आज पूरे देश में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (National Consumer Day) उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह दिवस उपभोक्ताओं के महत्व, उनके अधिकारों एवं जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर वर्ष 24 दिसंबर को मनाया जाता है। उपभोक्ता अधिकार केवल कानून नहीं, बल्कि सम्मान और सुरक्षा की गारंटी हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जागरूकता ही सबसे बड़ी ताकत है। हर नागरिक का दायित्व है कि वह न केवल अपने अधिकारों को जाने, बल्कि दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करे।
रोजमर्रा की जीवन-व्यवहार में हम सभी वस्तुओं व सेवाओं के उपभोक्ता होते हैं। उपभोक्ता किसी भी बाज़ार-व्यवस्था का अहम हिस्सा होते हैं और उनके हितों की रक्षा करना एक मजबूत लोकतंत्र की पहचान है। आज का दिवस हमें याद दिलाता है कि हर उपभोक्ता को गुणवत्ता, सुरक्षा और न्यायपूर्ण व्यवहार का पूरा अधिकार है। यह दिवस उपभोक्ताओं को सशक्त बनाता है, जिससे वे जागरूक होकर सही खरीदारी कर सकें और अनुचित प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठा सकें। भारत में ई-दाखिल, ई-कॉमर्स नियमन और उत्पाद दायित्व जैसी पहलें उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करती हैं।
राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस और विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस
राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस (24 दिसंबर) 2025 का विषय “डिजिटल न्याय के साथ सक्षम और त्वरित निष्पादन” (Efficient and Speedy Disposal through Digital Justice) है, जो त्वरित शिकायत निवारण पर केंद्रित है, जबकि विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (15 मार्च) 2025 का विषय “स्थायी जीवनशैली की ओर एक न्यायोचित परिवर्तन” (A Just Transition to Sustainable Lifestyles) है, जो टिकाऊ विकल्पों पर जोर देता है; दोनों दिवस उपभोक्ताओं के अधिकारों और सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हैं, इतिहास 1962 के जॉन एफ. कैनेडी के भाषण से जुड़ा है, और भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की स्मृति में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का इतिहास
भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का ऐतिहासिक आरंभ 24 दिसंबर 1986 को हुआ जब उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act, 1986) को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई और लागू किया गया। इस कानून के लागू होने के बाद ही 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाने की परंपरा स्थापित हुई। बाद में इस अधिनियम को 2019 के नए उपभोक्ता संरक्षण कानून (Consumer Protection Act, 2019) द्वारा और भी मजबूत बनाया गया, ताकि डिजिटल और ऑनलाइन बाज़ार में उपभोक्ताओं को भी पूर्ण सुरक्षा उपलब्ध हो।
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाने के मुख्य उद्देश्य हैं:
* उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के विषय में जागरूक करना।
* बाज़ार में अनुचित व्यापार प्रथाओं, गलत विज्ञापन और शोषण के खिलाफ सजग रहना।
* उपभोक्ता हितों की रक्षा हेतु कानूनी उपायों के बारे में जानकारी देना।
संतुलित और पारदर्शी बाज़ार सुनिश्चित करना।
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का महत्व
यह दिन न केवल एक औपचारिक आयोजन है, बल्कि यह उपभोक्ता समुदाय में सशक्तिकरण की भावना को जगाता है। जागरूक उपभोक्ता बाज़ार में गुणवत्ता और न्यायपूर्ण व्यवहार की मांग करते हैं, जिससे व्यापारों और सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ती है। आज के डिजिटल युग में, ऑनलाइन खरीद-फरोख़्त और ऐप-आधारित सेवाओं के साथ जुड़ी चुनौतियों के कारण यह दिवस और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है।
उपभोक्ता के अधिकार
कानून के अंतर्गत उपभोक्ताओं को कई महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
सुरक्षा का अधिकार: हानिकारक वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा।
जानकारी का अधिकार: उत्पाद/सेवा के बारे में सही व पूर्ण जानकारी।
चुनने का अधिकार: विविध विकल्पों में स्वतंत्रता से चयन।
सुनवाई का अधिकार: अपनी बात सरकार या आयोग के सामने रखने का अधिकार।
न्याय का अधिकार: दोषपूर्ण सामान या सेवा के लिए रिफंड/बदलाव/मुआवज़ा की मांग।
शिक्षा का अधिकार: उपभोक्ता संरक्षण तथा जागरूकता सम्बन्धी शिक्षा।
उपभोक्ता जागरूकता
इस अवसर पर सरकारी विभाग, उपभोक्ता संगठन, शैक्षणिक संस्थान एवं सामाजिक संगठन देशभर में कार्यशालाएँ, जागरूकता अभियानों और सेमिनारों का आयोजन कर रहे हैं ताकि आम नागरिक अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हों। लोग गलत प्रथाओं के खिलाफ रिपोर्ट करने, शिकायत दर्ज करने और कानून के तहत न्याय प्राप्त करने के तरीकों से भी अवगत किए जा रहे हैं।
उपभोक्ता कौन है?
जो व्यक्ति किसी वस्तु या सेवा को खरीदता है या उपयोग करता है, वह उपभोक्ता कहलाता है — चाहे वह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन।
भारत में उपभोक्ताओं के प्रमुख अधिकार
1. सुरक्षा का अधिकार (Right to Safety) : उपभोक्ता को ऐसी वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा का अधिकार है जो जीवन और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हों।
2. जानकारी का अधिकार (Right to Information) : उत्पाद या सेवा की कीमत, गुणवत्ता, मात्रा, निर्माण तिथि, एक्सपायरी, जोखिम आदि की सही जानकारी मिलना उपभोक्ता का अधिकार है।
3. चयन का अधिकार (Right to Choice) : उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से स्वतंत्र रूप से चुनाव करने का अधिकार है।
4. सुनवाई का अधिकार (Right to Be Heard) : यदि उपभोक्ता को शिकायत है, तो उसकी बात को सरकारी मंच या आयोग में सुना जाना चाहिए।
5. न्याय पाने का अधिकार (Right to Redressal) : दोषपूर्ण वस्तु या खराब सेवा के लिए उपभोक्ता को
* रिफंड
* वस्तु बदलवाने
* मुआवज़ा पाने का अधिकार है।
6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार (Right to Consumer Education) : उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों, कानूनों और संरक्षण उपायों की जानकारी मिलनी चाहिए।
उपभोक्ता के कर्तव्य (जिम्मेदारियाँ)
* खरीदते समय बिल अवश्य लें* एमआरपी, एक्सपायरी और गुणवत्ता जांचें
* फर्जी विज्ञापनों से सावधान रहें
* अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें
शिकायत कैसे दर्ज करें? (स्टेप बाय स्टेप)
1. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH)
टोल फ्री नंबर: 1915
वेबसाइट: consumerhelpline.gov.in
2. ऑनलाइन शिकायत – ई-दाखिल पोर्टल
edaakhil.nic.in
यहाँ आप घर बैठे उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
3. उपभोक्ता आयोग में शिकायत
जिला उपभोक्ता आयोग
राज्य उपभोक्ता आयोग
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग
(मामले की राशि के अनुसार)
2025 में उपभोक्ता संरक्षण की विशेष बातें
* ऑनलाइन खरीद-फरोख्त पर विशेष सुरक्षा
* भ्रामक विज्ञापनों पर सख्त कार्रवाई
* डिजिटल सेवाओं में उपभोक्ता अधिकार
✔ ई-कॉमर्स कंपनियों की जवाबदेही
उपभोक्ता जागरूकता का संदेश
“जागरूक उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।”
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस केवल एक दिन का समारोह नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता सशक्तिकरण की निरंतर प्रक्रिया का प्रतीक है। जब उपभोक्ता अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जानते हैं, तब वे शोषण, धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। इस जागरूकता के साथ ही एक सशक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी बाज़ार विकसित होता है, जो सम्पूर्ण समाज के विकास में योगदान देता है।



