वेद व्यास जयंती गुरु पूर्णिमा जगत् गुरु माने जाने वाले वेद व्यास को समर्पित है। माना जाता है कि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ मास की पूर्णिमा को हुआ था। वेदों के सार ब्रह्मसूत्र की रचना भी वेदव्यास ने आज ही के दिन की थी। वेद व्यास ने ही वेद ऋचाओं का संकलन कर वेदों को चार भागों में बांटा था। उन्होंने ही महाभारत, 18 पुराणों व 18 उप पुराणों की रचना की थी जिनमें भागवत पुराण जैसा अतुलनीय ग्रंथ भी शामिल है। ऐसे जगत् गुरु के जन्म दिवस पर गुरु पूर्णिमा मनाने की परंपरा है।
गुरु पूर्णिमा / व्यास पूर्णिमा / मुड़िया पूनों आषाढ़ मास की पूर्णिमा को कहा जाता है। आज का दिन गुरु–पूजा का दिन होता है। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। पूरे भारत में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। वैसे तो ‘व्यास’ नाम के कई विद्वान् हुए हैं, परंतु व्यास ऋषि जो चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता थे, आज के दिन उनकी पूजा की जाती है। हमें वेदों का ज्ञान देने वाले व्यास जी ही थे। अत: वे ‘आदिगुरु’ कहलाते हैं। प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु की पूजा किया करते थे और उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा अर्पण किया करते थे। इस दिन केवल गुरु की ही नहीं अपितु कुटुम्ब में अपने से जो बड़ा है अर्थात् माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरुतुल्य समझना चाहिए। महर्षि वेद व्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे। शास्त्रों के अनुसार व्यास को तीनो कालो का ज्ञाता माना जाता है वो तीन काल यह है पुरपाषण काल , मध्यपाषाण काल , नवपाषाण काल। महर्षि वेद व्यास ने वेदो को अलग अलग खंडो में बाट दिया। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई 2022 को मनाई जाएगी. गुरु पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई को सुबह 4 बजे प्रारंभ होगी और 14 जुलाई को रात 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी. पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा पर बहुत सुंदर और फलदायी राजयोग बन रहा है। इस दिन यानी 13 जुलाई को रुचक,भद्र और हंस योग का शुभ संयोग बन रहा है। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु, मंगल, बुध और शनि ग्रह का शुभ संयोग भी एक साथ देखने को मिल रहा है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि के दिन गंगा स्नान व दान बेहद शुभ फलकारी माना जाता है। मान्यता है कि आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को ही वेदों के रचयिचा महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेदव्यास के जन्म पर सदियों से गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। वेदों के रचयिचा महर्षि वेदव्यास के जयंती के मौके पर इसे मनाया जाता है. आइये जानते हैं इस पर्व से जुड़ी सभी जानकारी, सामग्री लिस्ट…
जानें गुरु पूर्णिमा क्या है धार्मिक महत्व
भारत देश में गुरुओ का बहुत ही सम्मान किया जाता है क्योकि एक गुरु ही है जो अपने शिष्यों को गलत मार्ग से हटाकर सही रास्ते पे लाते है।पूर्व काल में बहुत सी ऐसी कथाएं सुनने को मिलती है । जिससे यह पता चलता है कि किसी भी व्यक्ति को महान बनाने में विशेष गुरुओ का योगदान रहता है। गुरु पूर्णिमा को मनाने का कारण बहुत ही बड़ा है । यह भी माना जाता है कि इस दिन महान गुरु महर्षि वेद व्यास जिन्होंने ब्रह्मसूत्र , महाभारत और श्रीमद्भगवद्गीता और 18 पुराण जैसे अद्भुद साहित्य की रचना की उनका जन्म हुआ था । शास्त्रों में गुरु पूर्णिमा को वेद व्यास का जन्म समय माना गया है। इसलिए आषाढ़ मास के पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सभी शिष्य अपने अपने गुरुओ का आशीर्वाद लेते है और उन्होंने अब तक जो कुछ भी दिया है उसके लिए धन्यवाद करते है। गुरु शब्द दो अक्षरों से बना है गु जिसका अर्थ अंधकार होता है और रु का अर्थ प्रकाश यानी जो आपको अज्ञानता के ज्ञान के प्रकाश के तरफ ले जाता है वह आपका गुरु है पूर्णिमा शब्द भी इसी तरह दो अक्षरों के सहयोग से बना है पूर्ण यानी पूरा और मां यानी माह का परिचाय है यानी तिथि को माह पूरा हुआ आदि काल में समय की गणना चन्द्रमा या सूर्य की गति पर निर्भर करती थी। इसलिए पूर्णिमा को चाँद से भी जोड़ कर देखा जाता है इसलिए इसके गुरु चन्द्रमा ही है जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है। वैसे ही गुरु चरणों में उपस्थित साधको को ज्ञान शक्ति , भक्ति और योग की शक्ति मिलती है। गुरु पूर्णिमा के दिन के बाद से 4 महीने अध्यन की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी होते है ।
शुभ समय
* गुरु पूर्णिमा का स्नान-दान: 13 जुलाई को सुबह करीब 4 बजे प्रारंभ
इन्द्र योग: 13 जुलाई को दोपहर 12:45 बजे तक
* चन्द्रोदय समय: 13 जुलाई, शाम 07:20 बजे
* भद्राकाल: 13 जुलाई को सुबह 05 बजकर 32 मिनट से दोपहर 02 बजकर 04 मिनट तक
* राहुकाल: 13 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से दोपहर 02 बजकर 10 मिनट तक
गुरु पूर्णिमा का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा 12 जुलाई को रात्रि में 2 बजकर 35 मिनट से शुरू हो रही है. इसलिए उदया तिथि में 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. गुरु पूर्णिमा का स्नान पूर्णिमा तिथि के प्रारंभ होते ही शुरू हो जाएगा. गुरु पूर्णिमा के स्नान – दान का उत्तम शुभ मुहूर्त सूर्योदय के पहले तक माना जाता है. वैसे पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई को रात्रि के 12:06 बजे तक है. इसके उपरांत सावन का प्रवेश हो जाएगा और उदया तिथि में 14 जुलाई से सावन के महीने का प्रारंभ होगा।
शुभ मुहूर्त
* गुरु पूर्णिमा बुधवार, जुलाई 13, 2022 को
* पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – जुलाई 13, 2022 को 04:00 बजे सुबह
* पूर्णिमा तिथि समाप्त – जुलाई 14, 2022 को 12:06 बजे दोपहर
गुरु पूर्णिमा तिथि पर शुभ चौघड़िया
लाभ और अमृत – सुबह 5.41 से सुबह 9.10 बजे तक
शुभ – सुबह 10.50 से दोपहर 12.30 बजे तक
चंचल और लाभ – सुबह 3.58 बजे से शाम 7.23 तक
पूजन सामग्री
गुरु पूर्णिमा वाले दिन गुरु की पूजा की जानी चाहिए. इस दिन गुरु पूजा में इन पूजा सामग्रियों का अवश्य ही शामिल करना चाहिए. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजन में पान का पत्ता, पीला कपड़ा, पीला मिष्ठान, नारियल, पुष्प, इलायची, कर्पूर, लौंग व अन्य सामग्री शामिल करना चाहिए।
विधि
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है. जो लोग पवित्र नदियों में स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं वे नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें. नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें। नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन कई शुभ योग
इस बार गुरु पूर्णिमा 2022 के दिन कई शुभ योग बनने के कारण इसका महत्व बढ़ गया है. इस साल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को पड़ रही है. ज्योतिष के अनुसार, इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन शश, हंस, भद्र और रुचक नामक 4 राज योग का निर्माण हो रहा है. इसके साथ ही इस दिन बुध ग्रह भी अनुकूल स्थिति में रहेंगे. जिससे बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है. शुक्र ग्रह मित्र ग्रहों के साथ हैं. जिसे बहुत शुभ माना जा रहा है. ज्योतिष के अनुसार इस दौरान लिए जाने वाले गुरु मंत्र और दीक्षा व्यक्ति के लिए बेहद शुभ साबित होंगे।
ग्रहों का शुभ संयोग
आषाढ़ पूर्णिमा पर ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण कई राजयोग का निर्माण हो रहा है. इस बार गुरु पूर्णिमा पर गुरु, मंगल, बुध और शनि ग्रह के शुभ संयोग से रुचक, शश, हंस और भद्र योग बन रहे हैं। मान्यता है कि गुरु पूजन से जातक की कुंडली में गुरु दोष व पितृदोष समाप्त होता है। गुरु पूजन से नौकरी, करियर व व्यापार में लाभ मिलने की मान्यता है।
गुरु का ध्यान करते हुए गुरु मंत्र का जाप करें
इस बार गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को सुबह चार बजे से शुरू होगी जो 14 जुलाई की रात 12 बजकर 06 मिनट तक रहेगी. इस दिन राजयोग बन रहा है, ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में आ रही नौकरी में आ रही व्यवधान जैसी समस्याओं से निजात मिल जाये तो गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु का ध्यान करते हुए गुरु मंत्र का जाप करें।
इन गुरु मंत्रों का करें जाप
ॐ गुं गुरवे नम:।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
गुरु पूर्णिमा पर क्या करें?
अपने गुरु का ध्यान करें और गुरु मंत्र का जाप करें जिन्होंने अभी तक अपना गुरु नहीं बनाया है. वे भगवन शिव जी को गुरु मानते हुए उनका ध्यान कर पंचाक्षर मंत्र का जप करें. जिन साधनों से ज्ञान मिलता है उनकी पूजा करनी चाहिए. गुरु के उपदेश का पालन करना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा पूजन विधि
अगर आप भी गुरु पूर्णिमा पर विधि-विधान से पूजन करना चाहते हैं तो आइए जानते हैं पूजन के बारे में डिटेल से. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं. इसके बाद मंदिर को स्वच्छ कर वहां भगवान विष्णु और माता पार्वती के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें. यदि संभव हो तो इस दिन व्रत रखना भी लाभकारी होता है. इसके अलावा गुरु पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने भी विशेष महत्व है. अगर स्नान करना संभव न हो तो घर पर स्नान करते समय पानी में थोड़ सा गंगाजल मिला लें।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
वेद व्यास का जन्म आषाढ़ माह पूर्णिमा तिथि को हुआ था. वह ऋषि पाराशर और देवी सत्यवती के पुत्र थे. वेद व्यास ने ही महाभारत महाकाव्य की रचना की थी. दिलचस्प बात यह है कि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश ने इसे सुनाया था जिसे वेद व्यास ने लिखा. कहा जाता है कि वेद व्यास ने वेदों को चार वर्ग में वर्गीकृत किया है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद. उनकी विरासत को उनके शिष्यों पैला, वैशम्पायन, जैमिनी और सुमंतु ने आगे बढ़ाया. आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में वेद व्यास की जयंती मनाई जाती है।
आज ही के दिन हुआ था महर्षि वेदव्यास का जन्म
गुरु पूर्णिमा के दिन आदिगुरु, महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।
आज के दिन गुरु को पूजने की परंपरा सदियो पुरानी
गुरु पूर्णिमा पर गुरु को पूजने की परंपरा आज से नहीं बल्कि सदियो पुरानी है।
ऐसे नाम पड़ा नाम वेदव्यास
वेदव्यास जी आदिगुरु हैं. सभी पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है. इन्होंने वेदों को विभाजित किया है, जिसके कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था।
गुरु पूर्णिमा पर बन रहें ये 4 राजयोग
गुरु पूर्णिमा पर गुरु, मंगल, बुध और शनि ग्रह के शुभ संयोग से रुचक, शश, हंस और भद्र नामक राजयोग का निर्माण हो रहा है. इस राज योग के कारण यह गुरु पूर्णिमा विशिष्ट महत्त्व की हो गई है. धार्मिक मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन से जातक की कुंडली में गुरु दोष व पितृदोष समाप्त होता है. उन्हें नौकरी, करियर व व्यापार में अत्यधिक लाभ मिलता है।
गुरु महाराज की आरती
जय गुरुदेव अमल अविनाशी, ज्ञानरूप अन्तर के वासी,
पग पग पर देते प्रकाश, जैसे किरणें दिनकर कीं।
आरती करूं गुरुवर की॥
जब से शरण तुम्हारी आए, अमृत से मीठे फल पाए,
शरण तुम्हारी क्या है छाया, कल्पवृक्ष तरुवर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
ब्रह्मज्ञान के पूर्ण प्रकाशक, योगज्ञान के अटल प्रवर्तक।
जय गुरु चरण-सरोज मिटा दी, व्यथा हमारे उर की।
आरती करूं गुरुवर की।
अंधकार से हमें निकाला, दिखलाया है अमर उजाला,
कब से जाने छान रहे थे, खाक सुनो दर-दर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
संशय मिटा विवेक कराया, भवसागर से पार लंघाया,
अमर प्रदीप जलाकर कर दी, निशा दूर इस तन की।
आरती करूं गुरुवर की॥
भेदों बीच अभेद बताया, आवागमन विमुक्त कराया,
धन्य हुए हम पाकर धारा, ब्रह्मज्ञान निर्झर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
करो कृपा सद्गुरु जग-तारन, सत्पथ-दर्शक भ्रांति-निवारण,
जय हो नित्य ज्योति दिखलाने वाले लीलाधर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
आरती करूं सद्गुरु की
प्यारे गुरुवर की आरती, आरती करूं गुरुवर की।
गुरु पूर्णिमा के दिन ज्योतिषीय उपाय
* जातक की कुंडली में अगर किसी तरह का कोई दोष है तो इस दिन ऊँ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप करें।
– भाग्य में वृद्धि के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जरूर जलाएं।
* अगर किसी जातक के वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी चल रही हो तो इस पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य देते हुए मन में आशीर्वाद प्राप्त करें।
* गुरु पूर्णिमा के दिन गीता का पाठ अवश्य करें।
विवाह में आ रही परेशानी को दूर करने के उपाय
जिन जातकों के वैवाहिक जीवन में दिक्कतें आ रही हैं अथवा शादी-विवाह नहीं हो रहा है ऐसे जातकों को गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु यंत्र को स्थापित कर उसकी विधिवत पूजा करनी चाहिए. यह उपाय आपको कई क्षेत्रों में सफलता दिलाएगी और वैवाहिक जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां खत्म हो जाएगी।
पढ़ाई में आ रही परेशानी को दूर करने के उपाय
जिन विद्यार्थियों को पढ़ाई में किसी भी तरह की परेशानी आ रही है, उनका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है. ऐसे जातकों को गुरु पूर्णिमा के दिन गीता पाठ करना चाहिए. इस उपाय से पढ़ाई में हो रही समस्याएं दूर हो सकती है।
सफलता प्राप्ति के उपाय
इस दिन मां लक्ष्मी- नारायण मंदिर में कटा हुआ गोल नारियल जरूर अर्पित करें. ऐसा करने से बिगड़े हुए कार्य बनने की मान्यता है. अगर आपके कुंडली में गुरु दोष है तो भगवान विष्णु की श्रद्धापूर्वक पूजा करें. इस दिन जरूरतमंदों को दान जरूर दें. आर्थिक समस्या चल रही है तो आप इस दिन जरूरतमंद लोगों को पीली मिठाई, पीले वस्त्र आदि दान में दें. इस दिन अपने से बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूर लें।
इस दिन क्या करें?
इस दिन सुबह जल्दी उठ कर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए या नहाने के पानी में गंगा जल छिड़क कर स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए. घर के मंदिर या पूजा स्थल की साफ-सफाई करनी चाहिए और गंगा जल छिड़कना चाहिए. इसके बाद गुरु का स्मरण करना और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
गुरु पूर्णिमा पर क्या न करें?
अपने गुरु का ध्यान करें और गुरु मंत्र का जाप करें जिन्होंने अभी तक अपना गुरु नहीं बनाया है. वे भगवन शिव जी को गुरु मानते हुए उनका ध्यान कर पंचाक्षर मंत्र का जप करें. जिन साधनों से ज्ञान मिलता है उनकी पूजा करनी चाहिए. गुरु के उपदेश का पालन करना चाहिए।
* किसी को भी बिना अच्छी तरह से जानें अपना गुरु न बनाएं।
* बुद्धिमान, विवेकवान और शास्त्रज्ञ को ही अपना गुरु बनायें ना कि किसी चमत्कारिक व्यक्ति को।
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