किडनी (Kidney) हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। हिंदी में इसे गुर्दा कहा जाता है, जो शरीर में मौजूद रक्त को फिल्टर करने और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करती है। किडनी के अतिरिक्त कार्यों में रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन पर प्रभाव और मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन डी के मेटाबॉलिज्म का जिम्मा भी होता है। हमारे शरीर में दो किडनी होती हैं, जो कि कमर के ठीक ऊपर स्पाइन के दोनों तरफ स्थित होती हैं। किडनी की बीमारी के कारण आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जो कि गंभीर होने पर जानलेवा भी साबित हो सकती है।
किडनी का मुख्य कार्य रक्त शोधन करना है। सरल और आसान शब्दों में कहें तो किडनी का कार्य रक्त से पानी और नमक का शोधन (छानना) करना है। साथ ही किडनी शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों को सुरक्षित रखती है और डिटॉक्स यानी खराब चीजों को बाहर निकाल देती है। गलत खानपान और खराब दिनचर्या के चलते कई बार किडनी में पथरी का निर्माण हो जाता है। पथरी से कमर और पेट में तेज पीड़ा और मूत्र संचालन में बाधा आती है। इसके लिए किडनी को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। शरीर में किडनी का स्वास्थ्य ठीक होने पर कई शारीरिक कार्य सही तरीके से होते हैं। आइए, जानते हैं कि किडनी शरीर में मुख्य रूप से क्या-क्या करती हैं और यह क्यों जरूरी है, इसका स्वस्थ रहना।
बॉडी में किडनी क्यों है महत्वपूर्ण?
किडनी का प्रमुख कार्य बॉडी से कचरे को निकालना और ब्लड से अतिरिक्त पानी को लेना होता है। यह हमारे यूरिनरी ट्रैक्ट का हिस्सा होते हैं, जो तरल कचरा (लिक्विड वेस्ट) बनाते हैं और बॉडी से बाहर निकालते हैं। यह किसी कार्य के एक्सहॉस्ट सिस्टम की तरह कार्य करता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि बॉडी से कचरा बाहर की तरफ प्रवाहित हो। यूरिनरी ट्रैक किडनी, यूरेटर्स (Ureters) यह एक पतली ट्यूब होती है, जो दोनों किडनी में लगी होती है। यह ब्लैडर तक यूरिन लेकर जाती है। यूरेथ्रा (Urethra) ब्लैडर से यूरिन को बॉडी से बाहर निकालने वाली ट्यूब होती है। इन सभी अंगों में यदि बैक्टीरिया या इन्फेक्शन फैल जाता है तो इसे यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन कहा जाता है।
किडनी के संक्रमण के ज्यादातर मामलों में आपके ब्लैडर में सबसे पहले संक्रमण फैलता है। आमतौर इसमें दर्द होता है, लेकिन यह गंभीर नहीं होता है। यदि बैक्टीरिया यूरेटर्स (Ureters) तक बैक्टीरिया पहुंच जाते हैं तो आपको किडनी इन्फेक्शन हो जाता है। उचित इलाज के आभाव में यह किडनी का संक्रमण जानलेवा हो सकता है।
किडनी की बीमारी से पहले जानें ये क्यों जरूरी है?
किडनी पाचन, मसल्स एक्टिविटी और दवाई या कैमिकल के संपर्क में आने के बाद रक्त से वेस्ट मटेरियल बाहर निकालने में मदद करती है।
शरीर में मौजूद खून में पानी और सोडियम, पोटैशियम और फोस्फोरस के संतुलन को बनाने में मदद करती है।
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के लिए जरूरी रेनिन (Renin) का उत्पादन करती है।
स्वस्थ और मजबूत हड्डियों के लिए जरूरी विटामिन-डी (Vitamin D) का मेटाबॉलिज्म करके उसे सक्रिय रूप में लाती है।
किडनी या गुर्दा अरिथ्रोपोइटिन (Erythropoietin) नाम के केमिकल का उत्पादन भी करती है, जो शरीर को रेड ब्लड सेल्स (RBC) का उत्पादन करने के लिए संकेत भेजता है।
किडनी की बीमारी या गुर्दा खराब होने से क्या होता है?
जब आपको किडनी की बीमारी या गुर्दा खराब होने लगता है, तो शरीर के वेस्ट मटेरियल और फ्लूड बाहर नहीं निकल पाते और अंदर ही जमा होने लगते हैं, जिससे शरीर में या किडनी में इंफेक्शन होने का खतरा भी बना रहता है। इसकी वजह से टखनों में सूजन, जी मिचलाना, शारीरिक कमजोरी, अस्वस्थ नींद और सांस फूलने की समस्या होने लगती है। इसके अलावा, शरीर में पानी और मिनरल्स का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे आपका खून स्वस्थ नहीं रहता। दूसरी तरफ, गुर्दा विटामिन-डी का मेटाबॉलिज्म नहीं कर पाता और हड्डियों को पर्याप्त पोषण न मिलने के कारण हड्डियों (Bone) की समस्या भी हो सकती है। यह सभी समस्या गंभीर रूप लेने के बाद जानलेवा साबित हो सकती हैं।
किडनी की बीमारी होने का खतरा कब बढ़ जाता है?
किडनी की बीमारी या गुर्दा खराब होने का खतरा निम्नलिखित स्थितियों में बढ़ जाता है। जैसे-
अगर आपका ब्लड प्रेशर हाई रहता है, तो यह किडनी (Kidney) के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे किडनी की बीमारी (Kidney disease) हो सकती है।
इसके अलावा, अगर आपकी फैमिली में किसी को पहले या अभी क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease) है, तो जेनेटिक फैक्टर के कारण आपको यह समस्या होने की आशंका हमेशा बनी रहती है।
अगर आपको डायबिटीज (Diabetes) है, तो आपको किडनी की बीमारी होने का खतरा होता है।
दिल की बीमारी (Heart problem) शरीर में ऑक्सिजन युक्त रक्त का उत्पादन नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, जिसके कारण धीरे-धीरे किडनी की समस्या भी बन सकती है।
मोटापा (Obesity) शरीर में कई बीमारियों के पनपने का कारण बन सकता है और यह सीधे आपकी किडनी के स्वास्थ्य पर भी असर डालता है।
किडनी की बीमारी कौन-कौन सी हो सकती है?
क्रोनिक किडनी डिजीज : क्रोनिक किडनी डिजीज गुर्दे की बीमारी का सबसे आम प्रकार है। यह बीमारी मुख्य रूप से हाई ब्लड प्रेशर के कारण होता है, जो कि काफी लंबे समय तक ठीक नहीं हो पाती है। हाय ब्लड प्रेशर आपकी किडनी में मौजूद छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त प्रेशर डालता है। इन रक्त वाहिकाओं को ग्लोमेरुली कहा जाता है, जो शरीर में खून की सफाई करती हैं। लंबे समय तक यह प्रेशर रहने के कारण किडनी डैमेज हो जाती है और अपना कार्य करना बंद कर देती है। जिसके बाद मरीज को डायलिसिस पर जाना पड़ता है। डायलिसिस में शरीर के खून से अतिरिक्त फ्लूड और वेस्ट मटेरियल को बाहर निकाला जाता है। डायलिसिस किडनी की स्थिति सुधारने में मदद करती है, लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं कर सकती। जरूरत पड़ने पर किडनी ट्रांसप्लांट का विकल्प उपयोग में लाया जा सकता है।
इसके अलावा, मधुमेह भी क्रोनिक किडनी डिजीज का बड़ा कारण है। जिससे शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। हाई ब्लड शुगर भी लंबे समय रहने पर किडनी की इन रक्त वाहिकाओं को खराब कर सकते हैं।
किडनी में पथरी : किडनी में पथरी या गुर्दे की पथरी होने भी बड़ी समस्या है। किडनी में पथरी की समस्या तब बनती है, जब मिनरल और अन्य तत्व सही तरीके से अवशोषित नहीं हो पाते और क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगते हैं। किडनी स्टोन आमतौर पर पेशाब (Urine) के सहारे शरीर से बाहर निकल आते हैं, लेकिन कई बार यह आकार में बड़े होने के कारण बहुत दर्द करते हैं और किडनी स्टोन (Kidney stone) का उचित इलाज मांगते हैं।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन : यूरिनरी सिस्टम के किसी भी हिस्से में बैक्टीरियल संक्रमण होने को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) कहा जाता है। इन बीमारियों में ब्लैडर या यूरेथ्रा में संक्रमण होना आम है। इन बीमारियों का इलाज आसानी से किया जा सकता है और इनके फैलने की आशंका बहुत कम ही होती है, लेकिन अगर इनका इलाज नहीं किया गया, तो यह इंफेक्शन फैलकर किडनी फैलियर भी कर सकते हैं।
किडनी की बीमारी का इलाज क्या है?
किडनी की बीमारी का इलाज उसके प्रकार पर निर्भर करता है। आइए, जानते हैं कि गुर्दे की बीमारी के इलाज के क्या-क्या विकल्प हैं।
दवाइयां : अगर आपको क्रोनिक किडनी डिजीज हैं, तो इसके होने का सबसे संभावित कारण हाय ब्लड प्रेशर होता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाइयों का सुझाव दे सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर यूरिन में प्रोटीन की मात्रा कम करने के लिए दवाई दे सकता है, जो कि किडनी को स्वस्थ करने में मदद करती है।
दवाइओं से दूरी : कुछ ओवर द काउंटर दवाई या कुछ दवाइयां आपकी किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। ऐसी स्थिति में अगर आपके द्वारा ली जा रही कोई दवाई आपकी किडनी पर प्रभाव डाल रही है, तो डॉक्टर उन दवाइयों को बंद कर सकता है।
डायट : आप किडनी की बीमारी को सही करने के लिए अपनी डायट को भी सुधार सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी डायट में सोडियम, प्रोटीन, पोटैशियम और फोस्फेट की मात्रा कम करनी होगी। ऐसा करने से आपकी किडनी को इन मिनरल को नियंत्रित करने या शरीर से बाहर निकालने में अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ती है। जिससे किडनी पर प्रेशर कम होता है और वह थोड़े समय में स्वस्थ होने लगती है। इसके अलावा, आपको अपने आहार में पानी की मात्रा को भी संयमित करना होता है। किडनी के लिए स्वस्थ डायट बनाने में आप किसी डायटीशियन की मदद भी ले सकते हैं।
डायलिसिस : जब किडनी सही से कार्य नहीं कर पाती, तो आपको डायलिसिस (Dialysis) की जरूरत हो सकती है। डायलिसिस में आपके शरीर में मौजूद अतिरिक्त फ्लूड और वेस्ट मैटीरियल निकाला जाता है, जिसे किडनी नहीं निकाल पाती। लेकिन, डायलिसिस की मदद से आप किडनी पर दबाव कम कर सकते हैं, लेकिन उसका इलाज नहीं कर सकते।
किडनी ट्रांसप्लांट : जब किडनी की बीमारी गंभीर हो जाती है और किडनी फेलियर (Kidney failure) हो जाता है, तो आपका डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सुझाव दे सकता है। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आप किसी फैमिली मेंबर या अन्य किसी अनजान व्यक्ति या फिर किसी मृत ऑर्गन डॉनर से किडनी ले सकते हैं, लेकिन यह सिर्फ किडनी दान करने की स्थिति में ही किया जा सकता है।
ध्यान रहे कि भारत में किडनी की खरीद फरोख्त करना कानूनी अपराध है और इसके लिए भारतीय दंड संहिता में सजा का प्रावधान है।
किडनी की बीमारी को दूर करने के टिप्स
किडनी या गुर्दे की बीमारी का खतरा दूर करने के लिए आप इन टिप्स की मदद भी ले सकते हैं। जैसे-
* नियमित एक्सरसाइज (Workout) करें। जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और क्रोनिक किडनी डिजीज का खतरा कम होता है।
* शरीर में मौजूद ब्लड शुगर का स्तर संयमित रखें और नियमित जांच करते रहें।
* पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन करें।
* स्मोकिंग (Smoking) न करें।
* ओवर द काउंटर (OTC) दवाओं का सेवन न करें।
* अगर आपको किडनी की बीमारी का खतरा है, तो इसकी नियमित जांच करवाते रहें।
* किडनी से जुड़ी बीमारियों में क्या करें और क्या ना करें? जानने के लिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।
किडनी इन्फेक्शन क्या है? जानिए इसके लक्षण, कारण और इलाज
किडनी इन्फेक्शन एक ऐसी समस्या है, जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। किडनी इन्फेक्शन आपकी किडनी से जुड़ा होता है। किडनी शरीर का एक ऐसा अंग हैं, जो यूरिन पास करने के पूरे तंत्र को नियंत्रित करता है। किडनी इंफेक्शन होने कि स्थिति में आपको कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में किडनी इन्फेक्शन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताएंगे।
किडनी इन्फेक्शन क्या है?
किडनी इन्फेक्शन एक प्रकार का यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन (UTI) है, जो आमतौर पर यूरेथ्रा या ब्लैडर से शुरू होता है और एक या दोनों किडनी तक पहुंच जाता है। किडनी इन्फेक्शन होने पर तत्काल चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ती है। किडनी इन्फेक्शन का समुचित इलाज न होने पर यह स्थाई रूप से किडनी डैमेज कर देता है। इसके अतिरिक्त, किडनी का संक्रमण होने पर बैक्टीरिया आपकी ब्लड स्ट्रीम में पहुंच सकता है, जिससे जानलेवा संक्रमण हो सकता है। किडनी इन्फेक्शन के इलाज में आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाइयां दी जाती हैं। कई बार किडनी इन्फेक्शन होने पर अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है।
किडनी इन्फेक्शन के लक्षण
किडनी इन्फेक्शन के लक्षण निम्नलिखित हैं:
* यह समस्या होने पर आपके पेशाब में ब्लड या पस आ सकता है।
* यह दिक्कत होने पर आपको बुखार और सर्दी लग सकती है।
* यदि आपको किडनी का संक्रमण हुआ है तो आपको भूख नहीं लगेगी।
* लोअर बैक, साइड या ग्रोइन में दर्द
* पेट दर्द या उल्टी
* कमजोरी या थकावट
* उपरोक्त लक्षणों के अलावा आपको ब्लैडर इन्फेक्शन के लक्षण भी नजर आ सकते हैं।
* यूरिन पास करते वक्त दर्द या जलन होना।
* बार बार यूरिन पास करने का दबाव यहां तक कि ब्लैडर खाली होने पर भी ऐसा अहसास हो सकता है।
* यूरिन का क्लाउडी या उसमें दुर्गंध आना।
* पेट के निचले हिस्से में दर्द
उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी किडनी के संक्रमण के कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको ब्लैडर इन्फेक्शन की समस्या है तो तुरंत डॉक्टर से सहायता मांगे। यह स्थिति किडनी इन्फेक्शन में तब्दील हो सकती है।
किडनी इन्फेक्शन के कारण
यूरेथ्रा में बैक्टीरिया के प्रवेश करने और ब्लैडर में इसके पुनः पनपने से किडनी का संक्रमण हो जाता है। इसके बाद यह इन्फेक्शन किडनी तक पहुंच जाता है। हालांकि, बैक्टीरिया कई तरीकों से किडनी तक पहुंच सकता है। किडनी इन्फेक्शन के कारण निम्नलिखित हैं:
टॉयलेट हाइजीन : टॉयलेट जाने और टॉयलेट पेपर से एनस (Anus) को साफ करने के बाद भी गुप्तांग इन्फेक्शन के संपर्क में आ सकते हैं। ऐसा होने की स्थिति में यह आपकी किडनी तक पहुंच सकते हैं। संक्रमित टॉयलेट इस्तेमाल करने पर किडनी इन्फेक्शन हो सकता है। यह एनस के जरिए बॉडी में प्रवेश कर सकता है। बैक्टीरिया के कोलोन (Colon) पर कब्जा करने पर अक्सर यह किडनी इन्फेक्शन का कारण बनता है।
महिला होना : पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ब्लैडर इन्फेक्शन होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। यह किडनी के संक्रमण में बदल जाता है। चूंकि, महिलाओं का यूरेथ्रा (Urethra) छोटा होता है, जिससे संक्रमण यूरिनरी ट्रैक के हिस्से में आसानी से पहुंच जाता है।
यूरिनरी केथेटर : यूरिनरी केथेटर एक ट्यूब होती है, जो यूरिन को बाहर निकालने के लिए यूरेथ्रा के जरिए ब्लैडर में डाली जाती है। ऐसे में यूरिनरी केथेटर से यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इससे इन्फेक्शन होता है।
किडनी स्टोन : किडनी स्टोन से पीढ़ित व्यक्तियों में किडनी का संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। किडनी की आंतरिक लाइनिंग पर घुले हुए मिनरल्स जम जाते हैं, जो किडनी स्टोन का रूप लेते हैं।
प्रोस्टेट बड़े होना : जिन पुरुषों के प्रोस्टेट बढ़े हुए होते हैं, उन्हें किडनी इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है।
कमजोर इम्यून सिस्टम : कुछ लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे उनकी त्वचा पर फंगल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो जाता है। अक्सर यह इन्फेक्शन ब्लडस्ट्रीम में पहुंच जाता है और किडनी पर हमला करता है।
सेक्शुअली एक्टिव महिलाएं : यदि सेक्सुअल इंटरकोर्स करते वक्त यूरेथ्रा में जलन होती है तो यूरिनरी ट्रैक में बैक्टीरिया के फैलने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। यह बैक्टीरिया किडनी तक पहुंच जाता है और इन्फेक्शन का कारण बनता है।
किडनी इन्फेक्शन की रोकथाम के उपाय
इस समस्या को रोकने में पानी काफी अहम माना जाता है। यूरिन पास करते वक्त फ्लूड आपकी बॉडी से बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद कर सकता है।
यूरिन न रोकें : यूरिन पास करने का अहसास होते ही आपको तुरंत यूरिन पास करना है। यूरिन पास करने में किसी भी प्रकार की देरी न करें।
ब्लैडर को खाली करें : इंटरोकस करने के बाद ब्लैडर को खाली करें। सेक्स करने के बाद तुरंत यूरिन पास करने के लिए जाएं। इससे यूरेथ्रा से बैक्टीरिया साफ हो जाते हैं और इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाता है।
सफाई का ध्यान: यूरिन पास करने के बाद आगे से पीछे की तरफ उचित तरीके से वाइप करें। इससे यूरेथ्रा तक बैक्टीरिया के पहुंचने को रोका जा सकता है।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
यदि आपके यूरिन में ब्लड आता है या किडनी इन्फेक्शन का शक है तो आपको तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, यूटीआई इन्फेक्शन होने पर और इसके लक्षणों में सुधार न आने पर आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
किडनी इन्फेक्शन का इलाज
इस समस्या का इलाज इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। यदि इन्फेक्शन हल्का है तो इलाज के पहले चरण में डॉक्टर आपको ओरल एंटीबायोटिक दवाइयां दे सकता है। यूरिन टेस्ट के बाद बैक्टीरियल इन्फेक्शन की विशेष जानकारी मिलने पर इन दवाइयों में बदलाव किया जा सकता है।
आमतौर पर दो या इससे अधिक हफ्तों तक आपको एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन करना पड़ सकता है। इलाज पूरा होने पर आपका डॉक्टर यूरिन कल्चर टेस्ट करा सकता है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि इन्फेक्शन पूरी तरह ठीक हो गया है और दोबारा न फैले। यदि जरूरत पड़ी तो आपको एंटीबायोटिक दवाइयों का एक अन्य कोर्स और करना पड़ सकता है।
गंभीर स्थिति में आपको अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है। इस दौरान आपको इंट्रावेनस (intravenous) एंटीबायोटिक दवा और इंट्रावेनियस फ्लूड्स दिए जा सकते हैं।
कई मामलों में ब्लॉकेज या यूरिनरी ट्रैक में समस्या वाले आकार को ठीक करने के लिए सर्जरी की जा सकती है। इससे नए किडनी इन्फेक्शन को रोका जा सकता है।
अंत में हम यही कहेंगे कि किडनी के संक्रमण में उपरोक्त बातों का ध्यान रखना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर अपने डॉक्टर से सहायता मांगें। यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।