हिंदू धर्म शास्त्रों में नाग की पूजा को बहुत महत्व दिया गया है। वहीं नाग देवता को भोलेनाथ के गले का आभूषण माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ‘नाग पंचमी’ मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता के पूजन से सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इस साल 2 अगस्त 2022 को मंगलवार के दिन नाग पंचमी पड़ रही है। तो आइए जानते हैं नाग पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, सामग्री लिस्ट और विधि…
सनातन धर्म में पौराणिक काल से ही नागों की पूजा- अर्चना की जाती है। साथ ही भोलेनाथ के गले में सर्प विराजमान है। इसलिए नाग पूजनीय है। भगवान शिव को प्रिय सावन का महीना इस वर्ष 14 जुलाई से प्रारंभ हो गया था। इस पवित्र माह में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं जिनमें से एक नाग पंचमी है। इस वर्ष नाग पंचमी आज यानी 02 अगस्त को मनाई जा रही है। मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में शिव जी की आराधना करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। भोलेनाथ के साथ मां पार्वती की अर्चना करने का भी विशेष महत्व है। नाग पंचमी का त्योहार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर पड़ता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। पंडितों के अनुसार, इस वर्ष नाग पंचमी पर शिव व सर्वार्थ सिधि योग बन रहा है। वजह से इस दिन का महत्व काफी बढ़ जाता है। कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन नाग देवता की पूजा करता है उसे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन शिव भक्त नागों की पूजा करने के साथ दूध से उनका अभिषेक भी करते हैं। इस वर्ष नाग पंचमी के दिन विशेष संयोग बनने वाला है। इस दिन तीसरा मंगला गौरी का व्रत रखा जाएगा। मंगला गौरी के व्रत पर मां पार्वती की पूजा विधि-विधान से की जाती है।
सांपों को न पहुंचाएं कष्ट
नाग पंचमी के दिन सांपों को मारना या कोई कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए, बल्कि उस दिन नागों की रक्षा करने का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन सांप को कष्ट पहुंचाने से व्यक्ति को कई कष्ट झेलने पड़ते हैं।
नाग पंचमी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी यानी 2 अगस्त को आप सुबह 5:43 से पूजा प्रारंभ कर सकते हैं। इस दिन पूजा के लिए मुहूर्त 5:43 से शुरू हो रहा है जो सुबह 8:25 पर समाप्त होगा। नाग पंचमी पर इस बार शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग एक साथ बन रहा है। 2 अगस्त को शिव योग शाम 6:38 तक रहने वाला है उसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो जाएगा।
इस दिन बन रहा है विशेष संयोग
इस दिन नाग पंचमी के व्रत के साथ मंगला गौरी का व्रत भी रखा जाएगा। इस दिन विशेष संयोग इसलिए बन रहा है क्योंकि नाग पंचमी के व्रत के साथ इस बार सावन महीने का तीसरा मंगला गौरी का व्रत एक साथ रखा जाएगा। यह बेहद दुर्लभ संयोग है जो शुभ कार्यों के लिए बेहद कल्याणकारी माना जा रहा है। यह विशेष सहयोग करने की वजह से इस दिन का महत्व और अधिक हो गया है।
इन मंत्र का भी करें जाप
ये वामी रोचने दिवो ये वा सूर्यस्य रश्मिषु।
येषामपसु सदस्कृतं तेभ्य: सर्वेभ्यो: नम:।।
अर्थ- जो सूर्य की किरणों में सूर्य की ओर मुख करके चलते रहते हैं, जो सागरों में समूह रूप से रहते है, उन सभी नागों को नमस्कार है, तीनो लोक में जो भी नाग देवता हैं, उन सब को बारंबार नमस्कार है।
नाग पंचमी पर करें इन मंत्रों का जाप
शास्त्र के अनुसार, नागों की पूजा करने से भोलेनाथ बेहद प्रसन्न होते है। यदि आप भी नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करते है या करने की सोच रहे हैं, तो उनकी पूजा में इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों को पढ़ने से आपको इस पूजा का दुगना फल प्राप्त हो सकता है। ऐसा कहा जाता है, कि इस मंत्र से नाग देवता बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥
अर्थ- नाग पंचमी के दिन इन अष्ट नागों – वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनंजय की पूजा का विधान है।
नाग देवता को जल्द प्रसन्न करने के मंत्र
ऊँ सर्पाय नमः। ऊँ अनन्ताय नमः।
ऊँ नागाय नमः। ऊँ अनन्ताय नमः।ऊँ पृथ्वीधराय नमः।
नाग पंचमी व्रत व पूजन विधि
नाग देवता की पूजा करने के लिए सुबह-सुबह नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब घर की पूजा स्थल की सफाई करें। अब वहां एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर नाग देवता की तस्वीर स्थापित करें। अब उनके सामने दीपक जलाएं। अब भगवान के सामने जल अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव को भी जल अर्पित करें। अब मां पार्वती, शिव शंकर, गणेश जी और नाग देवता को भोग लगाकर उनकी आरती करें। आरती के बाद भगवान से प्रार्थना करें। इस व्रत के देव 12 नाग माने गए हैं. इस दिन में 12 नागों की पूजा की जाती है।
* व्रत करने वाले चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें और पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करे।
* पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिटटी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थान दें और फिर पूजा करें।
* नाग देवता को हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल अर्पित करें.
* अब कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें।
* पूजा के बाद आरती करें।
* पूजा के अंत में नाग पंचमी की कथा सुनें।
नाग पंचमी के दिन इन बारह नागों की पूजा की जाती है, जानें..
1. अनन्त
2. वासुकि
3. शेष
4. पद्म
5. कम्बल
6. कर्कोटक
7. अश्वतर
8. धृतराष्ट्र
9. शङ्खपाल
10. कालिया
11. तक्षक
12. पिङ्गल
नाग पंचमी पूजन सामग्री
यदि आप नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए आज उनकी पूजा करने की सोच रहे हैं, तो सबसे पहले आपको पूजा सामग्री लिस्ट के बारे में जान लें।
नाग देवता की तस्वीर, दूध, फूल, अक्षत, मेवा, रत्न, फल, पूजा का बर्तन, दही, शुद्ध घी, मिष्ठान, बेलपत्र, धतूर, भांग, जौ, तुलसी का पत्ता, गाय का कच्चा दूध, कपूर, आम का पल्लव, जनेऊ, गन्ने का रस, धूप, दीप, इत्र, रोली, मौली, चंदन, भगवान शिव और मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री।
नाग पंचमी का महत्व
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति सभी कष्टों से मुक्ति पाता है। नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है। जो लोग इस दिन नाग देवता के साथ ही भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं, उनके जीवन से सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं। साथ ही आगर कुंडली में राहु और केतु से कोई दोष लग रहा है तो इस दिन नागों की पूजा करने से राहु ग्रह और केतु ग्रह की अशुभता भी दूर होती है। इसके अलावा व्यक्ति को कालसर्प दोष से भी छुटकारा मिलता है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग है, इसलिए इस दिन नाग देवता की पूजा करने से व्यक्ति का हार कष्ट दूर होता है।
नाग पंचमी 2022 शुभ मुहूर्त:
* 02 अगस्त 2022 का अभिजीत मुहूर्त -11:58 am से 12:48 pm तक।
* 02 अगस्त 2022 का विजय मुहूर्त- 02:29 pm से 03:28 pm तक
* 02 अगस्त 2022 का गोधुली मुहूर्त – 06:19 pm से 06:56 pm तक
पंचांग 02 अगस्त 2022
दिवस – मंगलवार
माह – श्रावण ,शुक्ल पक्ष,
तिथि – पंचमी
सूर्योदय – 05:48am
सूर्यास्त – 07:07pm
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी
सूर्य राशि – कर्क
चन्द्र राशि – कन्या
करण – बव
योग – शिव
नाग पंचमी मंत्र
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥
नाग पंचमी पर शिव जी की आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा
।।ॐ जय शिव..॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे
।।ॐ जय शिव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे
॥ ॐ जय शिव..॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी
॥ ॐ जय शिव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे
॥ ॐ जय शिव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता
॥ ॐ जय शिव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका
॥ ॐ जय शिव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी
॥ ॐ जय शिव..॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
॥ ॐ जय शिव..॥
पूजा के दौरान पढ़ें ये मंत्र
नाग पंचमी पर कुछ विशेष मंत्रों का उपाय करना लाभदायक माना जाता है। इस दिन भक्तों को पूजा के दौरान ‘ॐ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।
पूजा में पढ़ें नाग देवता की ये आरती
श्रीनागदेव आरती पंचमी की कीजै ।
तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
नेत्र लाल भिरकुटी विशाला ।
चले बिन पैर सुने बिन काना ।
उनको अपना सर्वस्व दीजे।।
पाताल लोक में तेरा वासा ।
शंकर विघन विनायक नासा ।
भगतों का सर्व कष्ट हर लिजै।।
शीश मणि मुख विषम ज्वाला ।
दुष्ट जनों का करे निवाला ।
भगत तेरो अमृत रस पिजे।।
वेद पुराण सब महिमा गावें ।
नारद शारद शीश निवावें ।
सावल सा से वर तुम दीजे।।
नोंवी के दिन ज्योत जगावे ।
खीर चूरमे का भोग लगावे ।
रामनिवास तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।
नाग पंचमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग
श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि इस वर्ष मंगलवार के दिन पड़ रही है। इस दिन नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। नाग पंचमी पर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र रहेगा, इसके साथ इस दिन शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है।
नाग पंचमी पर करें यह उपाय
नाग पंचमी पर काल सर्प दोष की शांति के लिए खास उपाय किए जाते हैं। इस दिन चांदी के सांप को दूध में रखकर शिवलिंग पर अर्पित करना लाभदायक माना गया है।
काल सर्प दोष निवारण के लिए करें नाग पंचमी के दिन करें उपाय
नाग पंचमी के दिन कुछ लोग काल सर्प दोष निवारण पूजा भी करवाते हैं. नाग पंचमी पर शेष नाग, तक्षक नाग और वासुकी नाग की पूजा की जाती है. वासुकी नाग को भगवान भोलेशंकर अपने गले में धारण करते हैं. मान्यता है कि नागों की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
नाग पंचमी के दिन क्या करें क्या नहीं जानें
नाग पंचमी के दिन भूमि की खुदाई नहीं करनी चाहिए. नाग पूजा के लिए नाग देवता की मूर्ति या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है. दूध, धान, खीर और दूब चढ़ावे के रूप मे अर्पित की जाती है. सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है. जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।
नाग और भगवान शिव का संबंध
नागों और भगवान शिव का संबंध सृष्टि के आरंभ से ही चला आ रहा है. नाग भगवान शिव के गले समेत कई अन्य अंगों पर भी लिपटे रहे हैं. इसलिए भी भगवान शिव के साथ-साथ नागों को देवता के रूप में पूजा की जाती है।
नाग और ब्रह्रमा जी का संबंध
सृष्टि रचयिता ब्रह्रमा जी ने इस दिन अपनी कृपा से शेषनाग को अलंकृत किया था. शेषनाग द्वारा पृथ्वी का भार अपने सिर पर धारण करने के बाद लोगों ने नाग देवता की पूजा करनी शुरू कर दी, तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
भगवान विष्णु और शेषनाग का संबंध
भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर क्षीर सागर में विराजमान रहते हैं. भगवान विष्णु और शेषनाग के मध्य बहुत ही घनिष्ठ संबंध है. वहीं दूसरी ओर शेषनाग पृथ्वी का भार अपने सिर पर भी धारण करते हैं. इसलिए भगवान विष्णु के साथ शेषनाग की पूजा की जाती है।
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