरा बना हुआ मकान हाउसिंग बोर्ड ने सौंपा। परिवादी ने अधूरे कामों को बार-बार पूरा करवाने का लिखित रूप से निवेदन किया परंतु हाउसिंग बोर्ड द्वारा उसकी समस्याओं का निदान नहीं किया गया और उसका मकान आधा अधूरा ही पड़ा रहा। परिवादी से ली गई सर्विस टैक्स की राशि भी मांगे जाने के बाद उसे वापस नहीं लौटाई गई।
छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड का जवाब
जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष उपस्थित होकर छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने लिखित जवाब में कहा कि हाउसिंग बोर्ड के स्टॉक में सामान उपलब्ध नहीं होने के कारण शीघ्र ही फिटिंग कार्य करने का आश्वासन दिया गया था और जब फिटिंग सामग्री उपलब्ध हुई तब भवन की चाबी परिवादी के पास होने से काम पूरा नहीं कराया जा सका। हाउसिंग बोर्ड आज भी भवन का शेष बचा कार्य करने को तैयार है।
आयोग का फैसला
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने प्रकरण में पेश दस्तावेजों और प्रमाणों के आधार पर यह प्रमाणित पाया कि हाउसिंग बोर्ड ने आधे अधूरे मकान का आधिपत्य परिवादी को प्रदान किया था और परिवादी द्वारा बार बार लिखित रूप से निवेदन करने के बाद भी अधूरे निर्माण कार्य को पूरा नहीं किया गया, हाउसिंग बोर्ड ने परिवादी द्वारा मकान की चाबी उपलब्ध नहीं कराए जाने का बचाव तो लिया है परंतु उसके द्वारा परिवादी से मकान की चाबी मांगी गई थी, इस बात का कोई प्रमाण प्रकरण में पेश नहीं किया गया है। हाउसिंग बोर्ड अधूरे मकान का कब्जा देने के बाद अपनी जिम्मेदारियों से विमुख हो गया था। जिला उपभोक्ता आयोग ने हाउसिंग बोर्ड पर 7 लाख 3 हजार रुपये हर्जाना लगाया और साथ में 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी भुगतान करने का आदेश दिया।
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने आदेश में कहा कि हाऊसिंग बोर्ड द्वारा परिवादी ग्राहक को अधूरे बचे हुए काम को पूरा करवाने की लागत राशि 3 लाख 37 हजार रुपये और सर्विस टैक्स की राशि 2 लाख 64 हजार 2 सौ 35 रुपये देना होगा साथ ही पूरी रकम जमा कराने के बाद भी मकान बनाकर देने में किये गए अत्यधिक विलंब के कारण परिवादी को हुई मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति स्वरूप 1 लाख रुपये अलग से देना होगा और वाद व्यय रूप में 2 हजार रुपये भी भुगतान करना होगा।