हर साल 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक सम्पदा दिवस मनाया जाता है. विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन के तत्वावधान में हर वर्ष इस विशेष दिवस का स्थापना दिवस मनाया जाता है.आज के दिन यानी 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस (Intellectual Property Day) मनाया जाता है. इस दिन की शुरुआत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization) द्वारा साल 2000 में दुनिया भर में “नवाचार और रचनामकता को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा अधिकारों पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और डिज़ाइन की भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने और रोजमर्रा के जीवन पर रचनाकारों द्वारा समाज के विकास में किए गए योगदान को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
मनुष्य अपनी बुद्धि से कई तरह की खोजें और नई-नई रचनाओं को जन्म देता है| और उन विशेष खोजों पर उसका पूरा हक़ भी है, लेकिन उसके इस अधिकार का सरंक्षण हमेशा से एक चिंता का विषय रहा है| यहीं से बौद्धिक संपदा के अधिकार की बहस तेज होती है| हम अपने दिमाग से जो भी कोई रचना रचते हैं और उसे कोई अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करे तो यह हमारे अधिकारों का हनन है, खासकर हमारी बुद्धि से बनी उस रचना का| इन्हीं अधिकारों की रक्षा के लिए और लोगों को बौद्धिक संपदा का महत्त्व समझाने के लिए हर साल विश्व बौद्धिक संपदा दिवस (World Intellectual Property Day) मनाया जाता है| आइये जानते हैं विश्व बौद्धिक संपदा दिवस कब मनाया जाता है और क्या है इस वर्ष की थीम।
बौद्धिक संपदा का क्या अर्थ है
बौद्धिक संपदा, संपत्ति की एक ऐसी श्रेणी है जिसमें मानव बुद्धि से निर्मित ऐसी रचनाएं शामिल हैं जिन्हें छू कर महसूस नहीं किया जा सकता| इनमें मुख्य रूप से कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क समेत नैतिक अधिकार, प्रचार अधिकार और अनुचित प्रतिस्पर्धा के खिलाफ अधिकार शामिल हैं| सयुंक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी एजेंसी में से एक वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी संगठन का कार्य रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना और दुनिया भर में बौद्धिक संपदा का सरंक्षण को बढ़ावा देना है|
जानें विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के बारे में
यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी एजेंसियों में से एक है. गौरतलब है कि डब्ल्यूआईपीओ संयुक्त राष्ट्र के 15 विशिष्ट एजेंसियों में से एक है. इसकी स्थापना 14 जुलाई 1967 को हुई थी. इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है. डब्ल्यूआईपीओ बौद्धिक संपदा की जानकारी के लिये विश्वसनीय वैश्विक संदर्भ स्रोत का काम करता है. भारत डब्ल्यूआईपीओ का सदस्य है और डब्ल्यूआईपीओ द्वारा प्रशासित कई संधिओं के लिए पार्टी है।
क्या उपयोग है इसका?
बौद्धिक संपदा अधिकार, मानसिक रचनाएं, कलात्मक और वाणिज्यिक, दोनों के संदर्भ में विशेष अधिकारों के समूह हैं. प्रथम अधिकार कॉपीराइट क़ानूनों से आवृत हैं, जो रचनात्मक कार्यों, जैसे पुस्तकें, फ़िल्में, संगीत, पेंटिंग, छाया-चित्र और सॉफ्टवेयर को संरक्षण प्रदान करता है और कॉपीराइट अधिकार-धारक को एक निश्चित अवधि के लिए पुनरुत्पादन पर या उसके रूपांतरण पर नियंत्रण का विशेष अधिकार देता है. दूसरी श्रेणी, सामूहिक रूप से “औद्योगिक संपत्ति” के रूप में जानी जाती है, क्योंकि इनका उपयोग विशिष्ट रूप से औद्योगिक या वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए किया जाता है।
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस कब मनाया जाता है
प्रति वर्ष 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मनाया जाता है| विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मनाने का उद्देश्य ‘बौद्धिक संपदा’ की सामान्य समझ को बढ़ाना है| विश्व बौद्धिक संपदा दिवस, तकनीकी नवाचार, संगीत और कला के उत्थान हेतु विमर्श के लिए प्रत्येक वर्ष दुनिया भर के लोगों को एक साथ जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है| 26 अप्रैल को 1970 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) कन्वेंशन लागू हुआ था जिसके उपलक्ष्य में साल 2000 से विश्व बौद्धिक संपदा दिवस हर वर्ष 26 अप्रैल को मनाया जाता है| विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) बौद्धिक संपदा नीति, सेवाओं, सूचना और सहयोग के लिए वैश्विक मंच है| WIPO कई देशों में बौद्धिक संपदा अधिकार प्राप्त करने और विवादों को सुलझाने के लिए व्यावसायिक सेवाएं प्रदान करती है| विश्व बौद्धिक संपदा संगठन, सयुंक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, जिसके वर्तमान में 193 सदस्य देश हैं| वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी संगठन की स्थापना 1967 में हुई थी| इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में है|
इससे क्या फायदा
इसे पेटेंट एक नए, उपयोगी और अस्पष्ट आविष्कार के लिए दिया जा सकता है और पेटेंट धारक को दूसरों को आविष्कारक द्वारा बिना लाइसेंस दिए एक निश्चित अवधि के लिए आविष्कार के अभ्यास से रोकने का अधिकार प्रदान करता है. बहु पक्षीय व्यापार और वाणिज्य बढ़ाने के वर्तमान के वैश्विक परिदृश्य में किसी भी देश के लिए रचनाकारों और आविष्कारकों को सांविधिक अधिकार प्रदान करके अपनी बौद्धिक सम्पत्ति की सुरक्षा करना आवश्यक हो गया है और इससे उन्हें विश्व के बाज़ार में अपने प्रयासों का उचित वाणिज्यिक मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलती है. नवीन और सृजनात्मक क्षमता को विश्व व्यापार संगठन की बौद्धिक सम्पत्ति प्रणाली के तहत सुरक्षित रखा जाता है. इस तथ्य को मानते हुए, भारत ने विश्व व्यापार संगठन का एक संस्थापक सदस्य होने के नाते व्यापार संबंधी बौद्धिक सम्पत्ति अधिकारों (टीआरआईपीएस) से संबंधित करार का अनुसमर्थन किया है. इस करार के अनुसार भारत सहित सभी सदस्य देश परस्पर वार्ता से निर्धारित किए गए प्रतिमानों और मानकों का पालन अनुबंधित समय सीमा के अंतर्गत करेंगे।
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2022 का विषय
हर साल विश्व बौद्धिक संपदा दिवस एक अलग विषय पर मनाया जाता है|पिछले वर्ष विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2021 की थीम “IP and SMEs: Taking Your Ideas to Market” थी|
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2022 का विषय ‘IP and Youth Innovating for a Better Future’ है, जो युवाओं के नेतृत्व वाले नवाचार और रचनात्मकता का जश्न मनाता है| दुनिया भर में, युवा लोग अपनी ऊर्जा और सरलता, जिज्ञासा और रचनात्मकता का उपयोग करके एक बेहतर भविष्य की दिशा में इनोवेशन चुनौतियों के लिए आगे बढ़ रहे हैं| युवा लोग कल के नवोन्मेषक, रचनाकार और उद्यमी हैं| अपनी रचनात्मकता के माध्यम से, वे सभी क्षेत्रों में बदलाव करते हुए एक बेहतर भविष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं| विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2022 परिवर्तन निर्माताओं की इस रोमांचक पीढ़ी का जश्न मना रहा है|विश्व बौद्धिक संपदा 2022 एक स्थायी भविष्य के लिए युवा लोगों की विशाल क्षमता को नए और बेहतर समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित करता है| आज के युवा रचनात्मकता के एक अविश्वसनीय और काफी हद तक अप्रयुक्त स्रोत हैं| वे नए दृष्टिकोण, ऊर्जा, जिज्ञासा और “कर सकने वाला” रवैया, और एक बेहतर भविष्य के लिए चाह, के साथ पहले से ही नए आविष्कार और परिवर्तन के लिए कार्य कर रहे हैं|विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2022 युवाओं के लिए यह पता लगाने का एक अवसर है कि आई.पी. अधिकार उनके लक्ष्यों का कैसे समर्थन कर सकता है, उनके विचारों को वास्तविकता में बदलने में मदद कर सकते हैं, आय उत्पन्न कर सकते हैं, नौकरियां पैदा कर सकते हैं और उनके आसपास की दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं| आईपी अधिकारों के साथ, युवा लोगों को उन प्रमुख उपकरणों तक पहुंच मिलती है जो उन्हें उनकी महत्वाकांक्षाओं के साथ आगे बढ़ाने में मदद करते है| इस वर्ष अभियान के दौरान, युवा लोग इस बात की बेहतर समझ हासिल करने में सक्षम होंगे कि आईपी सिस्टम के उपकरण जैसे ट्रेडमार्क, डिजाइन अधिकार, कॉपीराइट, पेटेंट, भौगोलिक संकेत, ट्रेड सीक्रेट आदि, एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए उनकी महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करते हैं|
भारत में अधिकार प्रणाली
भारत ने एक बौद्धिक सम्पत्ति अधिकार प्रणाली स्थापित की है, जो विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप है और सभी स्तरों पर चाहे वह सांविधिक, प्रशासनिक अथवा न्यायिक हो, भली-भांति स्थापित है।
* भारत सरकार ने बौद्धिक सम्पत्ति के महत्व को देखते हुए देश में इसके प्रशासन को कारगर बनाने के लिए व्यापक उपाय किए हैं. बौद्धिक संपदा अधिकार व्यक्ति या संस्था को अपनी रचना/आविष्कार पर एक निश्चित अवधि के लिए विशेषाधिकार प्रदान करते हैं. इन विशेषाधिकारों का विधि द्वारा संरक्षण पेटेंट, कॉपीराइट अथवा ट्रेडमार्क आदि के रूप में किया जाता है. इससे सर्जक खोज तथा ‘नवाचार’ (Innovation) के लिए उत्साहित और उद्यत रहते हैं और वित्तीय एवं वाणिज्यिक लाभ प्राप्त करते हैं।
* जहां तक एकीकृत परिपथों ले आउट डिजाइन तैयार करने से संबंधित मुद्दों का संबंध है, ”सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग एक नोडल संगठन है. जबकि कृषि मंत्रालय पौध की सुरक्षा, किस्मों की सुरक्षा और कृषक अधिकार प्राधिकारी” पौध की किस्मों से संबंधित सभी उपायों और नीतियों को प्रशासित करता है. यद्यपि कई सदियों से बौद्धिक संपदा का संचालन करने वाले बहुत से क़ानूनी सिद्धांत विकसित हुए हैं, तथापि उन्नीसवीं सदी के बाद ही बौद्धिक संपदा शब्द प्रचलन में आया और यह कहा जाता है कि बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में इसने अमेरिका में आम स्थान पाया।
* प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने के लिए कई प्रकार के वैधानिक उपाय किए गए हैं. इनमें ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999; वस्तुओं का भौगोलिक निदर्शन (पंजीकरण एवं सुरक्षा) अधिनियम, 1999; डिजाइन अधिनियम, 2000; पेटेण्ट अधिनियम, 1970 और इसमें वर्ष 2002 और 2005 में किए गए संशोधन; भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957 और इसका संशोधन कॉपीराइट (संशोधन) अधिनियम, 1999; अर्द्धचालक एकीकृत परिपथ ले आउट डिजाइन अधिनियम, 2000; तथा पौधों की किस्मों और कृषक अधिकारों का संरक्षण अधिनियम, 2001 बौद्धिक संपदा अधिकार अस्थाई एकाधिकार हैं, जो राज्य द्वारा अभिव्यक्ति और विचारों के उपयोग के संबंध में लागू किये जाते हैं।
बौद्धिक संपदा अधिकारों की स्थापना एक लेन-देन को दर्शाती है, जो ग़ैर प्रतिद्वंद्वी वस्तुओं के निर्माण में एकाधिकार शक्ति की समस्याओं के साथ, समाज के हित को संतुलित करता है। चूंकि लेन-देन और प्रासंगिक लाभ और समाज के लिए उसकी लागत बहुत से कारकों पर निर्भर करेगी, जो हर समाज और उत्पाद के लिए विशिष्ट है, वह इष्टतम समयावधि जिसके दौरान अस्थायी एकाधिकार अधिकार बने रहने चाहिए।