रेशम के धागे का उपयोग तो आपने सुना ही होगा या किया भी होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि रेशम की खेती भी, रेशम की फार्मिंग भी की जाती है। और रेशम का बिजनेस करके अच्छे खासे पैसे भी कमाए जा सकते हैं, जी हां सही सुना आपने रेशम की खेती भी की जाती है। रेशम की खेती करने का मतलब रेशम के कीड़े पाले जाते हैं। जिससे रेशम पैदा होता है और रेशम का उत्पादन करके मार्केट में बेचकर मोटी कमाई की जाती है।
आज के आधुनिक दौर में ऐसे कई उद्योग है, जिन्हें कृषि के साथ बड़ी आसानी से किया जा सकता है | इसकी क्रम में रेशम उद्योग को शामिल किया गया है, यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें आप रेशम के कीड़ों द्वारा रेशम का उत्पादन कर अच्छी इनकम प्राप्त कर सकते है | सबसे खास बात यह है, कि यह कृषि आधारित उद्योग है | हमारे देश में कई ऐसे राज्य है, जहाँ यह व्यवसाय उनकी आय का मुख्य स्त्रोत बन चुका है | फैशन के इस दौर में रेशम से निर्मित वस्त्रों का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण मार्केट में इसकी मांग निरंतर बढ़ती जा रही है | ऐसे यह व्यवसाय आपकी आय के लिए एक बेहतर विकल्प है और ऐसे उद्योग में अधिक पूँजी की जरुरत भी नहीं होती है | यदि आप भी रेशम कीट पालन करना चाहते है, तो रेशम कीट पालन (Sericulture) कैसे करे ? इसके बारें में आपको यहाँ पूरी जानकरी प्रदान की जा रही है |
रेशम कीट पालन क्या है
रेशम का उत्पादन रेशम के कीड़े द्वारा होता है, जिसे हम ‘रेशमकीट पालन’ या सेरीकल्चर (Sericulture) कहते है | भारी मात्रा में रेशम उत्पादन के लिए रेशम उत्पादक जीवों का पालन करना होता है। रेशम की बढ़ती मांग के कारण अब यह एक उद्योग बन चुका है, जिसे हम कृषि आधारित कुटीर उद्योग कहते है। सबसे खास बात यह है, कि इस उद्योग को बहुत ही कम लागत में लगाया जा सकता है और आप यह कार्य कृषि कार्यों और अन्य घरेलू कार्यों के साथ बड़ी आसानी से कर सकते है | रेशम उत्पादन के मामले में विश्व में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर आता है।दरअसल रेशम के उत्पत्ति चीन में हुई थी और इस मामले में यदि हम भारत की बात करें, तो रेशम भारत में रचा बसा है | आपको बता दें, कि रेशम के कई प्रकार हैं और उन सभी का उत्पादन किसी न किसी भारतीय क्षेत्र में अवश्य होता है। वर्तमान समय में रेशम उत्पादन का कार्य भारत के अलावा जापान, रूस, ब्राजील, इटली, फ्रांस जैसे देशों में भारी मात्र में किया जा रहा है।
रेशम की किस्में
आज के दौर में रेशम की बढ़ती मांग को देखते हुए व्यवसायिक रूप से रेशम की किस्में 5 प्रकार की होती है, जो रेशम कीट के विभिन्न प्रजातियों से प्राप्त होती हैं | इनके नाम इस प्रकार है –
* शहतूती रेशम |
* गैर शहतूती रेशम |
* एरी या अरंडी रेशम |
* मूंगा रेशम |
* ओक तसर रेशम |
* तसर (कोसा) रेशम |
क्या है रेशम फॉर्मिंग और रेशम के कीड़े पालने का बिजनेस प्लान
रेशम की फॉर्मिंग करने का मतलब यह है कि हम रेशम के कीड़ों को पालकर रेशम का उत्पादन करके मार्केट में रेशम बेचकर पैसे कमाए रेशम बनाने के लिए रेशम के कीड़े पालने पड़ते हैं। यह तो आप जानते ही होंगे। रेशम उद्योग को सेरीकल्चर उद्योग भी कहा जाता है। रेशम के कीड़े पालने के बाद रेशम का उत्पादन किया जाता है और मार्केट में भेज दिया जाता है
रेशम कीट पालन हेतु आवश्यक चीजे
किसी भी छोटे या बड़े स्तर पर व्यवसाय शुरू करनें के लिए उससे जुड़ी संबंधित बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है | ठीक इसी प्रकार रेशम कीट पालन हेतु आपकी किन-किन चीजों की आवश्यकता पड़ती है, यहाँ आपको हम इसके बारें में जानकारी दे रहे है, जो इस प्रकार है –
* बिजली का स्प्रेयर |
* कीट पालन स्टैंड |
* फोम पैड |
* मोम लगा हुआ पैराफिन कागज |
* नायलॉन की जाली |
* पत्ते रखने हेतु टोकरी |
* बांस के नेट्राइक या माउंटेज |
रेशम उत्पादन व्यवसाय में इन्वेस्टमेंट
यह व्यवसाय मुख्य रूप से जमीन के ऊपर निर्भर होता है, कि आप इस व्यवसाय के लिए कितनी जमीन प्रयोग करना चाहते है | यदि आप यह व्यवसाय बड़े स्तर पर करना चाहते है, तो स्वाभाविक रूप से इन्वेस्टमेंट अधिक करना होगा और यदि आप यह बिजनेस छोटे स्तर से शुरू करते है, तो इन्वेस्टमेंट कम करना होगा | यदि आपके पास स्वयं की जमीन है, तो यह व्यवसाय बहुत ही कम पैसे से शुरू कर सकते है | हालाँकि यह छोटे स्तर पर शुरू करनें के लिए कम से कम 2 लाख रुपये से शुरू किया जा सकता है, इसके अलावा बड़े स्तर पर करनें के लिए आपको कम से कम 8 से 10 लाख रुपये इन्वेस्ट करनें होंगे, जिसमें विभिन्न प्रकार की मशीनें भी शामिल है | हालाँकि रेशम कीट को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उत्प्रेरित विकास योजना की शुरुआत की गयी है, जिसके माध्यम से आप इस व्यवसाय के लिए ऋण 50 फीसदी सब्सिडी के साथ दिया जा रहा है |
रेशम फार्मिंग की विधि
रेशम की बढ़ती मांग को देखते हुए इसमें इसमें रोजगार की संभावनाएं काफी अधिक हैं। चूँकि आज के फैशन युग में इसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है, ऐसे में यह व्यवसाय एक अच्छी आमदनी का स्त्रोत बनता जा रहा है | भारत पांच किस्म के रेशम मलबरी, टसर, ओक टसर, एरि और मूंगा सिल्क का उत्पादन करने वाला अकेला देश है। मूंगा रेशम के उत्पादन में भारत का एकाधिकार है। यह एक प्रकार से कृषि क्षेत्र की नकदी फसल है, जो 1 माह अर्थात 30 दिनों के अन्दर प्रतिफल प्रदान करती है।
रेशम कीट पालन में शहतूत एक ऐसा महत्वपूर्ण कारक है, जिसके बिना आप रेशम कीट पालन की कल्पना नही कर सकते | दरअसल शहतूत एक बहुवर्षीय पेड़ होता है और इस पौधे को एक बार लगानें पर यह अगले 15 वर्षो तक शहतूत की पत्तियाँ रेशम कीट के लिए भोजन के रूप में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है। इसलिए शहतूत के पौधौ का वृक्षारोपण करते समय टेक्निकल पैरामीटर्स को ध्यान में रखना चाहिए | क्योंकि कोया उत्पादन करनें में लगभग आपकी पचास प्रतिशत राशि शहतूत पत्तियों के उत्पादन में खर्च होती है।
भूमि का चयन और तैयारी
शहतूत के पौधों को लगानें के लिए ऐसी भूमि होनी चाहिए, जो उसरीली न हो | इसके साथ ही सिंचाई की व्यवस्था के अलावा पानी का ठहराव न हो | मुख्यतः बलुई-दोमट भूमि शहतूत वृक्षारोपण के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है परन्तु वहां उचित जल निकासी की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए | शहतूत के वृक्षारोपण हेतु यदि हम भूमि की तैयारी की बात करे, तो मानसून की वर्षा होनें से पहले इसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है। सबसे पहले भूमि की जुताई की जाती है और इस दौरान उसमें सड़े गोबर की खाद मिलायी जाती है | इसके साथ ही 100 KG. बीएचसी पाउडर, 20 प्रतिशत एल्ड्रीन दीमक की रोकथाम के लिए मिट्टी में मिलाया जाना चाहिए। वृक्षारोपण करनें के दो से तीन महीनें के बाद उसमें 50 किग्रा० नाइट्रोजन प्रति एकड़ दर से करना आवश्यक होता है। आपको बता दें, भारत में मुख्य रूप से शहतूत पर कीटों द्वारा रेशम उत्पादन पश्चिम बंगाल,कर्नाटक,जम्मू व कश्मीर, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में किया जाता है, जबकि शहतूत के पेड़ों के अलावा अन्य पेड़ो पर रेशम कीट पालन द्वारा रेशम उत्पादन झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में होता है।
सरकार द्वारा प्रशिक्षण की सुविधा
सरकार द्वारा इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा लोगो को प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की गयी है, जिसके माध्यम से आप यह व्यवसाय कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते है| इसके साथ ही विभाग द्वारा कुछ विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की जा रही है, जो इस प्रकार है।
* रेशम कीटपालन हेतु प्रशिक्षण देना |
* कीट पालन से सम्बंधित सामान उपलब्ध कराना |
* रेशम कीट के अंडों को उपलब्ध कराना |
* कीटपालन हेतु उपकरण की व्यवस्था कराना |
* कोया की बिक्री करवाना |
* रेशम कीटपालन हेतु बेरोजगार या किसनों को प्रेरित करना।
रेशम उद्योग में आवश्यक सामग्रियां
* तिपाइयां ( ये लकड़ी या बांस की होती है)
* जाल – ( कपड़े के छोटे-छोटे जाल, जिससे बची पत्तियां तथा कीड़ों के मल को साफ किया जाता है)
* पत्तियां काटने के लिए चाकू की आवश्यकता होती है।
* आद्रतामापी की जरुरत।
* ऊष्मा उत्पादक ए कूलर।
कैसे शुरू करें सेरीकल्चर
बुनियादी आवश्यकताएं :-
1. भूमि: इसके लिए यह सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है कि रेशम के कीड़ों के लिए भोजन काटा जाएगा।
2. रोपण सामग्री: कई पत्तियों को सहन करने वाली किस्मों का चयन करना जरूरी है, प्रति एकड़ कम से कम 30 मीटर टन (शहतूत की अच्छी किस्म)।
3. रेशमकीट पालन घर: एक होना चाहिए जो स्वच्छंद परिस्थितियों की बुनियादी आवश्यकता को बनाए रख सके।
4. रियरिंग उपकरण: उपयुक्त और अनुमोदित रियरिंग उपकरण जैसे रियरिंग बेड, माउंटेज, स्प्रेयर पंप, चॉपिंग बोर्ड आदि की आवश्यकता होती है।
5. रेशमकीट के अंडे: अनुमोदित रेशम कीट अंडे के प्रजनकों से प्राप्त किए जाने चाहिए।
6. प्रशिक्षण: पीछे के रेशम के कीड़ों का इरादा रखने वाले व्यक्ति को कम से कम दो सप्ताह का मूल प्रशिक्षण होना चाहिए ताकि वे मास्टरिंग तकनीकों को अपना सकें।
7. कृषि उपकरण: खुदाई, निराई और गुड़ाई के लिए, पत्तियों की छंटाई और कटाई के लिए स्रावी, बड़े शूट काटने के लिए आरी, पशु कीटों को रोकने के लिए बाड़ लगाने वाली सामग्री।
ऐसे करें रेशम उद्योग
रेशम उद्योग करने के लिए कई बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है. बता दें कि कीटों को कमरे के अंदर पाला जाता है. सबसे पहले शहतूत के बैग लगाएं. इससे कीटों को खाने के लिए पत्तियां मिलती रहती है. साथ ही कमरों में स्वच्छ हवा और रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिए. इसके अलावा कमरे में लकड़ी की तिपाईयों के ऊपर ट्रे रखकर उसमें इनकी रिपरिंग करते हैं. ध्यान रहे कि तिपाइयों को चीटियों से बचाने के लिए पायों के नीचे एक बर्तन में पानी भरकर रख दें, साथ ही कीटों को रोजाना साफ करते रहें।
रेशम कीट पालन से जुड़े हैं भारत के 60 लाख किसान
बता दें कि भारत में रेशम कीट पालन से लाखों परिवार जुड़़े हुए हैं और इन परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो चुकी है। रेशम कीट पालन खेती-बाड़ी की श्रेणी में ही माना जाता है। चाइना के बाद भारत रेशम उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। भारत में हर किस्म का रेशम पैदा होता है। भारत के विभिन्न राज्यों में करीब 60 लाख लोग रेशम कीट पालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
ये सरकारी संस्थान देते हैं सिल्क वर्म पालन को बढ़ावा
भारत में केंद्रीय रेशम रिसर्च सेंटर बहरामपुर में साल 1943 में बनाया गया था। इसके बाद रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1949 में रेशम बोर्ड की स्थापना की गई। मेघालय में केंद्रीय इरी अनुसंधान संस्थान और रांची में केंद्रीय टसर अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई। यहां से पूरे रेशम कीट पालन संबंधी प्रशिक्षण आदि के बारे में जानकारी ली जा सकती है। वहीं भारत सरकार रेशम कीट पालन की ट्रेनिंग कराने के लिए आर्थिक मदद देती है। इसके अलावा सरकार रेशम कीट पालन से जुड़ा साजो-सामान रेशम कीट के अंडे, कीटों से तैयार कोया को बाजार मुहैया करवाने आदि में मदद करती है।
तीन तरह से होती है रेशम की खेती
यहां बता दें कि भारत में रेशम की खेती तीन प्रकार से की जाती है। इनमें पहली है मलबेरी खेती, दूसरी टसर खेती और तीसरी है ऐरी खेती। रेशम एक कीट के प्रोटीन से बना रेशा है। बढिया रेशम शहतूत और अर्जुन के पत्तों पर कीट पालन से होता है। शहतूत के पत्ते खाकर जो कीट रेशम बनाते हैं उसे मलबरी रेशम कहा जाता है। भारत में मलबरी रेशम का उत्पादन कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू -कश्मीर और पश्चिम बंगाल में किया जाता है। बिना शहतूत वाले रेशम का उत्पादन झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिसा, उत्तरप्रदेश और पूर्वी राज्यों में होता है। यहां जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार रेशम कीट पालन के लिए कई योजनाओं के तहत सब्सिडी प्रदान करती है। रेशम कीट पालन के बारे में ज्यादा जानकारी भारत सरकार की वेबसाइट के इस लिंक से हासिल कर सकते हैं। https://www.india.xn--gv-jiay.in/hi/tàæpics/agriculture/sericulture
- रेशम उत्पादन के फायदे:-
* रोज़गार की पर्याप्त क्षमता
* ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार
* कम समय में अधिक आय
* महिलाओं के अनुकूल व्यवसाय
* समाज के कमज़ोर वर्ग के लिए आदर्श कार्यक्रम
* पारि – अनुकूल कार्यकलाप
* समानता संबंधी मुद्दों की पूर्ति
* यह एक खेती से जुड़ा कुटीर उद्योग है !
* इस उद्योग को ग्रामीण क्षेत्र के लोग बहुत कम लागत में आसानी से शुरु कर सकते है !
* कीड़ों से जल्द ही रेशम उत्पादन मिलने लगता है !
* इस उद्योग को कृषि समेत कई दूसरे घरेलू कामों के साथ आसानी से कर सकते हैं !
* इसके द्वारा महिलाएं अपने खाली समय का अच्छा इस्तेमाल कर सकती हैं !
* सुखोनमुख क्षेत्रों में भी आसानी से शुरू किया जा सकता है !
* इस उद्योग से बहुत अच्छी आमदनी होती है !
* कम लागत और समय में ज्यादा आमदनी मिलती है ।