01 मई का दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत साल 1886 में हुई थी। यह दिन मज़दूरों के महत्व, उनके सम्मान, एकता और अधिकारों के समर्थन में मनाया जाता है। दुनिया के कई देशों में तो इस दिन खासतौर से छुट्टी भी दी जाती है। मज़दूर संगठनों से जुड़े लोग रैली व सभाओं का आयोजन करके इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं। इसके अलावा लोग एक-दूसरे को मैसेजेस और कोट्स भी भेजकर इस दिन को मनाते हैं।
मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैं, मजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं, फिर चाहे वो ईंट गारे में सना इन्सान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी. हर वो इन्सान जो किसी संस्था के लिए काम करता हैं और बदले में पैसे लेता हैं, वो मजदूर हैं। हमारे समाज में मजदूर वर्ग को हमेशा गरीब इन्सान समझा जाता है, धूप में मजदूरी करने वालों को ही हम मजदूर समझते है. इसके विपरीत मजदूर समाज का वह अभिन्न अंग है, जो समाज को मजबूत व् परिपक्व बनाता है, समाज को सफलता की ओर ले जाता है. मजदूर वर्ग में वे सभी लोग आते है, जो किसी संस्था या निजी तौर पर किसी के लिए काम करते है और बदले में मेहनतामा लेते है. इन्ही सब मजदूर, श्रमिक को सम्मान देने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाता है।अन्तराष्ट्रीय मजदूर दिवस को अन्तराष्ट्रीय कर्मचारी दिवस व् मई दिवस भी कहते है. इसे पूरी दूनिया में अन्तराष्ट्रीय तौर पर मनाया जाता है, ताकि मजदूर एसोसिएशन को बढ़ावा व् प्रोत्साहित कर सके. मजदूर दिवस 01 मई को पूरी दूनिया में मनाया जाता है, यूरोप में तो इसे पारंपरिक तौर पर बसंत की छुट्टी घोषित किया गया है. दूनिया के लगभग 80 देशों में इस दिन को नेशनल हॉलिडे घोषित किया गया है, कुछ जगह तो इसे मनाने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित होते है. अमेरिका व् कनाडा में मजदूर दिवस सितम्बर महीने के पहले सोमवार को होता है. भारत में हम इसे श्रमिक दिवस भी कहते है।
मजदूर दिवस का इतिहास
भारत में श्रमिक दिवस को कामकाजी आदमी व् महिलाओं के सम्मान में मनाया जाता है. मजदूर दिवस को पहली बार भारत में मद्रास (जो अब चेन्नई है) में 01 मई 1923 को मनाया गया था, इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ़ हिंदूस्तान ने की थी. इस मौके पर पहली बार भारत में आजादी के पहले लाल झंडा का उपयोग किया गया था. इस पार्टी के लीडर सिंगारावेलु चेत्तिअर ने इस दिन को मनाने के लिए 2 जगह कार्यकर्म आयोजित किये थे. पहली मीटिंग ट्रिपलीकेन बीच में व् दूसरी मद्रास हाई कोर्ट के सामने वाले बीच में आयोजित की गई थी. सिंगारावेलु ने यहाँ भारत के सरकार के सामने दरख्वास्त रखी थी, कि 01 मई को मजदूर दिवस घोषित कर दिया जाये, साथ ही इस दिन नेशनल हॉलिडे रखा जाये. उन्होंने राजनीती पार्टियों को अहिंसावादी होने पर बल दिया था।
आखिर क्यों 1 मई को मनाया जाता है मजदूर दिवस
01 मई 1886 को अमेरिका में आंदोलन की शुरूआत हुई थी। इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर सड़कों पर आ गए थे और वो अपने हक के लिए आवाज बुलंद करने लगे। इस तरह के आंदोलन का कारण था काम के घंटे क्योंकि मजदूरों से दिन के 15-15 घंटे काम लिया जाता था। इस हड़ताल के दौरान 04 मई को शिकागो के हेमार्केट में अचानक किसी आदमी के द्वारा बम ब्लास्ट कर दिया गया, जिसके बाद वहां मौजूद पुलिस अंधाधुंध गोली चलाने लगी. जिससे बहुत से मजदूर व् आम आदमी की मौत हो गई. इसके साथ ही 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. इस विरोध का अमेरिका में तुरंत परिणाम नहीं मिला, लेकिन कर्मचारियों व् समाजसेवियों की मदद के इस आंदोलन के तीन साल बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई। जिसमे तय हुआ कि हर मजदूर से केवल दिन के 8 घंटे ही काम लिया जाएगा। फलस्वरूप कुछ समय बाद भारत व अन्य देशों में 8 घंटे वाली काम की पद्धति को अपनाया जाने लगा. इस सम्मेलन में ही 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही हर साल 1 मई को छुट्टी देने का भी फैसला लिया गया। अमेरिका में श्रमिकों के आठ घंटे काम करने के निमय के बाद कई देशों में इस नियम को लागू किया गया।
मजदूर दिवस 2022 की थीम
इस साल मजदूर दिवस की थीम Act together to build a positive safety and health culture यानी की सकारात्मक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्कृति का निर्माण करने के लिए मिलकर कार्य करना है।
भारत में मजदूर दिवस समारोह
श्रमिक दिवस को ना सिर्फ भारत में बल्कि पुरे विश्व में एक विरोध के रूप में मनाया जाता है. ऐसा तब होता है जब कामकाजी पुरुष व् महिला अपने अधिकारों व् हित की रक्षा के लिए सड़क पर उतरकर जुलुस निकालते है. विभिन्न श्रम संगठन व् ट्रेड यूनियन अपने अपने लोगों के साथ जुलुस, रेली व् परेड निकालते है. जुलुस के अलावा बच्चों के लिए तरह तरह की प्रतियोगितायें होती है, जिससे वे इसमें आगे बढ़कर हिस्सा लें और एकजुटता के सही मतलब को समझ पायें. इस तरह बच्चे एकता की ताकत जो श्रमिक दिवस मनाने का सही मतलब है, समझ सकते है. इस दिन सभी न्यूज़ चैनल, रेडियो व् सोशल नेटवर्किंग साईट पर हैप्पी लेबर डे के मेसेज दिखाए जाते है, कर्मचारी एक दूसरे को ये मेसेज सेंड कर विश भी करते है. ऐसा करने से श्रमिक दिवस के प्रति लोगों की सामाजिक जागरूकता भी बढ़ती है. 1960 में बम्बई को भाषा के आधार पर 2 हिस्सों में विभाजित कर दिया गया था, जिससे गुजरात व् महाराष्ट्र को इसी दिन (1 मई) स्वतंत्र राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था. इसलिए मई दिवस के दिन महाराष्ट्र दिवस व् गुजरात दिवस के रूप में क्रमशः महाराष्ट्र व् गुजरात में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. श्रमिक दिवस एक ऐसा अवसर है, जब दूनिया के सभी लोग मजदूर वर्ग की सच्ची भावना को समझ कर उसका जश्न मनाते है. यह एक ऐसा दिन है जब सभी श्रमिक को एक साथ सबके सामने अपनी ताकत, एकजुटता दिखाने का मौका मिलता है, जो ये दर्शाता है कि श्रमिक वर्ग अपने अधिकारों के लिए कितने प्रभावी ढंग से सकरात्मक रूप में संघर्ष कर सकता है।
अलग अलग मजदूर दिवस
दुनिया भर में 80 से अधिक देश एक मई को ही मजदूर दिवस और अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाते हैं. कई देशों में एक मई के अलावा किसी अन्य तारीख को अवकाश रहता है. कुछ देशों में मजदूर दिवस का संबंध एक मई से बिलकुल नहीं हैं तो वहीं कुछ देशों में को मजदूर दिवस ही नहीं मनाया जाता है. कई देशों के तो प्रांतों तक में अलग अलग दिन मजदूर दिवस मनाया जाता है. कनाडा में 1894 से ही सितंबर महीने का पहला सोमवार ही मजदूर दिवस मनाया जाता है. यहां श्रमिकों के संघर्ष का अपना अलग इतिहास है. लेकिन इसमें अमेरिका के मजदूर आंदोलनों का से भी तालमेल रही है और अमेरिका की तरह ही यहां भी मजदूर दिवस उसी दिन मनाया जाता है. इसी दिन कनाडा को अवकाश भी रहता है. जिन देशों में मजदूर दिवस नहीं मनाया जाता है उनमें कुछ अफ्रीका, कुछ खाड़ी देश और मंगोलिया शामिल हैं. वहीं कनाडा, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, में अलग दिन मजदूर दिवस मनाया जाता है. जापान में 23 नवंबर को थैंक्सगिविंग डे के साथ मजदूर दिवस मनाया जाता है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया में तो हर प्रांत का ही अलग अलग मजदूर दिवस हैं. कजाकिस्तान में सितंबर महीने का अंतिम रविवार मजदूर दिवस होता है।
मजदूर दिवस के दिन स्कूलों में क्या किया जाता है ?
वैसे तो मजदूर दिवस यानि 01 मई को लगभग सभी कंपनियों एंव विभागों में छुट्टी होती है लेकिन स्कुल में इसका ख़ास महत्व है. इस दिन स्कूलों में बच्चे मजदूरों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं. वह अनेक तरह के नाटक पेश करते हैं. इतना ही नहीं स्कुल के प्रधानाचार्य अपने सह शिक्षकों को सम्मानित करते हैं. कुछ बच्चे मजदूर दिवस पर भाषण भी लिखते है और मंच पर उसका पाठन भी करते हैं. स्कुल में मजदूरों के प्रति सम्मान और उनके हक़ के प्रति बच्चों को जागरूक किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस से जुड़े रोचक तथ्य
* 14 जुलाई 1889 को यूरोप में सोशलिस्ट पार्टियों की पहली अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा घोषित किए जाने के बाद, मई दिवस पहली बार 1 मई 1890 को मनाया गया था।
* पेरिस में श्रमिकों के लिए हर साल 1 मई को ‘अंतर्राष्ट्रीय एकता श्रमिक दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी।
* यूरोप में 1 मई को ग्रामीण पारंपरिक किसान त्योहारों के साथ जोड़ा गया है, लेकिन बाद में इसे मई दिवस के साथ जोड़ दिया गया।
* अमेरिका के शिकागो में 1886 में श्रमिकों द्वारा एक शांतिपूर्ण रैली में पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई, जिसमें 38 नागरिकों और 7 पुलिस अधिकारी की मौत हो गई। तब इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में चुना गया।
* भारत में मई दिवस या मजदूर दिवस या ‘अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस’, तमिल में ‘उझोपलार नाल’ और मराठी में ‘कामगार दिवस’ जैसे कई नामों से जाना जाता है।
* भारत ने अपना पहला मजदूर दिवस 1923 में मद्रास (चेन्नई) में मनाया था।
* विश्व में 80 से अधिक देशों (भारत सहित) में मजदूर दिवस पर छुट्टी रहती है।
* लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा भारत में पहली बार मई दिवस समारोह का आयोजन किया गया था।
मजदूर/श्रमिक/कामगार दुनिया के हर एक देश के प्रत्येक समाज का एक महत्वपूर्ण अंग हैं।कामगारों व मजदूरों के बिना कोई औद्योगिक ढांचा खड़ा करना कल्पना से परे है क्योंकि बिना मजदूर के कोई भी इमारत खड़ी नहीं की जा सकती।कोई भी देश हो, समाज हो,संस्था हो या उद्योग होहर क्षेत्र में इन सब को तैयार करने के पीछे मजदूरों व कामगारों की एक अहम भूमिकाहोती है। एक मजदूर ही एक सशक्त समज की नींव रखता है।श्रमिक किसी भी राष्ट्र के लिए एक बड़ी संपत्ति है और आज आपके उत्सव का दिन है। हमें आप पर गर्व है, ऐसे ही मेहनत करते रहो। श्रमिक दिवस की बधाई