भिलाई 22 सितंबर 2025। स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के आह्वान पर बुधवार 24 सितंबर को बोरिया गेट में सीटू, प्रबंधन के अड़ियल मनमर्जी के खिलाफ प्रदर्शन करने जा रहा है।20 सितंबर को बोनस पर बात करने के लिये सब कमेटी की बैठक हुई, जिसमें यूनियनों ने तर्क के साथ ₹40500/- देने की बात को रखा वही प्रबंधन शुरू से ही भ्रमित करने वाले फार्मूले का हवाला देकर ₹29500/- देने की बात करने लगा l यूनियनें धीरे-धीरे उतरकर ₹32500/- पर आ गये और प्रबंधन का आखिरी प्रस्ताव ₹31000/- से आगे बढ़ने को तैयार नहीं हुआ। बैठक बिना किसी सहमति के समाप्त हो गई और अब यह बात सामने आ रही है कि स्थानीय प्रबंधन ने बोनस खाते में डालने के लिए पूरी तैयारी कर ली है तथा ₹31000/- का प्रस्ताव देने वाला सेल प्रबंधन ₹29500/- कर्मियों के खाते में डालने जा रहा है यदि ऐसा हुआ तो कर्मियों के सामने प्रबंधन के बातों की सच्चाई एवं ईमानदारी सामने आ जाएगी।*₹1000/- बोनस बढ़ने से सेल का खर्च होता है लगभग चार करोड़ रुपए*
प्रबंधन ने बोला कि ₹1000/ बोनस बढ़ाने पर लगभग चार करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आता है किंतु यह बात प्रबंधन कभी भी अधिकारियों को पीआरपी देते समय नहीं कहता है जिन कर्मियों के बूते पर उत्पादन होता है उन्हीं के लिए प्रबंधन पाई पाई का हिसाब जोड़ने लगता है लेकिन प्रबंधन एक बात अच्छे से समझ ले कि 3000 करोड़ रुपए का मुनाफा केवल और केवल कर्मियों के मेहनत से किए जाने वाले उत्पादन के बल पर हो रहा है इसलिए कर्मियों की धैर्य की परीक्षा ना ले।
बोनस बैठक के दिन प्रबंधन यूनियनों के साथ ना सिर्फ अनर्गल बयान बाजी करता रहा बल्कि यूनियनों की एकता तोड़ने की नाकाम कोशिश भी किया किंतु कामयाब नहीं हो सका अपने कोशिशों में नाकाम होता देख प्रबंधन झुंझला भी गया और बैठक को बिना नतीजे पर पहुंचते ही समाप्त भी कर दिया जिसकी सच्चाई अब लोगों के सामने आने लगी है। ज्ञात हो कि प्रबंधन की ऐसी ही कोशिश 22 से 27 जून 2021 को वेतन समझौता के ऑनलाइन मीटिंग में भिलाई इस्पात संयंत्र सहित सभी संयंत्रों के कर्मी देख चुके हैं इसीलिए कर्मी अब प्रबंधन के झांसे में नहीं आने वाले। सीटू ने कहा कि प्रबंधन लगातार तानाशाह होता जा रहा है कर्मियों का प्रतिनिधित्व करने वाले यूनियनों की बैठक तो बुलाता है किंतु उनके सामने ऐसे प्रस्ताव को रखता है जिसे मानना संभव नहीं है प्रबंधन के सामने तर्कसंगत बातों को रखने के बावजूद प्रबंधन बेतुके तरीके से ना करता रहता है इसके लिए संघर्ष एकमात्र विकल्प है।