अन्न का एक भी निवाला लेते समय क्या हम ये सोचते हैं कि अन्न उपजाने वाले हमारे अन्नदाता यानी कि किसानों का देश की प्रगति में कितना बड़ा योगदान है? साल 1964 में देश के प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री का विचार था कि देश की सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और सुख-समृद्धि केवल सैनिकों और शस्त्रों पर ही आधारित नहीं बल्कि किसान और श्रमिकों पर भी आधारित है। इसीलिए उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था। आज उन्हीं किसानों पर केंद्रित विशेष दिवस है— राष्ट्रीय किसान दिवस।
इतिहास के पन्नों में 23 दिसंबर के दिन का संबंध तमाम उतार-चढ़ावों से है, लेकिन भारत में इस दिन को ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। दरअसल इसी दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था, जिन्होंने किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी। भारत सरकार ने वर्ष 2001 में चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।
खेती दुनिया के सबसे पुराने पेशे में से एक है जो लगभग 12000 सालों से चला आ रहा है| दुनिया भर के किसान खेती उत्पादन के लिए अथक परिश्रम करते हैं| इन किसानों के योगदान को मनाने के लिए अधिकांश राष्ट्रों द्वारा अलग-अलग दिन किसान दिवस मनाया जाता है| आइये जानते हैं भारत में राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmer’s Day) कब मनाया जाता है और क्या है इस दिन का महत्व:
किसान दिवस कब मनाया जाता है?
अलग-अलग देशों में किसानों की महत्वता को बताने वाला यह दिवस साल के अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है| जहाँ अमेरिका में नेशनल फार्मर्स डे 12 अक्टूबर को मनाते हैं वहीँ साउथ कोरिया में यह दिन 11 नवंबर को मनाया जाता है| भारत में नेशनल फार्मर्स डे (National Farmer’s Day) हर साल 23 दिसंबर को मनाया जाता है| नेशनल फार्मर्स डे को हिंदी में राष्ट्रीय किसान दिवस के नाम से जाना जाता है| नेशनल फार्मर्स डे या किसान दिवस भारत के पाँचवें प्रधानमंत्री और महान किसान नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है| उन्होनें भारतीय किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियां शुरू करीं| इस पावन दिवस पर आम लोगों को कृषि और इसके महत्त्व के बारे में बताने और शिक्षित करने के लिए कृषि पर विभिन्न कार्यक्रम, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, प्रतियोगिताएं और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है| इस दिन किसानों के विकास हेतु काम करने वालों को भी विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है| राष्ट्रीय किसान दिवस को चौधरी चरण सिंह जयंती के रूप में भी मनाते हैं| ऐसा माना जाता है कि चौधरी चरण सिंह की कड़ी मेहनत के कारण ज़मींदारी अबोलिशन बिल 1952 पारित किया गया था| भारत सरकार द्वारा साल 2001 में चौधरी चरण सिंह की जयंती के दिन को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था|
राष्ट्रीय किसान दिवस
भारत में किसान दिवस प्रति वर्ष 23 दिसंबर को मनाया जाता है| इस वर्ष 2021 में यह दिन 23 दिसंबर गुरुवार के दिन मनाया जाएगा| यह दिन देश के किसानों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है| यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण हो जाता है कि देश के किसान इतने सारे लोगों के लिए जीवन का सबसे प्रमुख साधन होने के बावजूद, बहुत से लोग इनके द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं से अवगत नहीं हैं| इसलिए राष्ट्रीय किसान दिवस हम सभी के लिए इन किसानों को धन्यवाद देने के लिए एक आदर्श अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है, जो हमारे आत्मीय भोजन के प्राथमिक स्रोत हैं|
राष्ट्रीय किसान दिवस कैसे मनाया जाता है ?
किसानों को प्रोत्साहित करने और देश में उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए राष्ट्रीय किसान दिवस पर देश भर में कई आयोजन किए जाते हैं। इस दिन किसानों के लिए कई सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। जिसमें कृषि अधिकारी और कृषि वैज्ञानिक किसानों को खेती करने के नए-नए तरीके बताते हैं। इन सभी सेमिनारों में किसानों को कृषि बीमा योजनाओं और भारत सरकार की अन्य योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है। इसके साथ ही सरकार भी इस दिन किसानों के हित के लिए नई नीतियों की घोषणा करती है। लेकिन सरकारी अड़चन के कारण, कई योजनाओं का किसान लाभ तक नहीं उठा पाते।
चौधरी चरण सिंह का किसानों के लिए योगदान
चौधरी चरण सिंह का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। जिसकी वजह से वह किसानों की समस्याओं को लेकर पूरी तरह अवगत थे। इसी कारण से उन्होंने किसानों को समर्थन देने की पूरी कोशिश की। उन्होंने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। जब 1979 का बजट तैयार किया गया था। उस समय यह बजट किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया था। इस बजट में किसानों के लिए कई नीतियां पेश की गई थी। जो जमींदारों और साहूकारों के खिलाफ सभी किसानों को एक साथ लाने में सक्षम था। विधानसभा में उनके द्वारा कृषि उपज मंडी विधेयक पेश किया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य डीलरों की मनमर्जी के खिलाफ किसानों के कल्याण की रक्षा करना था। उन्होंने जमींदारी उन्मूलन अधिनियम को स्पष्ट रूप से लागू किया था। इसके अलावा उन्होंने जवाहरलाल नेहरू की सामूहिक भूमि-उपयोग नीतियों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व भी किया था।
श्री चौधरी चरण सिंह जयंती
चौधरी चरण सिंह का जन्म उत्तरप्रदेश के हापुड़ जिले में 23 दिसंबर 1902 को हुआ था| आगे चलकर वह भारत के पांचवे प्रधानमंत्री बने| वे 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहे थे| उन्होनें अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान किसानों की दशा सुधारने के लिए कई नीतियां बनाई थी| वे राजनेता होने के साथ ही एक अच्छे लेखक भी थे| अंग्रेजी भाषा में भी उनकी अच्छी पकड़ थी| उन्होनें आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर साल 1928 में गाज़ियाबाद में वकालत प्रारम्भ करी| वे 03 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने| उन्होनें 17 अप्रैल 1968 को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था| उसके बाद वे दोबारा 17 फरवरी 1970 को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने| इसके बाद वे केंद्र सरकार में गृहमंत्री भी बने और उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की थी|
कई नीतियों की घोषणा और खेती के सुधार के लिए प्रौद्योगिकी में सुधार करने के बावजूद भारत में कृषि हालत अभी भी ख़राब है। हर साल भारतीय किसानों को प्राकृतिक संकट जैसे कि सूखा, बाढ़, खराब गुणवत्ता वाले बीज आदि से लड़ना पड़ता है। हालांकि पिछले 10-15 वर्षों से भारत के किसानों को सरकार से बहुत राहत मिल रही है जैसे कि उनके उत्पादन के लिए उचित मूल्य प्राप्त करना, ऋण पर छूट, खेती के लिए नई तकनीक का उपयोग करने की सुविधा आदि लेकिन अभी भी किसानों और उनकी कृषि पद्धतियों की स्थिति में सुधार करने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकि है तभी हमारा देश सही अर्थों में एक विकसित देश बनेगा।