मकर संक्रांति का त्योहार का जश्न तिल और गुड़ के साथ ही पूरा होता है। सर्दियों में तिल से बनी कई पारम्परिक मिठाइयां घरों में बनायी जाती हैं। तिल के लड्डू हों या तिल की चिक्की सर्दियों में इनका स्वाद सभी लेते ही हैं। तो वहीं, बाज़ारों में भी तिल के गजक और भूने हुए तिल के बीज अलग-अलग फ्लेवर्स में बिकने लगे हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि सर्दियों में तिल का सेवन क्यों किया जाता है? इसके पीछे तिल में पाए जाने वाले वे पोषक तत्व हैं जो इसे सर्दियों के मौसम के हिसाब से एक पौष्टिक और अनुकूल आहार बनाते हैं।
सर्दियों में गुड़ के साथ तिल का स्वाद बहुत पसंद आता है। इसलिए सर्दियों में तिल से बनी मिठाई खूब खाई जाती हैं। इन दिनों में तिल के लड्डू से लेकर सलाद की टॉपिंग तक हम इसे हर व्यंजन में किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करते हैं। आखिर करें भी क्यों नहीं, इसे खाने से स्वास्थ्य को बहुत लाभ जो मिलते हैं। दरअसल, तिल में मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जो शरीर से कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए जाना जाता है। इसमें प्रोटीन, मैंगनीज, विटामिन ई और फाइबर जैसे पोषक तत्व भी बहुत अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं, जो हार्ट , स्ट्रेस और डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में कारगार है। यह लंग कैसर, पेट के कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी कम करने में फायदेमंद साबित होता है। इन सभी स्वास्थ्य लाभों की वजह से ही चीनी दवा से लेकर आयुर्वेद तक तिल की चर्चा हर जगह होती है। कई रिसर्च में यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि तिल में मौजूद तेल आपके हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है। यह मधुमेह और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के साथ इम्युनिटी बूस्टर की भूमिका भी निभाता है। अपनी सेहत को लेकर जागरूक लोग यह सुनिश्चित करते हैं कि तिल उनकी विंटर डाइट का हिस्सा जरूर हो। आप भी इसका सेवन करने से पहले इसके स्वास्थ्य लाभ और उपयोग करने का तरीका जान लें।
पौष्टिक गुणों का खजाना है तिल
तिल के बीज में कई तरह के स्वस्थ पोषक तत्व होते हैं। प्रोटीन के एक समृद्ध स्रोत के रूप में, वे शाकाहारी भोजन के लिए एक बढ़िया विकल्प हैं। इसमें कॉपर की भी भारी मात्रा होती है। यह रेड ब्लड सेल्स को बनाने में मदद करता है और आपकी इम्युनिटी को मजबूत करता है। वास्तव में, केवल एक कप सूखे तिल आपको कॉपर के दैनिक मूल्य का 163% देते हैं।
तिल क्यों है पौष्टिक अनाज?
आयुर्वेद में भी तिल का वर्णन शरीर को ऊष्मा देने वाले बीजों के तौर पर किया गया है। इसमें हेल्दी फैट्स सहित ऐसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो, सर्दियों के कठोर मौसम का सामना करने के लिए शरीर को ताकत देते हैं। तिल के बीजों में ओमेगा-6 फैटी एसिड्स और पॉलीसैचुरेटेड फैट् होते हैं। साथ ही इनमें, आयरन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस भी अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं।आयुर्वेद में तिल का वर्णन शरीर को ऊष्मा देने वाले बीजों के तौर पर किया गया है। इसमें हेल्दी फैट्स सहित ऐसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो, सर्दियों के कठोर मौसम का सामना करने के लिए शरीर को ताकत देते हैं।
रोज करें 2-3 चम्मच तिल का सेवन
अध्ययन के अनुसार, रोजाना 2-3 चम्मच तिल का सेवन करने से लिपिड को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को 8-16 प्रतिशत और कुल कोलेस्ट्रॉल को 8 प्रतिशत तक कम करती है। चूंकि, तिल में फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, इसलिए कई स्टडीज में अपने दैनिक आहार में कैलोरी की जगह तिल का सेवन करने की सलाह दी है।
कैंसर के खतरे को करता है कम
तिल में सेसमीन नाम का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। यही सेसमीन कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा तिल लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया और प्रोस्टेट कैंसर के होने की आशंका को भी कम करता है।
हेल्दी हार्ट
दिल की बीमारियों से दिल को बचाए रखने के लिए हेल्दी फैट्स का सेवन मददगार साबित होता है। तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड्स होते हैं जो शरीर में कोलेस्ट्रोल लेवल नियंत्रित करता है। जिससे हार्ट डिज़िज़ेज़ का ख़तरा कम होता है। इससे, रक्तचाप यानि ब्लड प्रेशर भी नियंत्रण में रहता है। इसके अलावा तिल में कई पोषक तत्व होते हैं जो हार्ट मसल्स को मज़बूत बनाते हैं। तिल में मौजूद ज़िंक, सेलेनियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम और आयरन दिल की मांसपेशियों को स्ट्रॉन्ग बनाते हैं और उन्हें एक्टिव बनाते हैं।
ब्लड प्रेशर में
एक अध्ययन में पाया गया है कि रोजाना 3.5 ग्राम काले तिल का सेवन करने से चार सप्ताह के अंदर ब्लड प्रेशर में कमी आने लगती है. इसके अलावा कुछ रिसर्च पेपरों में भी इस बात को कहा गया है कि ब्लड प्रेशर के सुधार में काले तिल की अहम भूमिका है. तिल में मौजूद कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम हार्ट को कई बीमारियों के खतरे से बचाने में मदद कर सकते हैं.
स्ट्रॉन्ग बोन्स
हड्डियों की मज़बूती बढ़ाने के लिए भी तिल का सेवन अच्छा होता है। काले और सफेद तिल कैल्शियम पाया जाता है, जो हड्डियों को मज़बूत बनाता है। इसके साथ ही फॉस्फोरस और मैग्नीशियम भी मौजूद होता है, जो बोन डेंसिटी और उनकी ग्रोथ में मदद करता है। ठंड के मौसम तिल का सेवन करने से ना केवल हड्डियां मज़बूत होती हैं। बल्कि, हड्डियों में होने वाले दर्द से भी राहत दिलाता है। हड्डियों के साथ-साथ दांतों की भी मज़बूती बढ़ती हैं।
इम्यूनिटी बढ़ती है
तिल के दानों में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत अधिक होती है। जो, शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति यानि इम्यूनिटी बढ़ती है। इसके अलावा, तिल में पाया जाने वाला सेसमीन नामक एंटीऑक्सीडेंट्स कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। जिससे, स्टमक कैंसर, लंग कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर का रिस्क कम होता है।
स्ट्रेस से राहत
तिल का सेवन करने से स्ट्रेस से भी राहत मिलती है। तिल में मौजूद तत्व आपकी मानसिक सेहत को बूस्ट करते हैं। जिससे, तनाव बढ़ता नहीं और तनाव की की वजह से होने वाली समस्याएं भी कम होती है।
ग्लोइंग स्किन
तिल के दानों के सेवन से जहां शरीर और त्वचा का अंदर से पोषण होता है। वहीं, तिल के तेल की मालिश से भी स्किन हेल्दी बनती है। यह त्वचा को मॉश्चराइज़ करता है और स्किन पर नैचुरल ग्लो आता है।
मेमरी होती है बूस्ट
ब्रेन पॉवर बढ़ाने में भी तिल का सेवन अच्छा होता है। दरअसल, तिल में लिपोफोलिक नामक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो दिमाग पर बढ़ती उम्र के प्रभावों को भी कम करते हैं। जिससे, बुढ़ापे में अल्ज़ाइमर्स और डिमेंशिया की समस्या बढ़ने का रिस्क कम होता है।
बालों का झड़ना कम करे
तिल के तेल के सेवन से बाल को मजबूती मिलती है। वहीं इससे बनी चीजों को खाने से बाल असमय पकना और झड़ना बंद हो जाएगा। इसके तेल की मालिश से त्वचा स्वस्थ रहती है।
कब्ज को ठीक करने में
काले तिल में काफी मात्रा में फाइबर और अनसैचुरेटेड फैट होता है, जो कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मददगार है. काले तिल का तेल पेट से कीड़े निकालने और पाचन को मजबूत बनाने में मदद करता है.
कितनी मात्रा में खाना चाहिए तिल
तिल ढेरों गुणों से भरा है लेकिन इसका सेवन एक सीमा में ही करना चाहिए. क्योंकि यह गर्म होते हैं इसलिए आपको तिल का सेवन करने में सावधानी रखनी चाहिए। आपको रोजाना 50-70 ग्राम से ज्यादा तिल का सेवन नहीं करना चाहिए। खासतौर पर महिलाओं और छोटे बच्चों को इससे भी कम मात्रा में तिल का सेवन करना चाहिए। बहुत ज्यादा तिल खा लेने से एलर्जी की समस्या हो सकती है. स्किन पर चकत्ते हो सकते हैं. इसके अलावा पेट से जुड़ी परेशानी जैसे दस्त या एसिडिटी होने का डर भी रहता है.
तिल के बीज को अपने आहार में कैसे शामिल करें
सर्दियों के मौसम में हाई प्रोटीन, फाइबर, हेल्दी फैट और चीनी में कम तिल का सेवन सबसे अच्छा माना गया है। इन बीजों को अपने आहार में शामिल करने का सबसे अच्छा तरीका है कि इन्हें होलव्हीट ब्रेड और मफिन में शामिल किया जाए। आप चाहें, तो अपने सलाद या सूप के ऊपर कुछ भुने हुए बीज भी डाल सकते हैं। अपने तिल के बीज को ग्रेनोला , नट्स और अन्य बीजों के साथ नाश्ते में मिलाना भी बेस्ट ऑप्शन है। सर्दियों के मौसम में आप तिल के तेल का उपयोग खाना पकाने और तलने के लिए भी कर सकते हैं।तिल पोषक तत्वों से भरपूर है, लेकिन किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव से बचने के लिए आहार में कोई भी बदलाव करने से पहले हमेशा न्यूट्रिशन एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।