आज छोटी होली मनाई जाएगी. छोटी होली के दिन होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन की पूजा का विशेष पौराणिक महत्व है. मान्यता है कि सच्चे मन अगर होलिका दहन की पूजा की जाती है, तो होलिका की अग्नि में सभी दुख जलकर खत्म हो जाते हैं. आइए जानते हैं होलिका दहन की पूजा में किन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. साथी ही सही पूजन विधि के बारे में.
भारत त्योहारों का देश है, यहाँ भिन्न जाति के लोग भिन्न भिन्न त्यौहार को बड़े उत्साह से मनाया करते है और इन्ही त्यौहार में से एक त्यौहार है “होली”. भारत में सामान्यतया त्यौहार हिंदी पंचाग के अनुसार मनाये जाते है. इस तरह होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है. यह त्यौहार बसंत ऋतू के स्वागत का त्यौहार माना जाता है. होली रंगों का त्यौहार हैं, जो जीवन में रंगों का महत्व बताता हैं. होली का त्यौहार भी बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न हैं. जश्न कई तरह से मनाया जाता हैं. इसी तरह होली में रंगों एवम फूलो से जश्न मनाने की रीत हैं. होली भारत देश में मनाये जाने वाले बड़े त्यौहारों में से है, दिवाली का त्यौहार के बाद होली ही पुरे देश में उत्साह से मनाई जाती हैं. यह दो दिवसीय त्यौहार हैं. पहला दिन होलिका दहन किया जाता हैं और दुसरे दिन होली खेली जाती हैं, जिसे धुलेंडी कहा जाता हैं. इस रंगो की त्यौहार में कई प्रथायें छिपी होती हैं, कई तरह से इस त्यौहार को मनाया जाता हैं, लेकिन मकसद सिर्फ एक होता हैं, दिल में भरे आपसी द्वेष को भूलकर अपने रिश्तो और दोस्तों को गले लगाना और उत्साह के साथ होली के इस त्यौहार को मनाना. कहा जाता हैं इस दिन आपसी बैर को छोड़कर सभी अपनों को गले लगाते हैं और रंगो के साथ धूमधाम से त्यौहार मनाते हैं. रंगो के इस त्यौहार को “फाल्गुन महोत्सव” भी कहा जाता है, इसमें पुराने गीतों को ब्रज की भाषा में गाया जाता. भांग का पान भी होली का एक विशेष भाग है. नशे के मदमस्त होकर सभी एक दुसरे से गले लगते सारे गिले शिक्वे भुलाकर सभी एक दुसरे के साथ नाचते गाते है. होली पर घरों में कई पकवान बनाये जाते है. स्वाद से भरे हमारे देश में हर त्यौहार में विशेष पकवान बनाये जाते है.
वर्ष 2022 में होली कब है
हिंदी पंचाग के अनुसार फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता हैं और चैत्र की प्रथमा के दिन रंग खेला जाता हैं. होली दो दिन का त्यौहार हैं पहले दिन होली जलाई जाती हैं, जिसे होलिका दहन अथवा छोटी होली कहते हैं और दूसरा दिन होली मनाने का होता हैं जिसे पानी, रंगों एवं फूलो से मनाया जाता हैं.
होली की कथा व होलिका दहन इतिहास
हर एक त्यौहार के पीछे एक शिक्षाप्रद कथा अथवा इतिहास होता हैं, जो हमें सही गलत की सीख देता हैं. होली के त्यौहार के पीछे भी एक पौराणिक कथा हैं.
हिरण्याकश्यप एक राक्षस राज था जिसने सम्पूर्ण पृथ्वी पर अपना अधिपत्य कर लिया था. इस बात का उसे बहुत घमंड था और वो अपने आपको भगवान विष्णु से श्रेष्ठ समझता हैं.वो स्वयं को भगवान विष्णु का शत्रु मानता था, इसलिए उसने यह ठान रखी थी, कि वो किसी को विष्णु पूजा नहीं करने देगा और जो करेगा वो उसे मार देगा. उसने सभी विष्णु भक्तो पर अत्याचार करना शुरू कर दिया. उसी हिरण्याकश्यप का पुत्र था प्रहलाद. प्रहलाद में पिता के कोई अवगुण ना थे. वो एक प्रचंड विष्णु भक्त था और निरंतर उनका नाम जपता था. यह बात हिरण्याकश्यप को एक आँख ना भाती थी. इसलिए उसने प्रहलाद को समझाने के कई प्रयास किये. सब विफल होने पर उसने अपने ही पुत्र को मारने का निर्णय लिया, जिसके लिए उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया. होलिका को आशीर्वाद मिला था, कि उसे कोई भी अग्नि जला नहीं सकती, लेकिन अगर वो इस वरदान का गलत उपयोग करेगी, तो स्वयं भस्म हो जाएगी. भाई की आज्ञा के कारण बहन होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को गोदी में लेकर लकड़ी की शैय्या पर बैठ जाती हैं. और सैनिकों को लकड़ी में आग लगाने का हुक्म देती हैं. प्रहलाद अपनी बुआ की गोदी में बैठकर अपने अराध्य देव विष्णु का नाम जपने लगता हैं और विष्णु भगवान भी प्रहलाद की सच्ची और निष्काम भक्ति के कारण उसकी रक्षा करते हैं. इस प्रकार होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो जाती हैं. तभी से यह त्यौहार मनाया जाता हैं. कहा जाता हैं सच्चे भक्त को गलत इरादों के कारण मारने के प्रयास में बुराई का सर्वनाश होता हैं. इस प्रकार इस दिन को बुराई को खत्म कर जलाकर अच्छाई की तरफ रुख करने का त्यौहार माना जाता हैं.
होली कैसे मनाई जाती हैं
यह त्यौहार उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाया जाता हैं. पुरे देश में मथुरा, वृन्दावन, ब्रज, गोकुल, नंदगाँव की होली सबसे ज्यादा प्रसिद्द हैं. इनके अलावा बरसाना की होली सबसे ज्यादा अनोखी हैं. इसे लट्ठमार होली कहा जाता हैं इसके शहर की लडकियाँ लड़को को लट्ठ मारती हैं.
होलिका दहन मुहूर्त, कब करें होलिका दहन
हमारे सभी धर्मग्रंथों में होलिका दहन के लिए विधि-विधान के संबंध में एक सी बातें कही गई हैं. जैसे अग्नि प्रज्ज्वलन के समय भद्रा बीत चुकी हों, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि हो, तो यह अवधि सर्वोत्तम मानी गई है. यदि भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिए. यदि भद्रा मध्यरात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है. परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदापि नहीं करना चाहिए. कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष और भद्रा पूँछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिए. होलिका दहन का मुहूर्त किसी भी अन्य त्योहार के मुहूर्त से ज्यादा महत्वपूर्ण और आवश्यक है, क्योंकि भद्रा सूर्यदेव की उद्दण्ड पुत्री हैं और उनकी उपस्थिति अथवा मुहूर्त में किया गया कार्य सकुशल संपन्न होने में संदेह रहता है. ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप इन्हें अपनी उपस्थिति में कार्य बाधा डालने से कोई नही रोक सकता.
कब है छोटी होली और क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त?
होलिका दहन मुहूर्त
* होलिका दहन मुहूर्त : 21:20:55 से 22:31:09 तक
* अवधि :1 घंटे 10 मिनट
* भद्रा पुँछा : 21:20:55 से 22:31:09 तक
* भद्रा मुखा : 22:31:09 से 00:28:13 तक
* होली 18, मार्च को
होलिका दहन पूजन सामग्री
बड़गुल्ले की 4 माला, एक कलश जल, कच्चा सूत, रोली, गुलाल, फूल,
साबुत हल्दी, साबुत मूंग, बताशे और 5 या फिर 7 प्रकार के अनाज, मिठाइयां और फल, गेंहू की बालियां
होलिका दहन पूजन विधि
* होलिका दहन वाले दिन जल्दी उठकर स्नान करें और इस दिन के व्रत का संकल्प लें।
* इसके बाद होलिका दहन करने वाली जगह को साफ करें और यहां पर सूखी लकड़ी, गोबर के उपले, सूखे काटे, यह सारी सामग्री एकत्रित कर लें।
*.होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बना लें।
*.होलिका दहन के दिन नरसिंह भगवान की पूजा का महत्व बताया गया है। ऐसे में इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा अवश्य करें और उन्हें पूजा में ये सभी सामग्री अर्पित कर दें।
*.शाम होने पर दोबारा पूजा करें और इस समय होलिका जलाएं।
*.अपने पूरे परिवार के साथ होलिका की तीन परिक्रमा करें।
*.परिक्रमा के दौरान भगवान नरसिंह का नाम जपे और 5 अनाज अग्नि में डालें।
* इस बात का विशेष ध्यान दें की परिक्रमा करते समय आपको अर्ग्य देनी है और कच्चे सूत को होलिका में लपेटना है।
* इसके बाद गोबर के उपले, चने की बालों, जौ, गेहूं ये सभी चीजें होलिका में डालें।
*.अंत में होलिका में गुलाल डालें और जल चढ़ाएं।
*.एक बार जब होलिका की अग्नि शांत हो जाए तो इसकी राख अपने घर में या फिर मंदिर या कहीं साफ-सुथरी पवित्र जगह पर रख दें।
होलिका दहन की रात भगवान हनुमान की पूजा का महत्व
होलिका दहन की रात बहुत सी जगहों पर भगवान हनुमान की पूजा का विधान बताया गया है। कहते हैं इस दिन यदि भगवान हनुमान की भक्ति और श्रद्धा पूर्वक पूजा की जाए तो व्यक्ति को हर तरह के कष्ट और पापों से छुटकारा मिलता है। ज्योतिष के अनुसार इसका महत्व जानने का प्रयास करें तो कहा जाता है नए संवत्सर कि राजा और मंत्री दोनों ही मंगल ग्रह होता है। मंगल ग्रह के कारक स्वामी हनुमान जी होते हैं। ऐसे में अगर होलिका दहन के दिन हनुमान भगवान की पूजा की जाए तो इसे बेहद ही शुभ और फलदाई माना जाता है।
होलिका दहन के दिन हनुमान भगवान की पूजा की सही विधि
* होलिका दहन के दिन शाम के समय स्नान के बाद हनुमान जी की पूजा करें और उनसे मनोकामना मांगे।
*.इस दिन की पूजा में भगवान हनुमान को सिंदूर, चमेली के तेल, फूलों की माला, प्रसाद, चोला आदि अर्पित करें।
* भगवान हनुमान के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
* इस दिन की पूजा में हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें और अंत में भगवान हनुमान की आरती उतारें।
इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि यदि इस दिन हनुमान भगवान की पूजा के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो इससे व्यक्ति के कष्टों का निवारण होता है। साथ ही जीवन में नई ऊर्जा का भी संचार होता है। साथ ही इस शुभ दिन यदि भगवान को लाल और पीले रंग के फूल चढ़ाए जाए तो व्यक्ति के जीवन से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और किसी भी तरह के कष्टों का नाश होता है।
पहली बार इन शुभ योगों में किया जायेगा होलिका दहन
त्योहारों का अपने आप में बेहद महत्व होता है। लेकिन जब इन त्योहारों पर विशेष योगों का संयोग बन जाये तो इसे सोने पर सुहागा कहते हैं। दरअसल ऐसा ही कुछ हो रहा है इस वर्ष होलिका दहन के मौके पर। ज्योतिष के जानकार मानते और बताते हैं कि इस वर्ष होलिका दहन पर ऐसे शुभ राजयोग बन रहे हैं जो अबसे पहले कभी नहीं बने थे।
क्या हैं यह शुभ योग?
होलिका दहन गुरुवार को पड़ रही है और यह दिन देवगुरु बृहस्पति को समर्पित एक बेहद ही शुभ दिन माना गया है।
* चन्द्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि संबंध से इस दिन गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है।
* इस दिन केदार और वरिष्ठ राजयोग का संयोग भी बन रहा है।
* ज्योतिषियों के अनुसार यह पहला मौका है जब होलिका दहन पर इन तीन शुभ राजयोगों का निर्माण होने जा रहा है।
* इतना ही नहीं, होलिका दहन पर मित्र ग्रहों शुक्र और शनि की मकर राशि में युति भी इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ाने का काम कर रही है।
इन शुभ योगों का क्या पड़ेगा देश पर असर?
* होलिका दहन पर बन रहे इन तीन राजयोगों से देश में तेज़ी देखने को अवश्य मिलेगी।
* इस दौरान व्यापारियों को ढ़ेरों लाभ और सु-अवसर प्राप्त होंगे।
* सरकारी कोष भी फायदे की स्थिति में नज़र आयेंगे।
* विदेशी निवेश में वृद्धि के प्रबल योग बनते नज़र आ रहे हैं।
* कोरोना का संकट धीरे-धीरे क्षीण होने लगेगा और हम एक बार फिर सामान्य जीवन जीने की राह पर अग्रसर होंगे।
* महंगाई पर भी लगाम लगने के प्रबल संकेत मिल रहे हैं।
कुलमिलाकर होलिका दहन पर इन तीन राजयोगों के निर्माण से देश भर में अच्छी और शुभ स्थिति देखने को मिलेगी। यानि कि हर मायने में ही यह होली ‘हैप्पी होली’ रहने वाली है।
होलिका दहन का महत्व
जैसा कि आपने पहले भी बताया कि होलिका दहन का यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है। ऐसे में इस दिन अपने घरऔर जीवन में सुख शांति और समृद्धि के लिए महिलाएं होलिका की पूजा करती हैं। इसके अलावा कहते हैं होलिका दहन करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मकता का वास होता है। होलिका दहन की तैयारियां कई दिनों पहले से ही प्रारंभ हो जाती है। जहां लोग लकड़ियाँ, कांटे, गोबर के उपले आदि इकठ्ठा करना शुरू कर देते हैं और उसके बाद होलिका वाले दिन इसे जलाकर बुराई का अंत करने की प्रतिज्ञा लेते हैं।
होलिका दहन के बाद अवश्य करें ये काम
* जानकारों के अनुसार होलिका दहन के बाद यदि आप अपने पूरे घर के लोगों के साथ चंद्रमा का दर्शन करें तो इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपने पिता बुध की राशि में और सूर्य अपने गुरु बृहस्पति की राशि में स्थित होते हैं।
* इसके अलावा होलिका दहन से पहले होलिका की सात परिक्रमा करके उसमें मिठाई, उपले, इलायची, लौंग, अनाज, उपले आदि डाले जाये तो इससे परिवार के सुख में वृद्धि होती है।
इस वर्ष 18 और 19 को मनाई जाएगी होली? जानें वजह
इस वर्ष 17 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 18 को होली खेली जाएगी और कई जगहों पर 19 मार्च को भी होली मनाई जाएगी। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार 17 मार्च को रात 12 बजकर 57 मिनट पर होलिका दहन का योग बन रहा है। इसके बाद 18 मार्च को 12 बजकर 53 मिनट पर पूर्णिमा स्नान किया जाएगा और इसके अगले दिन होली 18 मार्च को मनाई जाएगी और बाकी जगहों पर 19 मार्च को भी लोग होली मनाएंगे।
होलिका दहन पर अवश्य करें इनमें से कोई भी एक उपाय, साल भर जीवन में बनी रहेगी सुख समृद्धि
* होली की राख अपने घर लाकर इसे अपने घर के आग्नेय कोण यानि दक्षिण पूर्व दिशा में रखें। इसे वास्तु के हिसाब से बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे में इस उपाय को करने से घर में यदि वास्तु दोष है तो वह दूर होता है।
* जीवन में हर मनोकामना पूरी करने के लिए और सफलता प्राप्त करने के लिए होली के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा अवश्य करें।
* आपके जीवन में यदि आर्थिक परेशानियां बनी हुई है तो होलिका के दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें और सहस्त्रनाम का जाप करें।
* होलिका की रात सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाएं और उसे अपने घर के मुख्य द्वार पर रख दें। इस उपाय को करने से हर प्रकार की बाधा दूर होती है।
* इसके अलावा व्यापार में वृद्धि और नौकरी में उन्नति के लिए आप 21 गोमती चक्र लेकर इसे होलिका दहन की रात शिवलिंग पर चढ़ा दें। ऐसा करने से आपको व्यापार में फायदा भी होगा और नौकरी में तरक्की प्राप्त होगी।
* यदि आपके जीवन में शत्रुओं का भय बढ़ गया है तो इसके समाधान के लिए होलिका दहन के समय के सात गोमती चक्र लेकर भगवान से प्रार्थना करें। प्रार्थना के बाद पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ गोमती चक्र होलिका में डालें।
* होलिका दहन के समय होलिका की सात परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
* इसके अलावा स्वास्थ्य लाभ के लिए आप होलिका दहन की अंगार में हरी गेंहू की बालें सेंक कर खाएं। ऐसा करने से आपको ढेरों स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
* अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से परेशान हैं, तो होली की रात आपको तुलसी की माला से ‘ॐ नमो भगवते रुद्राय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीरं अमृतं कुरु कुरु स्वाहा’ का 1008 बार जाप करना चाहिए. ऐसा करने से बीमार व्यक्ति की सेहत में फर्क दिखने लगता है.
* आपने अगर लंबे समय से कोई मनोकामना की है. जो पूरी नहीं हो रही हो, तो आप होलिका की रात पूजा करें. आप होलिका की हल्दी की गांठ, फल-सब्जी और उपले से पूजा करें. पूजा के बाद आप होलिका के चारों ओर 8 दीये जला दें. इसके बाद पूजा की सारी सामग्री होलिका पर चढ़ा दें. इसके बाद ही होलिका दहन करें.
* अगर आपके कुंडली में किसी तरह के गृह दोष है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. दोष से मुक्त होने के लिए आपको होलिका दहन की रात से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए. साथ ही होलिका के राख को पानी में डालकर नहा लेने से गृह दोषों से मुक्ति मिल सकती है.
होलिका दहन से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों
होलिका दहन की राख भी होती है बेहद पवित्र : होलिका दहन की राख को बेहद ही पवित्र माना गया है और होलिका दहन के बाद इसकी राख को घर लाने का और इसे अपने मंदिर में या किसी पवित्र स्थान पर रखने का भी विशेष महत्व होता है।
होलिका दहन के समय कौन सी लकड़ी जलाएं : होलिका दहन के दिन एरंड और गूलर की लकड़ी का इस्तेमाल करना चाहिए. इस मौसम में एरंड और गूलर के पत्ते झड़ने लगते हैं ऐसे में अगर इन्हें जलाया ना जाए तो इनमें कीड़ा लगने लगता है. एरंड और गूलर की लकड़ी का यह खासियत है कि इसे जलाने से हवा शुद्ध होती है और मच्छर, बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं. एरंड और गूलर की लकड़ियों को गाय के उपले के साथ जलाना चाहिए.
होलिका दहन के समय न जलाएं ये लकड़ियां : होलिका दहन में आम की लकड़ी को नहीं जलाना चाहिए. होलिका दहन में वट की लकड़ी और पीपल की लकड़ी को जलाना भी अशुभ माना जाता है.
लठ्ठ मार होली : लट्ठ मार होली फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती हैं. इस होली का रिवाज उत्तर भारत में हैं. यह रिवाज बरसाना एवं नंदगाँव में हैं. इसे देखने देश और विदेश के लोग हर साल इक्कठा होते हैं. कहा जाता हैं यह होली ग्वाले और गोपियों के बीच खेली जाती हैं. ग्वालों का गाँव नंदगाँव हैं. जहाँ से वे गोपियों को रिझाने उसके गाँव बरसाना आते हैं और गोपियाँ उन्हें लठ्ठ मारती है, जिससे बचने के लिए ग्वाले ढाल का उपयोग करते हैं. ऐसा खेल कृष्ण अपने सखाओ के साथ गोपियों के संग खेलते थे, जो बढ़ते- बढ़ते आज लठ्ठ मार होली के रूप में मनाया जाने लगा, जिसे देखने लोगो का तांता लगा रहता हैं. यह लठ्ठ मार होली भारत के साथ- साथ विदेशो में भी प्रसिद्द हैं, इसलिए विदेशी पर्यटक विशेष रूप से इसे देखने भारत आते हैं. होली का एक और रूप हैं, कई जगहों पर फूलो की होली खेली जाती है, जो आज के समय में पानी बचाओ का संदेश देती हैं.
गैर वाली प्रसिद्द होली : यह खेल रंगपंचमी के दिन खेला जाता हैं जो कि होली के पांच दिन बाद आती हैं. गैर की होली मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में खेली जाती हैं. इसमें पुरे शरह के सभी इलाकों से पुरुष एकत्र होकर शहर के मध्य स्थान राजवाड़ा पर एकत्र होते हैं. सभी अपने अपने मौहल्ले से नाचते गाते ढोल ढमाकों के साथ होली खेलते हुए राजवाड़ा पर आते हैं और इस दिन होली का रंग हाथों से नहीं बल्कि टेंकर में भरकर लोगो पर बरसाया जाता हैं. साथ ही घरो में भी टैंकर से रंग वाला पानी बरसाया जाता हैं. पूरा शहर इक्कट्ठा होकर एक साथ होली खेलता हैं. इस दिन के लिए कई दिनों पहले राजबाड़ा के आसपास के घरो एवं दुकानों को बड़े-बड़े प्लास्टिक के जरिये ढाका जाता हैं ताकि रंग के पानी से सुरक्षा की जा सके. इस तरह यह इंदौर की रंगपंचमी पुरे देश में प्रसिद्द हैं.
होली पार्टी : आज के समय में सभी त्यौहार पार्टी के रूप में मनाये जाते हैं, जिसमे सभी नाते रिश्तेदार एवम दोस्त एक जगह एकत्र होकर त्यौहार का मजा लेते हैं. होली में विशेष रूप से भांग वाली ठंडाई पी जाती हैं. होली के गीतों के साथ सभी एक दुसरे को पकवान खिलाते और गुलाल लगाकर होली की बधाई देते हैं.
फाग महोत्सव : होली के त्यौहार में कई लोग फाग महोत्सव का आयोजन करते हैं, जिसमे सभी एक दुसरे से मिलते हैं एवम होली के त्यौहार के गीत गाते हैं. खासतौर पर छोटे शहरों में फाग के गीत गाये जाते हैं जिसमे एक मंडली होती हैं जो सभी के घर जाकर फाग के गीत गाती हैं, जिसमे नाचते हैं और ढोलक, मंजीरा बजाकर त्यौहार का आन्नद लिया जाता हैं. सभी अपने- अपने रीती रिवाज के अनुसार फाग महोत्सव मनाते हैं.
होली में रखे सावधानी
होली रंग का त्यौहार है पर सावधानी से मनाया जाना जरुरी है. आजकल रंग में मिलावट होने के कारण कई नुकसान का सामना करना पड़ता है इसलिए गुलाल से होली मानना ही सही होता है.
* साथ ही भांग में भी अन्य नशीले पदार्थो का मिलना भी आम है इसलिए इस तरह की चीजों से बचना बहुत जरुरी है.
* गलत रंग के उपयोग से आँखों की बीमारी होने का खतरा भी बड़ रहा है.इसलिए रसायन मिश्रित वाले रंग के प्रयोग से बचे.
* घर से बाहर बनी कोई भी वस्तु खाने से पहले सोचें मिलावट का खतरा त्यौहार में और अधिक बड़ जाता है.
* सावधानी से एक दुसरे को रंग लगाये, अगर कोई ना चाहे तो जबरजस्ती ना करे. होली जैसे त्योहारों पर लड़ाई झगड़ा भी बड़ने लगा है.
“रंगों से भरी इस दुनियां में, रंग रंगीला त्यौहार है होली, गिले शिक्वे भुलाकर खुशियाँ मनाने का त्यौहार है होली, रंगीन दुनियां का रंगीन पैगाम है होली, हर तरफ यहीं धूम है मची “बुरा ना मानों होली है होली ”..
”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”