भिलाई 19 सितंबर 2025। जीवन आनंद फाउंडेशन भिलाई एवं भाजपा नेता विनोद सिंह द्वारा आयोजित श्री राम कथा महिमा पूज्य राजन जी महाराज के मुख से रामकथा के आठवें दिन हजारों की संख्या में भिलाई वासियों रामभक्तों श्रवण किया। कथा में कई विशिष्ट और अतिविशिष्ट अतिथि भी पहुंचे जिनमें भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के प्रधानपुजारी जी पहुंचे हुए थे, प्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री गजेंद्र सिंह यादव की धर्मपत्नी सपरिवार पहुंचे, दुर्ग पुलिस अधीक्षक श्री विजय अग्रवाल सपरिवार, भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री अवधेश चंदेल , केके मेमोरियल स्कूल के संस्थापक श्री केके झा समेत कई नेता, वरिष्ठ नागरिक एवं व्यापारी वर्ग पहुंचे ।पूज्य राजन जी ने कथा की शुरुआत अयोध्या कांड से ही की जब भरत जी राम जी को मनाने निकले पूरी प्रजा उनके साथ निकली सिंहवेदपुर तक रथ से पहुंचने के बाद उन्होंने सभी अयोध्यावासियो को विदा कर पैदल पैदल निकल गए। क्योंकि सिंहदेव पुर ही वो स्थान है जहां से श्री राम जी भी वन की पैदल चले थे। चित्रकूट से अपने अश्व जिसका नाम कोतल था उसकी लगाम हाथ में पकड़कर पैदल ही चल रहे थे।जब प्रयाग में गए तो त्रिवेणी में स्नान किया भारत जी ने और कहा मांगो वरदान जो मांगना है, महाराज जी ने कहा किसी भी ईश्वर से मांगना है, तो अपने ईश्वर के प्रति प्रेम मांगिए। यदि आप रामभक्त है और कृष्ण के मंदिर जातें है तो कृष्ण जी से राम के प्रति अपार प्रेम मांगिए। कोई क्या कह है इसपर मत जाना, कौन कह रहा है इसपर जाइए। जीवन में कभी भी भगवान के भक्त के साथ अपराध मत करना राम जी से साथ अपराध करने वाले तो बच सकते है लेकिन राम जी के भगत का कभी अनादर नहीं करना चाहिए।दो तरह के लोग जिसके पास भी होते उन्हें कोई भी लक्ष्य हासिल हो सकता है एक जो उसके लिए किसी हद तक जा सकता है। दूसरा कहने पर किसी हद तक जा सकता है। राम जी के पास ऐसे दोनों लोग थे जिनमें एक का नाम भरत था और दूसरे का नाम लक्ष्मण।महाराज जी ने भरत प्रेम का मनोरम चित्रण करते हुए समाज को संदेश दिया।
भाई को भाई से भँटवारा करना है तो संपत्ति का बटवारा नहीं करना चाहिए बल्कि विपत्ति का बंटवारा करना चाहिए। श्री राम जी ने भरत जी से कहा आज अयोध्या पर विपत्ति आई है चलो इसका बंटवारा करते है। मै 14 वर्ष वन में रहूंगा। भरत जी ने चिन्ह स्वरूप राम जी उनकी चरण पादुका ले ली और अयोध्या में स्थापित कर उसकी पूजा करने लगे। भाई वन में जमीन में सोते थे इसीलिए वे भी जमीन में सोते है। इसीलिए अयोध्यावासी उनके लिए अपार प्रेम करते है।मां का उपकार मनुष्य जीवन में बताते हुए कहा कि यदि शरीर का मांस निकालकर सात जन्मों तक भी मां की जूती बनाकर पहनाई जाए तब भी मां का ऋण नहीं उतारा जा सकता है। सीता मां जो जगत की माता है उनके जगत के प्रति प्रेम का वर्णन करते हुए महाराज जी ने यह बात कही।अयोध्या कांड के बाद महाराज जी अरण्य कांड में पहुंचे जहां श्री राम और माता शबरी के आत्मीय भेंट का वर्णन किया। कैसे भीलनी महिला ने दस हजार वर्ष तक प्रतीक्षा करने के बाद राम जी के दर्शन किए। शबरी और राम के प्रेम का इतना सजीव चित्रण प्रस्तुत किया कि श्रोताओं के नेत्रों से अश्रु की धार बहने लगी। इस अवसर पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल सपरिवार पहुंचे थे।