दुर्ग। 21 नवम्बर, 2025, (सीजी संदेश) : सांस्कृतिक कॉलेज, ग्राम खपरी में “भारतीय ज्ञान परंपरा एवं आधुनिक शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वार्ता का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय परंपरा के अनुसार ज्ञान की देवी माता सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात् छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना प्रस्तुत की गई तथा अतिथियों का शाल एवं श्रीफल स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का भी आकर्षक प्रदर्शन किया गया। दुर्ग सांसद विजय बघेल ने स्वयं व्यंजनों का स्वाद चखकर उनकी सराहना की और आयोजकों को बधाई दी। कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख अतिथि एवं देव संस्कृति प्रतिनिधि प्रशांत श्रीवास्तव दुर्ग विश्वविद्यालय डॉ. हेमचंद यादव विभाग जूलॉजी सुश्री सारिका शर्मा जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली डॉ. ज्योति शर्मा निदेशक सुश्री ज्योति दुबे हेड सुश्री ममता दुबे अपने संबोधन में डॉ. ज्योति शर्मा ने कहा कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा और आधुनिक शिक्षा के बीच सेतु निर्माण ही नए भारत के निर्माण का मूल आधार है।
सांसद विजय बघेल ने कहा कि भारत संतों, साधुओं, सनातन परंपराओं और राम, कृष्ण, शिव की आध्यात्मिक धरोहर वाला देश है। उन्होंने कहा “भारत अपनी महान संस्कृति और संस्कारों के साथ नए युग की ओर आगे बढ़ रहा है। गुलामी के समय हमारी गुरुकुल परंपरा को समाप्त कर दिया गया और हमें अंग्रेज़ी शिक्षा पद्धति अपनाने को विवश होना पड़ा, जिससे हमारी संस्कृति और शिक्षा को गंभीर क्षति पहुँची। अब नए भारत में भारतीय शिक्षा पद्धति को पुनः स्थापित करने के लिए व्यापक कार्य हो रहा है।”
उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के पश्चात् शिक्षा के क्षेत्र में बड़े स्तर पर सुधार हुए हैं और नया भारतीय पाठ्यक्रम भारतीयता के मूल्यों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
प्राकृतिक उर्वरकों पर प्रदर्शन
कार्यक्रम में प्राकृतिक उर्वरक निर्माण के बारे में भी जानकारी दी गई। चाय की पत्तियों से तैयार प्राकृतिक खाद, पौधों में होने वाले फंगस रोगों पर प्राकृतिक नियंत्रण एवं मिट्टी के लिए लाभदायक कम लागत वाले जैविक उपायों का प्रदर्शित किया गया। यह पूरी तरह प्राकृतिक एवं रासायनिक दवाओं की तुलना में अधिक सुरक्षित एवं सस्ता विकल्प बताया गया। कार्यक्रम के अंत में निदेशक डॉ. ज्योति शर्मा ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।



