हनुमान जन्मोत्सव चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ माना जाता है। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है। विष्णु जी के राम अवतार के बाद रावण को दिव्य शक्ति प्रदान हो गई । जिससे रावण ने अपनी मोक्ष प्राप्ति हेतु शिवजी से वरदान मांगा की उन्हें मोक्ष प्रदान करने हेतु कोई उपाय बताए। तब शिवजी ने राम के हाथों मोक्ष प्रदान करने के लिए लीला रचि। शिवजी की लीला के अनुसार उन्होंने हनुमान के रूप में जन्म लिया ताकि रावण को मोक्ष दिलवा सके। इस कार्य में रामजी का साथ देने हेतु स्वयं शिवजी के अवतार हनुमान जी आये थे, जो की सदा के लिए अमर हो गए। रावण के वरदान के साथ साथ उसे मोक्ष भी दिलवाया।
हनुमान, हनुमान्, आंजनेय, मारुति – परमेश्वर की भक्ति की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में प्रधान हैं। वह कुछ पुराणों के अनुसार भगवान
शिवजी के ११वें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं।रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। हनुमान शक्ति, ज्ञान, भक्ति एवं विजय के भगवान, बुराई के सर्वोच्च विध्वंसक, भक्तों के रक्षक हनुमान जी की प्रतिमासंबंधवानर, रुद्र अवतार, राम के भक्त।
ज्योतिषीयों के सटीक गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले तथा लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था। इन्हें बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि इनका शरीर एक वज्र की तरह था। वे पवन-पुत्र के रूप में जाने जाते हैं।
इनके जन्म के पश्चात् एक दिन इनकी माता फल लाने के लिये इन्हें आश्रम में छोड़कर चली गईं। जब शिशु हनुमान को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में उड़ने लगे। उनकी सहायता के लिये पवन भी बहुत तेजी से चला। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया। जिस समय हनुमान सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उसी समय राहु सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था। हनुमानजी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह भयभीत होकर वहाँ से भाग गया। उसने इन्द्र के पास जाकर शिकायत की “देवराज! आपने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्र दिये थे। आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया तब देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने जा रहा है।” राहु की यह बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े। राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे। राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा तो उन्होंने हनुमानजी पर वज्रायुध से प्रहार किया जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई। हनुमान की यह दशा देखकर वायुदेव को क्रोध आया। उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दिया। इससे संसार की कोई भी प्राणी साँस न ले सकी और सब पीड़ा से तड़पने लगे। तब सारे सुर, असुर, यक्ष, किन्नर आदि ब्रह्मा जी की शरण में गये। ब्रह्मा उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये। वे मूर्छत हनुमान को गोद में लिये उदास बैठे थे। जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की। फिर ब्रह्माजी ने कहा कि कोई भी शस्त्र इसके अंग को हानि नहीं कर सकता। इन्द्र ने कहा कि इसका शरीर वज्र से भी कठोर होगा। सूर्यदेव ने कहा कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया। वरुण ने कहा मेरे पाश और जल से यह बालक सदा सुरक्षित रहेगा। यमदेव ने अवध्य और नीरोग रहने का आशीर्वाद दिया। यक्षराज कुबेर, विश्वकर्मा आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिये। इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन आदि।
कैसे मनाई जाती है हनुमान जयन्ती
हनुमान जयन्ती को लोग हनुमान मंदिर में दर्शन हेतु जाते है। कुछ लोग व्रत भी धारण कर बड़ी उत्सुकता और जोश के साथ समर्पित होकर इनकी पूजा करते है। चूँकि यह कहा जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है। हनुमानजी की मूर्तियों पर सिंदूर और चांदी का वर्क चढाने की परम्परा है। कहा जाता है राम की लम्बी उम्र के लिए एक बार हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिंदूर चढ़ा लिया था और इसी कारण उन्हें और उनके भक्तो को सिंदूर चढ़ाना बहूत अच्छा लगता है जिसे चोला कहते है। संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर मन्त्र जाप करने को अत्यंत महत्त्व दिया जाता है। हनुमान जयंती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ को पढना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है। सभी मंदिरो में इस दिन तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा का पाठ होता है। जगह जगह भंडारे आयोजित किये जाते है। तमिलानाडु व केरल में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है। वहीं कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के 10वें दिन तक यह त्योंहार मनाया जाता है।
राम भक्त और अंजनी पुत्र हनुमान जी का जन्मोत्सव देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हालांकि इस साल कोरोनावायरस से बचाव के लिए घर पर रहकर ही पूजा करना उचित है। मान्यता है कि कलियुग में बजरंगबली ही एकमात्र भगवान है जो अपने भक्तों की परेशानियां दूर करने और मुराद पूरी करने के लिए इस धरती पर विराजमान हैं।
हनुमान जयंती 2021 शुभ मुहूर्त-
चैत्र पूर्णिमा – मंगलवार, अप्रैल 27, 2021
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 26, 2021 को 12:44 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – अप्रैल 27, 2021 को 09:01 ए एम बजे
आज के अशुभ मुहूर्त-
राहुकाल- 03:22 पी एम से 05:01 पी एम तक।
यमगण्ड- 08:50 ए एम से 10:28 ए एम तक।
गुलिक काल- 12:06 पी एम से 01:44 पी एम तक।
दुर्मुहूर्त- 08:11 ए एम से 09:03 ए एम तक।
वर्ज्य- 01:03 ए एम, अप्रैल 28 से 02:28 ए एम, अप्रैल 28 तक।
आज ऐसे करें बजरंगबली की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, सामग्री लिस्ट, व्रत कथा, चालीसा, आरती सहित अन्य जानकारियां
हनुमान गायत्री मंत्र
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥
हनुमान जी के मूल मंत्र
ॐ श्री हनुमते नमः॥
राशिनुसार करें हनुमान जी की पूजा
मेष राशि: मेष राशि के जातकों केसर, सिंदूर से हनुमान को पूजें. इस राशि के स्वामी मंगल ग्रह होते है.
वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातक हनुमान चालीसा का पाठ करें. इनके स्वामी शुक्र देव को माना गया है.
मिथुन राशि: मिथुन राशि हनुमान जयंती पर उन्हें बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं. इनके स्वामी गुरु ग्रह को माना गया है.
कर्क राशि: कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा माने गए है जिनका संबंध भगवान शिव से होता है. ऐसे में आज भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें और हनुमान जी को लाल चोला भी अर्पित करें, संकटों से मुक्ति मिलेगी.
सिंह राशि: सिंह राशि के जातक श्री आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें. गरीबों को भोजन खिलाएं. आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
कन्या राशि: कन्या राशि के स्वामी गुरुदेव है. इस राशि के जातक आज 108 बार श्री हनुमान चालीसा पढ़ें.
तुला राशि: तुला राशि के जातक रामचरितमानस के बालकांड का पाठ करें. इस राशि के स्वामी शुक्र देव को माना गया है.
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक बजरंगबली की आराधना करें व 108 बार ओम श्री हनुमते नमः का मंत्र जाप करें. इस राशि के स्वामी मंगल ग्रह है.
धनु राशि: धनु राशि के जातक पांच बार श्री सीता राम के नाम की माला जपें. रोगों से मिलेगी मुक्ति. इस राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति है.
मकर राशि: मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं. शनि के प्रकोप से बचने के लिए हनुमान जी जरूर करें. पीपल के पेड़ के नीचे सरसों तेल का दीपक जलाएं. हनुमान चालीसा का पाठ करें.
कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक सच्चे मन से राम नाम की माला जपे साथ ही साथ हनुमान जी को चोला अर्पित करें. साथ ही साथ बजरंग बाण व हनुमान चालीसा का पाठ भी पढ़ें. आपको बता दें कि कुंभ के स्वामी भी शनि देव को माना गया है.
मीन राशि: मीन राशि के जातक के स्वामी गुरु बृहस्पति हैं. ओम श्री हनुमते नमः के मंत्र का माला जपें. बजरंगबली को भी चोला चढ़ाएं.
मंगल दोष से मुक्ति के लिए ऐसे करें आज हनुमान जी की पूजा…
स्नानादि करके हनुमान जी का श्रृंगार करें
उन्हें रेशम का लाल धागा चढ़ाएं
अब मंगल मंत्र ओम क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः का जाप करें
फिर अंतिम में लाल धागे को गले में धारण कर लें
सत्यनारायण पूजा विधि
चैत्र पूर्णिमा 2021 के अवसर पर आप सत्यानारायण पूजा सुबह या शाम को भी स्नान करने के बाद कर सकते हैं.
लेकिन, पूजा पूरा होने तक उपवास रखना चाहिए
सबसे पहले सत्यानारायण पूजा के लिए प्रसाद तैयार कर लें. जिसमें पंचामृत (दूध, दही, चीनी, शहद, घी का मिश्रण), पंजिरी (भुने हुए गेहूं के आटे का मिश्रण, चीनी, घी, सूखे मेवे) और फल शामिल करें.
घर के प्रवेश द्वार पर आम के पत्तों से सजाएं
एक कलश लें, इसमें में पांच पत्तों की छोटी टहनी डालें
अब लाल कपड़े में लपेटे हुए एक नारियल को लें और कलश के ऊपर रखें आम के पत्तों के ऊपर डालें
भगवान सत्यनारायण की तस्वीर लें और ताजा फूल व कुमकुम उस पर लगाएं
सत्यनारायण स्वामी की कथा सुनने आए सभी भक्तों को पुष्प व अक्षत दें
फिर कलश पूजा करें और भगवान गणेश को याद करके पूजा का शुभारंभ करें
भगवान सत्यनारायण की मुख्य पूजा शुरू होने के पश्चात पूजा में बैठे सभी लोगों भगवान विष्णु का ध्यान लगाएं.
सत्यनारायण पूजा की कुल 5 कहानियों को ध्यान लगाकर सुनें
पांचों कहानी समाप्त होने के बाद, हवन करें.
अंत में सभी मिलकर आरती करें, सभी भगवान विष्णु के सामने सिर झुकाएं और मनोकामनाएं मांगे
आज सत्यनारायण पूजा करने का महत्व
सत्यनारायण पूजा किसी भी दिन की जा सकती है लेकिन हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन यानी पूर्णिमा के दिन सबसे शुभ माना गया है.
चैत्र पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा
चैत्र पूर्णिमा पर सुबह उठें और स्नानादि करें.
घर या मंदिर में जाकर भगवान के सामने व्रत और पूजा-पाठ का संकल्प लें.
संभव हो तो दिनभर भोजन को त्यागें या फलाहार और दूध का सेवन करके भी व्रत रख सकते हैं
शाम में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के अलावा सत्यनारायण स्वामी और हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा-पाठ करें.
जरूरतमंदों को धन, अनाज या अपने इच्छा अनुसार कुछ भी दान करें. गर्मी के मौसम में आप जूते-चप्पल, छाते आदि का भी दान कर सकते हैं.
घर के बाहर या किसी चौराहे पर प्याऊ लगवाएं और लोगों के लिए परोपकार कार्य करें
इसके अलावा मौसमी फलों का भी दान करें या बीमार लोगों की दवाओं से मदद करें
इन सब उपायों से आपका खजाना सदैव भरपूर रहेगा. घर-परिवार में सुख-शांति का वातावरण रहेगा.
किस नक्षत्र में हुआ था हनुमान जी का जन्म
पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा की मंगलवार को चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न योग में हनुमान जी का जन्म हुआ था.
कब होगा चैत्र पूर्णिमा तिथि समाप्त
आज यानी मंगलवार, 27 अप्रैल 2021 को 09 बजकर 01 मिनट तक चैत्र पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जायेगी
मंगल दोष से मुक्ति के लिए उपाय…
हनुमान जी का सम्पूर्ण श्रृंगार करवाएं
चांदी के वर्क का प्रयोग न करें
हनुमान जी को रेशम का एक लाल धागा भी अर्पित करें
इसके बाद मंगल के मंत्र “ओम क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” का जाप करें
लाल धागे को गले में धारण कर लें
हनुमान जयंती पर लिखे पीपल के पत्ते जय श्रीराम
हनुमान जयंती के दिन 11 पीपल के पत्ते लेकर उनपर श्रीराम का नाम लिखकर हनुमान जी को अर्पित करने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और मनोकामना पूर्ण होती है.
हनुमान जयंती पर करें ये काम
इस बार हनुमान जयंती मंगलवार के शुभ योग में आ रही है, इसलिए इस दिन किसी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी को गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें और उनके सामने चमेली के तेल का दीपक लगाएं, इससे वे जल्दी ही प्रसन्न होते हैं.
हनुमान जयंती विधि
मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन विधि विधान से पूजा करने पर जीवन के सभी दुख समाप्त हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
हनुमान जयंती पर क्या चढ़ाएं भोग
हनुमान जयंती पर प्रसाद के तौर पर लड्डू, चूरमा, मालपुआ, केला, अमरूद आदि का भोग लगा सकते हैं.
हनुमान जयंती पर शनि के प्रभाव को ऐसे करें कम
हनुमान जयंती पर शनि के प्रभाव को कम करने के शनि देव का मंत्र पढ़ें
ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये की एक माला जपें.
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काली उड़द लें, कोयले और एक रुपये के सिक्के को एक कपड़े में बांधें फिर इसे माथे पर से तीन बार घुमाकर नदी में प्रवाह कर दें
इसके अलावा शनि दोष से मुक्ति के लिए हनुमान मंदिर में जाकर 11 बार हनुमान चालिसा का पाठ भी कर सकते हैं.
हनुमान चालीसा अलावा सुंदरकांड, बजरंग बाण का पाठ भी करते हैं तो कई प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है.
शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए करें हनुमान जयंती पर पूजा पाठ
पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी ने शनि देव को कैद कर रखा था. जिन्हें हनुमान जी ने मुक्त करवाया. शनिदेव ने इस उपकार के बदले हनुमान जी को वचन दिया था कि वह हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करेंगे, जो भी व्यक्ति श्रद्धापूर्वक हनुमान जी की पूजा करेगा उसे शनि दोष जैसे शनि की साढ़ेसाती व ढैया से मुक्ति मिल जायेगी.
शनिदेव और मंगल ग्रह को शांत करने के लिए करें हनुमान जयंती पर पूजा
हनुमान जयंती के अवसर पर आप शनिदेव और मंगल ग्रह कर सकते है शांत. इसके लिए हनुमान जी की विधिपूर्वक आपको पूजा करनी होगी.
युगदी व गुड़ी पड़वा चैत्र पूर्णिमा व्रत
चैत्र पूर्णिमा व्रत युगदी व गुड़ी पड़वा के बाद आता है. इस दिन हनुमान जयंती के अलावा भगवान विष्णु की पूजा का महत्व होता है.
हनुमान जयंती 2021 पूजा विधि
सबसे पहले सुबह उठें
स्नानादि करें व किसी हनुमान मंदिर जाएं.
हनुमान जी के चरणों को स्पर्श करके उनका ध्यान लगाएं
फिर उनके समक्ष घी या तेल के दीपक को प्रज्वलित करें.
उन्हें सिंदूर चढ़ाएं व लाल चोला अर्पित करें
गुलाब के फूलों की माला भी चढ़ाएं
बूंदी, केले समेत पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं.
फिर 11 बार हनुमान चालीसा पढ़ें.
अंतिम में 11 पीपल के पत्तों पर रोढ़ी या सिंदूर से श्री राम नाम लिखें
हनुमान जयंती पर बन रहे दो शुभ योग
इस बार हनुमान जयंती पर दो शुभ योग पड़ रहा है. पहला सिद्धि और दूसरा व्यतीपात नामक शुभ योग बनेंगे. जिसका समय 27 अप्रैल की शाम 8 बजकर 03 मिनट तक ही रहेगा.
पूजा विधि
हनुमान जयंती के दिन सुंदरकांड का पाठ कराने से शुभ होता है. जो लोग सुंदरकांड का पाठ कराते हैं उनके जीवन में कोई परेशानी नहीं होती हैं. इस पाठ को कराने से भगवान राम का आशीर्वाद मिलता है. अगर आप पाठ नहीं करा सकते हैं तो सुने जरूर. इसेस भी लाभ मिलता है. इस खास दिन पर भक्त गरीबों को खाना खिलाते हैं. साथ ही दान- पुण्य करने का विशेष महत्व है।
इस मंत्रों का करें जाप
हनुमान जयंती के दिन हनुमान मंदिर में संकंटमोचन को लाल चोला चढ़ाना चाहिए. इसके बाद घी या तेल का दीप प्रजवलित कर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. इसके बाद 11 बार हनुमान मंत्रों का जाप करना चाहिए.
हनुमान कवच मंत्र
“ॐ श्री हनुमते नम:”
सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
ऊं अंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत प्रचोदयात्
ऊं ऐं भीम हनुमते श्री राम दोत्याय नमः
ऊं दैत्यनुमुखाय पंचमुख हनुमते करलाबलदाय
मंगल भवन अमंगलहारी द्रवहु सो दशरथ अजिर विहारी
हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।