प्राणिक हीलिंग, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह एक तरह का प्राणायाम है जो प्राण बढ़ने के लिए किया जाता है। यह एक वैज्ञानिक विद्या है जो प्राण ऊर्जा पर आधारित है। प्राण शरीर और इसमें स्थित चक्रों को देख कर रोग का पता लगाया जाता है। इस ऊर्जा से कई प्रकार के रोगों का उपचार किया जाता है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि यह एक तरह की चिकित्सा थेरेपी है जिसकी मदद से बिना किसी दवा का इस्तेमाल किये कई तरह के जटिल रोगों का इलाज किया जाता है। प्राणिक हीलिंग के अंतर्गत शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक रोगों तथा इसके अलावा सौंन्दर्य सम्बन्धी रोगों का उपचार भी संभव है। यदि आपने ध्यान दिया होगा तो देखा होगा कि प्राचीन समय के महापुरुष आदि के सिर के पीछे हमेशा एक प्रकाश फैला रहता था, उनके सर के सन्मुख स्वर्ण आभा बनी रहती थी। बता दें कि इस चिकित्सा प्रणाली में व्यक्ति का उपचार रंगों के माध्यम से किया जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं इस सृष्टि में विभिन्न रंग हैं और प्रत्येक रंग के अनगिनत भेद हैं, इन्ही में से कई हमें सुखद अनुभूति कराते हैं तो कुछ निराशा के प्रतीक भी होते हैं। प्राणिक हीलिंग एक अत्यंत शक्तिशाली विज्ञान है, एक आध्यात्मिक चिकित्सक को इस विज्ञान का प्रयोग करने से पूर्व ध्यान एवं योग की कुछ क्रियाओं का नियमित अभ्यास कर स्वयं को चेतना के एक स्तर पर लाना होता है।
मनोविज्ञानिक भी सलाह देते हैं की इस योग क्रिया की मदद से कई तरह के जटिल रोगों का आसानी से इलाज किया जा सकता है। आइये जानते हैं किस तरह से प्राणिक हीलिंग की मदद से रोगों का इलाज कैसे किया जाता है और किस हद तक यह कारगर साबित होता है। सबसे पहले यदि हम बात करें शारीरिक रोगों के इलाज की तो आपको बता दें कि प्राणिक हीलिंग की मदद से डायबिटिज, एन्जाईना, हृदय रोग, गुर्दे की पथरी और विकार, आंतों की सूजन, अल्सर, रक्त स्त्राव, आधे सिर का दर्द, आँखों की कम होती रौशनी, मोतियाबिन्द, बहरापन, सांस का रोग, दमा, पाचन तंत्र के रोग, भूख न लगना, उल्टी, कब्ज व दस्त, पीलिया व लीवर के रोग, गठिया, चर्म रोग, प्रजनन संबंधित रोग , लकवा, गर्दन का दर्द, स्पान्डलाईटिस, हाई ब्लड प्रेशर, गाल ब्लैडर स्टोन, ट्यूमर, फ्रोजन सोल्डर आदि तमाम तरह के विकारों का इलाज संभव है वह भी बिना किसी दवा के।
बात करें मानसिक एवं भावनात्मक रोगों की तो आपको बता दें कि प्राणिक हीलिंग की मदद से मनोविकार, मिर्गी, चिन्ता, उदासी, भय, आत्महत्या की प्रवृति, शराब या किसी अन्य नशे की लत आदि का उपचार संभव है। सिर्फ इतना ही नहीं प्राणिक हीलिंग सौन्दर्य सम्बन्धी विकार भी दूर करता है मोटापे की समस्या, कील-मुहांसे की समस्या, लम्बाई ना बढ़ना, जले-कटे निशानो को मिटाना आदि।
प्राणिक हीलिंग से उपचार की विशेषता
उपचार की इस विधि में ना तो मरीज को स्पर्श किया जाता है और न ही किसी प्रकार की कोई दवा दी जाती है। बताते चलें कि प्राणिक हीलिंग उपचार के भी कई अलग अलग रूप हैं और आज हम आपको इन तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं।
सीधा उपचार : इस प्रकार के उपचार में प्राणिक हीलर द्वारा रोगी को अपने ठीक सामने बैठाकर उपचार किया जाता है।
दूरस्थ उपचार : प्राणिक हीलिंग से उपचार का यह माध्यम उन लोगों के लिए ज्यादा कारगर साबित होता है जो इलाज कराने हीलर के पास नहीं आ पाते, इस प्रक्रिया में रोगी की अनुपस्थिति में भी उपचार संभव है।
स्वयं की हीलिंग: ध्यान देने वाली बता यह हैं कि प्राणिक हीलिंग का एक खास लाभ यह भी है कि इसकी मदद से ना सिर्फ आप खुद को प्रशिक्षित कर सकते हैं बल्कि स्वयं अपने को स्वस्थ भी रख सकते है।
क्रिस्टल हीलिंग : प्राणिक हीलिंग में कई बार चिकित्सक उपचार के लिए क्रिस्टल का भी उपयोग करता है। आपको पता होना चाहिए कि क्रिस्टल एक प्रभावशाली ऊर्जा विकिरण का स्त्रोत माना जाता है। अधिकांश शल्य चिकित्सक, चिकित्सा से पहले और बाद में रोगी के मानसिक आघात को कम करने के लिये क्रिस्टल का उपयोग करते है। मानसिक शांति एवं तनाव को दूर करने के लिये व्यक्ति के विभिन्न चक्रो पर क्रिस्टल रखे जाते है। जो उचित दिशा निर्देशो के माध्यम से व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर देते है। इसके अलावा शारिरीक बीमारियों के लिये प्राणिक हिलर क्रिस्टल द्वारा ब्रह्मांड से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर रोगी के शरीर में प्रवाहित करते है एवं रोगी की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते है।