हमें लोगों से अपने बारे में तारीफ सुनना तो पसंद होता है लेकिन आलोचनाओं से हम दूर भागते हैं। याद रखें, कमियों को दूर करने के लिए आलोचनाओं का सामना करना जरूरी है। इसलिए यदि आपको लोगों से आलोचनाएं मिलती हैं तो उसकी सराहना करना सीखें, न कि लोगों से किसी तरह का द्वेष रखें, यानी सक्सेस के लिए आपको अपना नजरिया बदलना होगा। आपका दृष्टिकोण ही अलोचना को एक टूल की तरह इस्तेमाल कर सकता है, जिसकी मदद से आप सेल्फ डवलपमेंट करने के साथ ही कुछ नया सीखने के लिए भी उत्सुक रहेंगे।
आलोचना हानिकारक हो सकती है, खासकर यदि आप इसके प्रति संवेदनशील हैं या आपको लगता है कि यह विशेष रूप से आपकी ओर इशारा किया जा रहा है। यदि कुछ ऐसा है, तो तेज आवाज में प्रतिक्रिया देने की बजाय शांत दिमाग से उस विषय पर सोचें और अपने तरीके से इस आलोचना से निबटने की कोशिश करें। आपको यह समझने की जरूरत है कि आलोचना लोगों को कम क्यों महसूस कराती है और पेशेवर रूप से आगे बढ़ने के लिए वे इससे कैसे प्रभावी ढंग से निपट सकते हैं। आप इसे अनदेखा करने का प्रयास कर सकते हैं और यह दिखावा कर सकते हैं कि आप अपने बॉस या सहकर्मियों के आलोचनात्मक रवैये पर ध्यान नहीं देते हैं, या आप अपनी उत्पादकता और आत्मसम्मान पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए आलोचना का खुलकर जवाब दे सकते हैं। लेकिन आप कैसे जानते हैं कि कौन सा दृष्टिकोण सबसे अच्छा काम करता है? हम आज की पोस्ट में यह सब और बहुत कुछ कवर करेंगे कि आलोचना लोगों को कम क्यों महसूस कराती है? और आप काम पर आलोचना से कैसे निपटते हैं?
कारण क्यों आलोचना एक अच्छी बात हो सकती है?
यह वह जगह है जहां प्रभावी प्रतिक्रिया आती है-अगर इसे प्रभावी ढंग से वितरित किया जाता है। सकारात्मक आलोचना आपके कर्मचारियों को प्रेरित कर सकती है, और नकारात्मक आलोचना उन्हें अधिक आत्म-जागरूक होने और अपने काम में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। और अगर आप काफी मेहनत करते हैं, तो आप आलोचना को विकास के अवसर में भी बदल सकते हैं! चूंकि रचनात्मक प्रतिक्रिया एक अच्छी जगह से आती है, इससे आपको अपने बारे में बुरा महसूस नहीं होना चाहिए।
क्रिटिसिज्म को हैंडल करने से पता चलती है स्ट्रेंथ का
कभी-कभार आपको लगता है कि आपका मूल्यांकन गलत तरीके से किया जा रहा है। आपकी गलतियों या कभी-कभार सही कार्य को भी गलत रूप में लेने के कारण आपकी आलोचना की जाती है। आलोचना के मानक बिल्कुल अलग होते हैं, जो हमारे मूल्यों और सिद्धांतों को प्रभावित करते हैं। प्रोफेशनल और पर्सनल फ्रंट पर बिना आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाए आप आलोचना या क्रिटिसिज्म को किस तरह लेते हैं, उससे भी आपकी स्ट्रेंथ का पता चल सकता है।
यहां पर कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं जिनके जरिये आप क्रिटिसिज्म को अच्छी तरह हैंडल कर सकते हैं
ईमानदारी से करें आलोचना का मूल्यांकन : संभव है कि आपकी आलोचना का निर्णय सही हो। आप अपनी गलतियों को यदि बार-बार दोहरा रहे हैं, तो आपकी आलोचना जायज हो सकती है। कोई भी एकदम सही नहीं होता। इसलिए क्रिटिसिज्म के तुरंत बाद नकारात्मक प्रतिक्रिया देना सही नहीं होता है।आलोचना को निष्पक्ष रूप से सुनें। इससे आपको अपनी ताकत और कमजोरियों के बारे में अंतर करने और उस पर विचार करने में मदद मिल सकती है। प्रोफेशनल या पर्सनल फ्रंट पर कोई दुश्मन नहीं होता है। इसलिए पहली बार में क्रिटिसिज्म करने वाले की टिप्पणी बुरी लगती है। इसलिए जरूरी है कि टकराव की बजाय शांत मन से उस पर विचार करें। यदि गलती आपकी है, तो उसे सुधारने की कोशिश करें।
ब्रेक लेना है जरूरी
यदि आपसे किसी तरह की कोई गलती हो गई है और इस वजह से आपको लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है तो ऐसे में तनाव लेने की बजाय आपको काम से कुछ दिनों का ब्रेक लेना चाहिए। इससे तनाव दूर होगा एवं आप कुछ क्रिएटिव सोच सकते हैं। इस तरह आलोचनाओं को पॉजिटिव तरीके में लेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी।
आलोचना के रचनात्मक पक्ष पर गौर करें : कई बार क्रिटिसिज्म आपमें रचनात्मक सुधार ले आता है। इसलिए अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें। गुस्से में की गई प्रतिक्रिया आपको पछतावे के अलावा कुछ नहीं दे देगी। यदि क्रिटिसिज्म के कारण आपमें रचनात्मक सुधार हो गया है और आपका आउटपुट पहले की अपेक्षा बढ़िया आने लगा है, तो उस व्यक्ति को धन्यवाद देना न भूलें, जिन्होंने आपकी आलोचना की थी।
कमजोर पहलुओं पर काम करें : कभी-भी दूसरों को अपने आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने की अनुमति न दें। इसलिए आराम से सामने वाले व्यक्ति से स्पष्टीकरण मांगें। यदि गलत इरादे से टिप्पणी की गई होगी, तो उसका अस्तित्व बैलून की तरह हवा में फुस्स हो जाएगा। अपनी तरफ से टिप्पणी देने से पहले एक गहरी सांस जरूर लें। यदि आप में कुछ कमजोरियां हैं, तो उन पर जरूर काम करें। इससे आप प्रोफेशनली और पर्सनली भी ग्रो कर पायेंगे। सामने वाले से गलत और सही के बीच अंतर भी स्पष्ट करने को कहें।
इसे पर्सनली न लें : आलोचना मिलने पर लोग व्यक्तिगत रूप से आहत हो जाते हैं। वे इसे आत्मसम्मान पर हमला मानते हैं। इस भाव को मन से निकाल दें। कभी-भी आलोचना को व्यक्तिगत तौर पर न लें। यह सोचें कि यदि आप गलती करते हैं, तो इससे पूरे ऑफिस या कंपनी का नुकसान हो सकता है। उसी तरह आपके गलती करने पर पूरा परिवार प्रभावित हो सकता है।
एक अच्छी सी स्माइल करें : जब भी अपनी आलोचना सुनें, त्वरित टिप्पणी की बजाय चेहरे पर मुस्कान ले आएं, भले ही वह झूठी हो। यदि आपने गलती नहीं भी की है, इसके बावजूद आप स्माइल करती रहें। इससे आपको तनावमुक्त होने में मदद मिलेगी। मुस्कान एक सकारात्मक भावना पैदा करती है और स्थिति को हल्का और नियंत्रण में बनाए रखने में मदद करती है। मुस्कान मनोवैज्ञानिक रूप से आलोचक को उनके दृष्टिकोण में उदार होने के लिए प्रेरित करती है।
अपना पक्ष जरूर रखें : आलोचक को अपना पक्ष जरूर बताएं कि आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? आपकी राय क्या है? लोगों के साथ शांति बनाए रखना जरूरी है। आप अपना पक्ष यदि तुरंत रखने में सक्षम नहीं हो रहे हैं, तो कुछ समय बाद ऐसा करने के बारे में सोचें। अपने मन की बात कहने के लिए आपके पास पर्याप्त होशियारी और निश्चित समय का सदुपयोग करने की क्षमता होनी चाहिए। श्रोता के साथ-साथ अच्छे वक्ता भी बनें।
मेंटर से बात करें
अगर आप आलोचनाओं का सामना नहीं कर पा रहे हैं तो आपको इसके बारे में अपने दोस्तों या मेंटर से बात करनी चाहिए। इससे आपको नए रास्ते मिलेंगे और कमियों को सुधार सकेंगे, वहीं दूसरी ओर यदि आप किसी से भी इस तरह बातों को शेयर नहीं करेंगे तो आप किसी अच्छे निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाएंगे और तनाव की वजह से क्षमताओं में गिरावट आएगी।
धन्यवाद दें
किसी की आलोचना का आप पर इतना प्रभाव पड़ा कि आपने अपनी कार्यशैली को ही पूरी तरह से बदल डाला और इस वजह से आपको जीवन में सफलता भी मिली हो तो ऐसे व्यक्ति को धन्यवाद देना न भूलें। दरअसल आलोचना ही कुछ नया और अलग करने की प्रेरणा देती है, इसलिए इन्हें सफलता पाना का हथियार समझना चाहिए।
आलोचना से निपटने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे स्वीकार करें और इसके बारे में रक्षात्मक या परेशान होने के बजाय इससे सीखें।