अगर आप भी हर समय कानों में ईयरफोन पहने रखते हैं, तो आपको उनसे ब्रेक लेने की आवश्यकता है। क्योंकि लंबे समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल कानों के लिए घातक साबित हो सकता है। हम ज्यादातर समय अपने कानों में ईयरफोन रखते हैं, चाहे वह जूम मीटिंग के लिए हो, हमारे पसंदीदा ट्रैक सुनने के लिए हो, गेम खेलने के लिए हो या सिर्फ बाहर के शोर से राहत पाने के लिए हो। असल में इयरफोन का हमारे जीवन का अटूट हिस्सा बनते जाना चिंता का कारण है। आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि ऐसा क्यों है? यदि आपके इयरलोब में लंबे समय तक ईयरफोन प्लग रहते हैं, या बहुत अधिक समय तक आप उन्हें अपने कानों में पहने रखते हैं, तो यह एक अच्छा संकेत नहीं है।
पहले जान लेते हैं कैसे काम करते हैं आपके कान
सबसे पहले तो हम बता दें कि आपके कान का जितना हिस्सा आपको बाहर नजर आता है इसे पिन्ना कहते हैं। और असल में यह कान का सबसे कम महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे अंदर कान का पर्दा यानी ईयर ड्रम होता है। उसके अंदर के हिस्से को इनर ईयर कहते हैं। इसमें तमाम नसें और अंग होते हैं, जो दिमाग तक जाते हैं।
जब हम बोलते हैं, हवा में शब्द का कम्पन उत्पन्न होता है। इस कम्पन वाली हवा को पिन्ना एकत्रित करके कान के पर्दे तक भेजता है। हवा के कम्पन से कान का पर्दा हिलता है, जो उससे जुड़ी कॉकलिया को हिलाता है। कॉकलिया इस कम्पन को दिमाग तक पहुंचाती है। जिसे दिमाग समझ कर शब्द का रूप देता है। हमारे कान की बनावट ऐसी है कि अधिक से अधिक कम्पन अंदर जा सके।
जब आप इयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं तो पिन्ना का काम ही खत्म हो जाता है। कम्पन सीधे-सीधे कान के पर्दे तक जाती है और यही कारण है कि आवाज ज्यादा साफ और तेज सुनाई देती है।
समस्या यह है कि इयरफोन से आने वाली आवाज सीधा आपके ईयरड्रम नजदीक से स्पर्श करती है, जो कि गंभीर स्थितियों में, इयरड्रम को स्थायी नुकसान भी पहुंचा सकती है। यहां हम आपको उन समस्याओं के बारे में बता रहे हैं जो लंबे समय तक कानों में ईयरफोन का इस्तेमाल करने से हो सकती हैं।
क्या सुरक्षित हैं ईयरफोन और हेडफोन का इस्तेमाल ?
इस सवाल का सीधा जवाब होगा, बिल्कुल नहीं। ईयर फोन और हेडफोन पर लगातार एक घण्टे से अधिक संगीत सुनना कानों के लिए खतरनाक होता है। ईयर फोन कितना नुकसान करेगा यह इस पर निर्भर करता है कि आप लगातार कितनी देर संगीत सुनते हैं और कितना तेज संगीत सुनते हैं। ज्यादा देर तक और ज्यादा तेज संगीत पर्दे पर ज्यादा दबाव डालता है। इससे कान के पर्दे को नुकसान पहुंचता है। अध्ययन के अनुसार ईयरफोन पर यदि आप 120 डेसिबल पर गाना सुनते हैं तो एक घण्टे लगातार सुनने से आपके कानों को नुकसान पहुंचेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि ईयरफोन इस्तेमाल करने पर फोन की वॉल्यूम कभी भी 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं करनी चाहिए। ईयरफोन लगाने से कान में खुजली, कान में दर्द और अजीब आवाज आना, कम सुनाई देना जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
गंभीर केस में बहरापन और कान का पर्दा फटने जैसी समस्या हो सकती है।
चक्कर आना
क्या आप ईयरफोन के माध्यम से संगीत सुनते हैं या बात करते हैं? फिर, आपको इसके उपयोग को सीमित करना चाहिए, क्योंकि तेज आवाज के कारण ईयर केनाल (ear canal) में दबाव बढ़ सकता है। जो बदले में, आपको चक्कर महसूस कराएगा।
हियरिंग लॉस
अपने ईयरफोन को कानों में अधिक समय तक प्लग रहने देने से, आप खुद को नुकसान पहुंचाएंगे। आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि इयरफोन के माध्यम से असुरक्षित सुनने की आदतों से स्थायी या अस्थायी हीयरिंग लॉस हो सकता है। बाल कोशिकाएं कंपन के कारण अपनी संवेदनशीलता खो देती हैं और वे बहुत नीचे झुक जाती हैं। यह अस्थायी या स्थायी सुनवाई हानि का कारण बनता है।
कान का संक्रमण
इयरफोन को सीधा ईयर केनाल में प्लग किया जाता है, जो कि वायु मार्ग को ब्लॉक करते हैं। इससे कान के संक्रमण को आमंत्रित किया जा सकता है। ईयरफोन का उपयोग करने से बैक्टीरिया का विकास होता है, जो कि ईयरफोन पर रहता है। इसके अलावा, यदि इनका उपयोग बढ़ता है तो यह कान को संक्रमित कर सकता है।इसलिए, इयरफोन को साझा करने से बचें क्योंकि जिस व्यक्ति के साथ आप ईयरफोन शेयर करते हैं उसके कान में आपके कान के बैक्टीरिया को स्थानांतरित किया जाएगा। जिससे वह व्यक्ति गंभीर रुप से कान संक्रमण से पीड़ित हो सकता है।
ईयर वैक्स
क्या आपको यात्रा करते समय या काम करते समय ईयरफोन का उपयोग करने की आदत है? फिर, सावधान हो जाएं, लंबी अवधि के लिए ईयरफोन का उपयोग करने से ईयर वैक्स का विकास होगा जो कान के संक्रमण, सुनने की समस्या या टिनिटस के जोखिम को बढ़ाता है।
कान का दर्द
अगर आप कान में ठीक से फिट नहीं होने वाले ईयरफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपको कान में दर्द की समस्या देखने को मिल सकती है। या आप लंबे समय तक इयरफोन का उपयोग करते हैं? तो आप गलत कर रहे हैं, क्योंकि ऐसा करने से आपके कान में दर्द और व्यथा पैदा हो सकती है।
नोइज-इंड्यूस्ड हियरिंग लॉस
बहुत अधिक शोर आपकी मन की शांति को चुरा सकता है। NIHL न केवल तेज शोर के कारण हो सकता है, बल्कि लंबे समय तक ईयरफोन का उपयोग करने के कारण भी हो सकता है।
टिनिटस
तेज शोर आपके कोक्लीय में बालों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है जिससे कान या सिर में गर्जने या बजने का शोर पैदा हो सकता है। इस शोर को टिनिटस कहा जाता है।
हाइपराक्यूसिस
जो लोग टिनिटस से पीड़ित होते हैं वे सामान्य पर्यावरणीय ध्वनियों के लिए भी उच्च संवेदनशीलता विकसित करने के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं और इसे हाइपराक्यूसिस कहा जाता है।ईयरफोन का उपयोग प्रति दिन एक घंटे से अधिक नहीं करना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप अपने उपयोग को सीमित करते हैं और कान में दर्द को दूर रख सकते हैं या हियरिंग लॉस से बचाव कर सकते हैं।
ईयरफोन और हेडफोन में से क्या है बेहतर?
अगर बहुत ज्यादा मजबूरी हो तो ईयरफोन के मुकाबले हेडफोन ज्यादा सुरक्षित है। इसका कारण यह है कि हेडफोन कान के ऊपर लगता है जबकि इयरफोन कान के अंदर लगता है। इयरफोन में कम्पन की कान के पर्दे से दूरी कम होती है, इसलिए हेडफोन अधिक सुरक्षित हैं।
कैसे खुद को ईयरफोन के नुकसान से बचा सकते हैं
1. ध्यान रखें कि एक घंटे से अधिक हेडफोन या ईयरफोन ना लगाएं।
2. वॉल्यूम कम ही रखें। फोन में सुरक्षित वॉल्यूम रेंज नजर आती है, तो ध्यान रखें कि आवाज सुरक्षित रेंज में रहे।
तो दोस्तों, अपने इयरफोन से ब्रेक लेना न भूलें।