भिलाई। 11 जनवरी : दि बुद्धिष्ट सोसायटी आॅफ इंडिया शाखा छ.ग.राज्य द्वारा प्रदेश के बिलासपुर, रायपुर, राजनांदगांव, बालोद, भिलाई, दुर्ग सहित अनेक जिलो मे गरिमामयी आयोजनो के माध्यम से माता सावित्री बाई फूले को नमन कर महिला शिक्षा व
विकास के क्षेत्र मे उनके योगदान को अतुलनीय व अविस्मरणीय करार दिया गया।
ग्राम मुल्लेगुडा जिला बालोद के वामन मलंग आश्रय मे तथागत भगवान गौतम बुद्ध की विशाल आकषर्क प्रतिमा का अनावरण करते हुए भदंत धम्मतप ने कहा कि भगवान बुद्ध की विचारधारा उनके आदर्श और सिद्धांत सिर्फ बौद्धो का ही नही वरन भारत के सभी नागरिको का कल्याण कर देश मे अमन चैन स्थापित कर सकते है बशर्ते लोग इसका पालन करे, उन्होंने कहा कि मिश्रित संस्कृति और दोहरी मानसिकता समाज और धर्म का नाश करती है इसलिए बुद्ध के कर्मवादी विज्ञानवादी धर्म का पालन बौद्धो को करना चाहिए। समारोह को अनिल मेश्राम, राजेन्द्र कान्हेकर, वामनराव वानखेड़े, डा. आर के सुखदेव, सुधेश रामटेके, नरेंद्र शेंडे, बिशेसर गजभिये ने भी संबोधित करते हुए कहा कि बुद्ध का मध्यम मार्ग विश्व कल्याण का आधार बन सकता है। समारोह मे छत्तीसगढ के विभिन्न क्षेत्रो से आये अनेक लोग उपस्थित थे।*
बुद्ध विहार भिलाई मे आयोजित सावित्री बाई फूले जयंती समारोह को संबोधित करते हुए बौद्ध विचारक जीडी राऊत ने कहा कि सावित्री बाई फूले ने महिलाओ को शिक्षा के अलावा उद्योग के क्षेत्र मे भी सक्रिय होने प्रेरित किया था, उनका मानना था कि जागृति और विकास हेतु प्रत्येक क्षेत्र मे व्यस्त रहना आवश्यक है। अध्यक्षता कर रही भारती खांडेकर ने कहा कि सावित्री बाई फूले और महात्मा ज्योतिबा फूले क्रांतिकारी परिवर्तक थे जिन्होंने अनेक परेशानियो के बावजूद बिना पीछे हटे जागरूकता हेतु परिश्रम किया। उन्होंने एक मधुर गीत गाकर सावित्री बाई फूले के महान कर्मो का बखान किया। श्रीमती अल्का बौद्ध और विद्या बौध्द ने कहा कि महिलाओ को शिक्षित होकर अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध एकजुट होना चाहिए। श्री मेश्राम ने कहा कि सभी संतो और महापुरुषो के सिद्धांतो को डा. बाबा साहेब आम्बेडकर ने भारतीय संविधान मे समाहित कर सभी वंचितो सहित आमजनो का कल्याण किया। कार्यक्रम का संचालन जयश्री बौद्ध महासचिव ने और आभार प्रदर्शन सीमा शेंडे सचिव ने किया। समारोह मे भारती खांडेकर, जयश्री बौद्ध, सीमा शेंडे, निर्मला गजभिये, नीतू डोंगरे, संगीता खोब्रागडे, वंदना पानतवने, विजया मेश्राम, अल्का तभाने, करूणा खोब्रागड़े, निकिता शेंडे, सरला कामड़े, सुषमा सालवटकर, प्रतिमा कामड़े, सविता मेश्राम, किरन सुखदेवे, सुशीला साखरे, केसर बौद्ध, सुधेश रामटेके, नरेंद्र शेंडे, राजू मेश्राम, गौतम खोबरागडे, बिशेसर गजभिये, ठानेन्द्र कामड़े, खरेन्द्र मेश्राम, युवराज गजभिये, शिवचरण पानतवने, भीमराव वाहने सहित अनेक लोग उपस्थित थे।