मुँहासे एक त्वचा विकार है जो चेहरे पर अमिट परिवर्तन करता है और जीवन की गुणवत्ता को कम करता है। यह विभिन्न कारणों से शुरू होता है जिसे आप रोसासिया को प्रभावी ढंग से जानना या इलाज करना चाहते हैं। मुँहासे के लक्षण, प्रभाव और परिणाम अक्सर ज्ञान की कमी, डॉक्टर की यात्रा की अनुपस्थिति या अनुचित सौंदर्य प्रसाधनों के चयन का परिणाम होते हैं।
मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं में मुख्य रूप से आम, रोसैसिया एक विकार है जो लाली और ठोड़ी, गाल और माथे पर मवाद से भरे धक्कों और फफोले की विशेषता है। जैसे-जैसे समय बीतता है, ये लाल धक्कों में वृद्धि हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप अन्य जटिलताएँ हो सकती हैं। यह शरीर के अन्य हिस्सों जैसे पीठ, गर्दन और छाती को भी प्रभावित कर सकता है। यदि आंखें प्रभावित होती हैं, तो वे पानीदार और खूनी दिखाई दे सकती हैं। इससे चेहरे पर पिंपल्स और पिंपल्स भी हो सकते हैं।
परिचय
रोजेशिया(Rosacea) एक आम लेकिन समझ में न आने वाली दीर्घकालिक त्वचा की समस्या है जो मुख्य रूप से चेहरे पर असर करती है। इसके लक्षणों में फ्लशिंग के दौर आते हैं(इस दौरान त्वचा लाल हो जाती है) जैसे-जैसे रोजेशिया की समस्या बढ़ती है अन्य लक्षण भी पैदा हो सकते हैं जैसे:
* जलन या चुभन वाली सेंसेशन
* स्थायी लालिमा
* स्पॉट्स
* त्वचा में छोटी रक्त वाहिनियां दिखाई देने लगती हैं।
* ज्यादा गंभीर मामलों में त्वचा मोटी और फैल जाती है, यह अक्सर नाक और उसके आसपास के हिस्से में होता है।
अगर आपको लगता है कि आपको रोजेशिया(Rosacea) है तो जल्दी उपचार शुरू करने से गंभीर लक्षण होने की संभावनाएं कम की जा सकती हैं।
रोजेशिया को सक्रिय करने वाले कारण
रोजेशिया की सही वजह अज्ञात है, इसकी स्थिति को गंभीर बनाने वाले कई कारणों की पहचान की गई है।इनमें शामिल हैं:
* धूप में जाना
* तनाव
* व्यायाम(एक्सरसाइज)
* ठंडा मौसम(तेज़ हवा)
* गर्मी
* मेनोपॉज
* कई दवाएं जैसे वासोडायलेटर ड्रग्स
* हॉट ड्रिंक्स
* एल्कोहल और कैफीन
* कुछ तरह का भोजन जैसे मसालेदार खाना
रोजेशिया को सक्रिय करने वाले कारणों की पहचान करने और उनसे बचना इसके लक्षणों को नियंत्रित करने का सबसे कारगर तरीका है।
रोजेशिया का उपचार
रोजेशिया का कोई उपचार नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए इलाज उपलब्ध हैं।
रोजेशिया एक लंबी अवधि की बार-बार होने वाली बीमारी है जिसका मतलब है ऐसे दौर भी आते हैं जब लक्षण काफी बुरी स्थिति में पहुंच जाते हैं और ऐसा समय भी आता है जब वे कम गंभीर होते हैं।
इसके कारणों से बचने के साथ ही कई दवाएं भी हैं जो इन्हें अतिसक्रिय होने से बचा सकती हैं।
रोजेशिया के उपचार के बारे में और अधिक पढ़ें।
रोजेशिया आपकी रूपरेखा पर असर डाल सकता है। कुछ लोगों को इससे आत्म-सम्मान में कमी या खीझ की भावना भी पैदा हो सकती है। अगर आप अवसाद महसूस कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें।
रोजेशिया जैसे लंबी अवधि की समस्याओं से होने पर मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में जानकारी पाने और उसकी जटिलताओं के बारे में और पढ़ें।
किस पर असर होता है?
रोजेशिया काफी आम दिखता है और एक अनुमान के मुताबिक यह 10 में से एक व्यक्ति को होता है। यह ज्यादातर गोरी त्वचा वाले लोगों में होता है लेकिन एशियाई और अफ्रीकी मूल के लोगों में भी हो सकता है।
यह किसी भी उम्र में महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकता है। बहरहाल, यह विशेष रूप से 30 वर्ष की उम्र के बाद शुरू होता है। मध्यम उम्र की महिलाएं मेनोपॉज की वजह से होने वाले हॉट फ्लशेज की वजह से इसके होने के ज्यादा जोखिम में होती हैं।
लक्षण
रोजेशिया के लक्षण कई बार दिखाई देते हैं। इस रोग में कई सारे आम लक्षण होते हैं लेकिन हर किसी को सभी संभावित लक्षणों का अनुभव नहीं होता।
आम लक्षणों में शामिल हैं:
* फ्लशिंग
* निरंतर लाल होना
* छाले और दाने
* रक्त वाहिनियां दिखना
* मोटी त्वचा
* आंखों में जलन
इन लक्षणों के बारे में यहां विस्तार से जाने।
फ्लशिंग – अस्थायी लाली
आमतौर पर फ्लशिंग रोजेशिया का पहला संकेत होता है जिसमें आपकी त्वचा लाल हो जाती है। यह बचपन से लेकर शुरुआती किशोरावस्था में होती है। फ्लशिंग के दौर पांच मिनट तक चल सकते हैं।
वयस्क जीवन में शरीर के तापमान में तेजी से बदलाव आने से कई बार मुंह लाल हो जाता है। यह समस्या सूरज की तेज रोशनी में जाने, गर्म ड्रिंक्स या एक्सरसाइज से भी हो सकती है।
यह लाली आपकी गर्दन और सीने तक फैल सकती है और आपको असहज गरमी का अनुभव हो सकता है।
चेहरा लगातार लाल रहना
रोजेशिया में चेहरा लगातार लाल रहना सबसे आम संकेत है। यह लाली सनबर्न के पैच या रगड़ की तरह दिखती है जो जाती नहीं है या त्वचा पर ऐसा निशान बन जाता है जो ज्यादा एल्कोहल पीने से जुड़ा होता है।
रोजेशिया की समस्या वाले लोगों में यह काफी परेशान करने वाला हो सकता है क्योंकि लोग उनके बारे में सोच सकते हैं कि वे काफी ज़्यादा मात्रा में शराब पीते हैं।
यह लाली आमतौर पर गालों, नाक और ठोडी पर असर करती है लेकिन माथे, गर्दन और सीने तक फैल सकती है। कई बार त्वचा सूखी, परतदार या सूजी हो सकती है।
वाहिकाओं का दिखना
अगर आपको रोजेशिया की समस्या है तो आपको अपनी त्वचा की सतह पर छोटी रक्त वाहिनियों में जलन का अनुभव हो सकता है।
इसकी वजह से आपकी त्वचा लाल हो जाती है और आपकी वाहिनियां स्थायी रूप से फैल जाती हैं और दिखाई देने लगती हैं(थ्रेड वेन्स-)। दिखने वाली नसों का चिकित्सकीय नाम टेलंगिक्टासिया है।
दाने और छाले
अगर आपको रोजेशिया है तो आपमें ये भी हो सकते हैं:
दाने- आपकी त्वचा से उठने वाले छोटे गोल दाने
छाले- पस भरी सूजन
ये स्पॉट आपके चेहरे पर उभरेंगे और किशोरावस्था में होने वाले एक्ने या मुंहासे जैसे हो सकते हैं। इस ‘एक्ने-रोजेशिया’ कहा जाता है लेकिन ये दोनों स्थितियां अलग होती हैं।
रोजेशिया में ब्लैकहेड्स(छोटे बंद छेद) नहीं होते और त्वचा चिपचिपी यानी ग्रीसी नहीं होती बल्कि सूखी और पपड़ीदार होती है। रोजेशिया के स्पॉट से निशान नहीं पड़ते।
त्वचा मोटी होना
रोजेशिया के ज्यादा गंभीर मामलों में आमतौर पर नाक के आसपास की त्वचा मोटी हो सकती है और अतिरिक्त टिशू बन सकते हैं। इससे नाक मोटी, फूली हुई दिखाई देती है। इसे राइनोफाइमा कहते हैं।
राइनोफाइमा रोजेशिया की एक दुर्लभ और चरम स्थिति है और इसे विकसित होने में कई साल लगते हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह ज्यादा होती है।
आंखों में जलन
रोजेशिया वाले आधे से ज्यादा लोगों को उनकी आंखों में लक्षणों का अनुभव हो सकता है जैसे:
* जैसे लगना कि आंख में कुछ है
* आंखें सूखना
* रोशनी से संवेदनशीलता (फोटोफोबिया)
* आंखों में खुजली और ब्लडशॉट जिसकी वजह से आंखों की बीमारी हो जाती है जैसे ब्लेफाराइटिस (आंखों की पुतलियों में सूजन-जलन) * आंखों पर असर करने वाले रोजेशिया को ऑक्यूलर रोजेशिया कहा जाता है।
अन्य लक्षण
रोजेशिया से जुड़े अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
* आपके चेहरे पर जलन या चुभने वाली सेंसेशन पैदा होना
* सूखी और सख्त त्वचा
* त्वचा पर उठे हुए लाल पैच जिन्हें प्लॉक के रूप में जाना जाता है
* चेहरे पर सूजन
* त्वचा के संवेदनशील होने की वजह से आप कॉस्मेटिक का इस्तेमाल नहीं कर पाते
रोजेशिया वाले लोगों में ऐसा दौर भी आता है जब उनके लक्षण काफी गंभीर स्थिति पैदा कर देते हैं और ऐसा भी वक्त आता है जब उनके लक्षण कम परेशानी वले होते हैं।रोजेशिया में चेहरे पर दाग़ रह जाने वाली स्थायी समस्या नहीं होती।
कारण
रोजेशिया का सही कारण अज्ञात है। बहरहाल विशेषज्ञ मानते हैं कि यह काफी सारे संबंधित कारणों की वजह से होता है। इन कारणों को यहां समझाया गया है।
रक्त वाहिकाओं की समस्या
कई डेर्मेटालॉजिस्ट (स्किन स्पेशलिस्ट) मानते हैं कि रोजेशिया के लिए चेहरे की रक्त वाहिकाओं में असामान्यता सबसे बड़ा कारण हो सकता है। यह चेहरा लाल होने, लगातार लाली बने रहने और दिखने वाली रक्त वाहिकाओं की समस्या के लक्षणों को समझने में काम आ सकती हैं।
इस समस्या के कारणों की जानकारी नहीं है। बहरहाल सूरज की रोशनी से स्किन मैट्रिक्स की क्षति त्वचा की वाहिकाओं के फैलने के लिए जिम्मेदार हो सकती है जिससे लाली, थ्रेड वेन्स और जलन-सूजन की समस्या उत्पन्न होती है।
डेमोडेक्स फोलीक्यूलोरम
डेमोडेक्स फोलीक्यूलोरम एक छोटा कीड़ा होता है जो रोजेशिया का कारण बन सकता है। ये कीड़े आमतौर पर मानव त्वचा पर रहते हैं लेकिन रोजेशिया से ग्रस्त लोगों में इनकी संख्या काफी ज्यादा पाई गई है। बहरहाल यह तय नहीं है कि ये कीड़े रोजेशिया के कारण हैं या उसकी वजह से हैं।
हेलीकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया
यह बैक्टीरिया पाचन प्रणाली में पाया जाता और माना जाता है कि यह रोजेशिया का संभावित कारण होता है हालांकि इसके लिंक अभी तक स्थापित नहीं हुए हैं। यह बैक्टीरिया ब्रैडीकिनिन नामक प्रोटीन के उत्पादन को उत्तेजित करता है जिससे रक्त वाहिकाओं में विस्तार होता है।
केमिकल और निगले गए एजेंट्स
एल्कोहल, कैफीन, गर्म पेय, मसालेदार भोजन और दवाएं (जैसे अमीनोडेरोन, टॉपिकल स्टेरॉयड्स, ओरल स्टेरॉयड्स और विटामिन बी-6 और बी-12 का हाई डोज रोजेशिया के रोगी में फ्लशिंग की शुरुआत कर सकती हैं। बहरहाल, रोजेशिया के कारण के रूप में इन तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए कोई पक्का साक्ष्य मौजूद नहीं है।
जेनेटिक्स
रोजेशिया आनुवंशिक भी हो सकता है। बहरहाल यह नहीं पता कि इसमें कौन से जीन्स शामिल हैं या ये कैसे आगे स्थानांतिरत होते हैं।
रोजेशिया को सक्रिय करने वाले कारण
रोजेशिया वाले ज्यादातर लोगों को उनके लक्षणों के बिगड़ने से पहले कई ट्रिगर दिखाई देते हैं। हर व्यक्ति में ये अलग हो सकते है लेकिन एक बार होने वाले आम लक्षणों में शामिल हैं:
* सूरज की रोशनी में जाना
* तनाव
* गर्म वातावरण
* तेज़ हवा में निकलना
* थकाने वाली कसरत
* एल्कोहल
* गर्म पानी से स्नान
* ठंडा मौसम
* मसालेदार भोजन
* नमी या ह्यूमिडिटी
* कैफीन(चाय, कॉफी और कोला में पाया जाता है)
* डेयरी प्रोडक्ट
* गंभीर (अल्प अवधि) की मेडिकल स्थिति जैसे सर्दी या बुखार (उच्च तापमान)
* क्रोनिक(लंबी अवधि) की चिकित्सा स्थिति जैसे हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन)
* वेसोडायलेटरी(vasodilatory) दवाएं जो हाई ब्लड प्रेशर के उपचार में इस्तेमाल की जाती हैं
पहचान
अगर आपको लगता है कि आपको रोजेशिया की समस्या हो रही है तो जितना जल्दी हो अपने डॉक्टर से मिलें। जल्दी उपचार से रोग की अत्यंत गंभीर स्थिति होने से रोका जा सकेगा जैसे त्वचा का मोटा होना या बढ़ना।
रोजेशिया के लिए कोई विशेष क्लीनिकल टेस्ट नहीं है। आपके डॉक्टर को इन तरीकों से इसकी पहचान करनी होगी:
* आपकी त्वचा की जांच
* आपसे लक्षणों के बारे में पूछ कर
* आपके संभावित ट्रिगरों के बारे में पूछ कर
कुछ परिस्थितियों में आपको और टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट करवाने को कहा जा सकता है ताकि ऐसे लक्षणों वाली अन्य बीमारियों की संभावना का नकारा जा सके। जैसे:
ल्यूपस, एक ऐसी बीमारी जहां इम्यून सिस्टम (संक्रमण और बीमारी के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली) स्वस्थ टिशू पर हमला करता है।
मेनोपॉज की शुरुआत में (जब महिलाओं के मासिक धर्म बंद हो जाते हैं)
दुर्लभ मामलों में अन्य संभावित कारणों को खारिज करने के लिए स्किन बायोप्सी (त्वचा के छोटे हिस्से की स्क्रैपिंग) की जरूरत पड़ती है। जैसे:
माइक्रोपिक स्किन माइट्स(डेमोडेक्स फोलिक्यूलोरम
स्किन इंफेक्शन
उपचार
रोजेशिया का उपचार कई तरीकों से किया जा सकता है।
जीवनशैली में बदलाव
रोजेशिया का प्रारंभिक उपचार उसके ज्ञात ट्रिगरों या उसके लक्षणों को भड़काने वाले कारणों से बचाव है। ये कारण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं लेकिन सबस ज्यादा महत्वपूर्ण है सूरज से खुद को बचाना।
रोजेशिया की रोकथाम के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें।
दवा
टॉपिकल(स्किन आधारित) और ओरल(निगलने वाली) दवाओं की रेंज रोजेशिया के इलाज में इस्तेमाल की जाती है।
रोजेशिया के जलन-सूजन वाले प्रकार में यह मुख्य रूप से असरदारहोती हैं। वेस्कुलर रोजेशिया (फ्लशिंग, लाली और थ्रेड वेन्स) के लिए उनके प्रयोग के समर्थन में कम ही साक्ष्य मिले हैं। इनका बेहतर इलाज लेजर और लाइट बेस्ड थेरेपी से किया जाता है।
हल्के रोजेशिया के लिए टॉपिकल उपचार के एजेंट्स में मेट्रोनिडेजोल, एजेलाइक एसिड और सोडियम सल्फेसिटामाइड- सल्फर शामिल हैं। सेकेंड लाइन की थेरपी में बेन्जोयल पेरॉक्साइड, किलींडामाइसिन, टॉपिकल रेटिनॉयड्स और कैल्सिनेयबरिन इनहिबिटर्स शामिल हैं।
मध्यम से गंभीर प्रकृति वाले या जिनकी आंखों में असर हुआ है उन्हें कई बार ओरल तथा टॉपिकल एजेंट्स के साथ मिश्रित थेरेपी दी जाती है। विकल्पों में टेट्रासाइक्लाइन्स और एरिथ्रोमाइसिन शामिल हैं। गंभीर मामलों में आइसोट्रेटिनोइन की छोटा डोज असरकारक होगी।
मेट्रोनिडेजोल
मेट्रोनिडेजोल क्रीम या जेल आमतौर पर हल्के या मध्यम स्पॉट्स या मुंहासों के उपचार के लिए दिए जाते हैं।
मेट्रोनिडेजोल क्रीम या जेल लगाते समय सावधान रहें कि आपकी आंख या मुंह में न जाए। आपको कई महीनों तक रोजाना एक या दो बार टॉपिकल मेट्रोनिडेजोल लगाना होगा।
मेट्रोनिडेजोल का आमतौर पर साइड इफेक्ट नहीं होता है हालांकि इससे आपकी त्वचा में जलन हो सकती है। यह एल्कोहल वाली जेल से भी अक्सर होता है। तेज सूरज की रोशनी या यूवी लाइट(कुछ लैंप और नाइट क्लबों में प्रयोग होती है) में जाने से बचें।
एजेलाइक एसिड(Azelaic acid)
यह टॉपिकल मेट्रोनिडेजोल का विकल्प है जो पोर्स को खोलने में मदद करती है और जलन-सूजन (लाली और सूजन) को कम करती है।
आपको एजेलाइक एसिड क्रीम या जेल दिन में दो बार लगानी होगी और उसेअपने मुंह और आंख से संपर्क में आने से बचना होगा।
टॉपिकल मेट्रोनिडेजोल के साथ आपको कई महीनों तक एजेलाइक एसि के इस्तेमाल की जरूरत पड़ेगी। उसके बाद ही आपके लक्षणों में किसी खास सुधार को आप देख पाएंगे।
एजेलाइक एसिड के साइड इफेक्ट में शामिल हो सकते हैं:
त्वचा में जलन और चुभन
खुजली
सूखी त्वचा
जो एजेलाइक एसिड का प्रयोग करते हैं उनमें से एक तिहाई लोगों को साइड इफेक्ट का अनुभव हो सकता है। पर ये साइड इफ़ेक्ट्स काम समय के लिए रहते हैं।
एंटीबायोटिक दवाएं
स्पॉट्स और पिंपल्स के और अधिक गंभीर लक्षणों में ओरल एंटीबायोटिक्स की सलाह दी जा सकती है। इस मामले में एंटीबायोटिक्स त्वचा की जलन को कम करने की उनकी क्षमता के लिए इस्तेमाल की जाती हैं न कि उनकी बैक्टीरिया को मारने की क्षमता के लिए।
इस उपचार के साथ आपको अपने लक्षणों में बड़े सुधार को देखने से पहले कई सप्ताह तक ओरल एंटीबायोटिक्स लेनी होंगी। आपको कई महीने या लंबी अवधि के लिए कोर्स, दिन में एक या दो बार लेना होगा।
लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स के सेवन से बचना चाहिए। एक संभावित रणनीति यह हो सकती है कि छह से 12 हफ्ते के बाद ओरल एंटीबायोटिक्स के डोज में धीरे-धीरे कमी लानी चाहिए और इसके बाद केवल टॉपिकल एजेंट्स का प्रयोग करना चाहिए। के नई तकनीक भी है ,एक छोटी डोज में रोजाना डॉक्सीसाइक्लाइ जो अकेले या मेट्रोनिडेजोल थेरेपी के साथ या अकेले दिए जाने पर इंफ्लेमेट्री लेसियन( को कम कर सकती है।
रोजेशिया के उपचार के लिए सबसे आम रूप से इस्तेमाल होने वाले दो एंटीबायोटिक्स हैं:
* टेट्रासाइक्लाइन्स (tetracyclines)
* एरिथ्रोमाइसिन (erythromycin)
टेट्रासाइक्लाइन्स
इसमें टेट्रासाइक्लाइन, ऑक्सीटेट्रासाइक्लाइन, डॉक्सीक्लाइन, लाइमसाइक्लाइन और माइनोसाइकलाइन शामिल हैं।
टेट्रासाइक्लाइन उनके लिए उपयुक्त नहीं होते:
जो महिलाएं गर्भवती हैं या स्तनपान करवा रही हैं क्योंकि वे अजन्मे बच्चों में जन्म के विकार पैदा कर सकती है और स्तनपान करने वाले बच्चे में सामान्य हड्डी के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
किडनी की बीमारी वाले व्यक्ति
इन लोगों को टेट्रासाइक्लाइन का प्रयोग सावधानी के साथ करना चाहिए-
जिन लोगों में लिवर की समस्या का इतिहास है
माइएस्थेनिया है, एक ऐसी स्थिति जिसमें कुछ मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं
सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमाटोसस है, एक ऐसी स्थिति जिसमें इम्यून सिस्टम (शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली) स्वस्थ टिशुओं पर हमला करती है
टेट्रासाइक्लाइन्स की वजह से उपचार के पहले कुछ हफ़्तों में ओरल कोंट्रासेप्टिव (गर्भनिरोधक गोलियां) फेल हो जाती हैं। बच्चा पैदा करने वाली उम्र की सेक्स में सक्रिय महिलाएं इसे लेते समय गर्भनिरोधक के रूप में कंडोम जैसे अन्य उपायों का प्रयोग कर गर्भधारण होने से रोक सकती हैं।
टेट्रासाइक्लाइन्स आपकी त्वचा को सूरज की रोशनी के प्रति भी ज्यादा संवेदनशील बना सकती है।
टेट्रासाइक्लाइन्स कई दवाओं के साथ मिलकर काम करती है जिनमें शामिल हैं:
वारफारिन, एक एंटीकोगुलेंट (रक्त का पतला करने वाली दवा) का प्रयोग कर आपके रक्त का ठक्का जमने से रोक सकती है
एंटासिड्स अपच और सीने में जलन का उपचार करने वाली दवा
एरिथ्रोमाइसिन
एरिथ्रोमाइसिन का प्रयोग गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं द्वारा किया जा सकता है। इसे ध्यान से लिया जाना चाहिए अगर:
आपको लिवर या किडनी की समस्या है
माइएस्थेनिया ग्रेविस.नामक एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपकी कुछ मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं
एरिथ्रोमाइसिन कई दवाओं के साथ मिलकर काम करती है जिनमें शामिल हैं:
वारफारिन, एक एंटीकोगुलेंट रक्त का पतला करने वाली दवा) का प्रयोग कर आपके रक्त को जमने से रोक सकती है
स्टेटिन्स, आपके कोलेस्ट्रोल का स्तर कम करने के लिए
आईसोट्रेटिनोइन
यह एक ऐसी दवा है जो कई बार गंभीर एक्ने के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाती है। बहरहाल, रोजेशिया के इलाज के लिए इसकी लो डोज का प्रयोग होता है। यह एक शक्तिशाली दवा है इसे आपके डॉक्टर की बजाय डर्मेटोलॉजिस्ट-त्वचा के रोगों में उपचार में विशेषज्ञ द्वारा प्रिस्क्राइब किया जाना चाहिए।
इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं:
* अजन्मे बच्चों में जन्म विकार
* सूखी त्वचा, होंठ और आंखें
* सिरदर्द
* पीठ दर्द
* मासंपेशी या जोड़ों का दर्द
* आसानी से खून आना या चोट लगना
* आपके पेशाब में खून आना
आपकी दवा के साथ आने वाले सूचना के पर्चे में साइड इफेक्ट की पूरी सूची देखें।
लेजर और इंटेंस पल्स्ड(आईपीएल) ट्रीटमेंट
लाली और दिखने वाली रक्त वाहिनियों(थ्रेड वेन्स, तेलंगिक्टासिया-) के लक्षणों में वेस्कुलर लेजर या इंटेंस पल्स्ड लाइट (आईपीएल) उपचार से सफलतापूर्वक सुधार लाया जा सकता है। यह उपचार फ्लशिंग में भी सुधार करता है।
लेजर और आईपीएल(IPL) मशीनें रोशनी की संकरी किरणें पैदा करती हैं जो स्किन के दिखने वाली रक्त वाहिकाओं की ओर लक्ष्य करती हैं। लेजर की हीट फैली हुई(चौड़ी) लाल नसों को क्षतिग्रस्त करती है और उन्हें इस तरह सिकुड़ने को मजबूर करती है कि वे दिखाई देना बंद कर दें। इसमें आसपास के टिशू को कम से कम नुकसान होता है या निशान पड़ता है। यह भी साक्ष्य हैं कि लाइट स्किन मैट्रिक्स की रिमॉडलिंग में भी मदद करती है ताकि वाहिकाओं को बेहतर सपोर्ट मिल सके।
लेजर ट्रीटमेंट से दर्द हो सकता है लेकिन ज्यादातर लोगों को एनेस्थेटिक की जरूरत नहीं पड़ती।
लेजर ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट ज़्यादातर हल्के होते हैं और इनमें शामिल हो सकते हैं:
* चोट लगना
* स्किन की क्रस्टिंग
* त्वचा की सूजन और लाली
* छाले (सिर्फ कुछ मामलों में)
* संक्रमण (सिर्फ कुछ मामलों में)
ये साइड इफेक्ट आमतौर पर कुछ दिन ही रहते हैं और काफी कम मामलों में स्थायी होते हैं। इंफेक्शन का इलाज एंटीबायोटिक्स से किया जाता है।
मेक-अप
विशेष रूप से डिजाइन किए गए कैमाफ्लैग मेक अप का प्रयोग कर स्थायी रूप से लाल हुई त्वचा के पैच को छुपाना संभव है।
सर्जरी
रोजेशिया का एक लक्षण है मोटी त्वचा (राइनोफाइमा-) । यह कई बार नाक पर असर करता है। अगर आपमें गंभीर राइनोफाइमा है तो डॉक्टर आपको डेर्माटोलॉजिस्ट या प्लास्टिक सर्जन के पास रेफर कर सकते हैं।
प्लास्टिक सर्जरी कॉस्मेटिक सर्जरी के समान नहीं होती। कॉस्मेटिक सर्जरी एक विकल्प है(इलेक्टिव) और व्यक्ति की शारीरिक उपस्थिति में सुधार करने के उद्देश्य से की जाती है। प्लास्टिक सर्जरी क्षतिग्रस्त स्किन और टिशू की मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए होती है।
किसी तरह के फालतू टिशू को हटाने के लिए और नाक को और बेहतर तरीके से रिमॉडल करने के लिए कई तरह के सर्जिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध हैं। इन्हें इस प्रकार किया जा सकता है:
कार्बन डायऑक्साइड लेजर(कार्बन डायऑक्साइड की बीम)
* स्कैल्पल
* डेर्माब्राशन
* ऑक्यूलर रोजेशिया
अगर रोजेशिया के लक्षण आपकी आंखों पर असर करते हैं (ऑक्यूलर रोजेशिया तो आपको इस प्रकार से उपचार करवाना होगा:
ऑक्यूलर ल्यूब्रिकेंट्स – आई ड्राप्स या आंख के ऑइंटमेंट्स जो आंखों की सूखने के इलाज में प्रयोग होते हैं
आंखों की सफाई के उपाय- अगर आपको ब्लेफाराइटिस (पलकों की जलन) है तो आपको अपनी पलकों को गर्म कम्प्रेस (गर्म पानी से से गरम किए गए कपड़े) से या कॉटन बड से साफ करनी होंगी।
गंभीर मामलों में लंबी अवधि की ओरल एंटीबायोटिक्स का प्रयोग किया जा सकता है
जिन लोगों में ऑक्यूलर रोजेशिया की जटिलता है उन्हें ऑप्थोल्मोलॉजिस्ट(-आई स्पेशलिस्ट) के पास रेफऱ किया जा सकता है।
ड्राई आई सिंड्रोम के उपचार और ब्लेफाराइटिस के उपचार बारे में और अधिक पढ़ें।
रोकथाम
आप अपने रोजेशिया के लक्षणों को वापस आने से रोकने के लिए ये कदम ले सकते हैं।
ट्रिगर्स से बचाव करना
ट्रिगर्स के बचाव से आप रोजेशिया के लक्षणों की गंभीरता और फ्रीक्वेंसी को घटाने में मदद पा सकते हैं। कौन से लक्षण किस वज से उभरते हैं यह जानने के लिए अपनी एक्टिविटी की दैनिक डायरी रखें।
रोजेशिया के आम ट्रिगर से बचाव के बारे में सलाह यहां नीचे विस्तार से दी गई है।
सूरज की रोशनी
रोजेशिया का सबसे आम कारण सूरज की रोशनी ही होती है। आपको रोजाना इससे बचना चाहिए, तब भी जब बादल छाए हों।
ऐसे में कम से कम 30 के सन प्रोटेक्शन फैक्टर(एसपीएफ) वाली सनस्क्रीन क्रीम लगाने की सलाह दी जाती है। यूवी-ए और यूवी-बी लाइट के लिए सुरक्षा देने वाली एक ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन का प्रयोग करें। बच्चों के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई सनस्क्रीन को प्रयोग करने से स्किन में जलन कम करने में मदद मिलती है।
गर्मियों के महीने में सूरज के सामने जाने से बचें खासकर दिन के बीच में जब सूरज की गर्मी काफी तेज होती है। बहरहाल यह याद रखें कि सूरज सुबह और शाम को भी तेज हो सकता है तो इन समयों पर भी पर्याप्त सावधानी बरतें।
सूरज की रोशनी में जाने से बचाव के लिए:
अपनी त्वचा पर नियमित रूप से सनस्क्रीन लगाएं
चौड़ी पट्टी वाला हैट पहनें
तनाव
सूरज की रोशनी के बाद रोजेशिया का सबसे बड़ी दूसरा कारण तनाव है। अपने तनाव के स्तर को सफलतापूर्वक संभालने से आपके लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
आप इस तरह तनाव कम कर सकते हैं:
नियमित एक्सरसाइज से
स्वस्थ, संतुलित भोजन से
पर्याप्त मात्रा में नींद से
कठिन मेहनत वाली एक्सरसाइज करने से रोजेशिया का ट्रिगर शुरू हो सकता है इसलिए कम ऊर्जा वाली एक्सरसाइज जैसे चलना या तैराकी करना दौड़ने या एरोबिक्स जैसी ज्यादा ऊर्जा वाली एक्सरसाइज से बेहतर होती हैं।
आपको आराम दिलाने वाली तकनीकों को भी इस्तेमाल करना चाहिए जैसे:
गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज
मेडिटेशन
योग
भोजन और पेय
फूड और ड्रिंक से जुड़े सबसे आम ट्रिगरों में एल्कोहल और मसालेदार भोजन हैं। अगर आप अपने रोजेशिया में सुधार चाहते हैं तो आपको इन्हें पूरी तरह से अपनी डायट में से निकालना होगा।
बहरहाल इनके अलावा कई डायटरी ट्रिगर हैं जो रोजेशिया वाले कुछ लोगों को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। अपनी रोजेशिया डायरी में रोजेशिया के लक्षणों से आपको होने वाले असर के बारे में पूरी जानकारी अवश्य लिखें।
ठंडा मौसम
स्कार्फ से अपने चेहरे और नाक को ढकने से उन्हें ठंडे मौसम और हवा से बचाया जा सकता है।
अगर आपको ठंडे मौसम में काफी समय बाहर व्यतीत करना जरूरी है तो अपने चेहरे को बालक्लावा से सुरक्षित रखें।
त्वचा की देखभाल की तकनीक
स्किन केयर तकनीक के बारे में नीचे दी गई सलाह आपको रोजेशिया के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करेंगी:
* अपने चेहरे को रगड़े, पोछें या मसाज ना करें। इससे आपकी त्वचा में जलन हो सकती है।
* हर सुबह और शाम किसी सहज, नॉन अब्रेसिव क्लींजर से अपनी त्वचा को साफ करें। नॉन-अल्कलाइन या नूट्रल पीएच वाले साबुन-मुक्त क्लींजर का प्रयोग करें। खुशबुदार साबुन और एल्कोहल-बेस्ड क्लींजर का प्रयोग न करें।
* अपना मुंह गुनगुने पानी से धोएं और अपनी त्वचा को दवा लगाने या मेकअप से पहले पूरी तरह से सूख जाने दें।
* संवेदनशील त्वचा के लिए उपयुक्त उत्पादों को चुनें, आमतौर पर जिनपर माइल्ड, हाइपोएलर्जेनिक, फ्रेगरेंस –फ्री और नॉन कामेडोजेनिक ((जो पोर्स बंद नहीं करते)) लिखा हो।
अगर परेशानी हो रही हो तो त्वचा को सहज करने के लिए मोएस्चराइजर का प्रयोग करें।
* ऑयल बेस्ड या वाटरप्रूफ कास्मेटिक से बचें जिन्हें उतारने के लिए सोल्वेंट की जरूरत होती है। वाटर बेस्ड मेकअप का इस्तेमाल करें।
* ध्यान रखें कुछ जेल में एल्कोहल बेस होता है। वाटर बेस्ड स्किन प्रोडक्ट मार्केट में मिलते हैं और त्वचा पर सहज होते हैं। उन्हें अमूमन क्रीम और सेरम्स के रूप मे जाना जाता है।
* एस्ट्रींजेंट्स, टोनर्स और अन्य फेशियल और हेयर प्रोडक्ट से बचें जिनमें आपकी त्वचा में परेशानी पैदा करने वाले तत्व जैसे फ्रैगरेंस, एल्कोहल, मेंथॉल, विच हेजल, टी ट्री ऑयल, यूकोलिप्टस ऑयल, कपूर, क्लोव ऑयल, पिपरमिंट, सोडियम लॉरिल सल्फेट और लैनोलिन शामिल हों।
* अगर आप किसी चीज को अपनी त्वचा से बचाना चाहते हैं और आप उसको लेकर सुनिश्चित नहीं हैं तो उस उत्पाद को अपना उपचार होने और लक्षण साफ हो जाने के बाद धीरे-धीरे इस्तेमाल करें।
* पुरुषों को ब्लेड की जगह पर इलेक्ट्रिक रेजर का प्रयोग करने से त्वचा की जलन में कमी महसूस हो सकती है।
* कुछ रोगियों को लिम्फोडेमा घटाने में नियमित फेशियल मसाज करवाना मददगार लग सकता है।
* जब तक आपके डॉक्टर द्वारा विशेष रूप से न कहा जाए तब तक स्टेरॉयड क्रीम का प्रयोग न करें। इससे आपके लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
जटिलताएं
रोजेशिया से ऐसी जटिलताएं हो सकती हैं जो आपको शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
आंखों की समस्या
जो रोजेशिया आपकी आंखों (ऑक्यूलर रोजेशिया ) को प्रभावित करती है उनसे आंखों की कई बीमारियां हो सकती हैं।
ब्लेफाराइटिस (पलकों की जलन) रोजेशिया से होने वाली सबसे आम आँखों की स्थिति है है। इसे कई बार रोजाना आंख साफ करने की आदत और एंटीबायोटिक गोलियों और क्रीम से ठीक किया जा सकता है।
रोजेशिया वाले 20 में से एक आदमी को ऐसे अनुभव होते हैं जब उनके कोर्निया (cornea-आंख के सामने की तरफ बाहरी साफ परत) पर असर होता है। इससे ये समस्याएं हो सकती हैं:
आपकी आंख में खून के शॉट्स बनना और पानी बहना
आपके कोर्निया पर निशान बनना
गंभीर मामलों में अगर इनका इलाज नहीं होता है तो ऑक्यूलर रोजेशिया से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। आपका डॉक्टर आपको ऑप्थोल्मोलॉजिस्ट के पास भेज सकता है। ये ऐसे डॉक्टर होते हैं जो आंखों के रोगों और उनके उपचार और सर्जरी के काम में विशेषज्ञ होते हैं।
मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव
किसी क्रोनिक(लंबी अवधि) की बीमारी में नकारात्मक मनोवैज्ञानिक असर होते हैं लेकिन रोजेशिया खास तरह से परेशानी पैदा करती है क्योंकि यह आपकी रूपरेखा को प्रभावित करती है। यह आपके खुद के बारे में और आप दूसरों से कैसे व्यवहार करेंगे इसे लेकर आपकी भावनाओं को बदल सकती है।
रोजेशिया की समस्या वाले लोगों में इस तरह की भावनाएं बतायी गयी हैं:
* आत्मसम्मान में कमी
* शर्मिंदगी
* निराशा
यह मान लेना काफी जरूरी है कि आपको एक क्रोनिक समस्या है जो हालांकि उपचारयोग्यय तो नहीं है लेकिन उस पर नियंत्रण किया जा सकता है। अपने उपचार की योजना का संभलकर पालन करना और अपने व्यक्तिगत ट्रिगरों से बचाव करना ही आपके रोजेशिया के लक्षणों को नियंत्रित करने का सबसे बढ़िया तरीका है।
जैसे-जैसे शारीरिक लक्षणों में सुधार होता है आप मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से बेहतर महसूस करना शुरू कर देंगे।
अगर आपको रोजेशिया है तो निश्चिंत रहें आप अकेले नहीं हैं। पूरी दुनिया में लाखों लोग हैं जो इस स्थिति के साथ जी रहे हैं।
अगर आप अवसाद महसूस कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। वे आपको आगे का उपचार बता सकते हैं।