अपने सम्मान, अपनी अस्मिता और अपने अधिकारों की लड़ाई महिलाएं सदियों से लड़ते आ रही हैं. पहले की तुलना में देखा जाए तो आज महिलाओं की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है लेकिन आज भी कई ऐसे देश हैं, जहां महिलाओं को बराबरी का अधिकार नहीं मिला है. वे अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं. हर साल 26 अगस्त को दुनियाभर में ‘महिला समानता दिवस’ (Women’s Equality Day 2022) मनाया जाता है. हर साल इस डे को एक खास थीम दी जाती है. इस वर्ष ‘महिला समानता दिवस’ की थीम (Women’s Equality Day 2022 theme) ‘सेलिब्रेटिंग वूमेंस राइट टू वोट’ है।
पुरुष प्रधान समाज में, महिलाओं के समान अधिकार की बात कल तक दिवा स्वप्न ही थी.. हालांकि महिलाएं अपने दम-खम पर हर उस क्षेत्र तक पहुंची हैं, जहां कभी पुरुषों का वर्चस्व रहा है. दूसरे शब्दों में महिलाएं अपनी प्रतिभा के बल पर न केवल पुरुषों की बराबरी पर पहुंची, बल्कि कई क्षेत्रों में उन्हें भी पछाड़कर आगे निकली हैं. विश्व में आमतौर पर महिलाओं को असमानता का सामना करना पड़ता है| भारत में भी लिंग आधारित भेदभाव जन्म से ही शुरू हो जाता है| घर से ही इसकी शुरुआत होती है| ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2022 के अनुसार कुल 146 देशों में भारत 135 वें स्थान पर है| महिलाओं को पुरुषों के सामान अधिकार दिलाने के लिए ही प्रत्येक वर्ष महिला समानता दिवस, न केवल भारत बल्कि पुरे विश्व में मनाया जाता है| महिला समानता दिवस के अवसर पर आज बात करेंगे, इस दिवस विशेष के महत्व, इतिहास एवं सेलिब्रेशन के तरीके तथा भारत में इसकी स्थिति पर… आइये जानते हैं महिला समानता दिवस (Women Equality Day is celebrated on) कब मनाते हैं:
महिला समानता दिवस का थीम
हर साल 26 अगस्त को ‘महिला समानता दिवस’ दुनियाभर में सेलिब्रेट किया जाता है. हर साल इस डे को एक खास थीम के तहत सेलिब्रेट किया जाता है. इस वर्ष ‘महिला समानता दिवस’ की थीम ‘सेलिब्रेटिंग वूमेंस राइट टू वोट’ है।
क्या है महिला समानता दिवस?
एक समय था, जब दुनिया भर में महिलाओं को दोयम दर्जे की नागरिक माना जाता था. इसे लेकर सबसे पहले आवाज उठाई अमेरिका और न्यूजीलैंड की महिलाओं ने. 26 अगस्त 1920 में अमेरिकी संविधान में 19वें अमेंडमेंट के जरिये महिलाओं को पुरुषों के समान मतदान का अधिकार मिला. धीरे-धीरे विश्व भर की महिलाओं में यह जागरुकता आती गई, और आज दुनिया के अधिकांश देशों में 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है।
महिला समानता दिवस कब मनाते हैं
हर साल 26 अगस्त को दुनिया भर में ‘महिला समानता दिवस’ मनाया जाता है| इस वर्ष 102वां ‘महिला समानता दिवस’ मनाया जा रहा है| वैसे तो आज के समय यह दिवस विश्व भर में मनाया जा रहा है पर महिला समानता दिवस का इतिहास सयुंक्त राज्य अमेरिका से जुड़ा हुआ है, जहाँ यह पहली बार मनाया गया था| लगभग सौ वर्ष पहले महिलाओं को अमेरिका में वोट देने का भी अधिकार नहीं था| पचास सालों तक चली लड़ाई में अमेरिका की महिलाओं को 26 अगस्त 1920 के दिन मतदान का अधिकार मिला| इसी दिन को याद करते हुए अमेरिका में “महिला समानता दिवस” मनाया जाने लगा| अमेरिका के साथ महिलाओं की समानता का मुद्दा अब अंतर्राष्ट्रीय बन गया है|
महिला समानता दिवस का महत्व
अमेरिका में 19 वें संविधान संशोधन के तहत 26 अगस्त 1920 में महिलाओं को समानता का अधिकार दिया गया. इस आशय की जानकारी अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने आधिकारिक रूप से दी थी. पहली बार महिला समानता दिवस साल 1972 में रेखांकित किया गया था. लेकिन इससे पूर्व न्यूजीलैंड विश्व के पहले देश के रूप में साल 1893 में महिला समानता दिवस की शुरुआत कर चुका था।
महिला समानता दिवस का उद्देश्य
महिला समानता दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है| वैसे तो कानून की नजर में पुरुष और महिला दोनों को समान अधिकार मिला हुआ है लेकिन समाज में अभी भी महिलाओं को लेकर लोगों के मन में दोहरी मानसिकता होती है| उन्हें अभी भी पुरुष के बराबर का अधिकार नहीं मिला है| महिला समानता दिवस महिलाओं को पुरुषों के समान मनाने की दिशा में एक कदम है| जैसा कि बताया गया है ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2022 की रिपोर्ट के अनुसार कुल 146 देशों में भारत का 135वां स्थान है| यूँ तो पहले की तुलना, भारत में शिक्षा अब अधिक समावेशी हुई है और महिलाओं की साक्षरता में भी वृद्धि हो रही है, लेकिन फिर भी आज कई क्षेत्रों में महिलाओं को सामान अवसर नहीं मिल पाता| देश भर में कई महिला संगठन महिला समानता दिवस को जोर शोर से मनाते हैं| इसके साथ ही वो रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं को समान अधिकार दिलाने की वकालत करते हैं|
महिला समानता दिवस का इतिहास?
सर्वप्रथम साल 1853 में अमेरिका में महिला अधिकारों की लड़ाई शुरू हुई थी, जब विवाहित महिलाओं (married women) ने संपत्ति पर अपना अधिकार मांगने की पहल की थी. तब तक अमेरिका ही नहीं बल्कि अधिकांश पश्चिमी देशों में भी महिलाओं के साथ गुलाम सरीखा व्यवहार किया जाता था. धीरे-धीरे महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी. साल 1890 में अमेरिका में ही नेशनल अमेरिकन वुमन सफरेज एसोसिएशन (National American Woman Suffrage Association) की नींव रखी गयी. महिलाओं द्वारा संचालित इस संगठन ने सर्वप्रथम महिलाओं को वोटिंग का अधिकार देने के लिए पूरे अमेरिका में आंदोलन किया. लंबे संघर्ष के पश्चात अंततः साल 1920 में अमेरिका में महिलाओं को भी वोटिंग का अधिकार मिला. साल 1971 में महिलाओं के संगठनों ने 26 अगस्त को संयुक्त रूप से वुमेन इक्विलिटी डे के रूप में मनाया. धीरे-धीरे दुनिया के सभी देशों में महिला समानता दिवस मनाने का सिलसिला शुरू हुआ।
कैसे करते हैं सेलिब्रेशन?
इस दिन अमेरिका, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, भारत सहित दुनिया तमाम देशों में महिलाओं के अधिकारों पर तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. जगह-जगह इसी विषय पर डिबेट्स, कॉन्फ्रेंस, प्रतियोगिताएं, गेट-टू-गेदर आयोजित किये जाते हैं. महिला संगठन की पदाधिकारी आम महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करती हैं, इसके लिए कैंपेन एवं मिशन चलाए जाते हैं. राजनीति के साथ-साथ रोजगार, पारिश्रमिक एवं शिक्षा आदि के क्षेत्रों में भी महिलाओं को समान अधिकार दिलाने की पुरजोर वकालत की जाती है।
भारत में महिला समानता दिवस का औचित्य
ब्रिटिश हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने में महिलाओं की भागीदारी कम नहीं थी. यही वजह थी कि स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही महिलाओं को भी मतदान का समान अधिकार प्राप्त था. लेकिन पंचायतों एवं नगर निकायों में चुनाव लड़ने का कानूनी अधिकार 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के प्रयास से प्राप्त हो सका था. भारत के लिए हर्ष की बात है कि आज भारत की पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी 50 फीसदी से ज्यादा है. भारतीय संविधान में महिलाओं के वोटिंग अधिकार का उल्लेख संविधान के आर्टिकल 326 में है. साल 1962 के चुनावों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 46.63% था, जबकि 2019 के लोकसभा चुनावों में यह बढ़कर 67.2% हो गया।
महिलाओं को इन अधिकार के बारे में पता होना चाहिए
भारतीय कानून में महिलाओं को अलग-अलग अधिकार मिले हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।
संपत्ति का अधिकार : भारत में बेटों को पिता और परिवार का कुल वंश माना जाता है। हालांकि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पिता की संपत्ति या पुस्तैनी संपत्ति पर बेटे और बेटी दोनों का समानता का अधिकार है।
समान वेतन का अधिकार : मेहनताने की बात हो तो जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते। किसी कामकाजी महिला को पुरुष की बराबरी में सैलरी लेने का अधिकार है।
गरिमा और शालीनता का अधिकार : महिला को गरिमा और शालीनता से जीने का अधिकार मिला है। मेडिकल परीक्षण के दौरान महिला की मौजूदगी होना चाहिए।
दफ्तर या कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा : अगर किसी महिला के खिलाफ दफ्तर में या कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे शिकायत दर्ज करने का अधिकार है।
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार : भारतीय संविधान की धारा 498 के अंतर्गत पत्नी, महिला लिव-इन पार्टनर या किसी घर में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार मिला है। पति, मेल लिव इन पार्टनर या रिश्तेदार अपने परिवार के महिलाओं के खिलाफ जुबानी, आर्थिक, जज्बाती या यौन हिंसा नहीं कर सकते।
पहचान जाहिर नहीं करने का अधिकार : किसी महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार हमारे कानून में दर्ज है। अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है तो वह अकेले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा सकती है।
मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार : लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट के मुताबिक बलात्कार की शिकार महिला को मुफ्त कानूनी सलाह पाने का अधिकार है।
रात में महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार : किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकते। किसी से अगर उसके घर में पूछताछ कर रहे हैं तो यह काम महिला कांस्टेबल या परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में होना चाहिए।
वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार : कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है। इसमें वह ईमेल का सहारा ले सकती है। महिला चाहे तो रजिस्टर्ड पोस्टल एड्रेस के साथ पुलिस थाने में चिट्ठी के जरिये अपनी शिकायत भेज सकती है।
अशोभनीय भाषा का नहीं कर सकते इस्तेमाल : किसी महिला (उसके रूप या शरीर के किसी अंग) को किसी भी तरह से अशोभनीय, अपमानजनक या नैतिकता को भ्रष्ट करने वाले रूप में प्रदर्शित नहीं कर सकते। ऐसा करना दंडनीय अपराध है।
महिला का पीछा नहीं कर सकते : आईपीसी की धारा 354D के तहत वैसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी जो किसी महिला का पीछे करे, बार-बार मना करने के बावजूद संपर्क करने की कोशिश करे या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन जैसे इंटरनेट, ईमेल के जरिये मॉनिटर करने की कोशिश करे।
जीरो एफआईआर का अधिकार : किसी महिला के खिलाफ अगर अपराध होता है तो वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है। इसके लिए जरूरी नहीं कि कंप्लेंट उसी थाने में दर्ज हो जहां घटना हुई है। जीरो एफआईआर को बाद में मामले को उस थाने में भेज दिया जाएगा जहां अपराध हुआ हो।
मातृत्व लाभ कानून : 1961 में लागू इस एक्ट के तहत कर कामकाजी महिला के माँ बनने की स्थिति में कार्यालय से 6 माह की छुट्टी लेने का अधिकार है। मैटरनिटी लीव या गर्भावस्था के दौरान छुट्टी लेने पर कंपनी महिला कर्मचारी के वेतन में कोई कटौती नहीं कर सकती। कामकाजी गर्भवती महिला को नौकरी से भी नहीं निकाला जाएगा।
भारत में महिलाओं की स्थिति
भारत ने महिलाओं को आज़ादी के बाद से ही मतदान का अधिकार पुरुषों के बराबर दिया, परन्तु यदि वास्तविक समानता की बात करें तो भारत में आज़ादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी महिलाओं की स्थिति गौर करने के लायक है। यहाँ वे सभी महिलाएं नज़र आती हैं, जो सभी प्रकार के भेदभाव के बावजूद प्रत्येक क्षेत्र में एक मुकाम हासिल कर चुकी हैं और सभी उन पर गर्व भी महसूस करते हैं। परन्तु इस कतार में उन सभी महिलाओं को भी शामिल करने की ज़रूरत है, जो हर दिन अपने घर में और समाज में महिला होने के कारण असमानता को झेलने के लिए विवश है। चाहे वह घर में बेटी, पत्नी, माँ या बहन होने के नाते हो या समाज में एक लड़की होने के नाते हो। आये दिन समाचार पत्रों में लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ और बलात्कार जैसी खबरों को पढ़ा जा सकता है, परन्तु इन सभी के बीच वे महिलाएं जो अपने ही घर में सिर्फ इसीलिए प्रताड़ित हो रही हैं, क्योंकि वह एक औरत है। देश में सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में अपना पद संभाला है इसके पूर्व राष्ट्रपति के पद पर प्रतिभा देवी सिंह पाटिल रह चुकी हैं। प्रधानमंत्री के पद पर इंदिरा गाँधी और । दिल्ली की सत्ता पर कांग्रेस की शीला दीक्षित, तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक अध्यक्ष जयललिता, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी और ‘बहुजन समाज पार्टी’ की अध्यक्ष मायावती ने अच्छा नाम अर्जित किया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को तो विश्व की ताकतवर महिलाओं में शुमार किया ही जा चुका है। यदि देश की संसद में देखें तो सुषमा स्वराज और मीरा कुमार भी भारतीय राजनीति में प्रसिद्ध हैं। कॉरपोरेट सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर जैसे क्षेत्रों में इंदिरा नूई और चंदा कोचर जैसी महिलाओं ने भी अपना लोहा मनवाया है। इन कुछ उपलब्धियों के बाद भी देखें तो आज भी महिलाओं की कामयाबी आधी-अधूरी समानता के कारण कम ही है। हर साल 26 अगस्त को ‘महिला समानता दिवस’ तो मनाया जाता है, लेकिन दूसरी ओर महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार आज भी जारी है। हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और प्रतिशत कम है।
भारत में महिला महिला साक्षरता
साक्षरता दर में महिलाएं आज भी पुरुषों से पीछे हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार महिलाओं की साक्षरता दर में 12 प्रतिशत की वृद्धि ज़रूर हुई है, लेकिन केरल में जहाँ महिला साक्षरता दर 92 प्रतिशत है, वहीं बिहार में महिला साक्षरता दर अभी भी 53.3 प्रतिशत है। पहले जहाँ महिलाएं घरों से नहीं निकलती थीं, वहीं अब वे अपने हक की बात कर रही हैं। उन्हें अपने अधिकार पता हैं और इसके लिए वे लड़ाई भी लड़ रही हैं।” “कॉलेजों में लड़कियों की संख्या देखकर लगता है कि अब उन्हें अधिकार मिल रहे हैं। लेकिन लड़कियों में खासकर छोटे शहर की लड़कियों में सिर्फ विवाह के लिए ही पढ़ाई करने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। आज भी समाज की मानसिकता पूरी तरह नही बदली नहीं है।
भारत में महिला सशक्तिकरण
महिला एवं बाल विकास विभाग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बच्चों के लिए राष्ट्रीय चार्टर पर जानकारी प्राप्त होती है। प्रयोक्ता जीवन, अस्तित्व और स्वतंत्रता के अधिकार की तरह एक बच्चे के विभिन्न अधिकारों के बारे में पता लगा सकते हैं, खेलने और अवकाश, मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने के अधिकार, माता पिता की जिम्मेदारी के बारे में सूचना आदि, विकलांग बच्चों की सुरक्षा आदि के लिए भी सूचना प्रदान की गई है।
राष्ट्रीय महिला समानता दिवस कैसे मनाएं
* ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप महिला समानता दिवस मना सकते हैं। इस तिथि पर करने के लिए सबसे अच्छी चीजों में से एक है उन अद्भुत महिलाओं को श्रद्धांजलि देना जिन्होंने आंदोलन में भारी बदलाव किया है। मामले पर खुद को और शिक्षित करने के लिए कुछ समय ऑनलाइन शोध करने में बिताएं। आप अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों और अनुयायियों के साथ ऑनलाइन जानकारी फैला सकते हैं ताकि आप अपने सभी प्रियजनों के बीच जागरूकता बढ़ा सकें।
*.राष्ट्रीय महिला समानता दिवस मनाने का एक और तरीका है कि यदि आपने पहले से मतदान नहीं किया है तो मतदान के लिए पंजीकरण करें। मतदान के अपने संवैधानिक संरक्षित अधिकार का प्रयोग करना सबसे अच्छा काम है जो आप इस तारीख को कर सकते हैं। स्थानीय और राज्य के चुनाव सालाना आधार पर होते हैं, इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपका पंजीकरण चालू है। आप जिस राज्य में स्थित हैं, उसके आधार पर पंजीकरण कैसे करें, यह जानने के लिए आप Vote.Gov वेबसाइट का उपयोग कर सकते हैं।
* आप वोट देने के तरीके के बारे में जानने के लिए आवश्यक सब कुछ भी सीख सकते हैं। यदि आप पिछली बार मतदान करने के बाद से दूसरे राज्य में चले गए हैं तो आपको अपना मतदाता पंजीकरण अपडेट रखना होगा। आपको इसका उपयोग यह सुनिश्चित करने के अवसर के रूप में भी करना चाहिए कि आपके सभी प्रियजनों ने भी मतदान करने के लिए पंजीकरण कराया है। आप अपने सोशल मीडिया पर विवरण पोस्ट कर सकते हैं ताकि हर कोई जानता हो कि वोट कैसे करना है और वे ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित महसूस करते हैं।
* अतीत और वर्तमान की महिला नेताओं के बारे में जानने के लिए कुछ समय बिताना भी एक अच्छा विचार है। शुरू करने के लिए एक बुद्धिमान जगह ल्यूक्रेटिया मॉट और एलिजाबेथ कैडी स्टैंटन के साथ है। वे दो महिलाएं थीं जिन्होंने पहले महिला अधिकार सम्मेलन का आयोजन किया था। यह जुलाई 1848 में न्यूयॉर्क के सेनेका फॉल्स क्षेत्र में हुआ था। सम्मेलन में, प्रतिनिधियों द्वारा भावनाओं की घोषणा को अपनाया गया, साथ ही कई प्रस्तावों को भी अपनाया गया, जिनमें से एक में महिलाओं के मतदान के अधिकार का आह्वान किया गया। कई अन्य प्रभावशाली महिलाएं हैं जिनके बारे में हम अधिक जानने की सलाह देंगे। इसमें जूलिया वार्ड होवे और लुसी स्टोन शामिल हैं, जो दोनों अमेरिकन वुमन सफ़रेज एसोसिएशन के संस्थापक थे।
* राष्ट्रीय महिला समानता दिवस मनाने का एक और शानदार तरीका है महिला संग्रहालय में जाना। यदि आप ऑनलाइन एक नज़र डालते हैं, तो आप शायद दुनिया भर में महिलाओं के संग्रहालयों की संख्या से आश्चर्यचकित होंगे। आखिरकार, समान माने जाने के लिए महिलाओं को अपने हाथों पर एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है, और इसलिए ऐसे कई संग्रहालय हैं जो इन आंदोलनों की कहानी दिखाने के लिए समर्पित हैं। आप यह देखने के लिए ऑनलाइन त्वरित खोज कर सकते हैं कि आपके स्थानीय क्षेत्र में कोई संग्रहालय है या नहीं। कुछ के पास इस तिथि के लिए विशेष प्रदर्शनियां भी हो सकती हैं।
* अंत में, यदि आप अपना खुद का व्यवसाय चलाते हैं, तो आपको इस दिन का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए एक अवसर के रूप में करना चाहिए कि आप आत्मविश्वास से कह सकते हैं कि आपका व्यवसाय वह है जिसने बोर्ड भर में समानता हासिल की है। क्या आपके व्यवसाय में लिंग वेतन अंतर है? यदि हां, तो रणनीति बनाएं कि आप इसे कैसे बदल सकते हैं। हम जानते हैं कि आपके लिए रातों-रात सभी का वेतन बढ़ाना संभव नहीं होगा, लेकिन आप यह सुनिश्चित करने के लिए एक योजना बनाना शुरू कर सकते हैं कि आपके कार्यस्थल पर महिलाओं को पुरुषों के बराबर माना जाए। यह न केवल उनके द्वारा प्राप्त धन से संबंधित है, बल्कि उनके रास्ते में आने वाले अवसरों से भी संबंधित है।
इसके अलावा
* एक महिला-विशिष्ट इंटर्नशिप कार्यक्रम स्थापित करें।
* अपनी सर्वश्रेष्ठ महिला कर्मचारियों को कॉलेज छात्रवृत्ति प्रदान करें जो उच्च अध्ययन करना चाहती हैं।
* बेघर महिलाओं के लिए कुछ दान करने पर विचार करें।
* दोपहर के भोजन का आयोजन करें और अपने क्षेत्र की कुछ महिला नेताओं के साथ सत्र सीखें।
* आप स्कूलों में जा सकते हैं या छात्रों को उनकी ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल कर सकते हैं और लिंग अध्ययन पर एक पठन सत्र कर सकते हैं।
* नौकरी से संतुष्टि और काम पर महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के तरीकों पर व्यक्तिगत इनपुट लें।
महिला समानता का अधिकार घर से शुरू होकर ऑफिस तक में लड़ी जा रही है, जहां महिलाओं को हमेशा पुरुषों और पुरुषवादी सोच का सामना करना पड़ता है. जबकि महिलाओं ने कई बड़ी जिम्मेदारियों को निभाकर यह साबित कर दिया है कि वे अपने कार्यक्षेत्र में किसी से कम नहीं हैं और सही व बराबर का मौका मिले तो वे हर तरह की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा सकती हैं. बराबरी के इस अधिकार को लेकर अपने हक में लड़ाई आज भी जारी है. किसी भी समाज का हर क्षेत्र में विकास तभी संभव है, जब महिलाओं को समान मानवता का अधिकार मिले. जिस प्रकार परिवार के सही तरीके से परवरिश का काम महिलाएं बखूबी करती हैं, उसी तरह एक समाज और देश के निर्माण और सही दिशा में विकास के लिए महिलाओं का आगे आना बहुत ज़रूरी होता है।