दुनियाभर में आज यानी 1 जून को ग्लोबल पेरेंट्स डे मनाया जा रहा है। यह दिन माता-पिता के लिए सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन अपने माता-पिता का आभार प्रकट करना न भूलें।
मानव जीवन में माता पिता का स्थान सर्वोच्च है। बच्चों के जन्म से ही माता-पिता उनके लिए आदर्श के रूप में होते हैं। भागदौड़ की इस जिंदगी में भले ही हम अपने माता-पिता से दूर हैं, लेकिन दुख हो या सुख हर परिस्थिति में वह हमारे साथ होते हैं। यही वजह है कि उनके महत्व को समझाने के लिए हर साल 1 जून को पेरेंट्स डे मनाया जाता है। इस खास दिन की शुरुआत सबसे पहले साल 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा की गई थी। वहीं पेरेंट्स डे को मनाने की शुरुआत अमेरिका में साल 1994 में हुई थी।
ग्लोबल डे ऑफ़ पेरेंट्स दुनिया के किसी भी क्षेत्र में, बच्चों के प्राथमिक देखभाल करने वाले और उसके प्रथम शिक्षक उसके माता-पिता ही होते हैं| यह बात धर्म, जाति, रंग, यहाँ तक की हर प्रजाति पर सटीक बैठती है| माता-पिता ही उस बच्चे की नीव रखते हैं जो आगे चलकर समाज और समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है| इस बात से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि माता-पिता की परवरिश ही समाज का आइना होती है| तो ऐसे हर माता-पिता को सम्मान देने और उनकी सराहना करने के लिए हर साल 01 जून को Global Day of Parents मनाया जाता है|
अमेरिका के साथ दुनिया के अन्य देश में भी इस खास दिन को अलग-अलग अंदाज में मनाया जाने लगा। माता-पिता को सम्मान प्रकट करने के साथ-साथ उनके त्याग और बलिदान के प्रति शुक्रिया कहने के लिए मनाया जाता है। इस दिन आप भी अपने माता-पिता को आभार प्रकट न भूलें। अगर आप उनसे दूर रहते हैं, तो उन्हें सोशल मीडिया या फिर व्हाट्सअप मैसेज के जरिए थैंक्यू या फिर आई लव यू का मैसेज भेज सकते हैं। ध्यान रहें कि दूर रहकर भी अपने माता-पिता को एहसास दिलाएं कि आप हमेशा उनके साथ हैं।
जानें क्यों मनाया जाता है ग्लोबल पैरेंट्स डे
दुनियाभर में हर साल 1 जून को ग्लोबल पेरेंट्स डे मनाया जाता है। इस दिन बच्चे अपने माता पिता के प्रति सम्मान और निस्वार्थ प्रतिबद्धता और इस रिश्ते के लिए आजीवन बलिदान के आभार प्रकट करते हैं। अक्सर कहा जाता है कि माता-पिता भगवान का दिया सबसे अनमोल उपहार हैं, और जीवन में कोई भी उनकी स्थान नहीं ले सकता है। यह दिन खास दिन माता-पिता के बलिदान और त्याग की सराहना करने का एक विशेष अवसर देता है।ग्लोबल पेरेंट्स डे के जरिए बताया जाता है परिवार के साथ बच्चों के पोषण और संरक्षण माता-पिता की एक प्राथमिक जिम्मेदारी है। बच्चों के विकास के लिए आवश्यकता है कि वे अच्छे पारिवारिक माहौल में बड़े हों, जहां खुशी, प्यार और विश्वास हो। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पारिवारिक नीतियां भूख और गरीबी को दूर कर सामाजिक विकास, आर्थिक समृद्धि आदि को बढ़ावा देता है। इसलिए सामाजिक जीवन का केंद्र सिर्फ परिवार है।
ग्लोबल पेरेंट्स डे का इतिहास
पेरेंट्स डे अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है. उदाहरण के लिए अमेरिका में जुलाई के चौथे रविवार और साउथ कोरिया में 8 मई को ग्लोबल पेरेंट्स डे मनाया जाता है. ग्लोबल पेरेंट्स डे की शरुआत यूएन जर्नल असेंबली में 1994 में की गई थी ताकि विश्वभर में माता-पिता का सम्मान किया जा सके. यह दिवस पेरेंटिंग में माता-पिता द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका के लिए मनाया जाता है. ग्लोबल पेरेंट्स डे के आइडिया को यूनिफिकेशन चर्च और सेनेटर ट्रेंट लॉट द्वारा समर्थित किया गया था, जिसके बाद इसे हर साल मनाया जाने लगा।
ग्लोबल पेरेंट्स डे का महत्व
हमेशा से ही ऐसा कहा जाता रहा है कि माता-पिता भगवान द्वारा दिए गए अमूल्य तोहफे हैं और दुनियाभर में कोई भी उनकी जगह नहीं ले सकता है। बच्चों के विकास के लिए यह जरूरी है कि वो एक अच्छे पारिवारिक वारतावरण में बड़े हों, जहां खुशी, प्यार और विश्वास हो. इसमें कोई शक नहीं है कि परिवार या फिर माता पिता ही अपने बच्चों को अच्छे गुण सिखाने के साथ, उनकी हर तरह से देखभाल करते हैं. यहां तक कि बहुत सी परिवार-उन्मुख नीतियां भूख और गरीबी दूर करने से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम हैं जो आर्थिक समृद्धि, सामाजिक विकास को बढ़ावा देती हैं। बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए, अभिभावकों का वैश्विक दिवस यह संदेश भी देता है कि बच्चों का पोषण और संरक्षण परिवार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। व्यक्तित्व और सामंजस्यपूर्ण विकास के लिए, बच्चों को परिवार के माहौल, खुशी, प्यार और समझ के माहौल में बड़े होने की आवश्यकता है।
ग्लोबल डे ऑफ़ पेरेंट्स 2021 की थीम
इस वर्ष 2021 में ग्लोबल डे ऑफ़ पेरेंट्स थीम है : “Appreciate all parents throughout the world” (“दुनिया भर में सभी माता-पिता की सराहना करें”) यह थीम दुनिया भर के उन पेरेंट्स का समर्थन करती है जो अपने बच्चों के लिए संघर्ष करते हैं| इस वर्ष इस दिवस की थीम ‘दुनिया भर में सभी माता-पिता की सराहना करें’ है। यह विषय लोगों को अपने परिवारों के बलिदानों की सराहना करने और उनके प्यार और स्नेह को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करता है। COVID-19 महामारी के बीच दुनिया भर के परिवार पीड़ित हैं। परिवार वह सुरक्षित स्थान था जिस पर लोग महामारी के दौरान वापस आए है। कोरोना काल में परिवार और माता-पिता के जीवन में होने से उनका महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। हर व्यक्ति के जीवन में माता-पिता का काफी महत्व होता है। इनके हमेशा दुख-सुख में बच्चों के साथ खड़े रहते है। मौजूदा समय में त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण के साथ—साथ प्रेम तथा सहयोग की भाव बढ़़ गया है। कोरोना ने परिवार के लोगों को एक-दूसरे की अहमियत से परिचित कराया है। इसी के साथ यह विषय हमें अपने माँ-बाप के प्यार को स्वीकार करने और उनके द्वारा किये गए बलिदान को महत्व देने के लिए आग्रह करता है|
माता-पिता बनना दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण काम है। जीवन के पहले 1,000 दिन बच्चे के मस्तिष्क का निर्माण करने और सीखने और बढ़ने की बच्चे की क्षमता को आकार देना आसान काम नहीं होता है। माता-पिता अपने बच्चों को सबसे अच्छा देना के लिए वो सब करते हैं जो जितनी क्षमता होती है। फिर भी, कुछ माता-पिता के पास अपने परिवार का समर्थन करने के लिए लंबे समय तक काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।खासकर, आज के माता-पिता को अपने बच्चे को जीवन में सर्वश्रेष्ठ शुरुआत देने के लिए समय चाहिए।
बच्चे के जीवन के शुरुआती कुछ साल उसके दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान बच्चा सबसे ज्यादा सीखता और समझता है। लेकिन आज माता-पिता के पास बच्चों के लिए समय नहीं है। वजह-बढ़ते एकल परिवार या माता-पिता दोनों का नौकरी करना। ऐसे में माता-पिता अपने एक साल से लेकर किशोरों तक को बहलाने के लिए मोबाइल फोन थमा देते हैं। यह सही नहीं है। माता-पिता की जिम्मेदारी है कि अपने बच्चे को प्यार, सही पोषण, सुरक्षा और व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करें। दुनिया में पांच साल से कम आयु के ढाई करोड़ बच्चे कुपोषण और हिंसा का शिकार हैं, ऐसे में बच्चों की सही देखभाल और भी जरूरी हो जाती है। एक जून को विश्व परवरिश दिवस है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से पहली बार पूरे जून माह को विश्व परवरिश माह के रूप में मनाया जाएगा। इसमें चार थीम भी निर्धारित की गई हैं। ऐसे में बच्चे के सही विकास के लिए क्या जरूरी है, उस पर आधारित एक रिपोर्ट।
सही आहार जरूरी
बच्चे के विकास के लिए सही आहार जरूरी है। बच्चे को जन्म के पहले घंटे में मां का दूध पिलाना चाहिए। यह बच्चे में रोग प्रतिरक्षक क्षमता बढ़ाता है। वहीं, पहले छह महीने तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए। घुट्टी या पानी भी नहीं देना चाहिए, क्योंकि मां का दूध एक प्राकृतिक दवा है। छह माह का पूरा होने पर बच्चे को दलिया, खिचड़ी, मसला हुआ दाल-चावल और केला आदि दे सकते हैं। खाना तभी खिलाएं, जब वह जाग रहा हो।
खेलने से होता है विकास
बच्चे के बेहतर मस्तिष्क विकास के लिए खेल बहुत जरूरी है। जो बच्चे खेल से जड़े रहते हैं, उनमें सीखने की क्षमता का विकास होता है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। माता-पिता को चाहिए कि बच्चे के साथ खुद भी खेलें और उसके साथ समय बिताएं। खेलने से बच्चों के ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है और फेफड़े अधिक क्षमता से कार्य करते हैं।
रखें दोस्ताना व्यवहार
बच्चों के साथ माता-पिता की बातचीत उनके जीवन में अहम भूमिका निभाती है। बच्चा छोटा हो तो उससे बात करें, इससे वह सीखता है। जैसे-जैसे उसकी आयु बढ़े, उसे बताएं कि उसके साथ होने वाली गतिविधियों में क्या सही है और क्या गलत। बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें, ताकि वह हर बात आपसे शेयर करें। गुड टच-बैड टच के बारे में जरूर बताएं।
प्यार सबसे अहम
बच्चों को प्यार देना हर पहलू से अहम है। खासकर छोटे बच्चों के लिए यह ज्यादा अहमियत रखता है। जब आप बच्चे को छूते हैं तो उसका आपके साथ एक रिश्ता कायम होता है। इसलिए बच्चे गोद में बैठाकर खिलाएं, उसके साथ खेलें और ज्यादा से ज्यादा वक्त दें। यह माता-पिता दोनों मिलकर करें।
माँ बाप का हाथ पकड़कर रखिये.. लोगो के पांव पकड़ने की जरूरत नही पडेगी, माता पिता का साथ, उनका विस्वास, जीवन का सच शुख है, उनके चरणो में शीश झुके हमेशा, यही हमारा परम-धर्म है।