क्या आप घंटों मोबाइल पर वेब सिरीज या टेलीविजन देखते हैं, तो सावधान हो जाइए, यह भविष्य में आपको दिमागी रूप से पंगु बना सकता है।
पिछले कुछ सालों में इंटरनेट की स्पीड और सस्ते डेटा पैक ने आम जीवन में बेतरतीब तरीके से दखल दिया है. यूं कहें कि इसने हर उम्र के लोगों की रूटीन लाइफ को ट्रैक से हटाया है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित युवा वर्ग ही हुआ है 15 से 30 वर्ष के युवा इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं। अब तक इंटरनेट एडिक्शन की बड़ी वजह गेमिंग को माना जाता था, पर हाल में मीडिया में आयी रिपोर्ट के मुताबिक वेब सीरीज भी इंटरनेट एडिक्शन की बड़ी वजहों में शामिल हो गयी है. वेब सीरीज देखने के लिए लोग घंटों गुजार रहे हैं, इस वजह से कई तरह के बदलाव भी दिख रहे हैं। अगर आपको लगता है कि बिंज वॉचिंग का असर सिर्फ आपकी आंखों पर पड़ रहा है तो आप उस खतरे को समझ ही नहीं पा रहे हैं, जो टेलीविजन आपको दे रहा है। अगर आप अपना सारा समय वेब सिरीज या काउच पर टीवी देखते हुए बिताते हैं, तो आप खुद ही अपने मस्तिष्क की हत्या कर रहे हैं।
क्यों है ये खतरनाक
वेब सीरीज की दुनिया फिल्मों और टीवी सीरियल से इतर होती है. वेब की दुनिया में यह ऐसा मनोरंजक कंटेट होता है, जो अलग-अलग कहानी पर आधारित होता है। वेब सीरीज में समय की कोई पाबंदी नहीं होती है. इसकी कहानियां छोटी-छोटी होती हैं और हाथ में गुणवत्तापूर्ण स्मार्टफोन आ जाने की वजह से इसे कहीं से भी देखा जा सकता है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि फोन में इसे घर बैठे, बाहर, अपने दोस्तों को इंतजार करते हुए देख सकते हैं. अब तक विभिन्न प्लेटफॉर्म पर जिस तरह की कहानियों के साथ वेब सीरीज आ रही है, उसमें सेंसरशिप नहीं होती. अनसेंसर्ड वीडियो होने की वजह से युवा इसके दीवाने बनते जा रहे हैं. इसकी कहानियां लीक से हट कर और पूरी तरह से फ्रेश होती है। अगर आप अपना ज्यादा समय काउच पर बिताते हैं, तो मतलब साफ है कि आप अपना दिमाग इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते। सावधान हो जाएं क्योंकि आपकी ये आदत आपको खतरे में डाल रही है, जो आपको बाद में अपनी वृद्धावस्था में जाकर पता चलेगा। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा टीवी देखने की आदत से वृद्धावस्था में आपको कॉग्निटिव डिक्लाइन हो सकता है, यानी दिमाग का काम करना बंद हो जाना।
क्या है वेब एडिक्शन
दिन में या फिर रात में देर तक अकेले बैठकर अपने मोबाइल या लैपटॉप पर फिल्म या सीरियल देखना, सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपनी स्थिति अपडेट करना और किसी के साथ चैट करने में लगातार व्यस्त रहना आदि. विशेषज्ञों के मुताबिक यही वेब एडिक्शन है।
क्या कहता है अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित तीन नए अध्ययनों के अनुसार पता चला है कि मध्यम आयु में ज्यादा टेलीविजन देखना दिमाग में ग्रे मैटर (एक प्रकार का तरल जो दिमाग में विकास और ग्रोथ को बढ़ाता है) की कमी और वृद्धावस्था में कॉग्निटिव डिक्लाइन (दिमाग का काम करना बंद कर देना) का कारण बनता है।
बिहेवियर एडिक्शन के हो रहे हैं शिकार
इंटरनेट एडिक्शन के चलते युवा हो रहे प्रॉब्लेमेटिक इंटरनेट यूज्ड (पीआइयू) के शिकार हो रहे हैं। इससे पीड़ित लोग अवास्तविक दुनियां में जीते हैं. एक घर में रहने के बावजूद इस समस्या से जूझ रहे लोग आपस में बातचीत नहीं करते हैं. बिहेवियर एडिक्शन भी इसमें शामिल है. यह एडिक्शन एक नशे की तरह है. जब तक इसके शिकार पूरी सीरीज नहीं देख लेते, उनका मन किसी दूसरे काम में नहीं लगता है।
मध्यम आयु के लोगों के लिए है खतरनाक
एक शोध में मध्यम आयु को 45 से 64 वर्ष की आयु को बताया गया। जो लोग टीवी के आगे एक जगह पूरा दिन बिता देते है। ऐसा लाइफस्टाइल आपके दिमाग के लिए बहुत हानिकारक है। नए शोध से पता चलता हैं ये टीवी देखने की आदतों पर स्व-रिपोर्ट डाटा के मूल्यांकन पर आधारित था। डाटा को समूहों में बांटा गया: कम टीवी देखना (जिसका अर्थ है बहुत कम या कभी नहीं देखना), मध्यम टीवी देखना (कभी कभी देखना) और बहुत अधिक देखना (बार बार देखना)। शोध में सामने आया कि किसी भी जगह पर घंटों खाली बैठे रहना कॉग्निटिव डिक्लाइन (दिमाग का काम करना बंद कर देना) की गति को बढ़ाता है। इस शोध पर दो अलग-अलग अध्ययन किए गए, एक अध्ययन में पाया कि मध्यम आयु वर्ग का लगातार टीवी देखना अगले 15 वर्षों में कॉग्निटिव डिक्लाइन (दिमाग का काम करना बंद कर देना) के जोखिम में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई। हालांकि, बार-बार टीवी देखना डिमेंशिया का कारण बन सकता है। यह एक गंभीर मानसिक विकार है, जो व्यक्ति की सोचने, याद रखने और सामान्य व्यवहार की क्षमता को कमजोर करता है।
क्या कहता है दूसरा शोध
दूसरे अध्ययन में पाया गया, जिसमें एमआरआई ब्रेन स्कैन डेटा शामिल था, इस शोध में ये पता कि दस साल तक लगातार टीवी देखने की वजह से मध्यम आयु के लोगों ग्रे मैटर (एक प्रकार का तरल जो दिमाग में विकास और ग्रोथ को बढ़ाता है) बहुत अधिक कमी आ गई। ये प्रभाव टीवी नहीं देखने वालों की तुलना में वर्षों से लगातार टीवी देखने वाले लोगों में ज्यादा था। हालांकि, शोधकर्ताओं ने ध्यान दिया कि अन्य गतिहीन गतिविधियां (non-active activity) जो मन को उत्तेजित करती हैं – जैसे बोर्ड गेम खेलना – जैसी क्रियाओं से डिमेंशिया का अधिक खतरा नहीं होता है। अध्ययनों के मुख्य लेखक रयान डौघर्टी, एम.एस., पी एच.डी. ने समझाया: “कॉग्निटिव और मस्तिष्क स्वास्थ्य से संबंधित, सभी गतिहीन व्यवहार(non-active activity) समान नहीं होते। ऐसी गतिविधि जिसमें ज्यादा हिलना- डुलना ना हो जैसे कि टेलीविजन देखना, ये दिमाग के विकास को रोकता है। वहीं कुछ काम ऐसे होते है, जिनमें हम दिमागी रूप काम करते हैं पर शारीरिक रूप से ज्यादा काम नहीं करते है जैसे, पढ़ना, कंप्यूटर और बोर्ड गेम आदि ऐसे काम करने से दिमागी विकास नहीं रुकता है। कॉग्निटिव और मस्तिष्क स्वास्थ्य की जांच करते समय अलग-अलग गतिहीन व्यवहारों में ध्यान रखना जरूरी है।”
और भी है नुकसान
अवसाद, चिड़चिड़ापन, एक्यूट साइकोसिस
नींद न आना, शारीरिक कमजोरी
सामाजिक और पारिवारिक समस्याएं, अलगाव
मोटापा, मानसिक बीमारियां
पढ़ने में मन न लगना, हमेशा वेब सीरीज के चरित्रों के बारे में सोचना
ऐसे बचाव करें
वेब सीरीज या अन्य कार्यक्रम देखने के लिए प्रत्येक एक घंटे के बाद आधे घंटे का आराम लें
देर रात तक इसे देखने से बचें, मोबाइल बेड पर लेकर न सोएं
वेब सीरीज या इंटरनेट पर उपलब्ध कार्यक्रम 3-4 घंटे से अधिक न देखें
आठ घंटे की नींद जरूरी, इससे कम होने पर कई तरह की मानसिक बीमारी हो सकती है।
मन को शांत करने के लिए योग करें
तो आप अपनी इस आदत को पीछा छुड़ाएं और अपनी सेहत का ध्यान रखें!