भूरे अंडे और सफेद अंडों में क्या फर्क है? इसमें आपके लिए कौन सा फायदेमंद है, क्या दोनों में से कोई अंडा अधिक अच्छा या खराब है, ऐसे कई सवाल लोगों के जहन में समय-समय पर आते रहते हैं। हालांकि अधिकतर लोगों को मालूम है कि भूरे अंडे देशी होते हैं और सफेद अंडे विदेशी, फिर भी उनके गुणों की जानकारी प्रायः लोगों को नहीं होती।
अंडा खाना सेहत के लिए अच्छा होता है ये प्रोटीन का सबसे बड़ा स्त्रोत होता है। इसमें कैल्शियम भी प्रचुर मात्रा में होता है। जो आपके मसल्स के साथ हड्डियों के लिए बेहद फायदेमंद पाया जाता है। वैसे तो बाजार में सफेद अंडे आपने ज्यादा खाया होगा लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि देसी अंडे यानी ब्राउन एग, व्हाइट एग की तुलना में ज्यादा हेल्दी होते हैं।
कई लोग सोचते हैं कि जिस तरह से ब्राउन राइस, ब्राउन शुगर और ब्राउन ब्रेड ज्यादा हेल्दी होता है, उसी तरह ब्राउन एग भी सेहत के लिए लाभदायक होता है। तो चलिए आपको इस बारे में हम विस्तार से बताते हैं।
दोनों अंडों में अंतर
डाइटिशियन का कहना है कि अंडा दो तरह का होता है।
1. देसी
2. पोल्ट्री
देसी अंडे ब्राउन रंग के होते हैं। जबकि पोल्ट्री के अंडे सफेद रंग के होते हैं। कई लोगों का मानना है कि ब्राउन अंडा, व्हाइट अंडे से ज्यादा हेल्दी होता है इसलिए लोग इन्हें खाना ज्यादा पसंद करते हैं। वहीं ब्राउन अंडे में प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल और कैलोरी की मात्रा भी अधिक होती है। यही कारण है कि देसी अंडा थोड़ा महंगा भी मिलता है। स्वाद की बात करें तो इनके स्वाद में सामान्य सा अंतर होता है। ब्राउन अंडे के पीले हिस्सा सफेद अंडे की तुलना में थोड़ा गहरा रंग का होता है।
महंगा मिलता है देशी अंडा
देशी और विदेशी अंडे में मुख्य भेद उसके रंग का ही है। लोगों में आम धारणा है कि भूरे अंडों में ताकत होती है, इसलिए विक्रेता भी इनके अधिक दाम लेते हैं। पोल्ट्री फार्मों में तो अक्सर मुर्गियों को ऐसी दवाइयां दी जाती है कि वो अधिक से अधिक अंडे दें।
क्या ब्राउन अंडा है ज्यादा पौष्टिक?
एक रिसर्च के अनुसार, सभी अंडे साइज और कलर के बावजूद पौष्टिक रूप से एक जैसे होते हैं। सभी अंडों में लगभग एक बराबर ही विटामिन, मिनरल, प्रोटीन और कैलोरी होती है। अंडे के रंग से उसके पौष्टिक तत्वों पर कोई असर नहीं पड़ता।
दोनो अंडों में है समान पोषक तत्व
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि दोनो अंडों से मिलने वाले पोषक तत्वों में कोई बहुत बड़ा फर्क नहीं है. आम तौप पर ये दोनो एक जैसे ही हैं, बस ब्राउन अंडों में केमिकल और कृत्रिम हार्मोन की अनुपस्थिति होती है, इसलिए उन्हें थोड़ा अधिक हेल्दी माना गया है।
अंडा कैसे चुनें?
भले ही अंडे के पौष्टिक तत्वों का फर्क उसके कलर से ना पड़े लेकिन मुर्गियों की डाइट से अंडों की पौष्टिकता पर असर पड़ता हैं। सूर्य के संपर्क में रहने वाली और अच्छा खाने वाली मुर्गियों के अंडों में सभी पोषक तत्व होते हैं। जबकि बंद कमरे और सही आहार ना मिल पाने वाली मुर्गियों के अंडों में कम पोषक तत्व होते हैं।
कब और कैसे खाना चाहिए अंडा?
रोजाना 2 उबले हुए अंडे खाने से शरीर को कई बीमारियों से बचाया जा सकता हैं। सुबह के समय अंडे खाने से पूरे दिन शरीर में एनर्जी बनी हुई रहती हैं। जिम जाने वाले लोगों को तो अंडे का सेवन करना ही चाहिए। कच्चे अंडे को दूध में मिलाकर पीने से कई समस्याएं दूर होती है। इतना ही नहीं, कच्चे अंडे की जर्दी (एग योक) का सेवन भी आपको कई गंभीर बीमारियों से बचाता हैं।
भूरे अंडो में मिलावट करना आसान
मार्केट विशेषज्ञों की माने तो सफेद अंडो की अपेक्षा भूरे अंडो में मिलावट करना ज्यादा आसान है। बाजार में मिलने वाले देसी अंडो को अधिक भूरा और चमकदार बनाने के लिए ब्राउन कलर का इस्तेमाल किया जाता है।
बॉयलर को ही बना देते हैं देसी अंडे
दरअसल, मिलावटीखोरी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि लोग हर किसी चीज में मिलावट कर बेचने लगे हैं. कुछ ऐसा अंडों के साथ किया जा रहा है। बॉयलर अंडों को ही कुछ केमिकल और पानी में चायपत्ती मिलाकर बॉयलर अंडों को रंगकर देसी बना दिया जाता है।
नकली और असली में पहचान
अंडों में नकली और असली का पहचान करने के लिए उन्हें टच करके देखें, अगर अंडों की ऊपरी परत रूखी है तो इसके नकली होने की संभावना बढ़ जाती है।
ध्यान रहे कि अंडो का ऊपरी परत स्मूद और समतल होना चाहिए, वहीं अंडे अगर ज्यादा चमकदार और साफ दिखाई दे रहे हैं, तो सावधानी से उन्हें खरीदें. ऐसे अंडे अक्सर नकली होते हैं।
अंडों को हिलाकर देखने पर अगर आवाज आ रहा है, तो वो नकली है. असली अंडे आवज नहीं करते हैं।
देसी अंडों की पहचान के लिए यूं तो कोई मशीन नहीं है, लेकिन कुछ तरीके हैं जिनसे आप देसी अंडों की सही पहचान कर सकते हैं।
देसी अंडे भूरे रंग के होते हैं. इनका रंग हल्का भूरा न होकर गाढ़ा भूरा होता है. जिनसे इन्हें पहचाना जा सकता है।
मिलावट वाले देसी अंडे रंग में हल्के भूरे और साइज में बॉयलर के बराबर आकार के होंगे. यहीं से आप इन्हें पहचान सकते हैं कि ये नकली हैं।
देसी अंडे बॉयलर अंडों से आकार में छोटे होते हैं. इन अंडों की स्किन हल्की खुरदुरी होगी।
देसी अंडे की बाहरी परत दूसरे अंडे की तुलना में मजबूत होती है. जबकि अगर बॉयलर अंडों में कलर किया गया हो तो भी वे कमजोर होंगे. आप इन्हें दबाकर भी चेक कर सकते हैं।
बाजार में मिलने वाले या फिर टोकरी वालों से खरीदे गए देसी अंडों को सूंघकर इन गंध से भी पहचाना जा सकता है. अगर इन अंडों में चायपत्ती की खुशबू आए तो समझ जाइए ये मिलावटी व नकली अंडे हैं।
अगर आप देसी अंडे की पहचान करना चाहते हैं तो इन पर नींबू का रस डालें. चायपत्ती का रंग आसानी से निकल जाएगा।
आप चाहें तो टूथपेस्ट या वाइट विनेगर देसी अंडों पर लगाकर पोछें. अगर नकली होंगे तो इनमें लगा चायपत्ती या केमिकल का रंग आसानी से निकल जाएगा।
देसी अंडे का स्वाद सफेद अंडे के स्वाद से बिलकुल अलग होता है. देसी अंडे का स्वाद थोड़ा खारा या नमकीन होता है. जबकि सफेद अंडे का स्वाद फीका होता है. नियमित अंडे खाने वाले इस फर्क को आसानी से पहचान सकते हैं।