शारदीय नवरात्र का पर्व शुरू हो चुका है। ये पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं। ये त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन अलग-अलग हिस्सों में इसका स्वरूप अलग होता है। कहीं गरबा और डांडिया होता है, तो कहीं माता की चौकी और जागरण। देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाते हैं। दुर्गा पूजा की सबसे खास बात ये होती है कि इसका आरंभ अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नहीं बल्कि षष्ठी तिथि से होता है। दरअसल, बंगाल आदि राज्यों में माना जाता है कि मां दुर्गा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में अपने बच्चों के साथ कैलाश से धरती पर अपने मायके आती हैं। ये पर्व एक बेटी के अपने मायके आने का माना जाता है। आइए जानें इस पर्व से क्या मान्यताएं जुड़ी हैं और इस साल इसकी शुरुआत किस दिन से हो रही है।
28 सितंबर 2025 रविवार को दुर्गा पूजा का पहला दिन महाषष्ठी है, जिसकी शुरुआत सुबह 6:08 बजे से 10:30 बजे के बीच मूर्ति स्थापना के शुभ मुहूर्त में होगी. इस दिन बिल्व निमंत्रण और पंडाल सजाने की परंपरा निभाई जाती है और मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. चौघड़िया के अनुसार, दिन का शुभ समय 6:08 AM से 7:41 AM तक है, जबकि शुभ-उत्तम चौघड़िया 10:41 AM से 12:11 PM तक रहेगा.
दुर्गा पूजा की परंपराएं
दुर्गा पूजा पांच दिनों का पर्व है और इसमें पंचमी तिथि पर मां को बिल्व निमंत्रण भेजकर आमंत्रित किया जाता है। दुर्गा पूजा में कलश स्थापना प्रतिपदा के दिन नहीं पंचमी तिथि पर होती है। इसके बाद से दुर्गा पूजा का पर्व शुरू हो जाता है। षष्ठी तिथि के दिन कल्पारंभ, अकाल बोधन, आमंत्रण और अधिवास होता है। वहीं, सप्तमी तिथि पर कोलाबौ होता है और अष्टमी तिथि के दिन 12 बजे भोग आरती होती है। संधि पूजा की जाती ह। नवमी के दिन महानवमी, दुर्गा बलिदान और नवमी होम होता है। दशमी इस पर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन सिंदूर खेला की रस्म की जाती है। महिलाएं इस दिन मां दुर्गा के चरणों में जो सिंदूर अर्पित करती हैं उसी को पूरी साल लगाती हैं। इसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और इसका उत्सव मनाती हैं, जिसे सिंदूर खेला कहते हैं। इसके बाद मां को विदा कर विसर्जित कर दिया जाता है।
28 सितंबर (महाषष्ठी) के लिए शुभ मुहूर्त और चौघड़िया:
मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त:सुबह 06:08 बजे से 10:30 बजे तक.
ब्रह्म मुहूर्त:
सुबह 04:36 एएम से 05:24 एएम तक.
अभिजीत मुहूर्त:
सुबह 11:48 एएम से 12:35 पी एम तक.
दिन का शुभ चौघड़िया मुहूर्त:
सुबह 06:08 बजे से 07:41 बजे तक, और 10:41 बजे से 12:11 बजे तक.
विजय मुहूर्त:
दोपहर 02:11 पी एम से 02:59 पी एम तक.
पूजा विधि विधान:
मूर्ति स्थापना: दुर्गा पूजा की मूर्ति का स्थापना सुबह के शुभ मुहूर्त में की जाती है.
मां कात्यायनी की पूजा: इस दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है.
बिल्व निमंत्रण: बिल्व निमंत्रण की परंपरा का पालन किया जाता है, जिसमें देवी दुर्गा के आवाहन के लिए बेल के पेड़ का निमंत्रण दिया जाता है.
पंडाल सजाना: पंडालों को सजाया जाता है और दुर्गा पूजा की तैयारी की जाती है.
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