वैज्ञानिकों के अनुसार छोटे हेडफोन के रेडिएशन ब्रेन टिश्यू को डैमेज कर सकते हैं। लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से ब्रेन कैंसर तक हो सकता है। चूंकि छोटे इयरबड कान के अंदर इन्सर्ट किए जाते हैं। इसी वजह से ब्लूटूथ से निकलने वाले रेडिएशन कान और मस्तिष्क दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
ब्लूटूथ हेडफोन का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है। मार्केट में कई तरह के नए एयरपॉड, इयरबड्स और वायरलेस नेकबैंड आ रहे हैं। छोटे ब्लूटूथ हेडफोन हैंडी और वायरलेस होने की वजह से लाइफ को आसान तो बनाते हैं, लेकिन इनसे निकलने वाले रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) रेडिएशन हेल्थ को काफी नुकसान भी पहुंचाते हैं। एक रिसर्च के अनुसार ब्लूटूथ इयरबड का ज्यादा इस्तेमाल ब्रेन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।ब्लूटूथ या वायरलेस हेडफोन ब्रेन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। इयरबड से निकलने वाली तरंगें ब्रेन टिश्यू को नुकसान पहुंचाती हैं। इसके अलावा न्यूरोलॉजिकल, जेनेटिक डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारियों का भी कारण बन सकती हैं। वायरलेस हेडफोन के ज्यादा इस्तेमाल से मेमोरी भी वीक हो सकती है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे सबसे ज्यादा खतरा है।
लंबे समय तक इस्तेमाल क्यों खतरनाक है?
दरअसल ब्लूटूथ, रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) रेडिएशन की मदद से फोन या दूसरे उपकरणों से कनेक्ट होता है। इसी वजह से ब्लूटूथ हेडफोन में किसी तरह के केबल या वायर नहीं होते। वायरलेस होने की वजह से वाकिंग, एक्सरसाइज या दूसरे काम करते समय छोटे इयरबड्स से बात करना या गाना सुनना आसान होता है। इयरबड्स से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती है। तकरीबन 42 देशों के 247 वैज्ञानिकों ने वायरलेस डिवाइस से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड से जुड़े स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में यूनाइटेड नेशन और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) में याचिका दर्ज की थी, जिसमें वायरलेस डिवाइस से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (EMF) के संपर्क से जुड़े स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में बताया गया था।
छोटे ब्लूटूथ हेडफोन से किस तरह का खतरा हो सकता है –
1. न्यूरोलॉजिकल बीमारियां: सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक रिपोर्ट के अनुसार नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन के डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में लगातार रहने से ब्रेन टिश्यू के डैमेज होने की आशंका होती है, जो न्यूरोलॉजिकल बीमारियां का कारण भी बन सकती हैं।
2. ब्रेन कैंसर: इयरबड्स से निकलने वाले रेडिएशन ब्रेन टिश्यू को नुकसान पहुंचते हैं, इसके अलावा अगर ब्रेन में पहले से कोई ट्यूमर है तो रेडिएशन उनको बढ़ाने का काम करते हैं जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।
3 . कान के पर्दे पर बुरा असर: हेडफोन के ज्यादा उपयोग से कान के पर्दे पर भी असर पड़ता है। तेज साउंड से कान के परदे पर लगातार वाइब्रेशन होता है, जिससे पर्दे के फटने की आशंका होती है।
4 . कम सुनाई देना या बहरापन: लगातार लंबे समय तक ऊंची आवाज में गाना सुनने से, कम सुनाई देने जैसे समस्या होती है। हमारे कानों की सुनने की क्षमता सिर्फ 90 डेसिबल है, जो धीरे-धीरे 40-50 डेसिबल तक कम हो जाती है। जिससे बहरेपन की शिकायत होने लगती है। कई बार लोग तेज हॉर्न की आवाज में भी नहीं सुन पाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
5 . इन्फेक्शन का खतरा : किसी और के हेडफोन के इस्तेमाल से कान में इन्फेक्शन का खतरा होता है। अगर आप इन्फेक्शन से बचना चाहते हैं, तो हमेशा अपने हेडफोन का ही इस्तेमाल करें। अगर किसी और के हेडफोन का इस्तेमाल करना पड़े तो उसे पहले अच्छी तरह साफ कर लें।
6 . टिनिटस : ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीजों को लगातार कान में एक तरह की ध्वनि सुनाई देती है। इयरफोन पर तेज साउंड सुनने से ऐसा होने की आशंका बढ़ जाती है । डॉक्टरों की मानें तो तेज आवाज में गाना सुनने से कानों में छन-छन की आवाज आना, चक्कर आने जैसी समस्याएं होती हैं।
7 . सिर दर्द : वायरलेस इयरबड्स से निकलने वाले रेडिएशन की वजह से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। कई बार सिर दर्द या नींद न आने जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं।
गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक
प्रेग्नेंसी के दौरान लंबे समय तक इयरबड्स पर गाना सुनना या देर तक बात करना और भी ज्यादा हानिकारक है। कुछ रिसर्चर्स का कहना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान रेडिएशन वाले गैजेट्स का इस्तेमाल मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है। रेडिएशन का प्रभाव, प्रेग्नेंसी लॉस की आशंका को सामान्य से ज्यादा बढ़ा देता है। जबकि इसके प्रभाव से होने वाले बच्चे में एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होने की आशंका होती है। रिसर्चर्स गर्भवती महिलाओं को ब्लूटूथ इयरबड्स के अलावा दूसरे सभी ऐसे गैजेट से दूर रहने की सलाह देते हैं जिनसे नॉन-आयोनाइजिंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन उत्पन्न होते हैं । अमेरिका के कैलिफोर्निया के जॉन वेन कैंसर इंस्टिट्यूट के न्यूरो-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. संतोष केसरी का कहना है कि ब्लूटूथ इयरबड्स बच्चों के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि बच्चों का सिर बड़ों की तुलना में छोटा होता है, इसलिए बच्चों के ब्रेन सेल्स को रेडिएशन का जोखिम ज्यादा है। बच्चों को इयरबड के इस्तेमाल से रोकना जरूरी है।
खुद को इस रेडिएशन से कैसे बचाएं?
मॉडर्न टेक्नोलॉजी और जरूरतों को देखते हुए इन उपकरणों को पूरी तरह से नजर अंदाज करना संभव नहीं है, लेकिन अगर इस्तेमाल करना ही पड़े तो इन बातों का ध्यान रखें…
* वायर्ड हेडफोन और स्पीकर का ज्यादा इस्तेमाल करें।
* फोन को 10 इंच की दूरी पर रख कर बात करें।
* उपयोग में न होने पर हैंडसेट, फोन, अन्य गैजेट्स को शरीर से दूर रखें।
पिलो के नीचे फोन को रख कर न सोएं।
* लंबे समय तक वीडियो देखने या ऑडियो सुनने के लिए स्पीकर का इस्तेमाल करें।
* उपयोग में न होने पर वायरलेस डिवाइस को कान और सिर से हटा दें।
* सोते समय फोन और दूसरे गैजेट को दूर रखें।
* सस्ते इयरफोन की जगह अच्छी क्वालिटी के इयरफोन का ही इस्तेमाल करें।
* आपको दिनभर में 60 मिनट से ज्यादा इयरफोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।