योग हर किसी के स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन एक्सरसाइज है जो कि ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक सेहत को भी अच्छा करने में मदद करता है। इसमें योग आसन, प्राणायाम, मुद्राएं आदि शामिल होते हैं। योगासन, प्राणायाम और ध्यान का संयोजन हमारे स्वास्थ्य को बूस्ट कर सकता है। इन्हीं प्राणायाम में से से एक है कपालभाति प्राणायाम जो कि एक ब्रीदिंग एक्सरसाइज है। इसके अभ्यास के दौरान आपको अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करना होता है। अगर इसका अभ्यास नियमित रूप से किया जाता है, तो कपालभाति ना केवल आपके दिमाग को ब्राइट करने बल्कि आपको कई मानसिक और शारीरिक लाभ पाने में मदद कर सकता है।
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कपालभाति प्राणायाम एक सांस लेने की प्रिक्रिया है। कपालभाति संस्कृत से लिए गया शब्द है जिसमें ”कपाल” का अर्थ होता है माथा और “भाति” का अर्थ होता है प्रकाश। अथार्त कपालभाति को नियमित करने से माथे व् चहरे पर क्रांति या चमक आती है। कपालभाति प्राणायाम सांस से सम्बंधित व्यायाम है, जो कई बीमारियाँ दूर करता है। यह पूरे सरीर को स्वस्थ रखने मैं एक चमत्कारी प्राणायाम है। इस का अभ्यास बैठने की मुद्रा में किया जाता है। मन और शरीर की एकाग्रता शक्ति को बढ़ाने और माइंड को क्लिंज करने के लिए इस प्राणायाम को बेहद फायदेमंद माना जाता है। यह आपके शरीर को ढेरों फायदे पहुंचा सकता है। अगर इसका अभ्यास नियमित रूप से किया जाता है, तो कपालभाति ना केवल आपके दिमाग को ब्राइट करने बल्कि आपको कई मानसिक और शारीरिक लाभ पाने में मदद कर सकता है। तो आइए जानते हैं कपालभाति प्राणायाम करने का सही तरीका और इसके फायदे और आप इसे अपने रूटीन में कैसे शामिल कर सकते हैं-
कपालभाति क्या है?
योग एक्सपर्ट्स बताते हैं कि संस्कृत में, ‘कपाल’ का अर्थ होता है खोपड़ी यानि सिर और ‘भाति’ का अर्थ होता है ‘चमकना/प्रकाशमान’। इसलिए, कपालभाति प्राणायाम को स्कल शाइनिंग ब्रीदिंग टेक्नीक के रूप में भी जाना जाता है यानि वह ब्रीदिंग तकनीक जो आपके सिर/दिमाग को चमकाती है। एक ब्राइट और हेल्दी माइंड के लिए इसका अभ्यास किया जाता है।
कपालभाति प्राणायाम कैसे कार्य करता है
सामान्य सांस में सांस लेना सक्रिय प्रक्रिया है जबकि सांस छोड़ना निष्क्रिय प्रिक्रिया है। जबकि कपालभाति प्राणायाम मैं ये उल्टा होता है पेट की मासपेसिया और डायाफ्राम को जबरदस्ती हवा सांस छोड़ने के लिए इस्तेमाल करती हैं। पेट की मासपेसियों को हवा बहार फेकने की दसा मैं अन्दर की और ले जातें है। सांस लेना एक निष्क्रिय सुकून की तरह ताजा हवा के साथ फेफड़ों को भरने के लिए किया जाता है। यह दो सांस के बीच बिना कोई अंतराल के अभ्यास किया जाता है इससे शरीर के सभी नकारात्मक तत्व निकल जाते है, और शरीर और मन सकारात्मकता से भर जाता है। योगा से पूरी दिनचर्या अच्छे से गुजरती है। सिर्फ कपालभाति ही ऐसा प्राणायाम है जो शरीर और मन दोनों को शुद्ध कर सकता है।
कपालभाति प्राणायाम कैसे करें
कपालभाति करने का तरीका काफी आसान है और इसे हर कोई कर सकता है हालांकि यह जरूरी है कि आप इसे सही तरीके से करें। केवल तभी इसके फायदे आपको मिल सकते हैं। आइए जानते हैं कपालभाति कैसे किया जाता है-
कपालभाति प्राणायाम हठयोग के अंतर्गत आता है और इसमें 6 विधि आती है जो की इस प्रकार है : 1. त्राटक 2. नेती. 3. कपालभाति 4. धौती 5. बस्ती 6. नौली।
सबसे पहले सपाट या समतल जमीन पर कोई भी आसन बिछाकर आरामदायक मुद्रा मैं बैठ जाएँ।
मेडिटेटिव मुद्र में बैठें। आप पद्मासन या सुखासन चुन सकते हैं
अपनी हथेलियों को अपने घुटनों के ऊपर रखें।
घुटनों को अधिक अंदर की ओर दबाएं नहीं, इन्हें खुला रखें।
अपनी कमर को सीधा रखें और गहरी सांस लें।
अब अपनी आँखे या नेत्रों को बंद कर करें।
अब अपना पेट ढीला छोड़ दें।
अब अपनी नाक मैं से साँस को बहार की तरफ फेंकें और अपने पेट को भीतर की धक्का दें।
अब सांस को अंदर लें याद रहे की वही संतुलन बना रहे संतुलन बिगाड़े नहीं।
जब सांस छोड़ते हो तो आपके पेट की अतडियाँ निचे चली जानी चाहिए और सांस लेते समय वे ऊपर आजानी चाहिये।
अब अपने पेट को अंदर खींचते हुए सांस को तेजी से छोड़ें।
सांस छोड़ते और सांस लेते समय रिलैक्स रहें।
इसे प्रक्रिया को 20 बार दोहराएं जिससे एक सेट पूरा होगा।।
अब थोडा सा आराम करें।
फिर एक सेट करें ऐसे ही आप हर महीने बढाते चले जाएँ।
ध्यान रखें कि कपालभाति का अभ्यास हमेशा खाली पेट पर ही करें।
शुरूआत में आप कपालभाति के कुछ सेट ही कर सकते हैं। जब आप इसके साथ कम्फर्टेबल हो जाएंगे तो सेट को बढ़ा सकते हैं।
कपालभाति के फायदे
1. वजन मेनटेन करने में मदद : अगर आप हेल्दी वजन मेनटेन करना चाहते हैं और जिम नहीं जाना चाहते तो यह प्राणायाम आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। कपालभाती के नियमित अभ्यास से अतिरिक्त कैलोरी को बर्न करने और अपने वजन को मेनटेन करने में मदद मिल सकती है। यह पेट की मांसपेशियों पर सीधा असर डालता है।
2. रेस्पाइरेटरी सिस्टम को मजबूत करे : कपालभाति रेस्पाइरेटरी हेल्थ को बेहतर करने में मदद कर सकता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है साथ ही एलर्जी की आशंकाओं को कम करता है। कपालभाति के नियमित अभ्यास से रेस्पाइरेटरी संक्रमण को कम किया जा सकता है।
3. ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाए : कपालभाति शरीर में रक्त के संचार को बढ़ाने में मदद करता है जिससे शरीर के सभी हिस्सों में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति अच्छी तरह से हो पाती है। इसके चलते, शरीर के सभी अंग अच्छी तरह से काम करते हैं। यह फेफड़ों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
4. मानसिक शांति मिलती है : यह योग मुद्रा एकाग्रता शक्ति को बेहतर करने और फोकस को बढ़ाने में मदद करती है क्योंकि इस प्राणायाम के दौरान आपको अपनी सांसों पर ध्यान देना होता है। कपालभाति करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है साथ ही मेमोरी में सुधार होता है।
5. पाचन को स्वस्थ रखे : हर रोज कपालभाति का अभ्यास आपके पाचन को बेहतर कर सकता है। यह एब्डोमेन एरिया को स्ट्रॉन्ग बनाता है और पाचन से जुड़ी समस्याओं को कम करता है। अपच, कब्ज, गैस जैसे डाइजेस्टिव डिसऑर्डर्स को कपालभाति के जरिए कम किया जा सकता है।
6. शरीर की फिटनेस : अगर कपालभाति प्राणायाम को नियमित रूप से करें तो यह शरीर की फिटनेस या बनावट को बनाये रखता है।
7. सकारात्मक विचार : यह प्राणायाम मस्तिष्क में से नकारात्मक विचारों को निकालकर सकारात्मक विचारों का निर्माण करता है।
8. स्वास नालियों को साफ़ : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से स्वांस नालियां साफ़ हो जाती है।
9. विचारों को नियंत्रित : कपालभाति प्राणायाम के नियमित सुबह-सुबह प्रतिदिन अभ्यास से विचार नियंत्रित होने लगते हैं।
10. खून मैं आक्सीजन : अगर इस प्राणायाम को नियमित रूप से किया जाए तो खून में कम ओक्सिजन की मात्रा को पूरी करता है।
11. पाचन शक्ति : कपालभाति प्राणायाम डाइजेस्ट सिस्टम या पाचन तंत्र को सही रखता है।
12. भूक को बढाता है : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से भूक खुलकर लगने लगती है।
13. ललाट पर चमक : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से ललाट पर चमक आती है।
14. मधुमेह रोग में : इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मधुमेह या सुगर रोग में लाभ होता है।
15. कोलेस्ट्राल की मात्रा को कम : कपालभाति प्राणायाम बढे हुए कोलेस्ट्राल को कम करता है।
16. आँखों की रोशनी को बढाता है : कपालभाति प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आखों की रोशनी बढती है।
17. कफ विकार में : कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास से कफ के रोगी को फायदा मिलता है।
18. इन सभी रोगों में : यह प्राणायाम कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या में लाभदायक है।
19. फेफड़ो के रोगों में : कपालभाती प्राणायाम के नियमित अभ्यास से फेफड़ो के रोग भी ठीक हो जाते हैं।
20. खून का प्रवाह : कपालभाती खून का प्रवाह शरीर के निचले अंगो में बढ़ाता है जिससे शरीर के निचले अंग सही तरीके से काम करते है।
121. डायाफ्राम रोग में : इस प्राणायाम से डायाफ्राम भी ताकतवर और लचीला होता है । जिससे हर्निया होने की संभावना कम हो जाती है।
कपालभाति के दौरान बरतें ये सावधानियां
यह ब्रीदिंग एक्सरसाइज हर किसी के लिए बेहद फायदेमंद है। आप इसका अभ्यास किसी भी उम्र में कर सकते हैं। लेकिन कुछ लोगों को इस प्राणायाम के अभ्यास से बचना चाहिए। अगर आपने आर्टिफिशिल पेसमेकर या स्टेंट लगवाया है तो इस प्राणायाम का अभ्यास ना करें। मिर्गी, हर्निया की समस्या, स्लिप डिस्क के कारण पीठ दर्द होने पर या हाल ही में पेट की सर्जरी हुई है तो इस ब्रीदिंग टेक्नीक का अभ्यास करने से बचें। गर्भावस्था के दौरान और तुरंत बाद में, साथ ही मासिक धर्म के दौरान भी महिलाओं को इस प्राणायाम को करने से बचना चाहिए। अगर खाना खा लिए है तो उसके 5 -6 घंटे बाद करें। इसको करने के बाद कम से कम 25 मिनट तक कुछ न खाएं।जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर है वो इसका प्रयोग न करें। इस प्राणायाम को ज्यादा गति से नही करना चाहिये इसे धीरे-धीरे करे।