नई दिल्ली | 22 मार्च : यह दिन किसे याद नहीं रहेगा? इस दिन पहली बार लोग घरों में बंद थे। आंख खुली तो न रोज की खटर-पटर और न ही भागदौड़। सब तरफ सन्नाटा ही पसरा हुआ था। लोगों के मन में डर था लेकिन सिर्फ एक दिन की बंदी से सबकुछ ठीक हो जाने की उम्मीद भी बंधी हुई थी। किसी ने यह सोचा तक नहीं था कि इस एक दिन के बाद ही देश की असली और कई महीनों लंबी जंग शुरू होने वाली है। यह दिन था जनता कर्फ्यू का। आज जनता कर्फ्यू का एक साल पूरा हो रहा है। ऐसे में हम आपको आंकड़ों में बताते हैं कि उस समय देश में कोरोना की स्थिति क्या थी और आज एक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद भी हम कहां खड़े हैं।
22 मार्च 2020 को भारत में कहां था कोरोना?
आंकड़ों में देखें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 22 मार्च 2020 तक भारत में कोरोना वायरस के 360 केस थे। इस दिन तक कोरोना वायरस ने भारत में 7 लोगों की जान ली थी। पॉजिटिव पाए गए लोगों में से 319 भारतीय थे तो वहीं 41 विदेशी नागरिक।
राज्यों की क्या थी स्थिति?
उस समय भी महाराष्ट्र कोरोना के नए मामलों में सबसे ऊपर था। हालांकि, वहां पिछले साल की 22 तारीख तक सिर्फ 67 केस आए थे। इसके बाद केरल में 52, दिल्ली में 29, उत्तर प्रदेश में 27, कर्नाटक में 26, राजस्थान में 24, तेलंगाना में 22, हरियाणा में 21, पंजाब में 21, गुजरात में 18, लद्दाख में 13, आंध्र प्रदेश में 5, चंडीगढ़ में 5, जम्मू कश्मीर में 4, मध्य प्रदेश में 4, तमिलनाडु में 7, पश्चिम बंगाल में 4, उत्तराखंड में 3, बिहार में 2, हिमाचल प्रदेश में 2, ओडिशा में 2, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी में 1-1 मामलों की पुष्टि हुई थी।
कहां कितनी मौतें?
बीते साल 22 मार्च तक कोरोना वायरस की वजह से महाराष्ट्र में 2, दिल्ली में 1, गुजरात में 1, कर्नाटक में 1 और पंजाब में 1 की मौत हुई थी। उस समय दुनियाभर में कोरोना वायरस के सिर्फ 2 लाख 66 हजार केस थे जबकि इसकी वजह से 11 हजार 184 मौतें हुई थीं।
एक साल में क्या बदला?
22 मार्च 2021 को स्थिति यह है कि देशभर में 4 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीका दिया जा चुका है। इसके बावजूद भारत में कोरोना के 46 हजार 951 नए मामले दर्ज किए गए हैं तो वहीं 212 लोगों ने इसकी वजह से जान गंवाई है।
टीकाकरण
16 जनवरी, 2021 को देश में टीकाकरण की शुरुआत हुई। 20 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में 48,276 स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया गया है। भारत में 4.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को अभी तक कोरोना वैक्सीन लगाई गई है।
वायरस के दोबारा से ताकतवर होने की वजह
वैक्सीन आने के बाद लोग कोरोना के खिलाफ चल रही जंग को हल्के में लेने लगे। लोगों को यह गलतफहमी हो गई कि वैक्सीन आ गई है तो अब कोरोना वायरस से उन्हें कोई खतरा नहीं है। सरकार का भी कहना है कि लोगों की लापरवाही की वजह से कोरोना के मामलों में एक बार फिर से बढ़त होने लगी है। कोरोना वायरस के दोबारा से ताकतवर होने के पीछे कई वजह हैं। लोग अब कोरोना गाइडलाइन्स को फॉलो नहीं कर रहे हैं।
वैक्सीन आने से पहले जिस तरह से लोग मास्क का इस्तेमाल किया करते थे, हैंड सैनिटाइज किया करते और शारीरिक दूरी बनाकर रखते थे, अब वैसी गंभीरता नहीं दिख रही है। इसके अलावा लंबे समय तक जारी कोरोना पाबंदियों के बाद जब देश अनलॉक हुआ तो शादी-समारोह और अन्य आयोजनों की बाढ़ आ गई। शादी-समारोहों में लोग महामारी के पहले की तरह आने-जाने लगे। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जो सावधानियां बरतनी चाहिए, उसे अनदेखा किया जा रहा है। इन सभी वजहों के चलते कोरोना को फिर से वार करने का मौका मिल गया।
सावधानी ही सुरक्षा
लोगों को यह समझना जरूरी है कि ऐसे कई मामले आए हैं, जिसमें वैक्सीन लगने के बाद भी लोग संक्रमित हो जा रहे हैं। जिस तरह से महाराष्ट्र और कर्नाटक में कोरोना की दूसरी लहर देखने को मिल रही है, वह डराने वाला है। देश में कोरोना टीकाकरण की रफ्तार भी तेज है, लोगों को वैक्सीन लग भी रही है, फिर भी मामलों में तेजी जारी है। इसका मतलब है कि हमें यह मानकर चलना होगा कि हमारे चारों ओर कोरोना है और इससे बचकर ही हमें जिंदगी जीनी है। जब तक देश में टीकाकरण अभियान खत्म नहीं हो जाता, तब तक हमें कोरोना के खिलाफ जंग को मजबूती के साथ ही लड़ना है।
राज्य सरकारें भी सतर्क
देशभर में पिछले साल की तरह ही एक बार फिर से कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच राज्य सरकारें भी सतर्क हो गई हैं। ऐसे में देश के विभिन्न राज्यों की सरकारें एक बार फिर से लोगों से कोविड-19 गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन करने की अपील कर रही हैं। वहीं, इस बीच कोरोना से निपटने के लिए सरकारें कई जगहों पर नाइट कर्फ्यू तो कहीं पर साप्ताहिक लॉकडाउन तो कही पर पूर्ण लॉकडाउन लगा रही हैं।