आपको अगर एक्सरसाइज या योग करने का समय नहीं मिल पाता, तो आपको सूर्य नमस्कार करने के लिए रोजाना 10 मिनट जरूर निकालने चाहिए, इससे रोजाना करने से आप न सिर्फ स्वस्थ रहते हैं बल्कि कई बीमारियों से भी बचे रहते हैं। सूर्य नमस्कार के 12 चरण है।
सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। ‘सूर्य नमस्कार’ स्त्री, पुरुष, बाल, युवा तथा वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है। इस अभ्यास के द्वारा हमारे शरीर की छोटी-बड़ी सभी नस-नाडि़यां क्रियाशील हो जाती हैं, इसलिए आलस्य, अतिनिद्रा आदि विकार दूर हो जाते हैं। सूर्य नमस्कार की तीसरी व पांचवीं स्थितियां सर्वाइकल एवं स्लिप डिस्क वाले रोगियों के लिए वर्जित हैं। सेहत के नज़रिए से देखा जाए, तो सूर्य से निकलने वाली किरणें हमें विटामिन-डी देती हैं, जिससे हमारी हड्डियां मजबूत बनती हैं और कई बीमारियां दूर होती हैं. सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर की सिर से लेकर पांव तक एक्सरसाइज हो जाती है. इसमें 12 चरम होते हैं, जो हमारे 7 चक्रों को सक्रिय करने की भूमिका अदा करते हैं।
सूर्य नमस्कार के 12 चरण |
सूर्य नमस्कार योग आसन कैसे किया जाता है और इसके 12 चरण, मंत्र, प्रार्थना, फायदे, नुकसान और सावधानी बताई गयी है। आइए जानते हैं, सूर्य नमस्कार करते वक्त 12 आसन किये जाते हैं, जिससे शरीर के हर अंग पर असर पड़ता है। सूर्य नमस्कार करते समय कोनसे मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार का अर्थ क्या है?
सूर्य नमस्कार का अर्थ है की सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना। इस अभ्यास से त्वचा सम्बन्धी रोग दूर होते है। इसके साथ साथ ही उदर रोग भी समाप्त हो जाते हैं और पाचन तंत्र की क्रियाशीलता में वृद्धि हो जाती है।सूर्य नमस्कार को सुबह के समय में ही करना चाहिए। इसको सूर्य (Surya) की तरफ मुख कर के ही करना चाहिये। वो इसलिये की सूर्य हमें ऊर्जा प्रदान करता है। इसको करने से किसी भी तरह के एक्सरसाइज और योग की जरूरत नहीं पड़ती है। यदि आप रोजाना नियमित रूप से सूर्य नमस्कार के 12 आसन(Surya Namaskar 12 pose) करेंगे। रोजाना सुबह के समय सूर्य के सामने इसे करने से शरीर को विटामिन डी की पूर्ति भरपूर मात्रा में मिलती है जिससे शरीर को मजबूती मिलने के साथ ही स्वस्थ रखने में भी मदद मिलती है।स्वस्थ रहने के लिए इन बातो पर जरूर ध्यान दे। यह सांस की जागरूकता के साथ किए जाने वाले योग आसनों का एक लोकप्रिय योग आसन(Pose) की क्रिया है। यह अपने आप में एक पूर्ण साधना या योगाभ्यास है और इसमें आसन, प्राणायाम, मंत्र, और ध्यान तकनीक शामिल हैं। सूर्य नमस्कार की अवधारणा सूर्य को प्रतिष्ठित करने की प्राचीन प्रथा से आती है जिसे ग्रह पर हर रचना का स्रोत माना जाता है और आध्यात्मिक चेतना का भी प्रतीक है।
सूर्य नमस्कार मूल योग प्रथाओं में से एक है; फिर भी, इस योग का दुनिया में बहुत महत्व है। यह आपके पूरे शरीर को उत्तेजित करता है। इसके अलावा, यह उन लोगों के लिए एकदम सही है जो कम समय में एक अच्छी कसरत करना चाहते हैं। यदि आप इस योग क्रम के 12 आसन या योग मुद्राएँ पूरी करते हैं , तो यह आपके लिए 288 शक्तिशाली योग आसन करने के बराबर है ।
सूर्य नमस्कार को सबसे पहले सुबह खाली पेट किया जाता है। इसके प्रत्येक दौर में दो चरण होते हैं, और प्रत्येक चरण में 12 योग पोज़ से बना होता है। आपको इसका अभ्यास करने के कई तरीके मिल सकते हैं। हालांकि, एक विशेष और सर्वोत्तम परिणामों के लिए नियमित रूप से अभ्यास करना उचित है। इस लेख में, हम सूर्य नमस्कार के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानेंगे । आप इस आसन के बारे में सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे कि इसके लाभ, इसे कैसे करें, इसे अभ्यास करने का सबसे अच्छा समय, और कई अन्य चीजें
क्या है सूर्य नमस्कार योग आसन-
सूर्य नमस्कार योग आसन की उत्पत्ति को लेकर बहुत विरोधाभास है। कुछ का कहना है कि यह वैदिक काल में 2500 साल पहले बनाया गया था, जिसके दौरान यह एक अनुष्ठान के रूप में किया गया था, जिसमें उगते हुए सूरज को नमस्कार करना, मंत्रों का जाप , चावल और जल अर्पित करना शामिल था। दूसरों ने कहा कि यह एक अपेक्षाकृत आधुनिक तकनीक है जिसे 20 वीं शताब्दी में औंध के राजा द्वारा विकसित किया गया था ।प्रत्येक योग सबसे पहले सूर्य नमस्कार से शुरू होता है। कहा गया है की “कोई भी आसन अभ्यास सूर्य के नमस्कार के बिना पूरा नहीं होता है। मानसिक ऊर्जाओं पर ध्यान केंद्रित किए बिना, योग अभ्यास जिमनास्टिक की तुलना में थोड़ा अधिक है और, इस तरह, महत्वपूर्णता खो देता है और फलहीन साबित होता है। सही में इसको कभी भी केवल शारीरिक व्यायाम के लिए करना गलत है।
सूर्य नमस्कार करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। यह आपके शरीर और दिमाग से तनाव को कम करता है, परिसंचरण में सुधार करता है, आपके श्वास को नियंत्रित करता है और आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है। प्राचीन योगियों के अनुसार, यह आसन मणिपुर चक्र को भी सक्रिय करता है। जो नाभि क्षेत्र में स्थित है और इसे दूसरा मस्तिष्क कहा जाता है। इससे व्यक्ति की रचनात्मक और सहज क्षमता बढ़ती है। सूर्य नमस्कार में प्रत्येक आसन मांसपेशियों के लचीलेपन को बढ़ाता है और आपके शरीर के एक अलग हिस्से को भी संलग्न करता है। परिणामस्वरूप, अधिक शक्तिशाली और जटिल आसनों का अभ्यास करने के लिए आपका शरीर गर्म हो जाता है । सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से आपको आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने में भी मदद मिलती है। यह व्यक्ति के दिमाग को शांत करता है और उसको स्पष्ट रूप से सोचने में सक्षम बनाता है।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन के नाम और उनके लाभ-
स्थिति: दोनों पैरों की एडियां मिली हुईं, पंजे खुले हुए , पैरों से सिर तक का भाग सरलता से सीधा करके खड़े हों।
विधि: एक आवृत्ति में 12 क्रियाएं होती हैं ।
पहली स्थिति: प्राणायाम या अंजलि मुद्रा
दोनों हाथ प्रणाम की मुद्रा में जोड़कर छाती के गड्ढे (हृदय-चक्र ) पर रखें, कोहनियां बाहर की ओर समानांतर हों। आगे दिये हुए मंत्रों का प्रत्येक आवृत्ति में क्रमानुसार उच्चारण करें। ध्यान भृकुटि के पीछे आज्ञा-चक्र पर केंद्रित करें।
लाभ – यह तंत्रिका तंत्र को आराम करने और आपके शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
दूसरी स्थिति: उत्थान हस्थासन
श्वास भरते जाएं, दोनों भुजाएं ऊपर ले जाएं, बाजू सीधे और कान के साथ मिले रहें, बाजुओं को गर्दन सहित धीरे-धीरे पीछे झुकाएं, हाथ व भुजाएं टेढ़ी न हों। ध्यान कंठ के पीछे विशुद्धि-चक्र पर।
लाभ – यह पेट की मांसपेशियों को फैलाता है और मजबूत करता है। छाती का विस्तार करता है जिसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की पूरी खपत होती है जहां फेफड़ों की क्षमता का पूरा उपयोग किया जाता है। इस आसन को करने का उद्देश्य एड़ी से लेकर उंगलियों की नोक तक पूरे शरीर का विस्तार करना है। ये स्थति पाचन में सुधार करती है।
तीसरी स्थिति: हस्तपाद आसन
हस्तपाद आसन में श्वास छोड़ते हुए गर्दन व भुजाओं को एक साथ सामने की ओर से नीचे लाएं, हाथ की हथेलियां पांव के बराबर, जमीन पर लगे। माथे को घुटनो के साथ लगाए, घुटने बिल्कुल सीधे रहे। ध्यान नाभि के पीछे मणिपुर-चक्र पर।
लाभ – यह कमर और रीढ़ को लचीला बनाता है। हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करता है और कूल्हों, कंधों और बाजुओं को खोलता है। इससे पाचन क्रिया ठीक होती है।
चौथी स्थिति: अश्व संचालन आसन
श्वास भरते हुए बायीं टांग पीछे ले जाएं, बायां घुटना पृथ्वी पर, पंजा खड़ा, कमर नीचे सीता आगे, दृष्टि आकाश की ओर, हथेलियां पृथ्वी पर पांचों अंगुलियां मिलाकर रखें। दायां घुटना दोनों भुजाओं के बीच छाती के बराबर रहेगा। ध्यान ना नीचे स्वाधिष्ठान-चक्र पर।
लाभ – यह रीढ़ और गर्दन को लचीला बनाता है और पैर की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह अपच और कब्ज में भी मदद करता है। यह घुटने और टखने को मजबूत करने में मदद करता है। गुर्दे और यकृत के कार्य में सुधार लता है।
पांचवीं स्थिति: दंडासन
श्वास भरते हुए बायीं टांग भी पीछे ले जाएं। एड़ियों को धरती पर पूरी तरह से लगाएं नितंब ऊपर उठे रहें । ठोड़ी कंठ कूप में । ध्यान मस्तिष्क के पीछे सहस्नार-चक्र पर।
लाभ – यह हाथ, छाती, कंधे और रीढ़ को फैलाता है, मुद्रा में सुधार करता है और मन को शांत करता है। ये स्थति मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने मदद करती है। यह मस्तिष्क कोशिकाओं को शांत करने में बहुत ही फायदेमंद होता है।
छठी स्थिति: अष्टांग नमस्कार
शरीर पृथ्वी के समानांतर, ठोड़ी, छाती, दोनों घुटने धरती पर लगाएं, नितंब थोडे से पा उठे हुए रहेंगे। ध्यान हृदय के पीछे अनाहत-चक्र पर। इसमें श्वास भरना तथा छोड़ना दोनों क्रियाएं करनी हैं।
लाभ – यह पीठ और रीढ़ के लचीलेपन को बढ़ाता है। पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है और तनाव और चिंता को कम करता है। ये दिल के लिए फायदेमन्द है और रक्त चाप को ठीक करता है।
सातवीं स्थिति: भुजंगासन
भुजंगासन में श्वास भरकर शरीर को आगे करते हुए शरीर के अग्र भाग को ऊपर उठाएं । बाजू सीधे, गर्दन पीछे, सीना आगे और कमर नीचे, घुटने पृथ्वी पर, सिर को पीछे रीढ़ की हड़ी की और ले जाएं। ध्यान मूलाधार-चक्र पर।
लाभ – यह कंधे, छाती और पीठ को फैलाता है, लचीलापन बढ़ाता है और मूड को बढ़ाता है। यह पाचन को ठीक करता है।
आठवीं स्थिति: पर्वत आसन
लाभ – यह रीढ़ की हड्डी में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है और बाहों और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
नौवीं स्थिति: अश्व संचालन आसन
लाभ – यह पैर की मांसपेशियों में लचीलापन लाता है और पेट के अंगों को टोन करता है।
दसवीं स्थिति: हस्तपाद आसन
लाभ – यह हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करता है और कूल्हों, कंधों और बाजुओं को खोलता है।
ग्यारहवीं स्थिति: हस्तउत्थान आसन
लाभ – यह पेट की मांसपेशियों को फैलाता है और टोन करता है। छाती का विस्तार करता है जिसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की पूरी खपत होती है जहां फेफड़ों की क्षमता का पूरा उपयोग किया जाता है। इस आसन को करने का उद्देश्य पूरे शरीर को एड़ी से उंगलियों की युक्तियों तक विस्तारित करना है।
बारहवीं स्थिति: ताड़ासन
श्वास छोड़ते व हाथ जोड़ते हुए पहली स्थिति में आकर हाथ नीचे कर लें।
लाभ – यह जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत करता है और मुद्रा में सुधार करता है।
इस प्रकार इस की यह एक आवृत्ति हुई | दूसरी आवृत्ति में दायीं टांग पीछे ले जानी है।
सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र ये हैं-
1. ओं मित्राय नम: ! – सभी का विश्वसनीय मित्र।
2. ओ रवये नम: ! – चमकने वाला और ज्ञानवर्धक।
3. ओ सूर्याय नम: ! – सभी का मार्गदर्शन करें और हमें सक्रिय रखें।
4. ओ मानवे नम: !- रोशनी करता है और सुंदरता को बढ़ाता है ।
5. ओं खगाय नम: ! – आकाश में तेजी से घूमने वाली इंद्रियों की उत्तेजना।
6. ओ पृष्णे नम: ! – शक्ति देने वाले जो सभी का पोषण करते हैं।
7. ओ हिरण्यगर्भाय नम: ! – स्वर्ण गर्भ से विधाता, लौकिक स्व।
8. ओं मरीचये नमः: ! – भोर के भगवान और रोगों का नाश करने वाले।
9. ओं आदित्याय नमः: ! – प्रेरणा देने वाली लौकिक माता अदिति का पुत्र।
10. ओ सवित्रे नम: ! – सृष्टि के भगवान, जो शुद्ध करते हैं।
11. ओं अर्काय नम: !- सभी की प्रशंसा और दीप्तिमान।
12. ओं भास्कराय नम: !- प्रकाशित करता है और हमें आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।
अगर आप इसका अभ्यास तेज गति से कर रहे हैं तो आपको इन 12 नामों का जप करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसलिए आप इसके बजाय 6 मुख्य मंत्र का जाप कर सकते हैं । वैसे इन छोटे मंत्रों का कोई शाब्दिक अर्थ नहीं होता है, लेकिन जब आप बार-बार जप करेंगे, तो ये अपने भीतर शक्तिशाली कंपन पैदा करते हैं।
1 चक्र में, 6 मंत्रों को इस क्रम में 4 बार दोहराया जाता है:
ओम हराम
ओम हरेम
ओम ह्यूम
ओम हरीम
ओम हराम
ओम हर
सूर्य नमस्कार के फायदे
सूर्यासन को सभी योगो में सर्वश्रेष्ठ मन जाता है। यदि आप दिन में एक बार इसे कर लेते है तो आपके हर रोग समाप्त हो जाते है। इस एक अकेले योग से सारे योगो का लाभ मिल जाता है। इस योग के बहुत सारे फायदे है। Sun Salutation से पूरा शरीर प्रभावित होता है। आमाशय, फुफ्फुस, जिगर, गुर्दे, पित्ताशय, छोटी और बड़ी आंतों को बल मिलता है। रीढ़ की हड्डी शक्तिशाली बनती है। कमर में लचक पैदा होती है । लचीलापन आता है। वजन कम होता है। अनिंद्रा दूर होती है, पाइल्स और कब्ज दूर होता है। प्रतिदिन इस का अभ्यास करने से हमें अपने शरीर के तीन घटक अर्थात कपा, पित्त और वात को अधिक मात्रा में संतुलित करने में मदद मिलती है।
सूर्य नमस्कार योग आसन वैज्ञानिक रूप से सिद्ध योग है, इसके बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं जैसे:
वजन कम करने में:- जब आप इस का नियमित रूप से और तेज गति से अभ्यास करते है, तो इस योग से पेट की मांसपेशियों को पेट के आसपास वजन कम करने में आपकी मदद करता है। इससे वजन कम ही नहीं जबकि यह पेट की चर्बी को कम करने में और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में भी मदद करता है।
रक्त परिसंचरण बढ़ाता है:- सूर्य नमस्कार के दौरान लम्बी और अच्छी साँस लेना और साँस छोड़ने की प्रक्रिया से रक्त ऑक्सीजन और फेफड़ों में हवादारता रहती है। शरीर में ताजा रक्त का इष्टतम प्रवाह विषाक्त तत्वों और कार्बन डाइऑक्साइड से मुक्त शरीर को detox करने का एक शानदार तरीका है। शरीर में रक्त संचार का सुचारु रूप से संचारित होता है इससे रक्त शुद्ध रहता है, त्वचा रोग नहीं होते, त्वचा और सिर के केश स्वस्थ और सुन्दर बने रहते हैं। पूरे शरीर में रक्त-संचार ठीक से होता रहे तो शरीर के सभी अवयव स्वस्थ और सशक्त बने रहते हैं। हाथ, पैर, भुजाये, कन्धे, ग्रीवा, कमर और पेट का आकार सुडोल बना रहता है ।
फिटनेस और लचीलापन बढ़ाता है:- इसके सभी आसन एक सामान्य और अच्छी कसरत है जो पूरे शरीर को लाभ पहुंचाता है। अलग अलग 12 मुद्राएं शरीर को फिटनेस बनाये रखती है, आपके शरीर को मजबूत करती हैं। इससे आपको अपने शरीर के लगभग सभी अंगों को मजबूती मिलती है, जिसमें हाथ, पेट, जांघ आदि शामिल हैं।यह कलाई के जोड़ों पर भी काम करता है; आगे की तह अंगों को फैलाता है और रीढ़ को कोमल बनाता है। यह आपको अधिक लचीलापन भी देता है।
पाचन में सुधार में सुधर करता है:- यह सही प्रकार के पाचक रसों का निर्माण कर पाचन क्रिया को उत्तेजित करता है। इस प्रकार, आप अपने Metabolism में सुधार करते हैं, जो आपको सभी विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करता है और सभी अतिरिक्त कैलोरी जलाता है।
मानसिक विकास में :- सबसे महत्त्वपूर्ण लाभ यह होता है कि यह योगासन मन को एकाग्र रख कर अपना ध्यान शरीर के प्रभावित अंगों पर केन्द्रित रख कर किया जाता है जिससे मन स्थिर, शान्त व नियन्त्रित रहता है, मुख पर कान्ति और आभा बनी रहती है और मनोबल की वृद्धि होती है। यह व्यक्ति के शरीर के मानसिक और शारीरिक संतुलन को बेहतर बनाता है। धैर्य विकसित करता है और मस्तिष्क और शरीर की मानसिक क्षमता को बढ़ाकर सहनशक्ति का निर्माण करता है।
मासिक धर्म को नियमित करता है:- सूर्य नमस्कार मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में भी मदद करता है । नियमित रूप से आसन के सभी स्टेप का अभ्यास करने प्रसव होने में आसानी रहती है। पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता और मासिक धर्म में होने वाले दर्द को कम करता है इसलिए यह योग रोज करें।
अनिद्रा रोग को ठीक करने में:- सूर्य नमस्कार नींद की क्रिया को ठीक करता है। यह आपके दिमाग को शांत करने में मदद करता है, जिससे आपको रात में बेहतर और अधिक शांतिपूर्ण नींद आती है । यह तनाव को मुक्त करता है और मन को शांत करता है जिससे नींद अच्छी आती है। और यह आपकी नींद लेने की दवाओं से आपका पीछा छुड़ा सकता है।
हड्डियों को मजबूत बनता है:- हड्डियों के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है। विटामिन डी की कमी से हड्डिया कमजोर हो जाती है और ह्रदय रोग भी बढ़ सकता है। वैसे सूर्य नमस्कार सूर्य के साथ किया जाता है तो यह आपके शरीर को विटामिन डी की आवश्यक मात्रा को अवशोषित करने में मदद करता है। इससे आपकी हड्डिया और शरीर दोनों स्वस्थ रहते है।
त्वचा चमकदार होती है:- योग का आपके दिल और रक्त के प्रवाह पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यह फिर हमारी त्वचा की ताजगी, कायाकल्प और चमक को प्रभावित करता है। यह त्वचा में कसावट भी लता है और किसी भी प्रकार की समय से पहले होने वाली झुर्रियों से बचाता है।
ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है:- आसन के साथ-साथ, श्वास पैटर्न भी सूर्य नमस्कार का एक महत्वपूर्ण भाग है। इससे शरीर और मन को गहरा विश्राम मिलता है। यह मन को शांत करने और इंद्रियों को तेज करने में मदद करता है। यह आपकी आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है, जिससे आपकी ऊर्जा के स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है। जब हम इस का अभ्यास करते हैं, तो हम मंत्र को हर मुद्रा में शामिल कर सकते हैं। मंत्र शरीर, सांस और मन के सामंजस्य को लाने में मदद करते हैं। जब हम इन मंत्रों का जप गहरी भावना के साथ करते हैं, तो आध्यात्मिकता का स्तर हमारे भीतर खिल जाता है। आप या तो मंत्रों का जाप अपने मन में या मौखिक रूप से कर सकते हैं।जप करते समय अपनी श्वास के प्रति सचेत रहें और उचित उच्चारण के साथ मंत्रों का जाप करें।
शवासन
सूर्य नमस्कार के बाद कुछ देर शवासन करें |
आराम की स्थिति
बैठे हुए आसनों में आराम की स्थिति लें, जिसे हर आसन के बाद करें, ताकि श्वास शांत हो जाए, नस-नाडियां अपनी स्वाभाविक स्थिति में आ जाएं, शरीर में शुद्ध रक्त का संचार हो। क्योंकि जहां रक्त जाएगा, वहां से बिकार बाहर निकलेगा।
सूर्य नमस्कार की सावधानी
गर्दन या कंधे की चोट हो तो अपनी बाहों को उठाने से बचें। चक्कर आने से बचें। 8 वर्ष से कम आयु वाले को नहीं करना चाहिए और 8 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोग इस आसन को कर सकते हैं। रीढ़ की हड्डी, हृदय, उच्च रक्तचाप और हर्निया की समस्या से पीड़ित व्यक्ति किसी भी गुरु के मार्गदर्शन में इस आसन का अभ्यास कर सकता है।
सूर्य नमस्कार करने में प्रारंभिक गलतियाँ
इस आसन को करते समय शुरुवात में मुख्यतया श्वास पर ध्यान देना भूल जाते हैं। इस अभ्यास में, झुकते और उठते समय सांस लेने का बहुत महत्व है। यदि आपने इसका अभ्यास करना चली ही किया है तो, तो इस अभ्यास को तेज गति से न करें, ऐसा करने से आपका ध्यान श्वास से हट सकता है, और इस प्रकार आपका अभ्यास अधूरा रह सकता है। शुरुआत में, आप कोबरा पोज़ और माउंटेन पोज़ के साथ भ्रमित हो सकते हैं, इसलिए इसे ध्यान में रखें।
सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने का सर्वोत्तम समय
यह माना जाता है की सूर्य नमस्कार आप सुबह जल्दी उठकर करें । हालांकि, यदि आपके पास सुबह समय नहीं रह पाता है तो आप इसे शाम को भी कर सकते हैं । लेकिन अपनी योग दिनचर्या शुरू करने से पहले, सुनिश्चित करें कि आपका पेट खाली होना चाहिए।सुबह इसका अभ्यास आपके शरीर को फिर से जीवंत करता है और आपके दिमाग को तरोताजा करता है। यह आपको अधिक सक्रिय बनाता है और आपके शरीर को उत्साह के साथ रोजमर्रा के कार्यों को करने के लिए तैयार करता है।सुबह-सुबह इस योग क्रम को करने का एक और लाभ यह है कि इस समय के दौरान, पराबैंगनी किरणें बहुत कठोर नहीं होती हैं। इसलिए, आपकी त्वचा सूरज से अधिक प्रभावित नहीं होगी और आप इस आसन के लाभों का अच्छी तरह से आनंद ले सकते हैं । यदि आप सुबह सूर्य नमस्कार करने में रुचि रखते हैं , तो आपको पहले शाम को इसका अभ्यास करना चाहिए। इसके पीछे कारण यह है कि शाम के दौरान, हमारे जोड़ लचीले होते हैं और शरीर की मांसपेशियां अधिक सक्रिय होती हैं, जिससे विभिन्न पोज़ का अभ्यास करना आसान हो जाता है। यदि आप कठोर शरीर के साथ इसका अभ्यास करते हैं, तो इससे गंभीर परिणाम हो सकते हैं। एक बार जब आप सभी 12 चरणों के आदी हो जाते हैं, तो आप सुबह अपनी योग दिनचर्या का संचालन कर सकते हैं। जब बाहर किया जाता है, तो यह योग अनुक्रम आपको बाहरी वातावरण के साथ एक गहरा संबंध बनाने में सक्षम करेगा। हालाँकि, आपके पास इसे घर के अंदर करने का विकल्प भी है, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि कमरा पर्याप्त रूप से हवादार हो। जो लोग इसकी शुरुआत ही करते है उन लोगों के लिए सलाह और है। उन दिनों में सूर्य नमस्कार के दो चक्कर लगाकर शुरुआत करें । उसके बाद धीरे-धीरे हर दिन दो राउंड में शिफ्ट करें और अंत में अपने सेट को बढ़ाएं जब तक कि आप हर दिन 12 राउंड न कर सकें। ध्यान रखें कि जल्दी से अपने राउंड नहीं बढ़ाये। इसको एक साथ बढ़ाने से आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता।
सूर्य नमस्कार के बारे में वैज्ञानिक शोध क्या कहता है ?
हम में से बहुत से लोग व्यस्त जीवन शैली जी रहे हैं। इस वजह से, हम अवसाद, तनाव और अन्य मानसिक बीमारियों से पीड़ित होते जा रहे हैं। सूर्य नमस्कार एक ऐसी योग तकनीक है जो कई समस्याओं से राहत दिलाती है और आपके दिमाग को शांत करती है। इस योग अनुक्रम के फायदे है कि 12 आसनों का निरंतर अभ्यास से अंतःस्रावी तंत्र के कामकाज को बढ़ाता है। यह मुख्य रूप से अग्न्याशय, थायरॉयड, अधिवृक्क और पिट्यूटरी ग्रंथियों पर केंद्रित है। सूर्य नमस्कार आपके पेरिफेरल और ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम को मजबूत कर सकता है, जो कि न्यूरोनल मुद्दों, मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम और मासिक धर्म संबंधी विकार से पीड़ित रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि अगर मधुमेह रोगी सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते हैं , तो यह उनके रक्त शर्करा के स्तर को काफी कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह योग तकनीक शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को भी कम करती है, जो इंसुलिन प्रतिरोध में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। सूर्य नमस्कार आपके शरीर के हर हिस्से को फैलाता है और सक्रिय करता है। एक शोध पत्र के अनुसार , सूर्य नमस्कार का मांसपेशियों की ताकत और शरीर के धीरज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसका नियमित अभ्यास एक मजबूत ऊपरी शरीर को विकसित करने में मदद करता है, भले ही आप एक पुरुष या महिला हों। इसके साथ ही, यह आपके शरीर की कम मांसपेशियों और पीठ की मांसपेशियों की ताकत में सुधार करता है।