अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) जैसे अनमोल विचार देने वाले भगवान महामीर की जयंती आज 25 अप्रैल 2021 रविवार को मनाई जाएगी। जैन धर्म के लोग महावीर जयंती का पर्व भगवान महावीर के जन्म के अवसर पर मनाते हैं। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर की प्रेममयी स्मृति में दुनिया भर में जैन धर्म का अनुसरण करने वाले लोग इस दिन को बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं। भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम आध्यात्मिक गुरु थे। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, महावीर जयंती मार्च या अप्रैल के महीने में मनाई जाती है। इस बार महावीर जयंती 25 अप्रैल को मनाई जा रही है।
भगवान महावीर स्वामी का जन्म चैत्र मास के 13वें दिन यानी तेरस को बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर वैशाली में हुआ था। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर को वर्धमान नाम से पहले पहचाना जाता था। भगवान महावीर का जन्म 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहां हुआ। बचपन से ही भगवान महावीर का मन ध्यान और धर्म में बहुत लगता था। भगवान महावीर ने 30 वर्ष की आयु में उन्होंने सांसरिक मोह त्याग कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाते हुए अपना राज्य, सिंहासन सब कुछ त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गए।
भगवान महावीर को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। इस लिए दिन भगवान महावीर की शोभा यात्रा निकाली जाती है। जिसमें जैन धर्म के अनुयायी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लेकिन इस बार कोरोना के कारण अपने घर पर ही पूजा कर पाएंगे। भगवान महावीर को वीर, वर्धमान, अतिवीर और सन्मति के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में तप और साधना से नए प्रतिमान स्थापति किए। महावीर जयंती 2021 के मौके पर आइए जानते है उनके जीवन से जुड़ी खास बातें।
विवाह :- भगवान महावीर की शादी यशोधरा नाम की लड़की के साथ हुई थी। इनसे एक पुत्री हुई जिसका नाम प्रियदर्शना था। वे बहुत सुंदर थी। उनके विवाह को लेकर श्वेताम्बर सम्प्रदाय के लोग मानते हैं कि उनका विवाह यशोद्धरा से हुआ। लेकिन दिगंबर सम्प्रदाय के लोग मानते हैं कि उनका विवाह नही हुआ।
30 वर्ष की उम्र में छोड़ा घरः- भगवान महावीर 30 साल की उम्र में ही राजमहल के वैभवपूर्ण जीवन का परित्याग कर दिया था। इसके बाद वह ज्ञान और साधना की राह पर चले पड़े। एक अशोक के वृक्ष के नीचे बैठकर वे ध्यान लगाया करते थे। उन्होंने अपने कठोर तप से सभी इच्छाओं और विकारों पर काबू पा लिया। तब वह वर्धमान से भगवान महावीर कहलाने लगे। उन्होंने अपना पूरा जीवन जन कल्याण को समर्पित कर दिया। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरूतियों और अंधविश्वासों को दूर किया।
24 वें तीर्थंकरः- करीब साढ़े 12 साल की साधना के बाद उन्हें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें और अंतिम तीर्थकर बने। महावीर जी ने जैन धर्म की खोज के साथ जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांतों की रचना की। महावीर जी ने अलग- अलग स्थानों में जाकर जैन धर्म का प्रचार किया। उन्होंने लोगों को सही मार्ग दिखाकर अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा दी।
महावीर जयंती का महत्व– कहते हैं कि 12 साल की कठिन तपस्या के बाद भगवान महावीर को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ और 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई. इस दौरान महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें उस समय के प्रमुख राजा बिम्बिसार, कुनिक और चेटक भी शामिल थे. जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर-जयंती तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है।
क्या है पंचशील सिद्धांत– जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका संदेश है. तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया. उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है– अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य. महावीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन किया. भगवान महावीर ने अहिंसा की जितनी सूक्ष्म व्याख्या की, वह अन्य कहीं दुर्लभ है. उन्होंने मानव को मानव के प्रति ही प्रेम और मित्रता से रहने का संदेश नहीं दिया अपितु मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति से लेकर कीड़े-मकौड़े, पशु-पक्षी आदि के प्रति भी मित्रता और अहिंसक विचार के साथ रहने का उपदेश दिया है।
अहिंसा (अहिंसा) – भगवान महावीर ने लोगों को अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख दी। इस सिद्धांत के अनुसार जैनों को किसी भी परिस्थिति में हिंसा से दूर रहना चाहिए| भूल कर भी किसी को कष्ट नहीं पहुँचाना है|
सत्य (सत्य) – भगवान महावीर ने सदा सत्य बोलने और सत्य के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया। भगवान महावीर कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ| जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है| लोगों को हमेशा सत्य बोलना चाहिए|
अस्तेय (गैर-चोरी) – भगवान महावीर लोगों को शिक्षा दी कि हमें हमेशा ईमानदार रहना चाहिए हमें कभी भी चोरी नहीं करनी चाहिए। अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं ये लोग संयम से रहते हैं और केवल वही लेते हैं जो उन्हें दिया जाता है|
ब्रह्मचर्य (शुद्धता) – कामुक सुखों में लिप्त नहीं हो हमेशा सदाचारी रहो। इस सिद्धांत के लिए जैनों को पवित्रता के गुणों का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है; जिसके कारण वे कामुक गतिविधियों में भाग नहीं लेते|
अपरिग्रह (अनासक्ति) – भगवान महावीर ने लोगों को गैर-भौतिक चीजों से नहीं जुड़ने का उपदेश दिया। यह शिक्षा सभी पिछले सिद्धांतों को जोड़ती है| अपरिग्रह का पालन करके, जैनों की चेतना जागती है और वे सांसारिक एवं भोग की वस्तुओं का त्याग कर देते हैं|
कैसे मनाया जाता है पर्व– महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्मावलंबी प्रात: काल प्रभातफेरी निकालते हैं. उसके बाद भव्य जुलूस के साथ पालकी यात्रा निकालते हैं. इसके बाद स्वर्ण और रजत कलशों से महावीर स्वामी का अभिषेक किया जाता है तथा शिखरों पर ध्वजा चढ़ाई जाती है. जैन समाज द्वारा दिन भर अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करके महावीर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
मंदिरों में खास आयोजन– राजस्थान में अरावली पर्वत की घाटियों के मध्य स्थित रणकपुर में ऋषभदेव का चतुर्मुखी जैन मंदिर है. चारों ओर जंगलों से घिरे इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है. इसके अलावा राजस्थान के ही दिलवाड़ा में विख्यात जैन मंदिर हैं. इन मंदिरों का निर्माण 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था. गुजरात के शतरुंजया पहाड़ पर पालिताना जैन मंदिर स्थित है. नौ सौ से अधिक मंदिरों वाले शतरुंजया पहाड़ पर स्थित पालिताना जैन मंदिर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर को समर्पित हैं।
महावीर जयंती के दौरान, दुनिया भर से लोग भारत के जैन मंदिरों में दर्शन करने के लिए आते हैं| मंदिरों में जाने के अलावा, लोग महावीर और जैन धर्म से संबंधित पुरातन स्थानों पर भी जाते हैं| गोमतेश्वर, दिलवाड़ा, रणकपुर, सोनागिरि और शिखरजी जैन धर्म के कुछ सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक हैं| महावीर जयंती भगवान महावीर के जन्म व जैन धर्म की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है|
महावीर जयंती पर्व तिथि व मुहूर्त 2021
महावीर जयंती 2021
25 अप्रैल
जयंती तिथि – रविवार, 25 अप्रैल 2021
त्रयोदशी तिथि आरंभ – 19:16 (24 अप्रैल 2021)
त्रयोदशी तिथि समाप्त – 16:12 (25 अप्रैल 2021)
अहिंसा सबसे बड़ धर्म है। स्वयं जियो और दूसरों को जीने दो। यही सुख और शांति का मूल है। भगवान महावीर की जय।