दो साल पहले जब उनकी बेटी डेनिस ने चेरिल हफटन को अपना उद्यम शुरू करने के लिए 16 साल के स्कूल शिक्षक के रूप में नौकरी छोड़ने के लिए कहा, तो वह चौंक गई और थोड़ा चिंतित हुई। कई झगड़े और बहुत सारे आंसुओं के बाद, बेटी ने अपनी मां को अपना उद्यम शुरू करने के लिए मना लिया।
यह सक्सेस स्टोरी चेन्नई की चेरिल हफटन का है. चेरिल पहले स्कूल टीचर थीं लेकिन उन्होंने बाद में अपना बिजनेस शुरू किया और वे कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं. चेरिल की कंपनी का नाम ड्रीम वीवर्स है जिन्होंने अपना काम 500 रुपये में शुरू किया था। ड्रीम वीवर्स इकोफ्रेंडली टेक्सटाइल्स बनाती है। यह कंपनी महिलाओं के कपड़ों की डिजाइन करती है और बनाती है। ड्रीम वीवर्स के बनाए उत्पाद स्पा, ब्यूटी पार्लर में खूब इस्तेमाल होते हैं। इस कंपनी का प्रोडक्ट मुख्य रूप में डिस्पोजेबल होता है जिसे केवल एक बार इस्तेमाल किया जाता है।
500 रुपये में शुरू हुई ड्रीम वीवर्स कंपनी का टर्नओवर आज 25 लाख रुपये का है. कंपनी अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपना काम शुरू करने जा रही है। Rediff.com की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चेरिल ने अपना बिजनेस क्यों शुरू किया, इसका भी एक दिलचस्प वाक्या है। दरअसल एक शादी समारोह में चेरिल की बेटी डेनिस ने ईको-फ्रेंडली नैपकिन और अन्य सामान देखा और अपनी मां को बताया। चेरिल के दिमाग में उस दिन से बिजनेस का एक नया आइडिया घर कर गया। इस दिशा में वे आगे बढ़ गईं और आज सफल महिलाओं में एक हैं। चेरिल ने अपनी कंपनी की पहली इंप्लॉई अपनी मेड प्रेरणा को बनाया जो एक पैर से लाचार थी।
ड्रीम वीवर पर्यावरण के अनुकूल वस्त्र बनाता है। वे डिजाइन और ब्रा, जाँघिया, एप्रन, और अन्य वस्तुओं का उपयोग करते हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल डिस्पोजेबल सामग्री का उपयोग करते हुए, स्पा, ब्यूटी पार्लर, एट सेटेरा में उपयोग किए जाते हैं। ये एक बार के उपयोग के लिए हैं। उनके पास एक ही सामग्री पर अस्पताल में आवश्यक गाउन और अन्य ऑपरेशन थिएटर आपूर्ति को डिजाइन करने और बनाने की भी योजना है। चेरिल और डेनिस भी इवेंट मैनर्स हैं।
ऐसे शुरू हुआ काम
चेरिल मीडिल क्लास फैमिली से थीं, इसलिए इतना पैसा नहीं था कि कोई बड़ा काम शुरू कर सकें. शुरुआत महज 500 रुपये से हुई. किस्त पर सिलाई मशीन लाई गई और घर में ही लगा दिया गया. कच्चे माल के तौर पर मटीरियल काफी महंगे थे, इसलिए कुछ खरीदारी कर काम शुरू किया गया. कपड़े का पूरा रोल खरीदने का पैसा नहीं था, लेकिन छोटे पिस से ही काम की शुरुआत कर दी गई. चेरिल ने अपने काम में उन महिलाओं को जोड़ा जो परिवार में परेशान थीं या आर्थिक रूप से तंग थीं. इन महिलाओं ने काम के साथ-साथ ट्रेनिंग लेनी शुरू की और काम धीरे-धीरे बढ़ चला. चेरिल की बेटी ने इन महिलाओं को ट्रेनिंग देकर डिजाइन और कटिंग और सिलाई का काम सिखाया।
स्पा और ब्यूटी पार्लर के प्रोडक्ट
प्रोडक्ट ऐसे बनाए गए जो सस्ते हों और पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित भी. इसका खयाल रखते हुए चेरिल ने स्पा और ब्यूटी पार्लर में इस्तेमाल होने वाले डिस्पोजेबल आइटम बनाना और बेचना शुरू किया। प्रोडक्ट बिके इसके लिए चेन्नई के स्पा और ब्यूटी पार्लर में कांटेक्ट करना शुरू किया गया। शुरू में लोगों को हिचक थी और किसी तरह दो स्पा चेरिल का प्रोडक्ट लेने के लिए तैयार हुए। कई जगह मायूसी और झिड़की का भी सामना करना पड़ा लेकिन इरादे कुछ करने के लिए अटल थे, इसलिए इन बातों का असर नहीं पड़ा।
लाचार महिलाओं को सहारा
कंपनी शुरू करने के दूसरे महीने में 5 हजार का बिजनेस हुआ और इससे बड़ी खुशी मिली। मेहनत बनाए रखने का जज्बा भी मिला। क्लायंट को बताया गया कि कंपनी में काम करने वाली महिलाएं तंगहाली की शिकार हैं और उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं। बिजनेस बढ़ेगा तो उनका परिवार भी चलेगा, इसलिए प्रोडक्ट बिकने का मतलब है उन गरीब परिवारों की भलाई और भपण-पोषण। दूसरे महीने जो कमाई हुई उससे एक सेकेंड हैंड पावर मशीन खरीदी गई और उसे चेरिल के घर के बरामदे में लगाया गया।
ढाई लाख का मिला लोन
चेरिल को इस काम में भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट से आर्थिक मदद मिली। इस ट्रस्ट की सिफारिश पर इंडियन बैंक से चेरिल की कंपनी को ढाई लाख रुपये का लोन मिला। इस पैसे से और तीन मशीनें खरीदी गई। काम बढ़ाने के लिए ज्यादा वर्कर्स की जरूरत थी, इसलिए चेरिल ने अपने आसपास की उन महिलाओं को नौकरी दी जो बेसहारा थीं या आर्थिक रूप से कमजोर थीं। कंपनी का नाम हुआ और धीरे-धीरे ब्यूटी पार्लर से प्रोडक्ट के लिए फोन आने लगे। आज चेरिल की कंपनी में 8 मशीनें लगी हैं और 12 महिलाएं काम करती हैं। 12 महिलाएं रेगुलर बेसिस पर हैं जबकि 10 महिलाएं नॉन रेगुलर हैं। चेरिल की कंपनी अब गरीब महिलाओं के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोलने का विचार कर रही है।
चेरिल की इस कंपनी में आज 50 छोटे और 15 बड़े क्लायंट हैं जो माल खरीदते हैं। हिंदुस्तान लीवर का आयुष भी एक क्लायंट है। आज बड़े क्लायंट को हर महीने लगभग 2 लाख रुपये का माल बेचा जाता है। आज की तारीख में ड्रीम वीवर्स की कमाई सालाना 25 लाख रुपये तक पहुंच गई है। चेरिल की कंपनी की बातचीत दुबई की कंपनियों से भी चल रही है जहां माल सप्लाई करना है।
अब, नए उद्यमियों का सपना अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर कब्जा करना है। यहाँ चेरिल के शब्दों में उनकी असामान्य कहानी है और उन्होंने इसे कैसे बनाया।
ड्रीम वीवर्स से ईमेल पर संपर्क किया जा सकता है dream.weaver71@yahoo.com पर या 91 96001 53022 पर टेलीफोन पर !