दुर्ग। 06 जनवरी : कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे की अध्यक्षता में जिला प्रबंधन समिति, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की बैठक संपन्न हुई। बैठक में वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) द्वारा जिले की दुर्ग, धमधा एवं पाटन जनपदों के लिये लक्षित 55 ग्राम पंचायतों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के विस्तृत कार्ययोजना का अनुमोदन हुआ। जिसमें जनपद पंचायत दुर्ग के 14, जनपद पंचायत धमधा के 17 एवं जनपद पंचायत पाटन 24 ग्राम पंचायतें शामिल हैं।
बैठक में जिला पंचायत दुर्ग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस आलोक ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा और उनके जीवन स्तर को उन्नत बनाना ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन का उद्देश्य है। उन्होनें बताया कि ठोस एवं तरल अपशिष्ट के 4 आर – रिफ्यूज, रिड्यूज, रियूज व रिसाईकल, सिद्धांत को लागू कर ठोस एवं तरल अपशिष्ट का पर्यावरणीय अनुकूल तकनीक के द्वारा समुचित निपटान,स्थानीय एवं कम लागत के तकनीकों का उपयोग करते हुए पर्यावरणीय स्वच्छता सुनिश्चित करना, अपशिष्ट से उर्जा रूपांतरित करने हेतु यथासंभव प्रयास करना, ठोस अपशिष्ट एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन में ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना, ग्रामीण क्षेत्रों के सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता को बढ़ावा देना, जिससे सामान्य स्वच्छता दृष्टिगोचर हो आदि एस.एल.डब्ल्यू.एम. के मूख्य उद्धेश्य हैं।
सीईओ जिला पंचायत ने बताया कि फेज 1 में विगत वर्ष 117 ग्राम पंचायतों के कार्ययोजना का अनुमोदन हुआ था जिसमें प्रथम चरण में 3 हजार से अधिक जनसंख्या वाली ग्राम पंचायतों को लक्षित किया गया था, जिसमें सांसद एवं विधायक आदर्श ग्राम भी सम्मिलित हैं। लक्षित समस्त ग्राम पंचायतो में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य पूर्ण किये जाने हेतु राशि जारी की जा चुकी है तथा 80 ग्रामों में कार्य पूर्ण हो चुका है शेष 37 ग्रामों में कार्य प्रगतिरत है, जिसे जनवरी अंत तक पूर्ण कर लिया जाएगा।
स्व-सहायता समूह के माध्यम से होगा डोर-टू-डोर कलेक्शन
सीईओ जिला पंचायत ने बताया कि लक्षित ग्रामों में घर-घर कचरा एकत्रीकरण का कार्य ग्रामों में गठित स्व-सहायता समूह के स्वच्छाग्राहियों के माध्यम से किया जाएगा।उन्होनें बताया कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रा.) फेस (II) में ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन हेतु 5 हजार तक जनसंख्या वाले गांव के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु रू. 60 प्रति व्यक्ति और तरल अपशिष्ट प्रबंधन हेतु रू. 280 प्रति व्यक्ति निर्धारित किया गया है।जिसमें जनसंख्या अनुसार 60 रू. प्रति व्यक्ति की दर से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु राशि रू. 1.00 लाख से कम आने पर अधिकतम राशि रू. 1.00 लाख ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु लिया जा सकता है एवं 5 हजार से अधिक जनसंख्या वाले गांव के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु रू. 45 प्रति व्यक्ति तरल अपशिष्ट प्रबंधन हेतु रू. 660 प्रति व्यक्ति लिया जाना है। 5000 से अधिक जनसंख्या वाले ग्राम पंचायतों के वित्तीय वर्ष 2018-19 में लक्षित किया जा चुका है।
वित्तीय अभिसरण से ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन के विभिन्न घटकों हेतु राशि का इंतजाम
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु व्यक्तिगत, सामुदायिक डस्टबिन 15 वें वित्त आयोग से,कचरा एकत्रित करने हेतु ट्राईसिकल, हाथ ठेला की खरीदी स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से पात्र हितग्राही के घरों में नाडेप, वर्मी कम्पोस्टिंग संरचना का निर्माण महात्मा गांधी नरेगा मद से व्यय होगा। सेग्रिगेशन शेड का निर्माण का कार्य महात्मा गांधी नरेगा पहुंच योग्य एवं गांव की परिधि में ही निर्मित किया जाएगा। माॅडल बायोगैस संयंत्र का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेस-2 से किया जावेगा एवं पारिवारिक, संस्थागत बायोगैस संयंत्र निर्माण हेतु नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय (अक्षय उर्जा) द्वारा एम.एन.आर.ई के मार्गदर्शिकानुसार सब्सीडी दी जा सकती है। सामुदायिक नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट पिट आदि का निर्माण (जहाॅ आवश्यक हो) स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) एवं महात्मा गांधी नरेगा से किया जा सकता है। कम्पोस्ट पिट के निर्माण में लगने वाली श्रम लागत मनरेगा अभिसरण से वहन होगी। केटल शेड का निर्माण महात्मागांधी नरेगा से मार्गदर्शिका अनुसार किया जा सकता है। सभी विकासखंड में एक प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन ईकाई स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से निर्मित किया जायेगा। कचरा एकत्रित करने हेतु व्यक्ति, स्वच्छाग्राही स्व-सहायता समूह को संलग्न किया जावेगा, जिसके मानदेय का भुगतान ग्राम से एकत्र यूजर चार्ज एवं बिजनेस माॅडल से प्राप्त राशि एवं कमी होने पर 15वाॅ वित्त की राशि से किया जा सकता है। स्व-सहायता समूह के अधिकतम 06 सदस्य प्रत्येक 05 दिन में एक बार कचरा एकत्रित करेंगे, जिन्हें न्यूनतम निर्धारित मजदूरी का भुगतान किया जा सकता है। कचरा एकत्रित करने हेतु संलग्न व्यक्ति, स्व-सहायता समूह के लिये सहयोगी उपकरण एवं सुरक्षा उपकरण 15 वें वित्त आयोग, वल्र्ड बैंक परफारमेंस ग्रांट, डी.एफ.एफ. या सी.एस.आर. के अभिसरण से व्यय किया जायेगा। एस.एल.डब्ल्यू.एम. अंतर्गत रख-रखाव व संचालन व्यय ग्राम से प्राप्त यूजर चार्ज एवं बिजनेस माॅडल से प्राप्त राशि एवं कमी होने पर 15वाॅ वित्त की राशि का उपयोग किया जावेगा। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से प्रावधानित राशि 70 प्रतिशत होगी जिसका समानुपातिक 30 प्रतिशत राशि का व्यय 15 वें वित्त आयोग के अंतर्गत 50 प्रतिशत टाईड फंड से किया जाना अनिवार्य है। इसी प्रकार तरल अपशिष्ट प्रबंधन हेतु घरों से निकलने वाले अपशिष्ट जल के लिये सोख्ता गड्ढा निर्माण पेयजल स्त्रोत से निकलने वाले अपशिष्ट जल हेतु सोख्ता गड्ढा निर्माण महात्मा गांधी नरेगा या स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजनाओं के अभिसरण से व्यय किया जा सकेगा।उक्त मजदूरी का भुगतान महात्मागांधी नरेगा से अभिसरण किया जाना है। सामुदायिक सोख्ता गड्ढे का निर्माण महात्मा गांधी नरेगा,स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) या दोनों योजनाओं के अभिसरण से किया जा सकता है, सोख्ता गड्ढे, गे्र वाटर प्रबंधन एवं अन्य पद्वति के निर्माण में लगने वाली श्रम लागत मनरेगा या अन्य योजनाओं के अभिसरण से प्राप्त की जायेगी।सी.सी. रोड युक्त ग्रामों में नाली निर्माण ग्राम पंचायत के द्वारा 15 वें वित्त आयोग के अनुदान या केन्द्र, राज्य की सरकारी योजनाओं जैसे मनरेगा के अभिसरण से संबंधित योजना की मार्गदर्शिका अनुसार ही व्यय किया जा सकता है।दूषित जल के उपचार हेतु त्रि-स्तरीय स्थिरीकरण टेंक (3 stage stabilçation pond) महात्मा गांधी नरेगा, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) या दोनो योजनाओं के अभिसरण एवं 15वाॅ वित्त आयोग से मार्गदर्शिका अनुसार व्यय किया जा सकता है। यथासंभव मजदूरी का भुगतान हेतु महात्मा गांधी नरेगा से होगा। अपशिष्ट प्रबंधन मुख्यतः परिवार स्तर पर केन्द्रित किया जायेगा। इससे प्रबंधन दीर्घकालिक होगा तथा उसकी लागत कम होगी। ऐसे अपशिष्ट जिनका प्रबंधन परिवार स्तर पर संभव नहीं है, सामुदायिक स्तर पर किया जायेगा।
जैविक कचरे से बनेगा कम्पोस्ट
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की प्रक्रिया अंतर्गत घरेलू स्तर पर गीला एवं सूखा कचरा पृथक-पृथक रखा जायेगा। जैविक कचरा जहाॅ उत्पन्न होता है यथासंभव वहीं प्रबंधित किया जायेगा। सामुदायिक स्तर पर कम्पोस्ट पिट, नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट इत्यादि आवश्यकतानुसार निर्मित किये जायेगा। अजैविक कचरा को सामुदायिक स्तर पर संग्रहण एवं पृथक्करण हेतु स्वच्छाग्रही स्व-सहायता समूह द्वारा ले जाया जायेगा। अजैविक कचरे को रिसाईकलेबल एवं नाॅन रिसाईकलेबल भाग में पृथक किया जायेगा। रिसाईकल योग्य कचरे को कबाड़ीवाले को उचित दामों में बेचा जायेगा। रिसाईकल न होने योग्य कचरे को यथासंभव सजावटी सामान अथवा ऐसे रूप में परिवर्तित करना जिसको उपयोग हेतु अधिक दामों पर बेचा जा सके। शेष बचे ऐसे प्लास्टिक कचरे को ब्लाॅक स्तर पर संचालित प्लास्टिक प्रबंधन ईकाई को भेज दिया जायेगा जहाॅ उसे अगले चरण में प्रोेसेस किया जायेगा, जैसे सड़क निर्माण हेतु सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग। इसके अतिरिक्त भी ऐसा कचरा जो किसी भी उपयोग योग्य न हो, उसे भू-भरण हेतु भेजा जा सकता है।तरल अपशिष्ट प्रबंधन की प्रक्रिया अंतर्गत तरल अपशिष्ट जहाॅ उत्पन्न होता है यथासंभव वहीं घरेलू सोख्ता गड्ढा, किचन गार्डन, ग्रे-वाटर पुनः उपयोग संरचना के माध्यम से प्रबंधित किया जायेगा। सामुदायिक स्तर पर जैसे हैण्डपंप, सार्वजनिक नल, स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्र, पंचायत भवन इत्यादि से निकलने वाले तरल अपशिष्ट हेतु सामुदायिक सोख्ता गड्ढा, लीच पिट, त्रि स्तरीय स्टेब्लाइजेशन पाॅड आदि के माध्यम से किया जायेगा। सेप्टिक टैंक से निकलने वाले ब्लेक वाटर को यथासंभव सेप्टिक टैंक के समीप लीचपिट बनाकर उचित निपटान किया जायेगा। सेप्टिक टेंक भरने के उपरांत निकलने वाले स्लज के हेण्डलिंग में मैनुअल स्केवेजिंग न हो यह सुनिश्चित किया जायेगा।Prohibition of Employment as Manual Scavenger Act 2013 मैनुअल स्केवेजिंग दण्डनीय अपराध है। साथ ही यह ध्यान रखा जाना है कि किसी भी प्रकार से सेप्टिक टैंक से निकलने वाले स्लज को खुले अथवा जल स्त्रोत में न डाला जाये।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा संक्रमणकारी कचरे का उचित प्रबंधन
संक्रमणकारी कचरा प्रबंधन की प्रक्रिया अंतर्गत घरेलू स्तर पर उत्पन्न होने वाले संक्रमणकारी कचरा यथा सेनेटरी नेपकीन, बच्चों के डायपर, परिवार नियोजन के साधन इत्यादि को घर के स्तर पर जमीन में 01 फिट गहरा गड्ढा कर गाड़ना अथवा सेनेटरी नेपकीन, बच्चों के डायपर, परिवार नियोजन के साधन, घाव की पट्टी व मेडिकल वेस्ट आदि को पेपर में बांधकर लाल निशान लगाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कचरा निष्पादन इकाई में दिया जायेगा। संक्रमणकारी कचरे का उचित प्रबंधन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जायेगा। सामुदायिक स्तर पर यदि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अथवा उद्योग द्वारा संक्रमणकारी, रासायनिक अपशिष्ट कहीं पंचायत की परिधि में बिना उपचार के निपटान किया जाता है तो इस दशा में अपशिष्ट उत्पादक संस्थान को यह अनिवार्य किया जायेगा कि वे संक्रमणकारी कचरे का इस प्रकार उचित निपटान करे जिससे किसी भी प्रकार के संक्रमण फैलने की संभावना न हो। इलेक्ट्रानिक कचरा प्रबंधन की प्रक्रिया अंतर्गत इलेक्ट्राॅनिक कचरा जैसे बैटरी, चिपसेट, पुराने टेप रिकार्डर, पुराने टी.व्ही., रेडियो, मोबाईल, स्विच, वायर इत्यादि का निपटान कचरा संग्राहक को देकर अथवा कचरा संग्रहण केन्द्र पर दिया जायेगा। बैठक में राजपूत उपसंचालक, कृषि, प्रवास सिंग बघेल जिला शिक्षा अधिकारी, श्रीमती प्रियवंदा रामटेके सहायक आयुक्त, आदिम जाति एवं कल्याण विभाग, बीजी तिवारी कार्यपालन अभियंता, तांदुला जल संसाधन, समीर शर्मा कार्यपालन अभियंता, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, अमित अग्रवाल कार्यपालन अभियंता, ग्रामीण यांत्रिकी सेवाएं सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।