प्राचीन समय से लड़कियों को लड़कों से कम समझा जाता रहा है. कन्या भ्रूणहत्या, बाल विवाह जैसी रुढ़िवादी प्रथायें उस समय बहुत प्रचलित हुआ करती थी, जिसके चलते शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार और चिकित्सा देखभाल जैसे उनके मानव अधिकार उन्हें नहीं दिए जाते थे. किन्तु अब आधुनिक समय में उन्हें उनके अधिकार देने एवं उसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं. उसी के अनुसार कुछ साल पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस मनाने का फैसला लिया गया. इस दिन को मनाने की शुरुआत किस लिए एवं किस तरह से की गई एवं इससे जुड़ी सभी तरह की जानकारी हम आपके सामने इस लेख के माध्यम से प्रदर्शित करने जा रहे हैं।
विश्व स्तर पर हर साल 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day of Girl Child) मनाया जाता है, 2022 में, हम इसकी 10वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। हालांकि भारत में 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) के रूप में मनाया जाता है।विश्व में बढ़ते महिलाओं के प्रति अत्याचारों और असमानताओं जैसे भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, बाल विवाह एवं अशिक्षा को देखते हुए और उन्हें इन सभी समस्याओं से उबारने के लिए तथा उनके संरक्षण के उद्देश्य से ही हर साल बालिका दिवस (Girl Child Day) या कन्या दिवस मनाया जाता है।
इंटरनेशनल डे ऑफ़ गर्ल चाइल्ड के बारे में जानकारी
नाम : अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day of Girl Child)
शुरूआत : दिसम्बर 2011 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा
तिथि : 11 अक्टूबर (वार्षिक)
पहली बार : 11 अक्टूबर 2012
उद्देश्य : दुनिया भर में लड़कियों को लिंग के आधार पर लैंगिक असमानता के बारे में जागरूक करना।
थीम : आवर टाइम इज नाउ – आवर राइट्स आवर फ्यूचर
हैशटैग : #IDG2022 #DayoftheGirl
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास
प्रतिवर्ष 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत, 19 दिसंबर, 2011 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा लड़कियों के अधिकारों और दुनिया भर में लड़कियों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों को पहचानने के मकसद से संकल्प 66/170 को अपनाकर की गयी थी। जिसे कनाडा द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में औपचारिक तौर पर प्रस्तावित किया गया था। इसके बाद 11 अक्टूबर 2012 को आधिकारिक तौर पर पहला इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाया गया, और वर्ष 2013 तक, दुनिया भर में, लड़कियों के इस दिन के लिए लगभग 2,043 कार्यक्रम हुए। इसका विचार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संचालित होने वाली एक गैर-सरकारी संगठन, प्लान इंटरनेशनल के एक प्रोजेक्ट से आया। और यह “क्योंकि मैं एक लड़की हूँ” (Because I Am a Girl) अभियान से विकसित हुआ, जो विश्व स्तर पर और विशेष रूप से विकासशील देशों में लड़कियों के पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। कनाडा में इस प्रोजेक्ट के प्रतिनिधियों ने इस पहल के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए समर्थकों की तलाश के लिए कनाडा के संघीय सरकार से संपर्क किया, और आखिरकार प्लान इंटरनेशनल संयुक्त राष्ट्र में शामिल हो गया।कनाडा की महिलाओं की स्थिति के मंत्री रोना एम्ब्रोस ने प्रस्ताव को प्रायोजित किया और महिलाओं व लड़कियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 55वें संयुक्त राष्ट्र आयोग में महिलाओं की स्थिति पर पहल के समर्थन में प्रस्तुतियाँ दीं। 19 दिसंबर, 2011 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने के लिए एक मतदान किया गया जिसके बाद इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया।
गर्ल चाइल्ड डे क्यों मनाते है?
* लड़कियों को समान रूप से अधिकार देना तथा लड़कों के बराबर समानता देना।
* बालिकाओं को शिक्षित करना तथा कौशल विकास, प्रशिक्षण और शिक्षा में सभी प्रकार के भेदभाव को खत्म करना।
* दहेज प्रथा, बाल विवाह एवं भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों को खत्म करना।
* लड़कियों के लिए नकारात्मक सांस्कृतिक दृष्टिकोण को समाप्त करना।
* लड़कियों की सभी क्षेत्र में रक्षा करना।
* स्वास्थ्य और पोषण में लड़कियों के साथ भेदभाव को खत्म करना।
* समाज में लड़कियों की स्थिति को उबारना।
* बच्चियों के साथ बाल श्रम के आर्थिक शोषण को खत्म करना।
* बालिकाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करना।
* सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में लड़कियों को जागरूकता करना और भागीदारी को बढ़ावा देना।
* लड़कियों के लिये ये बहुत जरुरी है कि वो सशक्त, सुरक्षित और बेहतर माहौल प्राप्त करें। उन्हें जीवन की हर सच्चाई और कानूनी अधिकारों से अवगत होना चाहिये। उन्हें इसकी जानकारी होनी चाहिये कि उनके पास अच्छी शिक्षा, पोषण, और स्वास्थ्य देख-भाल का अधिकार है। जीवन में अपने उचित अधिकार और सभी चुनौतियों का सामना करने के लिये उन्हें बहुत अच्छे से कानून सहित घरेलु हिंसा की धारा 2009, बाल-विवाह रोकथाम एक्ट 2009, दहेज रेकथाम एक्ट 2006 आदि से अवगत होना चाहिये।
* हमारे देश में, महिला साक्षरता दर अभी भी 53.87% है और युवा लड़कियों का एक-तिहाई कुपोषित हैं। स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुँच और समाज में लैंगिक असमानता के कारण विभिन्न दूसरी बीमारियों और रक्त की कमी से प्रजननीय उम्र समूह की महिलाएँ पीड़ित हैं। विभिन्न प्रकार की योजनाओं के द्वारा बालिका शिशु की स्थिति को सुधारने के लिये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बहुत सारे कदम उठाये गये हैं।
* महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने “धनलक्षमी” नाम से एक योजना की शुरुआत की है जिसके तहत बालिका शिशु के परिवार को नकद हस्तांतरण के द्वारा मूलभूत जरुरतों जैसे असंक्रमीकरण, जन्म पंजीकरण, स्कूल में नामांकन और कक्षा 8 तक के रखरखाव को पूरा किया जाता है। शिक्षा का अधिकार कानून ने बालिका शिशु के लिये मुफ्त और जरुरी शिक्षा उपलब्ध कराया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 की थीम
प्रत्येक वर्ष International Day of Girl Child को एक विषय के साथ मनाया जाता है, और यह थीम महिलाओं एवं बालिकाओं से जुड़ी होती है और उन्हें सशक्त बनाने का काम करती है। इस साल अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 की थीम ‘अब हमारा समय है- हमारे अधिकार, हमारा भविष्य‘ (Our time is now—our rights, our future) है। पिछली साल 2021 की Theme “डिजिटल पीढ़ी हमारी पीढ़ी” (Digital generation. Our generation) थी।
इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे की पिछले कुछ सालों की थीम
* 2021 : डिजिटल पीढ़ी हमारी पीढ़ीMy voice, our equal future
* 2020 : मेरी आवाज, हमारा समान भविष्यDigital generation. Our generation
* 2019 : गर्लफॉर्स: अनस्क्रिप्टेड एंड अनस्टॉपेबलGirlForce: Unscripted and Unstoppable
* 2018 : उसके साथ: एक कुशल लड़की बलWith Her: A Skilled Girl Force
* 2017 : एमपॉवर गर्ल्स: बिफोर, क्रेश के दौरान और उसके बादEmPOWER Girls: Before, during and after crises
* 2016 : लड़कियों की प्रगति = लक्ष्यों की प्रगति: लड़कियों के लिए क्या मायने रखता हैGirls’ Progress = Goals’ Progress: What Counts for Girls
* 2015 : किशोरियों की शक्ति: 2030 के लिए विजनThe Power of Adolescent Girl: Vision for 2030
* 2014 : किशोर लड़कियों को सशक्त बनाना: हिंसा के चक्र को समाप्त करनाEmpowering Adolescent Girls: Ending the Cycle of Violence,
* 2013 : लड़कियों की शिक्षा के लिए नवाचारinnovating for girls’ education
* 2012 : बाल विवाह को समाप्त करनाending child marriage
भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस (24 जनवरी)
भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) मनाया जाता है इसकी शुरूआत भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2008 में की गयी थी। 24 जनवरी की तारीख को इसलिए चुना गया क्योंकि 1966 में इसी दिन इंदिरा गाँधी ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इस दिन आयरन लेडी कही जाने वाली इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के तौर पर याद किया जाता है। नेशनल गर्ल चाइल्ड डे का उद्देश्य समाज में लड़कियों की स्थिति को उबारना है, ताकि समाज के लोगों के बीच उनका जीवन बेहतर हो सके।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस कैसे मनाया जाता है?
* अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर यूनिसेफ लड़कियों के साथ काम करता है ताकि वे अपनी आवाज़ बुलंद कर सकें और अपने अधिकारों के लिए खड़ी हो सकें।
* बालिकाओं के लिए मनाया जाने वाला यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षण दिवस है; इसे लड़कियों का दिन (Day Of Girls) या लड़की का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Girls) भी कहा जा सकता है।
* इस दिन कई कार्यक्रम और भाषणों का आयोजन भी किया जाता है जिसमें समाज में लड़कियों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाती है, विभिन्न राजनीतिक और सामुदायिक नेता समान शिक्षा और बुनियादी स्वतंत्रता के लिए लड़कियों के अधिकार के बारे में जनता को भाषण देते हैं।
* जिसमें बालिकाओं को बचाने के लिए जागरूकता अभियान, बाल लिंग अनुपात (Girl Sex Ratio) और बालिकाओं के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण तैयार करना शामिल है।
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इन बातों के साथ बचपन से बनाएं अपनी बेटी को कॉन्फीडेंट
अगर हम चाहते हैं कि लड़कियां आगे बढ़ें, तो इसकी शुरुआत हमें घर से करनी होगी। उन्हें कॉन्फिडेंट बनाएं, खुद से प्यार करना सिखाएं। साथ ही, उनकी राय को तवज्जों दें और उन्हें अपना करीयर खुद चुनने का मौका दें। इसलिए, इस इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड के उपलक्ष्य पर हम बता रहें कुछ टिप्स जो उन्हें कॉन्फिडेंट बनने में मदद करेंगी।
उन्हें अपनी बॉडी से प्यार करना सिखाएं : मोम्स का अपनी बेटियों पर बहुत असर पड़ता है। वे हर चीज़ में सिर्फ आपको ही रोल मॉडेल की तरह देखती हैं। इसलिए, अपनी बेटियों को बताएं कि वे कितनी सुंदर हैं और उन्हें खुद से प्यार करना सिखाएं। आपकी कही हुई यह सारी बातें उन्हें अपने आने वाले जीवन में अपनी बॉडी के प्रति कॉन्फिडेंट बनाएगी। बस अपनी बेटी को यह महसूस कराएं कि कुछ भी हो आप उसके साथ हैं।
अपनी बेटी को टेक्नोलॉजी सिखाएं : उसके साथ टीवी देखें और जो आप देखते हैं उसके बारे में बात करें। उन्हें बताएं कि सोशल मीडिया क्यों अच्छा है और क्यों नहीं। यह उन्हें आगे चलकर किसी तरह के साइबर क्राइम से बचाएगा।
उसे पीपल प्लीजर न बनाएं : लड़कियां लोगों कि खुशी के लिए क्या क्या नहीं करती हैं। कभी उनके हिसाब से कपड़े पहनती हैं तो कभी खुलकर विचार व्यक्त नहीं कर पाती हैं। इसलिए, अपनी बच्ची को छोटी उम्र से ही खुद निर्णय लेना सिखाएं। उनसे पूछें कि ‘तुम क्या चाहती हो?’ उसे चुनाव करने दें और फिर उस पसंद का सम्मान करें।
हर कदम पर उसका साथ दें : माता-पिता का साथ बच्चों के लिए सबकुछ होता है, और एक लड़की के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है। वह जो भी करे उसका साथ दें, उसे छोटी – छोटी गलतियां करने दें। बस अपनी बेटी को यह महसूस कराएं कि कुछ भी हो आप उसके साथ हैं।
भले ही हम कितना ही कह लें कि लड़के और लड़कियों के बीच हमारे समाज में भेदभाव नहीं होता है। लेकिन आज भी समाज में ऐसी कई घटनाएं सामने आती हैं, जहां बालिकाओं के जन्म से लेकर पालन पोषण के दौरान, शिक्षा में, काम के दौरान हमेशा लड़कों से कम समझा जाता है। भले ही लड़कियों के जन्म और उनके काम करने को लेकर आधुनिकता बड़ी है मगर वर्तमान समय में भी बहुत समाज में लड़कियों को वह सम्मानित दर्जा नहीं मिल पाया है जिसकी वह हकदार है। बालिकाओं की क्षमताओं और शक्तियों को पहचान कर उनके लिए दिल खोलकर अवसर मुहैया कराने चाहिए। क्योंकि स्त्री सबसे शक्तिशाली होती है, स्त्री को ऊर्जा और सृजन का स्वरूप माना जाता है।