आजकल आप भी टीवी या अन्य जानकारों के माध्यम से ऐसा सुनते होंगे कि निवेश के लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) अच्छा विकल्प है, जहां रिटर्न भी अच्छा मिलता है. वहीं शेयर बाजार की तुलना में जोखिम कम रहता है. लेकिन जरूरी नहीं है कि म्यूचुअल फंड बाजार की समझ सभी को हो. इसलिए निवेश करने से पहले म्यूचुअल फंड को जान लेना बहुत जरूरी है. इससे आपको निवेश के फैसले लेने में मदद मिलेगी. आइए जानते हैं क्या है म्यूचुअल फंड, इसकी कितनी कटेगिरी है, कितना रिटर्न मिल सकता है. साथ ही यह भी जानिए कि म्यूचुअल फंड में कैसे निवेश कर सकते हैं।
यदि आपने इससे पहले कभी investment किया है या करने की सोच रहे हैं तो आप इस लेख को पूरा पढ़ें। आज ज़्यादातर लोग निवेश तो करना चाहते है, लेकिन वास्तविक में उन्हें पता ही नहीं होता कि – वो अपने पैसे कहाँ निवेश करें, जिससे उन्हें अच्छा वापसी भी मिले और रिस्क भी कम हो। ऐसे में हम कई ऐसे प्लेटफार्म ढूँढ़ते हैं ताकि हम अपने पैसे को सही जगह पर निवेश कर सकें। ऐसे में हमें काफ़ी रिसर्च करने के बाद म्यूचुअल फंड के बारे में पता चलता है, जहाँ कम रिस्क के साथ – साथ अच्छा म्यूचुअल फंड ख़ासा रिटर्न भी मिलता है। में यदि आप दीर्घावधि में निवेश करें और आपको हानि हो ऐसा हो ही नहीं सकता।
मार्केट में 500 से भी अधिक स्कीम है, जिनमे आप पैसे लगा सकते है। फिर चाहे आप सबसे ख़राब स्कीम में ही क्यों न निवेश करे। इसमें आपको 10 – 15 % रिटर्न ज़रूर मिलता है। जो की FD से तो बैटर बेहतर ही रहता है। लेकिन जब बात आती है निवेश कि – तो हमें यह पता होना चाहिये कि – म्यूच्यूअल फण्ड क्या है ?और इसमें निवेश कैसे करें, तो चलिए जानने का प्रयास करते हैं
म्यूच्यूअल फण्ड क्या है
म्यूच्यूअल फण्ड निवेश करने का एक स्मार्ट जरिया होता है, जिससे लोग अपनी रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार निवेश कर सकते हैं। इसमें निवेशक अपने फंड को मैनेज करने के लिए एक AMC(asset management company) को एक्सपोजर प्रदान करती है ताकि AMC का फंड मैनेजर आपके पैसे से कई कंपनियों के शेयर्स खरीद करके इन्वेस्टमेंट कर सके। इसमें आपको एक साथ कई कंपनियों में इन्वेस्टमेंट करने का मौका मिलता है।म्यूच्यूअल फण्ड आपको केवल शेयर मार्केट में ही निवेश करने का मौका नहीं देता बल्कि कई अन्य तरह के इन्वेस्टमेंट का मौका देता है। इसमें आप इक्विटी म्यूचुअल फंड और डिप्ट म्यूचुअल फंड दोनों में निवेश कर सकते हैं। इन दोनों में निवेश किया हुआ पैसा सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के बॉन्ड में निवेश किया जाता है। जिससे आपके पैसे को लगभग बैंक की तरह ही निवेश की सुरक्षा मिलती है।
म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है ?
मान लीजिये आपको PAGEIND के 2 शेयर लेने है, जिसमे एक शेयर की कीमत 30,000 है तो ऐसे में अगर आपके पास 30,000 रूपए हैं तो आप केवल एक ही शेयर ले पाएंगे। तो इसके लिए AMC एक प्रकार की म्यूचुअल फंड स्कीम लॉन्च करती है, जिसमे कई इन्वेस्टर्स से फंड को इकठ्ठा किया जाता है और फिर उस पैसे को स्टॉक मार्केट में निवेश करने के लिए AMC एक स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट को हायर करती है, जिसे हम म्यूचुअल फंड मैनेजर के नाम से भी जानते हैं।
यह म्यूचुअल फंड मैनेजर काफी रिसर्च करके आपके पैसे को बहुत सारे कंपनियों में इन्वेस्ट कर देता है। जिससे आपके पैसे को छोटे-छोटे अमाउंट को कई सारी कंपनियों में इन्वेस्ट कर दिया जाता है, जिससे की कई कंपनियों में से यदि कुछ कंपनियों के शेयर्स का प्राइस गिर भी जाय तो भी अन्य जगह लगाए गए आपके पैसे पर कोई असर न पड़े। अर्थात नुकसान हुए पैसे के रिकवरी की जा सके।
इसमें आप जितना ज्यादा लॉन टर्म म्यूचुअल फंड खरीदी करते हैं, आपको उतना ही अच्छा रिटर्न प्राप्त होता है। क्योंकि समय के साथ महंगाई भी बढ़ जाती है। जिससे स्टॉक्स की प्राइस बढ़ जाती है और आपको अच्छा खासा रिटर्न प्राप्त होता है। इसमें रिस्क न के बराबर होता है।
इसमें यदि आपने बहुत ही ख़राब म्यूचुअल फंड स्कीम को भी सेलेक्ट किया है, फिर भी आपको 15-20 % मिनिमम रिटर्न जरूर मिल जाता है। जो की बैंक में किये हुए FD (Fixed Deposit) से बेहतर होता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें ?
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए सबसे पहले आपके पास एक डीमैट एकाउंट होना जरुरी है। इसके बाद आपको एक सही म्यूचुअल फंड स्कीम को चुनना होता है। तो सही म्यूचुअल फंड स्कीम चुनने के लिए आप नीचे दिए हुए वेब लिंक पर क्लिक करके अपना डीमैट एकाउंट ओपन कर ले।
जिसके बाद ही आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए योग्य हो पाते हैं। इसके बिना आप किसी भी प्रकार से म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं कर सकते।
इसके बाद आपको सही म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए स्कीम ऑटोमैटिक शो हो जाती है, जिससे आप बड़ी आसानी से म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।
आप किसी म्यूचुअल फंड की वेबसाइट से सीधे निवेश कर सकते हैं. अगर आप चाहें तो किसी म्यूचुअल फंड एडवाइजर की सेवा भी ले सकते हैं.
अगर आप सीधे निवेश करते हैं तो आप म्यूचुअल फंड स्कीम के डायरेक्ट प्लान में निवेश कर सकते हैं. अगर आप किसी एडवाइजर की मदद से निवेश कर रहे हैं तो आप रेगुलर प्लान में निवेश करते हैं.
अगर आप सीधे निवेश करना चाहते हैं तो आपको उस म्यूचुअल फंड की वेबसाइट पर जाना पड़ेगा. आप उसके दफ्तर में भी अपने दस्तावेज के साथ जा सकते हैं.
डायरेक्ट प्लान में निवेश करने का फायदा यह है कि आपको कमीशन नहीं देना पड़ता है. इसलिए लंबी अवधि के निवेश में आपका रिटर्न बहुत बढ़ जाता है.
डीमैट एकाउंट ओपन
जब आपका डीमैट एकाउंट ओपन हो जाता है या फिर डीमैट एकाउंट ओपन करने में किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो आप contactallhindime@gmail.com पर अपनी प्रॉब्लम को मेल कर सकते हैं। जिसके के माध्यम से आपको एक गाइडर एलॉट होगा, जो आपको बिना किसी मूल्य के पूरी तरह से गाइड करेगा। जो बिलकुल फ्री है।
नोट :- मेल में आपको अपना पूरा नाम, शहर, मोबाइल नंबर, उम्र और डीमैट एकाउंट ओपन करने से सम्बंधित जो प्रॉब्लम आ रही है, उसे जरूर लिखे। यदि आपसे मेल करते नहीं बनता तो आप इस फॉर्म को भरे।
जब आपका यूज़र आईडी और पासवर्ड जनरेटर हो जाता है, तब आप इन्वेस्टमेंट गाइडेंस के अनुसार भी मेल कर सकते हैं।
जब आपका डीमैट एकाउंट ओपन हो जाता है तब आप बड़ी आसानी से आप अपना लक्ष्य, स्टॉक निवेश, म्यूचुअल फंड, एसआईपी, लमसम, बीमा, पोर्टफोलियो प्रबंधन के लिए वित्तीय योजना कर सकते हैं।
यदि आपके पास पहले से ही डीमैट एकाउंट है तो आप इस फॉर्म को जरूर भरे।
एसआईपी/लमसम म्यूचुअल फंड निवेश
म्यूचुअल फंड में आप SIP और लमसम के द्वारा भी निवेश कर सकते हैं। SIP (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) यानी आप महीने के क़िस्त द्वारा क़िस्त अर्थात एक छोटा-सा प्रति माह राशि निवेश कर सकते हो। यह सुविधा इसलिए प्रदान कराई जाती है कि मान लीजिये आपके पास इकठ्ठा इन्वेस्टमेंट करने के लिए फंड नहीं है तो आप थोड़ा-थोड़ा फंड भी मासिक किस्त के रूप में जमा कर सकते हैं। इसमें आपके द्वारा जमा किया हुआ फंड और उस फंड से प्राप्त हुआ वापसी आपको एक साथ मिल जाता है।
लमसम के जरिये आप एक साथ म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और आपके द्वारा चयन किये हुए समयावधि के अनुसार आपको रिटर्न प्राप्त होता है।
म्यूचुअल फंड के प्रकार
ग्रोथ/ इक्विटी म्यूचुअल फंड: इक्विटी म्यूचुअल फंड में रकम का ज्यादा हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता है. इसी वजह से इसमें रिस्क भी ज्यादा होता है. इस स्कीम में निवेशकों को दो विकल्प दिए जाते हैं, या तो वो डिविडेंड स्कीम चुनें या कैपिटल ग्रोथ. इस ऑप्शन को वो बाद में बदल भी सकते हैं. लंबे समय के लिए निवेश करने के लिए ये अच्छा ऑप्शन है. इन फंडों में 10 साल का औसत रिटर्न 12 से 15 फीसदी हो सकता है.
कटेगिरी: लॉर्जकैप फंड, मल्टीकैप फंड, लॉर्ज एंड मिडकैप फंड, मिडकैप फंड, स्मालकैप फंड, ईएलएसएस, सेकटोरल फंड
डेट/इनकम स्कीम: डेट फंड उनके लिए अच्छा विकल्प है जो ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते हैं और एक नियमित और स्थिर आय चाहते हैं. इस स्कीम में ज्यादातर रकम बॉन्ड्स, कंपनियों के डिबेंचर और सरकारी सेक्युरिटी में निवेश किया जाता है. क्योंकि ये सब डेट की तरह होते हैं, इसलिए मार्केट की अस्थिरता का इसपर कोई असर नहीं होता. इन सभी विकल्पों से निवेशकों को एक नियमित आय मिलती है. इसमें इक्विटी के मुकाबले आय कम होती है लेकिन रिस्क भी कम होता है. इन फंडों में 10 साल का औसत रिटर्न 8 से 10 फीसदी हो सकता है.
कटेगिरी: अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, मीडियम ड्यूरेशन फंड, लांग ड्यूरेशन फंड, लिक्विड फंड
बैलेंस्ड फंड/ हाइब्रिड स्कीम: जैसा नाम से ही पता चल रहा है, ये फंड्स बैलेंस्ड होते हैं. इन फंड्स में इक्विटी और डेट्, दोनों में निवेश किया जाता है. ताकि निवेशकों की इनकम बढ़ने के साथ-साथ उन्हें नियमित आय भी मिलती रहे. ये डॉक्युमेंट में पहले ही बता दिया जाता है कि, आपका कितना पैसा किस स्कीम में निवेश किया जाएगा. ये आमतौर पर 40:60 का रेश्यो होता है. इस सेग्मेंट की बात करें तो पिछले 10 साल में औसत रिटर्न डबनल डिजिट में हो सकता है.
सॉल्यूशन ओरिएंटेड स्कीम: इस स्कीम किसी खास लक्ष्य या समाधान के हिसाब से बनी होती हैं. इनमें रिटायरमेंट स्कीम या बच्चे की शिक्षा जैसे लक्ष्य हो सकते हैं. इन स्कीम में आपको कम से कम पांच साल के लिए निवेश करना जरूरी होता है.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. म्यूच्यूअल फण्ड के फायदे क्या है ?
म्यूचुअल फंड में आपको छोटे रकम में भी ज्यादा विविधता अर्थात ज्यादा कंपनियों में निवेश करने का मौका मिलता है और आपके पैसे को एक विशेषज्ञ मैनेजर मैनेज करता है। जो की खुद से मैनेज करना थोड़ा मुश्किल भरा काम होता है। इसमें आपका पैसा एक साथ लगता है, जिससे बार-बार लेन – देन की आवश्यकता नहीं होती। साथ ही आपको इसमें SIP के द्वार भी निवेश करने का मौका मिलता है।
2. म्यूच्यूअल फण्ड के नुक्सान
बहुत सी AMC कंपनियां आपके फंड को मैनेज करने के लिए स्टॉक एक्सपर्ट्स को सैलरी बेस्ड हायर करती है, जिससे वे अपना एक व्यय अनुपात शुल्क करती है, जो कि 1-2 % हो सकता है। म्यूचुअल फंड का r रिटर्न अच्छा या बुरा ही क्यों न हो, वे अपना expense ratio जरूर लेती हैं।
मार्केट क्रैश के वक्त भी यदि निवेशक अपना पैसा निकालना चाहे तो फंड मैनेजर लॉस ही आपके शेयर्स को निकाल के आपके फंड को withdraw कर देता है। जबकि market crash होने के वक्त fund manager को और भी ज्यादा shares को खरीदने के लिए fund की आवश्यकता पड़ती है। क्योंकि shares की price गिरी हुई होती है।
म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले जान लें ये जरूरी बातें
अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो इस बात का जोखिम नहीं ले सकते कि आपके निवेश की वैल्यू में गिरावट आ जाए,. आपको वैसे फंड चुनने होंगे जिनमें रिटर्न और रिस्क में संतुलन रहे.
1.म्यूचुअल फंड का चुनाव
सबसे पहले तो आपको ये तय करना है कि आप किस मकसद से निवेश करना चाहते हैं तो आप कितना निवेश कर सकते हैं और कितने समय के लिए इसमें बने रह सकते हैं. अगर आपको साल-दो साल के लिए निवेश करना है, तो उसके लिए अलग म्यूचुअल फंड होंगे. अगर आपको पांच, सात या दस साल या इससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करना है, तो उसके लिए दूसरे म्यूचुअल फंड होंगे. अगर आप छोटी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आप डेट फंड या लिक्विड फंड चुन सकते हैं. लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड सही रहेंगे.
2. जोखिम लेने की क्षमता
यह तय करें कि आप इस निवेश के लिए कितना जोखिम ले सकते हैं. ज्यादा रिटर्न के लिए ज्यादा जोखिम लेना पड़ता है. लेकिन निवेश में सिर्फ रिटर्न ही नहीं आपकी पूंजी यानी कैपिटल का प्रोटेक्शन भी होना चाहिए. मसलन, अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो इस बात का जोखिम नहीं ले सकते कि आपके निवेश की वैल्यू में गिरावट आ जाए,. आपको वैसे फंड चुनने होंगे जिनमें रिटर्न और रिस्क में संतुलन रहे.
3. फंड का पिछला प्रदर्शन जरूर देखें
जरूरी नहीं है कि फंड पहले दिए गए रिटर्न की तरह आगे भी रिटर्न देता रहेगा. इस बात की गारंटी नहीं होती कि अगर किसी फंड ने अब तक अच्छा परफॉर्म किया है तो आगे भी उसका परफॉर्मेंस वैसा ही रहेगा. लेकिन अलग-अलग फंड्स के पिछले प्रदर्शन से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किसमें निरंतरता है. उसके प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव बाजार और इकोनॉमी से बहुत अलग तो नहीं हैं. इससे आपको अपनी पसंदीदा स्कीम और म्युचुअल फंड चुनने में मदद मिलेगी. आप अलग-अलग रेटिंग एजेंसियों की इन फंड्स को दी गई रेटिंग भी देख सकते हैं
4. खर्चों पर नजर डालें
किसी भी म्यूचुअल फंड को चुनते वक्त ये जरूर देखें कि उसमें निवेश से जुड़े खर्च क्या हैं. जिन खर्चों को आपको देखना होगा, वो हैं एंट्री और एक्जिट लोड, एसेट मैनेजमेंट चार्ज, एक्सपेंस रेश्यो. एसेट मैनेजमेंट चार्ज और एक्सपेंस रेश्यो भी जरूर देखें क्योंकि ये सारे खर्च आपके फायदे को कम कर देते हैं. 1.5 फीसदी तक का एक्सपेंस रेश्यो किसी म्यूचुअल फंड के लिए वाजिब माना जाता है, लेकिन इससे ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड में निवेश से बचें.
5. फंड हाउस और मैनेजर का रिकॉर्ड
जिस म्यूचुअल फंड स्कीम में आप पैसा लगाने जा रहे हैं, उस स्कीम को लाने वाली कंपनी और उसकी देखरेख करने वाले मैनेजर का रिकॉर्ड चेक करना भी काफी अहम है. फंड हाउस कितने समय से काम कर रहा है, उसकी दूसरी स्कीमों का परफॉर्मेंस कैसा रहा है और कंपनी की साख बाजार में कैसी है. ये सारी जानकारी आपको किसी भी म्यूचुअल फंड कंपनी, जिसे एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) भी कहते हैं, की वेबसाइट पर मिल जाएगी. कई वेबसाइट हैं, जहां आप किसी भी फंड के परफॉर्मेंस, रेटिंग, पोर्टफोलियो वगैरह की जानकारी हासिल कर सकते हैं. थोड़ा सा समय दीजिए और फिर अपनी जरूरतों के मुताबिक फंड चुनकर निवेश शुरू कर दीजिए.
म्यूचुअल फंड में जोखिम न के बारबर होता है। इसलिए आप इसके माध्यम से अपने को plan कर सकते हैं। इससे आपको एक बहुत बढ़िया return प्राप्त होता है, जो को भविष्य में आपकी जरूरतों को पूरा करने में काफी मददगार साबित होता है। इसलिए आप भी mutual fund के जरिये अपनी investment journey start कर सकते हैं।