नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) को रंगभेद और अन्याय के खिलाफ लड़ाई के चलते 27 साल जेल में बिताने पड़े थे. अंहिसा के रास्ते पर चलने वाले मंडेला को 1993 में शांति नोबेल पुरस्कार दिया गया था। रंगभेद को मिटाने में मंडेला के योगदान का इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके सम्मान में साल 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने उनके जन्मदिन 18 जुलाई को ‘मंडेला दिवस” (Nelson Mandela Day) के रूप में घोषित कर दिया। इसमें और भी खास बात यह है कि उनके जीवत रहते ही इसकी घोषणा हुई।
अफ्रीका के ‘गांधी’ कहे जाने वाले नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) की आज जयंती है. नेल्सन शांति के दूत के रूप में जाने जाते हैं. रंग भेद के खिलाफ लड़ाई में नेल्सन मंडेला के योगदान को कोई भुला नहीं सकता. महात्मा गांधी की तरह अंहिसा के रास्ते पर चलने वाले मंडेला ने रंग भेद के खिलाफ लड़ते हुए 27 साल जेल में काटे थे. नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान को देखते हुए उनके सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ (Nelson Mandela Day) घोषित किया था और तब से ही हर साल उनके जन्मदिन के दिन ‘मंडेला दिवस’ मनाया जाता है. मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में हुआ था। वे पिता गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के संतान थे. वे अपनी मां नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे. मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे. स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला।उनका मानना था कि दृढ़ता, जिद्द और विश्वास से हम अपने हर सपने को पूरा कर सकते हैं। जिस प्रकार भारत की आजादी के आदर्श नायक गांधी जी हैं, उसी तरह दक्षिण अफ्रीका की आजादी के महानायक और मसीहा नेल्सन मंडेला थे। मंडेला ने साम्राज्यवाद और नस्लभेद का उसी धरती पर विरोध किया, जिस पर गांधी ने स्वयं को खोज निकाला था।
दक्षिण अफ्रीका के गांधी
नेल्सन मंडेला की सोच में गांधी के विचार थे। उन्होंने सार्वजनिक रूप से गांधी जी को स्वीकार किया। पहले वे हिंसक लड़ाई लडऩा चाहते थे लेकिन गांधी जी को पढऩे के बाद उन्होंने अहिंसा का रास्ता अपनाया। अफ्रीका के लोगों के लिए वे दूसरे गांधी ही थे। नस्लभेदी अत्याचार के खिलाफ अफ्रीकी जनता की प्रतिष्ठा के लिए सतत आंदोलन में मंडेला ने जीवन समर्पित कर दिया। दक्षिण अफ्रीका हमारे राष्ट्रपिता गांधी को अपनी निधि मानता है, वैसे ही भारत ने भी नेल्सन मंडेला को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया है। दुनिया भर में इन दोनों विभूतियों से प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोग हैं। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने अगर महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित कर रखा है तो नेल्सन मंडेला का जन्मदिन 18 जुलाई भी अंतरराष्ट्रीय मंडेला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जेल में बिताए थे 27 साल
1943 में पहले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के कार्यकर्ता बनने के बाद मंडेला ANC यूथ लीग के संस्थापक बने थे. इसके बाद मंडेला ने वकालत की पढ़ाई की और अपने साथी ओलीवर टोम्बो के साथ जोहान्सबर्ग में वकालत करने लगे. उन दोनों ने मिलकर रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाई. इसी कारण 1956 में उनके साथ 155 कार्यकर्ताओं पर मुकदमा चलाया गया जिसे चार साल बाद खत्म कर दिया गया. 1960 में ANC पर प्रतिबन्ध लग गया. मंडेला ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अभियान चलाया था. 5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया।
उन पर मुकदमा चलाया गया और 1964 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 1964 से 1990 तक रंगभेद और अन्याय के खिलाफ लड़ाई के चलते उन्हें जेल में जीवन के 27 साल बिताने पड़े. उन्हें रॉबेन द्वीप के कारागार में रखा गया था जहां उन्हें कोयला खनिक का काम करना पड़ा था. इस दौरान उन्होंने गुप्त रूप से अपनी जीवनी लिखी. जेल में लिखी गई उनकी जीवनी 1994 में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई जिसका नाम ‘लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम’ है।
महात्मा गांधी के विचारों से थे प्रेरित
महात्मा गांधी की अहिंसा और असहयोग की विचारधारा ने मंडेला पर काफी असर डाला था. वह अपने जीवन में गांधी के विचारों के प्रभाव की बात किया करते थे. 2007 में नई दिल्ली में हुए सम्मेलन में अपने विडियो संदेश में मंडेला ने कहा था, “दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण बदलाव में गांधी की विचारधारा का योगदान छोटा नहीं है. उनके सिद्धांतों के बल पर ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की घृणित नीति के कारण जो समाज में गहरा भेदभाव था वह खत्म हो सका।” मंडेला ने साम्राज्यवाद और नस्लभेद का उसी धरती पर विरोध किया, जिस पर गांधी ने स्वयं को खोज निकाला था। 27 वर्ष तक लगातार बंदी रहकर नेल्सन मंडेला भी आग में तपे हुए कुंदन की तरह बाहर निकले। दक्षिण अफ्रीका से गांधी के भारत आने के बाद देश को नए गांधी के रूप में नेल्सन मंडेला मिल गए थे। मंडेला ने गांधी जी के विचारों को पढ़ा और उनसे प्रेरणा ली।
”विकास और शांति को अलग नहीं किया जा सकता”
नेल्सन मंडेला को 1993 में शांति नोबेल पुरस्कार दिया गया था. नेल्सन मंडेला ने कहा था, “विकास और शांति को अलग नहीं किया जा सकता. शांति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के बगैर कोई भी देश अपने गरीब और पिछड़े हुए नागरिकों को मुख्य धारा में लाने के लिए कुछ नहीं कर सकता.”
जेल से रिहाई के बाद बने पहले अश्वेत राष्ट्रपति
जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई. रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी. 1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए. अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी. 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।
अफ्रीका को एक नए युग में प्रवेश कराया
मंडेला 10 मई 1994 से 14 जून 1999 तक दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे। वे अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे। उनकी सरकार ने सालों से चली आ रही रंगभेद की नीति को खत्म करने और इसे अफ्रीका की धरती से बाहर करने के लिए भरपूर काम किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को एक नए युग में प्रवेश कराया।
‘भारत रत्न’ से सम्मानित
नेल्सन मंडेला ने जिस तरह से देश में रंगभेद के खिलाफ अपना अभियान चलाया उसने दुनियाभर को अपनी ओर आकर्षित किया। यही कारण रहा कि भारत सरकार ने 1990 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। मंडेला, भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी हैं। साल 1993 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। इसके बाद बड़ी बीमारी के चलते 3 दिसंबर, 2013 को 95 वर्ष की उम्र में नेल्सन मंडेला का निधन हो गया।
मंडेला ने की थी 3 शादियां
क्रांति की राह पर चलने वाले नेल्सन को लेकर उनका परिवार चिंतित रहता था इसीलिए उन्होंने उनकी शादी कराने की सोची, लेकिन नेल्सन मंडेला 23 साल की उम्र में शादी से भागकर परिवार को छोड़कर जोहानिसबर्ग भाग गए. हैरानी की बात तो ये है कि शादी से भागने वाले मंडेला ने 3 शादियां की थी. उन्होंने पहली शादी अक्टूबर 1944 को अपने मित्र व सहयोगी वॉल्टर सिसुलू की बहन इवलिन मेस से की. 1961 में मंडेला पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया परंतु उन्हें अदालत ने निर्दोष पाया इसी मुकदमे के दौरान उनकी मुलाकात अपनी दूसरी पत्नी नोमजामो विनी मेडीकिजाला से हुई. 1998 में अपने 80वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से विवाह किया।
नेल्सन मंडेला के विचार
1. जब तक काम किया ना जाए वो असंभव ही लगता है.
2. बड़े गर्व की बात कभी न गिरने में नहीं है बल्कि हर बार गिर कर उठने में है.
3. शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है.
4. एक अच्छा दिमाग और एक अच्छा दिल हमेशा से विजयी जोड़ी रहे हैं.
5. आप किसी व्यक्ति से जिस भाषा को वह समझता हो उसमें बात करें तो बात उसकी समझ में आती है. लेकिन आप अगर उससे उसकी मातृभाषा में बात करें तो वह उसके दिल में जाती है।
6. एक ऊंची पहाड़ी चढ़ने के बाद आपको हमेशा दूसरी पहाड़ियां फतह करने के लिए दिखनी चाहिए.
7. कोई भी इंसान जन्म से ही रंग, हालात और उसके धर्म के प्रति नफरत लेकर पैदा नही होता.
8. जिंदगी को जीने के लिए जज्बे और जुनून की जरूरत होती है फिर ये कोई मायने नही रखता कि आप कोई छोटा काम कर रहे हो या बड़ा.
9. मेरे देश में लोग पहले जेल जाते हैं और फिर राष्ट्रपति बन जाते हैं.
10. मैंने ये जाना है कि डर का ना होना साहस नही है, बल्कि डर पर विजय पाना साहस है. बहादुर वह नहीं है जो भयभीत नहीं होता, बल्कि वह है जो इस भय को परास्त करता है.