‘सत्य ही मानव का आभूषण है’, ‘मनखे-मनखे एक समान’, सत्य और अहिंसा का संदेश जन-जन तक पहुंचाने वाले संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास की आज 265वीं जयंती है। हर साल 18 दिसंबर को सतनामी समाज की ओर से बाबा गुरु घासीदास बाबा की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है. समाज के लोग दूर-दूर से छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी धाम बाबा के दर्शन करने आते हैं।
18 दिसंबर 1756 को गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में ऊंच-नीच, छुआछूत, झूठ और कपट का बोलबाला था। कसडोल ब्लॉक के छोटे से गांव गिरौदपुरी में एक अनुसूचित जाति परिवार में पिता महंगूदास और माता अमरौतिन बाई के यहां बाबा गुरु हुआ था। पिता मंहगू दास तथा माता अमरौतिन के घर जन्मे गुरु घासीदास ने समाज को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उनकी सत्य के प्रति अटूट आस्था थी, उसी कारण उन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा।कहा जाता है कि बाबा का जन्म अलौकिक शक्तियों के साथ हुआ था. घासीदास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को जब देखा तब उनके मन में बहुत पीड़ा हुई तब उन्होंने समाज से छुआछूत मिटाने के लिए ‘मनखे-मनखे एक समान’ का संदेश दिया। घासीदास जी ने जहां समाज में एकता बढ़ाने का कार्य किया, वहीं भाईचारे और समरसता का संदेश भी दिया। उन्होंने न सिर्फ सत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा करने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग उन्होंने मानवता के सेवा कार्य के लिए किया। उनके इस व्यवहार और प्रभाव के चलते लाखों लोग उनके अनुयायी बन गए और इस तरह छत्तीसगढ़ में ‘सतनाम पंथ’ की स्थापना हुई।
सतनामी समाज के जनक
जोंक नदी के संगम पर स्थित गिरौदपुरी धाम में जन्में बाबा को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है. उन्होंने समाज को सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया. उन्होंने मांस और मदिरा सेवन को समाज में पूरी तरह से बंद करवा दिया था. उनके द्वारा दिये गए उपदेश को जिसने आत्मसात कर जीवन में उतारा उसी समाज को आगे चलकर सतनामी समाज के रूप में जाना जाने लगा। सतनाम संप्रदाय के लोग गुरु घासीदास को अवतारी पुरुष के रूप में मानते हैं। उन्होंने अपनी तपस्या से अर्जित की शक्तियों से कई चमत्कारिक कार्य करके लोगों को दिखाएं। समाज के लोगों को उनके द्वारा दिया गया प्रेम, मानवता का संदेश और उनकी शिक्षा आज भी प्रासंगिक है। उनके भक्त मानते हैं कि गुरु घासीदास जी द्वारा बताया गया रास्ता अपना कर ही अपने जीवन तथा परिवार की उन्नति हो सकती है। गुरु घासीदास के मुख्य रचनाओं में उनके 7 वचन सतनाम पंथ के ‘सप्त सिद्धांत’ के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इसलिए सतनाम पंथ का संस्थापक भी गुरु घासीदास को ही माना जाता है।
होती है मन्नत पूरी
कहा जाता है कि गिरौदपुरी धाम में बुधारू नामक व्यक्ति को जब जहरीले सर्प ने काटा तब बाबा ने उनके ऊपर जल छिड़ककर उनको दोबारा जीवित कर दिया था. इस चमत्कार के बाद समाज बाबा को भगवान की तरह पूजने लगा. मान्यता है कि बाबा को स्मरण कर जो मन्नत मांगी जाती है, उसे वे पूरा करते हैं. मन्नत पूरा होने पर श्रद्धालु जमीन में लोटते हुए उनके द्वार तक पहुंचते हैं.
सत्य और अहिंसा का संदेश
घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम में हर साल उनके वंशज और धर्म गुरु मुख्य मंदिर में पालो चढ़ावा करते हैं. बाबा की वंदना पंथी नृत्य के माध्यम से होता है. गिरौदपुरी धाम में सत्य और अहिंसा का संदेश देने के लिए दिल्ली के कुतुबमीनार से भी ऊंचे श्वेत जैतखाम का निर्माण किया गया है. इस खूबसूरत जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है।
गुरु घासीदास जयंती के प्रमुख आकर्षण
प्रात: प्रभात फेरी – गुरु घासीदास की जयंती, जिसे शांति का प्रतीक माना जाता था, स्थानीय लोगों के बीच बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस त्यौहार के अवसर पर, सतनामी संप्रदाय के लोगों द्वारा सुबह जल्दी प्रभात फेरी निकाली जाती है। लोग गुरु के दोहों का जाप करते हुए भक्ति में नाचते भी हैं। इस उत्सव में उपस्थित रहना अपने आप में एक अविस्मरणीय अनुभव होगा। गुरु घासीदास की जन्मस्थली एवं तपोभूमि एवं सतनामी समाज का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल गिरौदपुरी में भक्तों का मेला लगता हैं, जहां उनके चरणकुंड, अमृतकुंड, छाता पहाड़ आदि स्थलों के दर्शन का वे लाभ लेते हैं। गुरु घासीदास की जयंती पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में 18 दिसंबर से करीब एक माह तक बड़े पैमाने पर उत्सव के रूप में पूरे मनाई जाती है। सद्विचार तथा एकाग्रता बढ़ाने के लिए बाबा घासीदास की जयंती मनाना अतिआवश्यक हो जाता है, क्योंकि इससे लोगों को सद्कार्य करने की प्रेरणा मिलती हे।
सामाजिक कल्याण बैठकें और सामुदायिक भवन कार्य – गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर, कई बैठकें होती हैं ।साथ ही सामाजिक समारोह स्थानीय स्तर पर विभिन्न स्थलों पर आयोजित किए जाते हैं। इन बैठकों और कार्यों का मुख्य उद्देश्य समाज का कल्याण होता है और लोगों की समग्र भलाई में सुधार के लिए क्या निश्चित उपाय किए जा सकते हैं, उस पर चर्चा होती है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरू घासीदास जी की जयंती पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा है कि बाबा गुरू घासीदास जी का जीवन दर्शन और विचार मूल्य पूरी मानव जाति के लिए कल्याणकारी है और अनुकरणीय हैं.
बाबा गुरु घासीदास की जयंती से हमें पूजा करने की प्रेरणा मिलती है और पूजा से सद्विचार तथा एकाग्रता बढ़ती है। इससे समाज में सद्कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।