छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। आज यानी 29 अक्टूबर को खरना है। 30 अक्टूबर को अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, उसके अगले दिन सुबह यानी 31 अक्टूबर को उदयगामी यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होगा। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के दिन 28 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी। छठ सूर्य उपासना और छठी माता की उपासना का पर्व है। हिन्दू आस्था का यह एक ऐसा पर्व है, जिसमें मूर्ति पूजा शामिल नहीं है। इस पूजा में छठी मईया के लिए व्रत किया जाता है। यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है।
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय खाय के साथ ही शुरू हो गया है. यह महापर्व चार दिनों तक यानी 31 अक्टूबर तक चलेगा. छठ पूजा का त्योहार 28 अक्टूबर, शुक्रवार से शुरू हो चुका है। भगवान सूर्य व छठी माता को समर्पित छठ पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व चार दिन तक चलता है। इस साल ये 28 अक्टूबर से शुरू होकर 31 अक्टूबर तक चलेगा। छठ पूजा में संतान के स्वास्थ्य, सफलता व दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। इस व्रत को महिलाओं के साथ पुरुष भी रखते हैं।
छठ पूजा 2022 के दिन बन रहा है ये शुभ योग
शोभन योग: प्रात:काल से देर रात 01 बजकर 30 मिनट
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06 बजकर 30 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक
रवि योग: सुबह 10 बजकर 42 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक
सुकर्मा योग: रात 10 बजकर 23 मिनट से अगली सुबह तक
28 अक्टूबर से छठ पूजा की हो चुकी है शुरुआत-
कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाए खाए किया जाता है। इस साल चतुर्थी तिथि 28 अक्टूबर को है। ऐसे में छठ पर्व की शुरुआत शुक्रवार से हो गई। नहाए खाए के दिन महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैं। घर में चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात प्रसाद के रूप में बनता है। इस भोजन में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है।
29 अक्टूबर को खरना
छठ पर्व का दूसरा दिन खरना का होता है। इस साल खरना 29 अक्टूबर को होगा। इस दिन महिलाएं गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं और रात को ग्रहण करती हैं। इसे प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है। इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।
छठ पूजा का पहला अर्घ्य
छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। व्रती महिलाएं या पुरुष पानी में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं। इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 34 मिनट है।
छठ पूजा का दूसरा अर्घ्य
चौथे दिन व्रती पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद छठ पूजा का समापन होता है। फिर व्रत पारण किया जाता है। इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 31 मिनट है।
छठ पूजा का व्रत कितने दिन रखा जाता है
पहला दिन- नहाय खाय
नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस दिन व्रती नदी में स्नान करते हैं इसके बाद सिर्फ एक समय का ही खाना खाया जाता है. इस बार नहाय खाय 28 अक्टूबर को है।
दूसरा दिन- खरना
छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है. इस दिन भोग तैयार किया जाता है. शाम के समय मीठा भात या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है.व्रत का तीसरा दिन दूसरे दिन के प्रसाद के ठीक बाद शुरू हो जाता है. इस साल खरना 29 अक्टूबर को है।
तीसरा दिन- अर्घ्य
छठ पूजा में तीसरे दिन को सबसे प्रमुख माना जाता है. इस मौके पर शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है और बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है. इसके बाद, व्रती अपने परिवार के साथ मिलकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं और इस दिन डूबते सूर्य की आराधना की जाती है. छठ पूजा का पहला अर्घ्य इस साल 30 अक्टूबर को दिया जाएगा. इस दिन सूर्यास्त का समय 05 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा।
चौथा दिन- उषा अर्घ्य
चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. ये अर्घ्य लगभग 36 घंटे के व्रत के बाद दिया जाता है. 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 31 मिनट पर होगा. इसके बाद व्रती के पारण करने के बाद व्रत का समापन होगा।
छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा
छठ पर्व पर छठी माता की पूजा की जाती है, जिसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है। एक कथा के अनुसार प्रथम मनु स्वायम्भुव के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी। इस वजह से वे दुखी रहते थे। महर्षि कश्यप ने राजा से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा। महर्षि की आज्ञा अनुसार राजा ने यज्ञ कराया। इसके बाद महारानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्य से वह शिशु मृत पैदा हुआ। इस बात से राजा और अन्य परिजन बेहद दुखी थे। तभी आकाश से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं। जब राजा ने उनसे प्रार्थना की, तब उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि- मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी देवी हूं। मैं विश्व के सभी बालकों की रक्षा करती हूं और निसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं।” इसके बाद देवी ने मृत शिशु को आशीष देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह जीवित हो गया। देवी की इस कृपा से राजा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने षष्ठी देवी की आराधना की। ऐसी मान्यता है कि इसके बाद ही धीरे-धीरे हर ओर इस पूजा का प्रसार हो गया।
छठ पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
छठ पूजा धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का लोकपर्व है। यही एक मात्र ऐसा त्यौहार है जिसमें सूर्य देव का पूजन कर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। हिन्दू धर्म में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। वे ही एक ऐसे देवता हैं जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से देखा जाता है। वेदों में सूर्य देव को जगत की आत्मा कहा जाता है। सूर्य के प्रकाश में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है। सूर्य के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को आरोग्य, तेज और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, पिता, पूर्वज, मान-सम्मान और उच्च सरकारी सेवा का कारक कहा गया है। छठ पूजा पर सूर्य देव और छठी माता के पूजन से व्यक्ति को संतान, सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सांस्कृतिक रूप से छठ पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है इस पर्व की सादगी, पवित्रता और प्रकृति के प्रति प्रेम।
खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टि से छठ पर्व का महत्व
वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी छठ पर्व का बड़ा महत्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि एक विशेष खगोलीय अवसर, जिस समय सूर्य धरती के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित रहता है। इस दौरान सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाती है। इन हानिकारक किरणों का सीधा असर लोगों की आंख, पेट व त्वचा पर पड़ता है। छठ पर्व पर सूर्य देव की उपासना व अर्घ्य देने से पराबैंगनी किरणें मनुष्य को हानि न पहुंचाएं, इस वजह से सूर्य पूजा का महत्व बढ़ जाता है।
छठ में सूर्य की पूजा का चमत्कारी मंत्र
छठ का पर्व सूर्य देव और छठी मैय्या को समर्पित है. मान्यता है कि इस पूजा में सूर्य को अर्घ्य देते वक्त आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते।। इस मंत्र का जाप करने से तेज, बल, यश, कीर्ति और मान सम्मान में वृद्धि होती है।
छठ पर नाक तक क्यों लगाया जाता है सिंदूर ?
हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं के लिए सिंदूर का विशेष महत्व होता है और पूजा में भी मांग भरना अनिवार्य होता है. महिलाएं छठ पूजा के दौरान नाक से शुरू करते हुए पीले सिंदूर से मांग भरती हैं.सिंदूर सुहाग की निशानी और पति की सेहतमंद लंबी उम्र का सूचक होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जितना लंबा सिंदूर लगाया जाता है उतनी ही पति की लंबी उम्र होती है।
छठ पूजा पर लगाए जाते हैं ये भोग
छठ पूजा में छठी मईया और सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए नाभ नींबू, नारियल, केला, ठेकुआ, गन्ना, सुथनी, सुपारी, सिंघाड़ा चढ़ाया जाता है. पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम में सूर्य अर्घ्य से चौथे दिन सुबह अर्घ्य पर समापन होता है।
छठ पूजा के अचूक उपाय
छठ में जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर अवस्था में है तो वे पूजा कर इस ग्रह की शुभता में वृद्धि कर सकते हैं. जैसे गुड़, गेंहू, तांबा, लाल वस्त्र का दान करें. साथ ही छठ पर्व में रक्त चंदन और कमल पुष्प का पूजा में प्रयोग से सूर्य मजबूत होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माणिक्य धारण करने से सूर्य की मजबूत होते हैं।
छठ पूजा के मंत्र
छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य देते हुए इन मंत्रों का जाप करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ खगाय नम:, ॐ घृणि सूर्याय नम:, ॐ पूष्णे नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:, ॐ मरीचये नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:
छठ पूजा व्रत में करें सूर्य देव के ये उपाय, पूरी होगी कामना
छठ पूजा व्रत और सूर्य देव की पूजा में साफ़-सफाई का विशेष महत्व होता है. इस लिए छठ पूजा व्रत शुरू करने के पहले पूजा स्थल की साफ-सफाई जरूर करलें. उसके बाद सुबह स्नानादि के बाद सूर्य देव को अर्घ्य जरूर दें. अर्घ्य देते समय ‘ ओम सूर्याय नमः ओम वासुदेवाय नमः ओम आदित्य नमः’ मंत्र का जाप अवश्य करें. मान्यता है कि सूर्य देव शीघ्र प्रसन्न होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
डिसक्लेमर : इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।