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विश्व विरासत दिवस यह दिवस संपूर्ण विश्व के विभिन्न देशों, विभिन्न नागरिकों, विभिन्न संस्कृतियों एवं विभिन्न समुदायों के लिए बहुत ही खास दिवस है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को (UNESCO -United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) द्वारा यह दिन विशेष रूप से विभिन्न देशों के प्राचीन ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा एवं उनके महत्व को देखते हुए उन्हें संरक्षित करने के उद्देश्य से निर्धारित किया गया था। इसे विश्व धरोहर दिवस के नाम से भी जाना जाता है। दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है। इसे यूनेस्को द्वारा 1983 में विश्व विरासत दिवस के रूप में मान्यता मिली थी। इसे मनाने का उद्देश्य प्रकृति एवं मानव सभ्यता के विभिन्न घटकों की विरासत को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना एवं उन्हें संरक्षित करने के प्रयास में लगे हुए संगठनों की पहचान करना है।
हमारे पूर्वजों ने हमें एक समृद्ध सांस्कृतिक अतीत के रूप में एक विरासत सौंपी है, और इन धरोहर को सरंक्षित करना हमारा कर्त्तव्य है| इसी लिए हमारी प्राचीन विरासत को संरक्षित करने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए साल में एक बार ‘विश्व विरासत दिवस’ या विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) मनाया जाता है| आइये जानते हैं विश्व विरासत दिवस कब मनाते हैं और क्या है इस वर्ष वर्ल्ड हेरिटेज डे का विषय।
आइए पहले ये जान लेते हैं आखिर विरासत क्या होती है?
विरासत: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति, किसी संस्कृति अथवा किसी राष्ट्र को अपने पूर्वजों से मिली हुई वह मूल्यवान वस्तु जो उस व्यक्ति, उस संस्कृति अथवा उस राष्ट्र के वर्तमान अस्तित्व के लिए जिम्मेदार है अथवा उसमें सहायक है या फिर वह उन्हें उनके पूर्वजों की मेहनत, संघर्ष एवं त्याग के बल पर मिली है। यहां मूल्यवान का तात्पर्य सिर्फ यही नहीं कि उसकी आर्थिक वैल्यू अधिक है। मूल्यवान का अर्थ है कि वह वस्तु चाहे भौतिक रूप मे हो अथवा न हो अर्थात् वह किसी संस्कृति के रूप में भी हो सकती है और किसी इमारत के रूप में भी। किसी परंपरा के रूप में भी हो सकती है और किसी व्यवसाय के रूप में भी।
विश्व विरासत दिवस कब है
विश्व विरासत दिवस, स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस है (International Day for Monuments and Sites)| इसे वर्ल्ड हेरिटेज डे के रूप में भी जाना जाता है| वर्ल्ड हेरिटेज डे हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाता है| वर्ष 1982 में, स्मारकों और स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद (ICOMOS) ने इस दिन (18 अप्रैल) को स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में स्थापित किया था| इसके बाद, उसी वर्ष अपने 22 वें सामान्य सम्मेलन के दौरान यूनेस्को द्वारा भी इस दिवस “वर्ल्ड हेरिटेज डे” को अपनाया गया| तब से हर साल 18 अप्रैल को ‘वर्ल्ड हेरिटेज डे’ मनाया जाता है|
विश्व विरासत दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व विरासत दिवस के महत्व को समझने के लिए हमे पहले यह जानना होगा कि आखिर यूनेस्को को विभिन्न देशों एवं संस्कृतियों की विरासत को सहेजने एवं संरक्षित करने के लिए यह दिवस घोषित करने की आवश्यकता क्यों पड़ी? विश्व विरासत दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य और उसका कारण समझने के लिए हमें यह समझना चाहिए कि किसी व्यक्ति, संस्कृति, सभ्यता अथवा किसी राष्ट्र के लिए उसकी विरासत का क्या महत्व है? यदि कोई राष्ट्र अपने इतिहास से, अपनी धरोहरों से परिचित नहीं है, यदि कोई संस्कृति अथवा कोई परंपरा किसी राष्ट्र में या किसी परिवार अथवा किसी समाज में कुछ पीढ़ियों तक स्थाई रूप से नहीं चलती है तो उस समाज में और उस राष्ट्र में नीरसता और हीनता आ जाती है। किसी समाज में परंपराओं एवं संस्कृतियों का महत्व वैसा ही है, जैसा कि जीवन में धर्म का। जिस प्रकार से मनुष्य का जीवन बगैर धर्म के अस्तित्वहीन लगता है, उसी प्रकार से कोई सभ्यता अथवा कोई समाज भी बिना परंपराओं, रिवाजों एवं संस्कृतियों के महत्वहीन है। यही परंपराएं एवं संस्कृतियां किसी मनुष्य अथवा किसी समाज के लिए उसकी सांस्कृतिक विरासत होती है। इसी तरह से यदि हम बात ऐतिहासिक विरासतों की चर्चा करें तो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपनी पुस्तक में लिखा था कि जो राष्ट्र अपने इतिहास से परिचित नहीं होता है, वह राष्ट्र कभी विकास और उन्नति नहीं कर सकता, उस राष्ट्र का भला कभी नहीं हो सकता। इसलिए सभी व्यक्तियों को अपनी संस्कृति अथवा अपने राष्ट्र से जुड़े हुए ऐतिहासिक धरोहरों का ज्ञान होना आवश्यक है, जिन पर उन्हें गर्व की अनुभूति हो सके। कुछ ऐतिहासिक धरोहरें ऐसी भी होती हैं जिनके बगैर वर्तमान पीढ़ियों की कोई पहचान नहीं होती, कोई अस्तित्व नहीं होता। कुछ ऐतिहासिक धरोहरें प्राकृतिक होती हैं तो कुछ मानव निर्मित। प्राकृतिक धरोहर के रूप में हम नदियों, पर्वतों, गुफाओं को ले सकते हैं तो मानव निर्मित धरोहरों के रूप में विभिन्न मूर्तियों, मंदिरों, स्थापत्य कला, इमारतों, स्मारको आदि को ले सकते हैं।
विश्व विरासत दिवस 2022 का विषय
प्रत्येक वर्ष, वर्ल्ड हेरिटेज डे के अवसर पर, ICOMOS (International Council on Monuments and Sites) अपने सदस्यों, आईसीओएमओएस राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समितियों, कार्य समूहों और भागीदारों द्वारा आयोजित की जाने वाली गतिविधियों के लिए एक विषय का प्रस्ताव करता है|
2022 में, यह दिन “विरासत और जलवायु” विषय के तहत मनाया जा रहा है|
World Heritage Day 2022 Theme: “Heritage and Climate”
वर्ल्ड हेरिटेज डे 2022, हेरिटेज संरक्षण अनुसंधान और अभ्यास की पूरी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिकारों को समय पर एक मंच पर आकर अपने विचार साझा करने और भविष्य के लिए रणनीति बनाने का अवसर प्रदान कर रहा है ताकि जलवायु-लचीले मार्गों को अपनाकर और कम कार्बन उत्सर्जन कर सतत विकास के लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ सकें|
विश्व विरासत दिवस 2014-2022)
1. 2014 का विषय स्मारक और स्थल (Heritage of Commemoration)
2. 2015 का विषय विरासत का मूल्य (The value of heritage)
3. 2016 का विषय खेल की विरासत (The Heritage of Sport)
4. 2017 का विषय सांस्कृतिक विरासत और सतत पर्यटन (Cultural Heritage & Sustainable Tourism)
5. 2018 का पीढ़ियों के लिये विरासत का सरंक्षित करना (Heritage for Generations) है
6. 2019 का विषण ग्रामीण परिदृश्य को समझना (Rural Landscape) है
7. 2020 का विषय साझा संस्कृति और साझा विरासत, (Shared Cultures, Shared Heritage, Shared Responsibility) साझा जिम्मेदारी है।
8. 2021 जटिल अतित और विविध भविष्य (Complex Pasts: Diverse Future)
वर्ल्ड हेरिटेज डे का उद्देश्य
विश्व विरासत दिवस यानि वर्ल्ड हेरिटेज डे, स्मारकों और ऐतिहासिक स्थलों और उनके साथ जुड़े समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दिन है| भारत भी इस दिन अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को उल्लास के साथ मनाता है| इस तिथि को मनाने का उद्देश्य युवा पीढ़ियों को अपनी विरासत को आगे बढ़ाने और हमारी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश साझा करना है| मनुष्य के रूप में हमें अपने सांस्कृतिक विरासत में विविधता का सम्मान करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है| प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक एक जीवित आश्चर्य ही हैं, जो इतिहास की कथा व्यक्त करते हैं| भविष्य में लम्बे समय तक इन संपत्तियों की रक्षा करना एक व्यक्ति या समूह के माध्यम से असंभव है| सामुदायिक भागीदारी और वैश्विक जागरूकता चीजों को बदल सकती है और दुनिया भर में हमारी समृद्ध और विविध संस्कृति को संरक्षित करने में मदद कर सकती है|
विश्व धरोहर दिवस कैसे मनाया जाता है?
विश्व भर 18 अप्रैल के दिन विश्व धरोहर दिवस के महत्व के प्रति लोगों में जागरुकता एवं इसके महत्व को समझाने के लिये सरकारी संस्थाओं द्वारा वार्षिक सम्मेलन आयोजित किये जाते है। देश के पूर्वजों की ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षित करने के लिये शपथ ली जाती है। इन स्थलों का भ्रमण किया जाता है। दुनियाभर की विरासतों की जानकारी दी जाती है। भारत में भारत सांस्कृतिक मत्रालय के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा ‘‘विश्व विरासत सप्ताह’’ के तौर पर मनाया जाता है। इसके अंतर्गत स्कूलों, कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। देश के सांस्कृतिक स्थलों एवं स्मारकों को सरंक्षित करने के लिये जागरुकता अभियान चलाया जाता हैं। इस दिवस के लिये अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा एक विषय भी निश्चित की जाती है।
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट
यूनेस्को विश्व विरासत स्थल संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा मान्यता प्राप्त है| इसका उदाहरण विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण के संबंध में कन्वेंशन द्वारा दिया गया है, जिसे यूनेस्को द्वारा 1972 में स्वीकार किया गया था| यूनेस्को द्वारा साइटों को संरक्षित क्षेत्रों के रूप में सीमांकित किया गया है| यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थलों की सूची में तीन विषयों को शामिल किया है अर्थात वह विश्व विरासत स्थलों को तीन प्रकार की सूचियों में वर्गीकृत करता है-
1. प्राकृतिक धरोहर स्थल
2. सांस्कृतिक धरोहर स्थल
3. मिश्रित धरोहर स्थल
विश्व में धरोहर स्थल
वर्तमान समय में अप्रैल 2022 तक संपूर्ण विश्व 167 देशों में कुल 1154 ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासतों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा मान्यता दी जा चुकी है। जिनमें 897 सांस्कृतिक धरोहर स्थल, 218 प्राकृतिक धरोहर स्थल और 39 मिश्रित धरोहर स्थल के रूप में विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किए गए हैं।
भारत में विश्व धरोहर स्थल
भारत में यूनेस्को के 40 विश्व धरोहर स्थल हैं| धोलावीरा और रामप्पा मंदिर ‘सांस्कृतिक’ श्रेणी के तहत सूची में पिछले वर्ष ही जोड़े गए हैं| ‘रामप्पा मंदिर’, तेलंगाना और ‘धोलावीरा’, गुजरात को 2021 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया| यह फैसला यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के चीन में आयोजित 44वें सत्र में लिया गया| इसके साथ 2021 में विश्व धरोहर स्थलों की कुल संख्या 38 से बढ़कर 40 हो गई| भारत में मौजूद यूनेस्को के 40 विश्व धरोहर स्थल इस प्रकार हैं:
1. अजंता केव्स, महाराष्ट्र (1983) : बौद्ध रॉक-कट गुफा स्मारकों के लिए प्रसिद्ध, यह सिगिरिया पेंटिंग्स की तरह चित्रों और भित्तिचित्रों के साथ समृद्ध रूप से सजाया गया है|
2. एल्लोरा केव्स, महाराष्ट्र (1983) : जैन और हिंदू मंदिर और मठ| इन गुफाओं को पहाड़ियों से बाहर निकाला गया था, और यह एक रॉक-कट आर्किटेक्चर है|
3. आगरा फोर्ट, उत्तरप्रदेश (1983) : यह मुगल साम्राज्य द्वारा सबसे प्रमुख स्मारकीय संरचनाओं में से एक है|
4. ताज महल, उत्तरप्रदेश (1983) : यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है| शाहजहां ने अपनी तीसरी पत्नी बेगम मुमताज महल की याद में इस ढांचे का निर्माण कराया था|
5. सूर्य मंदिर, उड़ीसा (1984) : यह मंदिर कलिंग वास्तुकला की पारंपरिक शैली के लिए प्रसिद्ध है|
6. महाबलीपुरम मोन्यूमेंट, तमिलनाडु (1984) : यह स्मारक महाबलीपुरम के सबसे बड़े ओपन एयर रॉक रिलीफ, मंडप, रथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है| यह एक पल्लव राजवंश वास्तुकला है|
7. काज़ीरंगा नेशनल पार्क, असम (1985) : यह दुनिया के एक सींग वाले गैंडों की 2/3 आबादी के लिए प्रसिद्ध है| इसमें दुनिया में बाघों का उच्चतमघनत्व है| साथ ही यह पानी वाली जंगली भैंस, हाथी, स्वाम्प हिरण, और पार्क को महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में भी मान्यता प्राप्त है|
8. केवलादेव नेशनल पार्क, राजस्थान (1985) : यह राष्ट्रीय उद्यान मानव निर्मित आर्द्रभूमि पक्षी अभयारण्य, पक्षी विज्ञानियों के लिए हॉटस्पॉट और साइबेरियाई क्रेन के लिए लोकप्रिय है|
9. मानस वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, असम (1985) : यह अभयारण्य प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व, बायोस्फीयर रिजर्व और हाथी रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है|
10. चर्चेस एंड कॉन्वेन्ट्स ऑफ़ गोवा, गोवा (1986) : यह एशिया में ओरिएंट के रोम, फर्स्ट मैनुएलिन, मैनरियोलॉजिस्ट और एशिया में बारोक आर्ट फॉर्म्स के लिए और पहले लैटिन राइट मास के लिए प्रसिद्ध है|
11. मोन्यूमेंट ऑफ़ खजुराहो, मध्य प्रदेश (1986) : यह स्मारक जैन और हिंदू मंदिरों के एक समूह के लिए लोकप्रिय है| यह झांसी से 175 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है| यह नागरा शैली प्रतीकवाद और कामुक आंकड़े और मूर्तियों के लिए जाना जाता है|
12. मोन्यूमेंट ऑफ़ हम्पी, कर्नाटक (1986) : विजयनगर का समृद्ध राज्य| हम्पी के खंडहर कला और वास्तुकला की बेहतरीन द्रविड़ शैली को दर्शाते हैं| इस स्थल का सबसे महत्वपूर्ण धरोहर स्मारक ‘विरूपाक्ष मंदिर’ है|
13. फतेहपुर सिकरी, आगरा (1986) : इसकी संरचना चार मुख्य स्मारकों की है: जामा मस्जिद, बुलंद दरवाजा, पंच महल या जादा बाई का महल, दिवाने-खास, और दीवान-ईम|
14. एलीफैंटा केव्स, महाराष्ट्र (1987) : यह बौद्ध और हिंदू गुफाओं के लिए लोकप्रिय है| यह अरब सागर में द्वीप पर स्थित है और यहाँ पर बेसल रॉक गुफा, और शिव मंदिर हैं|
15. ग्रेट लिविंग चोला टेम्पल, तमिलनाडु (1987) : यह मंदिर चोल वास्तुकला, मूर्तिकला, पेंटिंग और कांस्य कास्टिंग के लिए लोकप्रिय है|
16. पत्तदकल मोन्यूमेंट, कर्नाटक (1987) : यह वास्तुकला की अपनी चालुक्य शैली के लिए लोकप्रिय है जो ऐहोल में उत्पन्न हुई और वास्तुकला की नागरा और द्रविड़ शैलियों के साथ मिश्रित हुई|
17. सुंदरबन नेशनल पार्क, पश्चिम बंगाल (1987) : यह राष्ट्रीय उद्यान बायोस्फीयर रिजर्व, सबसे बड़े एस्टुअरीन मैंग्रोव वन, बंगाल टाइगर और खारे पानी के मगरमच्छ के रूप में लोकप्रिय है|
18. नंदा देवी और वैली ऑफ़ फ्लावर्स नेशनल पार्क, उत्तराखंड (1988) : यह स्नो लेपर्ड, एशियाई काले भालू, ब्राउन भालू, ब्लू शीप, और हिमालयन मोनाल, वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर के लिए प्रसिद्ध है|
19. मोन्यूमेंट ऑफ़ बुद्धा, मध्यप्रदेश (1989) : यह अखंड स्तंभों, महलों, मठों, मंदिरों मौर्य वास्तुकला, ये धर्म हेटू शिलालेखों के लिए लोकप्रिय है|
20. हुमायूँ का मकबरा,दिल्ली (1993) : यह ताजमहल और मुगल वास्तुकला के अग्रदूतों के लिए लोकप्रिय है| यहाँ पर एक मकबरा, एक मंडप, पानी के चैनल, और एक बाथ है|
21. क़ुतुब मीनार एंड मोन्यूमेंट, दिल्ली (1993) : इसमें कुतुब मीनार, अलाई दरवाजा, अलाई मीनार, कुब्बत-उल-इस्लाम मस्जिद, इल्तुमिश का मकबरा और लोहे का स्तंभ शामिल हैं|
22. माउंटेन रेलवे ऑफ़ दार्जीलिंग, कालका-शिमला और नीलगिरी (1999) : भारत के पर्वतीय रेलवे में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी और कालका-शिमला शामिल हैं|
23. महाबोधी टेम्पल, बिहार (2002) : बौद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र क्योंकि यह वह स्थान था जहां महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था| बोधगया को बौद्धों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है|
24. भीमबेटका रॉक शेल्टर, मध्यप्रदेश (2003) : यह प्राकृतिक रॉक आश्रयों, पाषाण युग शिलालेखों, भीम (महाभारत) के बैठने के स्थान के भीतर रॉक पेंटिंग्स के लिए प्रसिद्ध है|
25. छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, महाराष्ट्र (2004) : यह मध्य रेलवे मुख्यालय, 2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमलों, गोथिक शैली वास्तुकला के लिए लोकप्रिय है|
26. चंपानेर पावागढ़ आर्कियोलॉजिकल पार्क, गुजरात (2004) : यह स्थान एकमात्र पूर्ण और अपरिवर्तित इस्लामी पूर्व-मुगल शहर है| पार्क में पाषाण युग के कुछ प्राचीन चाल्कोलिथिक भारतीय स्थल भी हैं|
27. लाल किला, दिल्ली (2007) : यह शाहजहांनाबाद, फारसी, तैमूरी और भारतीय वास्तुशिल्प शैलियों, लाल बलुआ पत्थर वास्तुकला, मोती मस्जिद के लिए लोकप्रिय है|
28. जंतर मंतर, दिल्ली (2010) : आर्किटेक्चरल एस्ट्रोनॉमिकल इंस्ट्रूमेंट्स के लिए प्रसिद्ध, महाराजा जय सिंह द्वितीय, अपनी तरह की सबसे बड़ी वेधशाला|
29. पश्चिमी घाट, कर्नाटक, केरला, तमिलनाडु, महाराष्ट्र (2012) : दुनिया के दस “सबसे जैव विविधता हॉटस्पॉट” के बीच के लिए प्रसिद्ध| इसमें कई राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और आरक्षित वन शामिल हैं|
30. हिल फोर्ट्स, राजस्थान (2013) : यह स्थान अपने अद्वितीय राजपूत सैन्य रक्षा वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है| इसमें चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर किला, गगरोन किला, अंबर किला और जैसलमेर किले में छह राजसी किले शामिल हैं|
31. रानी की वाव, गुजरात (2014) : यह ठीक प्राचीन भारतीय वास्तुकला का एक स्पष्ट उदाहरण है जिसका निर्माण सोलंकी राजवंश का समय किया गया है|
32. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, हिमाचल प्रदेश (2014) : यह लगभग 375 जीव प्रजातियों और कई पुष्प प्रजातियों का घर है, जिसमें कुछ बहुत ही दुर्लभ शामिल हैं| जानवरों की प्रजातियां जैसे नीली भेड़, हिम तेंदुआ, हिमालयी भूरा भालू, हिमालयन ताहर, कस्तूरी हिरण स्प्रूस, घोड़े चेस्टनट, और पौधों में विशाल अल्पाइन घास के मैदान शामिल हैं| यह हिमालयन बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट का एक हिस्सा है|
33. नालंदा, बिहार (2016) : तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 13 वीं शताब्दी तक सीखने का एक केंद्र और एक बौद्ध मठ|
34. कंचनजंगा नेशनल पार्क, सिक्किम (2016) : राष्ट्रीय उद्यान अपने जीवों और वनस्पतियों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें हिम तेंदुए को भी कभी-कभी देखा जाता है|
35. आर्किटेक्चरल वर्क ऑफ़ ली-कोर्बुसिएर, चंडीगढ़ (2016) : आधुनिक आंदोलन में उत्कृष्ट योगदान के हिस्से के रूप में एक विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है|
36. द हिस्टोरिक सिटी, अहमदाबाद (2017) : साबरमती के तट पर एक दीवारों वाला शहर जहां हिंदू धर्म, इस्लाम और जैन धर्म का पालन करने वाले समुदाय सदियों से सह-अस्तित्व में हैं|
37. विक्टोरियन गोथिक एंड आर्ट डेको एन्सेंबलेस, मुंबई (2018) : यह महान सांस्कृतिक महत्व की 94 इमारतों का संग्रह है, जो मुंबई के फोर्ट क्षेत्र में स्थित है|
38. द पिंक सिटी, जयपुर (2019) : जयपुर कई शानदार किलों, महलों, मंदिरों और संग्रहालयों का घर है और स्थानीय हस्तशिल्प और ट्रिंकेट से भी भरा हुआ है|
39. काकतिया रुद्रेश्वर (रामप्पा मंदिर), तेलंगाना (2021) : रामप्पा मंदिर पलमपेट गांव, तेलंगाना में स्थित है। यह मंदिर कम से कम 800 से 900 साल पुराना होने का अनुमान है| मंदिर को विशेष रूप से हल्के झरझरा ईंटों के लिए जाना जाता है जिन्हें फ्लोटिंग ईंटों के रूप में जाना जाता है|
40. धोलावीरा, गुजरात (2021) : धोलावीरा गुजरात के कच्छ जिले में स्थित एक वास्तुशिल्प स्थल है| यह सबसे प्रमुख सिंधु घाटी सभ्यता स्थलों में से एक है|
मानव इतिहास कई सकारात्मक एवं नकारात्मक घटनाओं का गवाह रहा है। कई युद्ध हुए। तो कला, संस्कृति एवं आर्किटेक्चर का भी विकास हुआ। ये हमारे अमूल्य धरोहर हैं। जो समय के साथ ध्वस्त होते जा रहे हैं।कहते हैं आनेवाला भविष्य, बीते हुए इतिहास की नींव पर खड़ी होती है। अतः इतिहास में मिले कला, संस्कृति, स्मारक या धरोहर को हमें ही संजो कर रखना चाहिए। इनको संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।