योग आपको हर पल शरीर और मन से युवा बनाए रखने की ताकत रखता है। बशर्ते कि आप इसे नियमित करते हैं। साप्ताहिक भी कर सकते हैं तो कुछ आसनों का चयन किया जा सकता है उनके लाभ को देखते हुए। आसनों के अलावा योग के अन्य उपाय करना भी युवा बने रहने और दिखने के लिए आवश्यक है। सब कुछ आपके ऊपर निर्भर है।
योग कई तरह से शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है. सेहतमंद बनाए रखने के साथ ही योग के जरिए आप अपने खूबसूरती और यौवन को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं. उम्र के बढ़ने के साथ ही शरीर में भी बदलाव होने लगता है। आंतरिक तौर पर शरीर कमजोर होने लगता है तो वहीं बाहर से त्वचा संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। शरीर का लचीलापन कम होने से निष्क्रियता बढ़ती है। त्वचा में सिकुड़न और झुर्रियां आने लगती हैं। इस तरह की उम्र के साथ होने वाली शारीरिक समस्याओं से बचने के लिए फ्लैक्सीबल और स्वस्थ रहना जरूरी है। इसके लिए नियमित प्राणायाम, योगाभ्यास, हेल्दी डाइट बेहतर उपाय है। नियमित योग से शरीर सक्रिय रहता है। खोया हुआ लचीलापन वापस आने के साथ उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से भी बचाव होता है। इसके अलावा त्वचा भी स्वस्थ रहती है। आप किसी कार्य को करने में कमजोर नहीं होते, न ही दिखने में आपकी उम्र अधिक लगती है। स्वस्थ शरीर और त्वचा के लिए कई योगासन हैं, जिन्हें 30 की उम्र के पार वाले लोगों को रोजाना करना चाहिए. हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही प्रक्नक्यम और आसन जो अपके शरीर को जवां बनाए रखने में मदद करेंगे. साथ ही आपके चेहरे के निखार को बढ़ा देंगे।
हमेशा जवां रहने के लिए करें ये प्राणायाम
भस्त्रिका : इस प्राणायाम को 3 तरह से किया जाता है। पहले में 5 सेकंड में सांस ले और 5 सेकंड में सांस छोड़े। दूसरे में ढाई सेकंड सांस लें और ढाई सेकंड में छोड़ें। तीसरा तेजी के साथ सांस लें और छोड़े। इस प्राणायाम को लगातार 5 मिनट करें।
कपालभाति : इस प्राणायाम को 5 से 10 मिनट करें। हर 5 मिनट के बाद 1 मिनट आराम करें। सामान्य व्यक्ति 3 बार 5-5 मिनट करें।
अनुलोम-विलोम : सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं।
उज्जयी प्राणायाम : गले से सांस अंदर भरकर जितनी देर रोक सके उतनी देर रोके। इसके बाद दाएं नाक को बंद करके बाएं नाक के छिद्र से छोड़े।
भ्रामरी प्राणायाम : इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर ‘ऊं’ का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-21 बार किया जा सकता है।
उद्गीथ प्राणायाम : इस प्राणायाम को करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं और शांत मन से ‘ऊं’ के उच्चारण करते हैं।
जानिए बढ़ती उम्र में शरीर में लचीलापन और जवान दिखने के लिए करें ये योगासन
अधोमुखश्वानासन : अधोमुखश्वानासन का अभ्यास पाचन को सुधारता है, रक्त संचार को बढ़ाता है, ऊर्जा प्रदान करना है। हाथ पैरों को टोन करने के साथ ही एंग्जाइटी को भी कंट्रोल करने का काम करता है। इस आसन को करने के लिए हथेलियों को घुटनों से शुरू करते हुए कंधों के नीचे तक ले जाएं और घुटनों को हिप्स के नीचे करें। फिर हिप्स को ऊपर उठाकर अपने घुटनों को सीधा करें। इस तरह आपको उल्टा वी का आकार बनाना है। अपने पैरों को संयोजित करते हुए एड़ी को फर्श से छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड रहने के बाद इसे फिर से दोहराएं।
उत्तानासन : इस आसन को करने से दिमाग शांत रहता है। लीवर की कार्यक्षमता बढ़ती है और किडनी भी बेहतर तरीके से काम करती है। मांसपेशियां मजबूत और लचीली होती हैं। साथ ही इम्यूनिटी बढ़ती है। उत्तानासन को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। लंबी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं और फिर सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे की ओर ले जाएं। इस दौरान पैरों के अंगूठे को छूने की कोशिश करें और पुनः: उसी अवस्था में आ जाएं।
मालासन : इस योगासन को करने का फायदा ये हैं कि यह जांघ और पेट की चर्बी को कम करता है। इसे करने से शरीर सक्रिय होता है। जोड़ों में लचीलापन आता है। पेट, कंधे, गर्दन और पीठ की मांसपेशियों का ढीलापन कम होता है। गर्दन के आसपास जकड़न दूर होती है। मालासन करने के लिए मल त्याग की अवस्था में बैठ जाएं और नमस्कार की मुद्रा बनाते हुए दोनों हाथों की कोहनियों को घुटनों से लगा दें। इस दौरान धीरे-धीरे सांस अंदर खींचें और बाहर छोड़ें। कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद आराम से खड़े हो जाएं।
पर्श्वोत्तनासन : यह आसन रीढ़ की हड्डियों, कमर, हथेली और शरीर के निचले हिस्से को मजबूत बनाने में मदद करता है। पैरों को बढ़ाता है और रोगप्रतिरोग क्षमता को बढ़ाता है। इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। अब सांस खींचते हुए हल्का सा कूदें। एक पैर को तीन से चार फीट की दूरी पर रखें। दोनों हाथों को हिप्स रखें और दाएं पैर को आगे बढ़ाएं। अब दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए सांस खींचें और जमीन पर हाथों को रखें। अपना माथा दाएं पैर के घुटने से टच कराएं।
सर्वांगासन : सर्वांगासन करने के लिए मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को कमर के साइड में रखें. अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को मिलाकर आसमान की तरफ एकसाथ उठाएं. आपको कंधों तक शरीर को ऊपर उठाना है और इसके लिए कमर पर दोनों हाथों की सपोर्ट दे सकते हैं. सिर्फ कंधे और सिर को जमीन पर रखते हुए पूरे शरीर को ऊपर की तरफ कुछ देर रखें.
शीर्षासन : चेहरे पर चमक लाने के लिए शीर्षासन काफी फायदेमंद योग है. आप मैट पर अपनी हथेलियों की मदद से कोण बनाएं. अब इस कोण के बीच में सिर रखें. इसके बाद संतुलन बनाते हुए सिर से लेकर कूल्हे तक का हिस्सा सीधा करें और फिर पैरों को सिर के पास लाएं. अब संतुलन बनाते हुए दोनों पैरों को एक-एक करके छत की तरफ ले जाएं. इसी अवस्था में कुछ देर रहें. आप शुरुआत में दीवार की सहायता भी ले सकते हैं.
हलासन : यह आसन भी कुछ-कुछ सर्वांगासन की तरह होता है. बस इसमें पैरों को आसमान की तरफ नहीं, बल्कि सिर के ऊपर पीछे की तरफ ले जाना होता है. आप मैट पर कमर के बल लेट जाएं और हाथों को कमर के दोनों तरफ रख लें. अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को एक साथ उठाएं और सिर के पीछे जमीन पर टिकाएं. ध्यान रखें कि आपको घुटनों को मोड़ना नहीं है.
शवासन : यह आसन को योग और प्राणायाम करने के अंत में किया जाता है. ये शरीर की प्रत्येक मांसपेशी को आराम देता है। शवासन अनिद्रा, तनाव और एकग्रता के स्तर में सुधार लाता है। इस आसन को रात में अपने बिस्तर पर रिलैक्स होने के लिए भी कर सकते हैं।
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